डॉली बनी ट्रेक्टर की ट्रोली

मेरा नाम डॉली है और मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। जिला मैं नहीं बता सकती, सिर्फ इतना जान लीजिये कि मैं “मस्त पंजाबन” हूँ। मेरे गाँव के लड़कों ने मेरा नाम ट्रैक्टर की ट्राली रख दिया है। वे कहते हैं कि मैं उनमें से हूँ जिसे कोई भी, कभी भी अपने ट्रैक्टर के पीछे डाल कर ले जा सकता है। मुझे उनके ऐसे कटाक्ष हमेशा ही रोमांचित करते रहते हैं। पढ़िए मेरी जवानी की dolly tractor trolly khet sex story….

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मेरी ख़ूबसूरती देखते ही बनती है। अपने मुँह से खुद की तारीफ तो नहीं करनी चाहिए, मगर मुझे ऐसा ही जिस्म मिला है। रंग मेरा गोरा नहीं बल्कि सांवला है, मगर ऊपर वाले ने जो जिस्म मुझे दिया है, जिस सांचे में मुझे बनाया है, उस पर हर गबरू जवान मरता है। पतली सी बलखाती कमर है मेरी ! दिलों को हिला के रख देने वाले मस्त गोल गोल उभरे हुए चूतड़ ! जी हाँ पूरे गोल-गोल, मानो किसी ने दो खरबूजे रख कर उस पर पैंटी डाल दी हो। मगर इन्हें कौन समझाए कि मेरे पास तो यह कुदरत की देन है। मेरे मम्मे देख कर अगर किसी जवान का हथियार खड़ा ना हो तो मेरा नाम डॉली नहीं।

हर मर्द, हर लड़का, यहाँ तक कि बुजुर्ग भी मेरी मारना चाहतें हैं। मैंने भी शुरू से ही जवानी के मजे दोनों हाथ खोल कर चखवाए हैं और मजे लिए हैं।

बात उन दिनों की है जब हम गाँव में रहते थे। आप सभी तो जानते ही हैं कि गाँव में रहकर जवानी दबाये नहीं दबती। पापा और चाचा जब से जर्मनी गए थे, तब से ही मैंने घर में कई ऐसे दृश्य देखे जिन्हें एक लड़की को अपनी शादी के बाद देखने चाहिए। माँ और चाची दोनों का तो आवा ही औता था, बाकी तो आप समझ ही गए होंगे।

हम तीन बहनें और दो भाई हैं। मेरा एक भाई मुझसे डेढ़ साल बड़ा है और एक भाई हम भाई बहनों में सबसे छोटा है। बड़ा भाई डलहौजी हॉस्टल में था और छोटा भाई एक अच्छे स्कूल में पढ़ता था। मगर हम लड़कियों को सरकारी स्कूल में डाला गया था। मेरी चाचाजी की भी दो लड़कियाँ और एक लड़का है जो के डलहौजी हॉस्टल में पढता था। हमारी गाँव में पुश्तैनी जायदाद है और काफी अच्छा काम धंधा है।

हम बहनों को घर के कामों में हाथ बंटाना पड़ता था। हम सभी के काम बाँध दिए गए थे। जैसे कि खेतों में काम कर रहे लोगों के लिए खाना बनाना व चाय बनाना आदि। वैसे तो सारे मजदूर खाना लेने खुद ही आते थे मगर कभी कभी खेतों में जाकर चाय पानी पहुँचाना भी पड़ता था। इसलिए हम बहनें बारी बारी से खेतो में जा कर चाय पानी पहुंचा आते थे। एक दो बार ज़ब में खेतो पर गई तो मैंने गौर किया कि सबकी नज़र मेरी छाती पर ही रहती थी, जो इतनी कम उम्र में विकसत हो रही थे। उनकी तिरछी नज़र से मेरे जिस्म में अजीब सी सिहरन उठने लगती थी। अब तो खेतों में काम कर रहे लोग मुझ पर कटाक्ष भी कसने लगे थे। मुझे यह सब बड़ा अच्छा लगता था।

मैंने एक बार एक जवान मजदूर के साथ चाची को गन्ने के खेतों में और मोटर वाले कमरे में घुसते भी देखा था और अब उसी जवान मजदूर की नजरें माँ और चाची की जवान हो रही बेटियों पर जाने लगी थी। dolly tractor trolly khet sex story

