(Behan Ki Saheli Ki Chudayi- Ek Bhai Ki Kashmkash- Part 2)
कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि सुमिना की कॉलेज की दोस्त काजल के लिए मेरे मन में आकर्षण का एक अंकुर फूट कर धीरे-धीरे पौधा बन गया था। फिर जब काजल ने अचानक ही हमारे घर पर आना बंद कर दिया तो मेरे अंदर की बेचैनी बढ़ने लगी. मैं सुमिना से भी इस बारे में बात नहीं करना चाहता था क्योंकि वो मेरी बड़ी बहन थी; इसी कश्मकश में फंसा था कि अब आगे क्या किया जाये. Behan ki saheli part 2 Antarvasna story.
कई दिनों तक इंतजार करने के बाद काजल फिर से मेरे घर पर आने लगी. काजल की कुछ दिनों की गैरमौजूदगी के अकाल में मेरे प्यार के नए-नए पौधे की पत्तियां सूखने लगी थी. मगर उसके दोबारा आ जाने से उसकी मौजूदगी की बूंदों पड़ने से अब उस आकर्षण के पौधे ने एक बार फिर से नई कोपलें निकाल दी थीं.
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अब मैं मौका नहीं चूकना चाहता था. मैं जानता था कि काजल भी मेरी तरफ आकर्षित है लेकिन उससे अकेले में बात करने का कभी मौका मिलता ही नहीं था क्योंकि सुमिना हमेशा पास में होती थी. सुमिना के सामने हाय-हैल्लो से ज्यादा कुछ बात होना संभव भी नहीं था फिर भी मैंने उम्मीद बांधी हुई थी कि कभी तो उसके करीब जाने का मौका मिलेगा ही.
एक दिन सुमिना और काजल दोनों शॉपिंग का प्लान बना बैठीं. जाने को तो वो दोनों पापा के साथ भी जा सकती थीं लेकिन पापा के साथ उनके न जाने का कारण यह था कि सुमिना और काजल दोनों जवान लड़कियां थीं इसलिए अपने से बड़ी उम्र के व्यक्ति के साथ वो न तो खुल कर बातें कर पातीं और न ही मटरगश्ती ही हो सकती थी.
इसलिए मेरे हिसाब से सुमिना ने इसके लिए मुझे ही टोका क्योंकि पापा के साथ कहीं बाहर जाना उनको भी शायद रास नहीं आ रहा होगा. जब मैं कॉलेज से आया तो सुमिना ने मुझसे कहा- सुधीर, आज तुम हमें मार्केट में ले चलोगे क्या?
पहले तो मुझे मेरे कानों पर यकीन नहीं हुआ, मैं वहीं बुत बन कर खड़ा हो गया जैसे मुझे कोई सांप सूंघ कर चला गया हो.
फिर जब सुमिना ने अपने ही मन में कुछ सोचकर ये कहा- कोई बात नहीं, हम दोनों फिर कभी चली जायेंगी, तुम आराम करो.
तब मेरा स्वप्न टूटा और मैंने हाथ से छूटते हुए मौके के चौके को ऐसे कैच किया कि यह कैच मेरे प्यार की पिच पर काजल को क्लीन बोल्ड करने का एकमात्र अवसर है।
मैंने तुरंत हां कर दी.
सुमिना मना करती रही लेकिन अब उन दोनों को शॉपिंग पर ले जाना मेरे लिए इतना जरूरी हो गया था जैसे प्यास से मरते हुए इन्सान को पानी का एक घूंट नसीब हो जाये. Behan ki saheli part 2 Antarvasna story.
काजल के करीब जाने का एक यही मौका था मेरे पास जिसे मैं किसी भी हाल अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था. मैंने बहाने पर बहाने बनाये और आखिरकार सुमिना को उसी दिन शॉपिंग पर चलने के लिए मजबूर कर दिया.
हाथ-मुंह धोकर मैंने जल्दबाजी में खाना ठूंसा और निवाले निगल-निगल कर फटाफटा पेट भर लिया. अगले दस मिनट के भीतर मैं उनकी सेवा में हाजिर था.