मेरी बड़ी बहन के तो कुछ लड़कों के साथ चक्कर चल पड़े थे। यह सब देख देख कर मेरा भी मन मचलने लगा था और मेरा दिमाग गन्दा हो चुका था। अक्सर जब हम बहनें अकेली होतीं तो आपस में लिपट लिपट कर अपने मम्मे दबवाने और दबाने के मजे लेतीं थी, मेरी बड़ी बहन और मेरे चाचा जी की बड़ी लड़की को तो मैंने कई बार एक दूसरे की चूत पर हाथ फेरते भी देखा था, वे दोनों एक दूसरे के दानों को चुटकी में ले कर मस्ती के साथ रगड़ने लगती थी और यह करते समय उनकी आँखें मुंद जाती थी। यह सब देख कर मेरे भीतर भी वासना की हलकी चिंगारी लग चुकी थी।

एक दिन में खेतों में मोटर पर काम कर रहे मजदूर को चाय और खाना पकड़ाने गई। वो उस दिन अकेला था और भैंसों के लिए चारा कुतर रहा था। मुझे देख कर उसने मशीन बंद कर दी और मेरी तरफ खाना लेने आया। मगर यह क्या उसने तो खाना पकड़ने के बहाने मेरी कलाई ही पकड़ ली।

मैंने कहा,”यह क्या कर रहे हो?”

वो बड़े ही अल्ल्हड़पन के साथ बोला,” तेरी कलाई पकड़ कर देख रहा हूँ कि जवानी वाली चमड़ी आई भी है या नहीं !”

मैं छटपटा कर उससे अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी मगर उसने खाने का डिब्बा किनारे रख कर मुझे अपनी तरफ खींचा।

मैंने उससे विनती करते हुए कहा,” जाने दे मुझे, रब के वास्ते जाने दे मुझे !”

वो बोला,”चली जाना, आज तेरे घर पर कोई भी तो नहीं है। सब तो शादी में गए हुए हैं। तू अकेली वहाँ क्या करेगी?”

और इतना कहते हुए उसने मेरे उभरते हुए अनारों को ऊपर से रगड़ा और मुझे बाँहों में जकड़ लिया और मेरे होंठ चूमने लगा। dolly tractor trolly khet sex story

मैं इस अकस्मात् हमले को झेल नहीं पाई.. हालाँकि मुझे इन सब चीजों का ज्ञान था मगर सम्भोग के बारे में मेरा ज्ञान अभी पूरा नहीं था।

मैंने उससे विनती करते हुए फिर से कहा,” वीरू जाने दो ! मुझे वरना मैं माँ को बता दूँगी।”

वो मेरे उभारों को दबाते हुए बड़बड़ाया,”चुप कर साली ! वो कौन सी दूध की धुली हैं। तेरी माँ और चाची दोनों को ठोंक चूका हूँ और वो भी उनकी पहल पर !”

फिर उसने मेरी कमीज के बटन खोलते हुए कहा,”अभी कुछ नहीं करूँगा बस ऊपर से ही एक बार मजे लेने दे। मैंने इतनी कच्ची उम्र की कलि को कभी नंगा नहीं देखा है। देर ना कर और मुझे ऊपर से ही हलके फुल्के मजे लेने दे।”

इतना कहते हुए उसने मेरी कमीज उतारनी शुरु कर दी और फिर एक ही पल में उसने मेरी कमीज को मेरे शरीर से अलग कर दिया।

मैंने अपने अनारों पर अभी ब्रा डालनी शुरू नहीं किया था ,इसलिए कमीज के नीचे कुछ भी नहीं था।

मेरे उभरते हुए अनारों को देखते ही उसका मुंह खुला का खुला रह गया और उसने कहा,”हाय कितनी मस्त है तेरी जवानी !”

जब उसने मेरे दाल के दाने जैसे चुचूक को चुटकी में लेकर मसला तो मानो मुझे स्वर्ग का मजा मिल गया। उसने अपना सर झुका कर अपने होंठों से मेरे चुचूक चूसने शुरू कर दिए। मेरे तीस इन्ची अनार उसके मुंह में पूरे आ रहे थे। वो कमाल कर रहा था। मुझे बहुत बहुत बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। जी हाँ दोस्तो, इतना मजा तो मुझे आज भी नहीं आता जितना मजा मुझे उस पहली बार में आया था।

मैं उसके बालों में हाथ फेर रही थी और वो मेरे चुचूक चूस रहा था। मेरे लिए यह एक नया अनुभव था। उसने चुचूक चूसते हुए सलवार का नाड़ा खींच दिया और मेरी सलवार नीचे सरक गई। मैंने आज सलवार के नीचे भी कुछ नहीं पहना था। हल्के भूरे बालों से भरी मेरी गुलाबी होंठों वाली चूत देख उसका बुरा हाल हो गया। और जब उसने मेरी चूत के होंठ को अलग कर उस पर हाथ फेरा तो dolly tractor trolly khet sex story

हाय !!!!

मैं क्या बताऊँ, मैं सिसकने लगी……..

मैं अपने होश खोने लगी थी।

“वीरे, छोड़ दे मुझे.. कुछ कुछ होता है।”

“मैं तेरी नहीं लूँगा, यह वादा रहा मेरा। बस तू अपनी मर्जी से मुझे मजे लेने दे ! वरना मैं जबरदस्ती ले ही लूँगा।”

वैसे मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसने मुझे बोरियों से बने तख़्त पर लिटाया और मेरे टांगो के बीच में खुद बैठ गया। उसने अपनी दो उँगलियों से मेरे चूत के होंठ फैलाए और अपनी जीभ उस पर रख दी।

मैं तो पागल सी हो रही थी। वो अपनी जीभ से मेरे चूत को चाट रहा था, उसकी खुरदरी जीभ मेरी कोमल चूत पर रगड़ खा रही थी और मेरी चूत अजीब सी अकड़न के साथ फुदक रही थी।

उसने कहा,”कितनी साफ़ सुथरी कुंवारी चूत है ! पहली बार एक कच्ची लड़की की चूत देख रहा हूँ।”

और वो मजे लेकर मेरी चूत को चूसने लगा।

इसी बीच उसने अपना पजामा उतार दिया और फिर अपना कच्छा भी उतार दिया।

हाय राम !

जब मैंने उसका काला नाग जो पहले किसी चमड़ी के हिस्से की तरह लटक रहा था, उसे अपना सर उठाते हुए देखा, मेरी तो जान ही निकल गई। dolly tractor trolly khet sex story

फिर उसका वो काला नाग देखते ही देखते एक लोहे का डण्डा जैसा हो गया।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपना लौड़ा पकड़ा कर बोला,” ले मेरी जान ! इसे पकड़ कर इसके साथ खेल ! एक ना एक दिन तो तुझे इसको अपनी चूत में डलवाना ही पड़ेगा। अगर मैं नहीं डालूँगा तो कोई और डाल देगा। शादी के बाद तो तेरा खसम रहम नहीं खायेगा। इसको तो फटना ही होगा आज नहीं तो कल। चल चूम ले इसे और मजे लेते हुए मजे दे।”

मैंने उसके लौड़े को सहला कर देखा और फिर मुँह में लेने की कोशिश की। मगर वो लौड़ा था कि मेरे मुँह में समां नहीं रहा था।

वो बोला,”अपनी जबान से चाट चाट कर मेरा पानी निकलवा दे ! फिर चली जाना !”

मैं बड़ी असमंजस में थी.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि काला कौन से पानी का बात कर रहा है।

इसी उधेड़बुन में मैंने उसे पूछा,”पानी! कैसा पानी निकालना है??”

वो मुझे समझाते हुए और मेरे मम्मे दबाते हुए बोला,”अरे मेरी जान ! इसके अंदर से पानी निकलता है, जिससे बच्चा होता है। अगर कल को तेरा खसम अपना पानी तेरी चूत के अंदर निकालेगा, तब जा कर तू माँ बनेगी। चल चाट ले इसे।”

काला अपना लंड हाथ में लेकर मेरे चेहरे के करीब बैठ कर मुठ मारने लगा। वो मेरे होठों से अपने लंड को रगड़ रगड़ कर मुठ मार रहा था। dolly tractor trolly khet sex story

अचानक ही वो उठा और नीचे जा कर मेरी चूत पर अपना लंड सटा कर घिसने लगा।

मैं उसकी इस क्रिया से मचल उठी। मुझे अजीब सा मजा आने लगा।

वो मेरी हालत समझ रहा था और इतने में ही उसने मुझसे पूछा,” थोड़ा घुसा के दिखाऊँ?”