उस दिन काजल ने तोतिया (पैरट ग्रीन) रंग का सूट पहना हुआ था. जिसमें उसका गोरा रंग चमक रहा था. ऐसा लग रहा था कि फरवरी की सर्दी में फूल की कोई कली खिलने के लिए बस सूरज की किरणों की गर्माहट मिलने का इंतजार कर रही है. उसके यौवन की कली पर अपने प्यार की पहली किरण मैं ही छोड़ना चाहता था.
तीनों बाहर की तरफ चले ही थे कि मां ने पूछ लिया- कहां जा रहे हो?
सुमिना बोली- माँ, मैं काजल के साथ मार्केट जा रही हूं. इसे भी कुछ सामान लेना था और मुझे अपने कपड़े ड्राइक्लीन के लिए देने जाना है.
मां बोली- तो मैं भी चल पड़ती हूं तुम्हारे साथ, मुझे भी बाजार से सामान लाना है. मैं कई दिन से जाने की सोच ही रही थी लेकिन टाइम नहीं मिल पा रहा था. अब तुम दोनों जा ही रही हो तो मैं भी चल पड़ती हूँ. तुम्हारे पापा के लिए भी कुछ अंडरगार्मेन्ट्स ले आऊंगी और अपना भी कुछ सामान लाना है मुझे।
मां की बात सुनकर सुमिना ने काजल की तरफ देखा और उन दोनों ने मेरी तरफ। मगर माँ थी इसलिए बात टाली नहीं जा सकती थी. फिर इतने में ही पापा अंदर से निकल कर आ गये.
पापा बोले- तुम लोग कहीं जा रहे हो क्या?
मैंने कहा- हां, सोच तो रहे थे कि चले जायें.
पापा बोले- कहां जा रहे हो?
मां ने कहा- बाज़ार तक होकर आ रहे हैं.
पापा बोले- फिर मैं भी चल पड़ता हूँ!
मां ने भी तपाक से कहा- हाँ चलिये, आप यहां घर पर अकेले बैठ कर क्या करेंगे.
मैंने मन ही मन कहा ‘इन दोनों (मां-पापा) को भी अभी टांग अड़ानी थी बीच में।’
पांचों के पांचों घर का ताला लगाकर बरामदे में खड़ी कार की तरफ बढ़ चले. गाड़ी पापा ने चलाने का फैसला किया. मां आगे वाली सीट पर पापा की बगल में बैठ गयी. पीछे की तरफ एक साइड से सुमिना ने दरवाजा खोला और काजल को पहले बैठने के लिए कहा. ज़ाहिर सी बात थी कि काजल के बाद सुमिना घुसने वाली थी और सबसे आखिर में मैं.
लेकिन मैं भी इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं था. मैं फटाक से घूमकर दूसरी तरफ पहुंच गया. मेरे दूसरी तरफ से घूम कर जाने से अब स्थिति ऐसी बनने वाली थी कि काजल पीछे वाली सीट पर बीच में आने वाली थी और हम दोनों भाई-बहन काजल की अगल-बगल बैठने वाले थे. जब तक सुमिना अंदर घुसी मैंने दूसरी तरफ से जाकर गाड़ी का दरवाजा खोल लिया था.
अंदर बैठते ही एक बार सुमिना ने मेरी तरफ हैरानी से देखा मगर वो कुछ कर नहीं सकती थी अब।
काजल तो जैसे चाहती ही यही थी कि मैं उसके साथ ही बैठूं, इसलिए वो हल्के से नीचे ही नीचे मुस्करा रही थी.
पापा ने गाड़ी स्टार्ट की और हम चल पड़े. काजल का कंधा मेरे कंधे से लगा हुआ था और नीचे उसकी जांघ मेरी जांघ को स्पर्श कर रही थी. अभी तक काजल को लेकर मैं इतना कामुक नहीं हुआ था मगर होता कब तक नहीं!
बार-बार उसके बदन का स्पर्श मेरे अंदर के पौरूष को नारी काया के प्रति जन्मजात समाहित वासना को भीतर ही भीतर आंच देने लगा था. जिसका सीधा असर मुझे मेरे लिंग पर पड़ता हुआ महसूस होने लगा था.
अभी मेरे मन में उसको चोदने का ख्याल तक नहीं आया था लेकिन आज जब उसके स्पर्श को हासिल करने में कामयाब हो ही गया था तो भला ख्याल आने में कहां देर लगनी थी! बार-बार उसकी जांघ से मेरी जांघ टच होने के कारण मेरा लंड तनना शुरू हो गया था. काजल का गोरा हाथ उसकी जांघ पर रखा हुआ था.