मैं कुछ नहीं बोल पाई। उसने इसे मेरी रजामंदी मान कर मेरी चूत के होंठ फैला कर हल्के से अपना लंड का टोपा मेरी चूत पर रख दिया और एक हाथ से मेरे चूचे दबाने लगा और दूसरे हाथ से चूत के ऊपर उभरे दाने को रगड़ने लगा।

उसने अपने लौड़े पर और मेरे चूत पर थोड़ा थूक लगाया और लौड़े को झटका दिया।

दर्द के मारे मेरी तो जान ही निकल गई थी। आखिर एक कुंवारी कन्या की सील बंद चूत जो थी।

उसने मुझे दिलासा देते हुए कहा,”डर मत ! घुसेगा नहीं !”

वो मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ कर मुठ मारने लगा और फिर एक बार जोर से झटका लगा दिया। उसका टोपा मेरी चूत में फंस गया। दर्द के मारे मैं रोने लगी।

उसने आगे डालने की कोशिश नहीं की, वहीं रुक गया और आगे-पीछे करने लगा और साथ ही मेरे दाने को बराबर रगड़ने लगा।

पूरा खिलाड़ी था वो !

मैंने सर उठा कर देखा कि मेरी गोरी चूत पर उसका घना काला लौड़ा अटका हुआ था। उसने एक हाथ मेरे मुँह पर रख दिया और एक और झटका मार कर थोड़ा और आगे सरकाया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे आज तो मैंने मर ही जाना है।

वह बड़ा ही माहिर था। उसी अवस्था में वो आगे-पीछे करने लगा तो मुझे राहत मिली। उसने पास ही पड़े अपने कच्छे से मेरी चूत को पौंछा और कहा,”देख, तेरी झिल्ली फट गई जान !” dolly tractor trolly khet sex story

मैंने उसे याद दिलाया कि उसने वादा किया था कि वो कुछ नहीं करेगा।

वो बोला,”बस हो गया जान ! अब बस मेरा माल निकाल दूंगा और आगे नहीं करूँगा।”

इतना कह कर उसने ढेर सारा थूक लगाया और लौड़ा और अंदर घुसा दिया। अब उसने एक और झटका मारा तो उसका लंड मेरी चूत में आधा घुस पाया। और उसी अवस्था में उसने मुझे चोदा। थोड़ी देर अपनी कमर चलने के बाद उसने अपने अपने लौड़े को मेरी चूत के अन्दर से निकला और अपने हाथ में थम कर तेजी से हाथ चलने लगा।

अचानक ही तेज़ धार के रूप में कुछ निकला, गर्म-गर्म सा पानी।

उसने वो सारा पानी मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया और मुझे चूमता हुआ मेरे ऊपर लुढ़क गया।

कुछ देर बाद उसने कहा,”रुक ! तुझे तो मजा दिया ही नहीं। मजा दूंगा तभी तो आगे खुद ही मरवाने आएगी।”

इतना कह कर उसने अपनी जबान से दाना रगड़ना चालू किया। थोड़ी थोड़ी देर में ऊँगली भी कर लेता था वो।

मैं तो हवा में उड़ने लगी।

एकदम से मुझे ऐसा लगा जैसे मैं आसमान में उड़ रही हूँ.. और फिर एक सैलाब सा आया और मैं आसमान से नीचे गिर पड़ी।

मुझे इतना आनंद आया जिसे मैं बयां नहीं कर सकती शब्दों में !

उसने मुझसे कपड़े पहन लेने को कहा और बोला,”जा और किसी से मत कहना कुछ !”

मेरी आधी चूत खुली थी अभी। मैं आधी कुंवारी थी। एक तीखी टीस मेरी टांगों के बीच उठ रही थी। अब तो वो जब भी घर खाना-वाना लेने आता, मौका देख मेरे मम्मे दबाने लगता और चुचूक चुटकी से मसलने लगता। dolly tractor trolly khet sex story

उस बात को महीना हो गया। मेरी छाती में एक दम से बदलाव आने लगा। काफी कसी कसी सी रहने लगी। महीने बीत जाने के बाद भी उसने मुझे पूरा कभी नहीं चोदा। लेकिन उसके हाथों से मेरे मम्मे बड़े हो गए मुझे ब्रा डालना शुरू करना पड़ा। उधर मेरा बदन भर गया और अब मेरे ख्यालों में बदलाव आने लगे। लौड़ा तो मैं कब से पकड़ती सहलाती आ रही थी, चूस भी रही थी। मगर चुदवाने का मौक़ा नहीं मिल पाया था अभी तक।

एक दिन में घर पर अकेली थी। वीरू खाना लेने आया। उसे नहीं मालूम था कि मैं अंदर अकेली हूँ। लेकिन मैं तो उसका इंतजार कर रही थी, जानबूझ कर खाना देने नहीं गई क्योंकि मैं चाहती थी कि वो अन्दर आये…..