मेरा लंड तन कर पैंट में झटके देने पर मजबूर हो चला था और मन कर रहा था कि काजल का हाथ पकड़ लूं लेकिन अभी तो वह मधुर अहसास केवल स्वप्न तक ही सीमित था. वासना की अग्नि इतनी नहीं धधकी थी कि भय की लोह-दीवार को पिघला सके. लंड भले ही पैंट में मचल रहा था लेकिन दिल कह रहा था- नहीं, अभी ये सही वक्त नहीं है।
गाड़ी सड़क पर दौड़ रही थी कि अचानक एक रिक्शा वाला सामने आ गया तो पापा ने एकदम से ब्रेक पर पैर दबा दिया और बड़ी मुश्किल से गाड़ी की टक्कर रोड के बीच बने डिवाइडर से होते हुए बची. जब सब लोग संभले तो मेरी जांघ पर मेरा ध्यान गया जिस पर काजल का हाथ मेरी पैंट को कस कर खींचे हुए था. वो शायद टक्कर के डर से डर गई थी.
स्स्स … अंदर ही अंदर एक आह सी उठी. लंड तो पहले से ही खड़ा हुआ था, ऊपर से काजल के हाथ का स्पर्श सीधा मेरी जांघ पर … वो भी मेरे तने हुए लंड से दो-तीन इंच की दूरी पर! उफ्फ लंड झटके पर झटके देकर जैसे पागल हो उठा. Behan ki saheli part 2 Antarvasna story.
मुझे नहीं पता काजल ने मेरी पैंट में तने हुए लंड को देखा या नहीं लेकिन मैं खुद ही अपने तनाव को अपने दूसरे हाथ से छिपाने की कोशिश करने लगा. मैंने अपना हाथ अपने तने हुए लौड़े पर रख लिया. फिर मिनट भर के बाद काजल ने अपना हाथ मेरी जांघ से हटा लिया. मैंने अपना दूसरा हाथ भी काजल से सटी अपनी जांघ पर रख लिया और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपने अंडकोषों के ऊपर मिलाकर इस तरह से रख लिया कि कहीं से भी काजल को मेरी उत्तेजना के बारे में भनक न लगे.
थोड़ी ही देर में मार्केट पहुंच गए और हमने पार्किंग में गाड़ी पार्क कर दी. मॉल में जाकर माँ और पापा एक साथ हो लिये. काजल और सुमिना दोनों साथ-साथ चल रही थीं. मैं उन चारों के पीछे-पीछे कभी काजल को देख रहा था और कभी आस-पास की दुकानों पर नज़र घुमा कर टाइम पास कर रहा था. तनने के बाद सो चुके लंड से कामरस की एक बूंद निकल कर अंदर ही अंदर अपने मुझे मेरे लंड के टोपे पर ठंडा-ठंडा अहसास करा रही थी.
घूमते-फिरते हम एक गारमेंट्स की शॉप में घुस गये. उस शोरूम में लेडीज़ और जेन्ट्स दोनों ही डिपार्टमेंट थे. माँ और पापा एक तरफ चले गये. मैं, सुमिना और काजल एक साथ थे. फिर सुमिना की नज़र किसी कपड़े पर पड़ी और हम तीनों उसी तरफ चले गये.
सुमिना ने एक टॉप उठाया. गुलाबी रंग का टॉप था. उसे शायद वो काफी पसंद आ गया था. उसने काजल को दिखाते हुए उसकी राय जाननी चाही और काजल ने भी अपनी पसंद की मोहर लगा दी सुमिना की पसंद पर।
सुमिना खुश हो गई और फिर उसको ट्राई करने के लिए ट्रायल रूम की तरफ चली गई. अब काजल और मैं दोनों बाहर अकेले थे.
इतने दिनों के बाद मुझे काजल के साथ ये लम्हा नसीब हुआ था. एक तरफ खुशी भी थी और कौतूहल के साथ-साथ अजीब सा डर भी लग रहा था. मन तो कर रहा था कि उससे बात करने की पहल कर दूं लेकिन ज़बान में जैसे दही जम गई थी. चाहकर भी हिल नहीं रही थी.