एक दिन मैं घर पर अकेली थी। वीरू खाना लेने आया। उसे नहीं मालूम था कि मैं अंदर अकेली हूँ। लेकिन मैं तो उसका इंतजार कर रही थी। जानबूझ कर खाना देने नहीं गई क्योंकि मैं चाहती थी के वो आये……..

जब वीरू खाना लेने आया तब उसे यह नहीं मालूम था कि मैं अन्दर अकेली उसका उन्ताजार कर रही हूँ। मैं चाहती थी कि वो आये और आज मुझे औरत बनने का सुख दे।

मेरे मन में आज कुछ अजीब सी उथल पुथल चल रही थी।

वीरू जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंचा, उसने हमेशा की तरह मेरी कलाई पकड़ ली।

मैंने अपने दूसरे हाथ से उसकी बांह पकड़ कर उसको अन्दर खींच लिया और कहा- आ भी जा मेरे वीरू….आज घर पर कोई नहीं है। आज तो मैं अपने वीरू को अपने हाथों से खाना खिलाऊँगी।

इतना कह कर मैं उससे लिपट गई और वोह मुझे चूमने लगा।

पहले तो वो मेरे गालो पर चुम्मियाँ लेने लगा और फिर धीरे-धीरे उसने अपने होंठ मेरे अधरों पर रख दिए।

मैं तो पहले से ही गर्म थी। सो मैं उसका कुरता उतारने लगी। फिर मैंने अपनी कमीज उतार दी।

मेरी ब्रा में कैद मेरे मम्मे देख कर वीरू भी जान चुका था कि पहले छुटी अधूरी कहानी को पूरा करने का वक़्त आ गया है। dolly tractor trolly khet sex story

मुझमें बेसब्री का आलम छा चुका था। मैंने उसका पजामा भी उतार फेंका और उसके कच्छे को भी नीचे सरका दिया।

उसका काला नाग लटक रहा था। मैंने उसे अपने मुँह में भर लिया और ऐसा करते हुए मैंने अपनी सलवार भी उतार फेंकी।

यह देख कर वीरू बड़ा खुश हो गया और बोला- देखा मेरी डॉली ! कहा था ना मैंने कि एक दिन तू खुद ही मुझे अपनी लेने के लिए कहेगी ?

मेरे मुँह से भी अचानक ही निकल पड़ा- वीरू ! अट्ठारह सावन पार कर चुकी हूँ ! और तूने जो आग की चिंगारी महीने भर पहले लगाई थी वो अब शोले का रूप ले चुकी है।

इतना सुनते ही वो बड़े जोश में आ गया और उसने मेरी ब्रा का हुक खोलते हुए कहा- डॉली रानी ! देख तेरे दूध कितने बड़े हो गए हैं। जब पहली बार पकड़ा था, तब अनार थे और आज रसीले आम बन चुके हैं।

मैं तो अपने होश खो ही चुकी थी। सो मैंने उसके सर को दबा कर अपने मम्मे उसके मुँह के हवाले कर दिए। वो एक हाथ से मेरे बाएँ मम्मे को मसलने लगा और दायें वाले मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा।

मेरे से अब रह पाना मुश्किल हो रहा था। मैंने उसके लौड़े को पकड़ लिया और जोर जोर से हिलाने लगी। उसने मेरे चुचूक चूस चूस कर खड़े कर दिए थे।

मैंने भी उसके लौड़े को झुक कर अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी।

मैंने उससे कहा- वीरू, तू तो बाहर मजे लेता रहता है, तेरी घरवाली का क्या होता होगा? बेचारी !

वह बोला- उसका क्या है! रात को चढ़वा लेती है मुझे अपने ऊपर ! अँधेरे में ही घुसवा लेती है और पानी निकाल देती है !