लेकिन मौका बार-बार नहीं मिलता, ये बात मैं अच्छी तरह जानता था. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची क्योंकि कई दिन तक जब काजल घर पर नहीं आई थी, तब मैं ही जानता हूँ कि मेरे दिल पर क्या गुज़र रही थी.
इसलिए अब उससे बात करने की हिम्मत हर हाल में जुटानी थी मुझे. पूरी ताकत लगा दी अंतर्मन ने एक सवाल पूछने में- आप यहां पर फैमिली के साथ रहती हैं क्या?
काजल को शायद पहले से ही उम्मीद थी कि मैं उससे बात करने की पहल जरूर करूंगा, इसलिए उसको मेरे सवाल पर हैरानी होने की बजाय हर्ष ज्यादा हुआ.
उसने मुस्कराते हुए जवाब दिया- हां, अपने मम्मी-पापा और भाई के साथ रहती हूं.
मेरी बात का जवाब देते हुए काजल ने मेरे अगले सवाल का मुंह ऊपर उठने से पहले ही उसको अपने जवाब की जूती से जैसे रौंद दिया क्योंकि मैं इसके बाद यही पूछने वाला था कि घर में कौन-कौन है!
खैर, अब जब बात शुरू हो ही गयी थी तो आगे बढ़ानी भी जरूरी थी लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि और क्या बात करूं. अगर मैं उससे ये पूछता कि आप क्या पढ़ाई कर रही हैं तो शायद वो मुझे लल्लू समझ बैठती क्योंकि वो मेरी बहन के साथ ही पढ़ाई कर रही थी इसलिए ऐसा बेतुका सवाल पूछ कर मैं अपना इम्प्रेशन बनने से पहले ही बिगाड़ना नहीं चाहता था. Behan ki saheli part 2 Antarvasna story.
घबराहट के कारण दिमाग ने काम करना बंद सा कर दिया था इसलिए आगे बात बढ़ाने का रास्ता सूझ नहीं रहा था. एक बार तो ये सोचा कि पूछ लूं कि कॉलेज के बाद क्या करने का इरादा है, लेकिन ये सवाल भी नए रिश्ते की बुनियाद को मजबूती प्रदान करने की दृष्टि से प्रासंगिकता की कसौटी पर खरा उतरता प्रतीत नहीं हो रहा था। अगर मैं इसी तरह के नीरस सवाल पूछता रहता तो काजल के बोर होने का डर था.
फिर दिमाग की बत्ती जली और मैंने पूछ लिया- आपको शॉपिंग करने का शौक नहीं है क्या?
यह सवाल एक नारी से वार्तालाप शुरू करने के लिए एकदम सटीक था. नारी भले ही किसी और टॉपिक में रूचि रखे न रखे लेकिन जब बात शॉपिंग पर आ जाती है तो उसको दुनिया में इससे रूचिकर विषय शायद ही दूसरा कोई लगता हो। अपनी चतुराई पर मैं फूला नहीं समा रहा था.
मेरे सवाल का बड़े ही चटक अंदाज में जवाब देते हुए उसने कहा- हां, मैं तो बहुत शॉपिंग करती हूँ, मुझे भी काफी शौक है शॉपिंक करने का, लेकिन मैं अपनी सहेलियों के साथ ही जाती हूँ. अभी तो सुमिना के साथ उसको कंपनी देने के लिए बस ऐसे ही चली आई.
मैंने कहा- क्यूं, सुमिना आपकी सहेली नहीं है क्या? आप हमारे साथ भी तो शॉपिंग कर सकती हैं.
यह कहकर मैं उसको अपनापना जताने की कोशिश कर रहा था. मेरे इस सवाल का जवाब उसे भी नहीं सूझा। सुमिना तो उसकी सहेली थी ही जिससे वो इन्कार नहीं कर सकती थी. अगर वो ये कहती कि वो हमारे परिवार के साथ शॉपिंग नहीं करना चाहती तो उसे भी शायद ये डर सता रहा होगा कि अगर उसने ऐसा कहा तो मैं कहीं ये न समझ लूं कि वो हमारे परिवार के साथ सहज नहीं है।
अपनी बातों में मैंने काजल को अच्छी तरह उलझा लिया था। जिसका मुझे अंदर ही अंदर गर्व हो रहा था। Behan ki saheli part 2.
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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