वीरू ने मुझे अपने बाहों में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया।

अब वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मैंने भी अपनी राह साफ़ करने के लिए खुद ही अपनी टाँगें फैला दी।

आग दोनों ही तरफ लगी हुई थी और किसी के लिए भी अब देर करना संभव नहीं था। dolly tractor trolly khet sex story

उसने अपने लौड़े को मेरी टांगों के बीच में रख कर एक जोरदार झटका दिया। चूत तंग होने के कारण उसका लौड़ा मेरी चूत में फंस गया। मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा था। मगर मैंने तो आज किला फतह करने की सोच रखी थी। इसलिए मैंने चादर को जोर से पकड़ रखा था और मेरे होंठ मेरे दांतों के तले दबे हुए थे। अपनी पीड़ा को सहन करने की इच्छा शक्ति मुझे आ गई थी और इसलिए मैंने उसे नहीं रोका।

उसने 2-3 जोरदार झटके लगाये और उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ पूरा मेरे अन्दर चला गया।

वो खुश होते हुए बोला- लगता है डॉली रानी ने आज पूरा लेने का मन बनाया था।

मैंने कहा- हाँ मेरे वीरू ! आज तो मैं पूरी हो जाना चाहती थी।

यह सुनते ही उसमें घोड़े जैसा जोश भर गया और वो तेजी से अपनी कमर चलते हुए मुझे पेलने लगा।

धीरे धीरे मेरा दर्द रफू चक्कर हो गया और मुझे मजा आने लगा।

मेरे चूतड़ उठने लगे और मेरे मुख से सिसकारियाँ छूटने लगी।

मेरे मुख से खुद ही निकल पड़ा- वीरू ! और कर.. जोर जोर से कर मुझे.. आज मुझे कच्ची कलि से खिला हुआ फूल बना दे।

वीरू मखमल जैसी कलि को चोद रहा था और बहुत खुश था।

वो बोला- चल घोड़ी बना कर लेता हूँ तेरी अब !

मैंने पूछा- वो कैसे??

वो बोला- तू घुटनों के बल बैठ के झुक कर घोड़ी बन जा।

मैं उसके बताये अनुसार घोड़ी बन गई और उसने मेरे पीछे आते हुए अपना लौड़ा मेरी चूत में पीछे से घुसा दिया।

मेरे मम्मे नीचे लटकने लगे थे और उसके धक्कों की ताल पर ताल बजा कर नाच रहे थे। dolly tractor trolly khet sex story

उसने झुक कर मेरे मम्मों को पकड़ लिया और उन्हें रगड़ रगड़ कर मजे लेने लगा।

“हाय रे मेरे वीरू ! और रगड़ मेरी मम्मों को। बहुत सुख मिल रहा है रे ! चोद मुझे और जोर जोर से चोद !

अब वीरू जोर जोर से अपनी कमर हिलाने लगा और मुझे चोदने लगा। जब वो झटके लगाने के लिए अपना लौड़ा मेरे चूत से निकालता तो मैंने भी अपनी गांड पीछे धकेलती ताकि रगड़ मेरी चूत पर जोर से लगे और पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा जाए।

वीरू बोला- साली ऐसा लगता है कि तू अब जहाजी बनने वाली है।

मैंने उससे पूछा- क्या मतलब है तेरा ?

उसने मुझे उत्तर दिया- मेरा मतलब यह कि तू एक लौड़े से शांत नहीं रहने वाली। तेरे अन्दर की यह आग एक लंड से शांत नहीं होने वाली मेरी डॉली रानी।

मैंने कहा- हाय वीरू ! तुझे कैसे बताऊँ कि मुझे कैसा सुख मिल रहा है तेरी चुदाई में ! बयान नहीं कर पा रही मैं। और इसलिए तो गांड धकेल धकेल धकेल कर मजा ले रही हूँ !

वो अपने लंड को एक बार फिर से जड़ तक पेलते हुए बोला- साली, पहली चुदाई में इतनी उतावली हो रही है तू? तू तो पक्का जुगाड़ बनेगी लड़कों के लिए।

मुझे उसके मुँह से ये सब बातें बड़ी अच्छी लग रही थी। मेरे मुख से ठंडी आह सी निकली और मैंने उससे कहा- आह ! चोद मुझे ! और चोद…. मार मेरी…. लेता जा मेरी फुद्दी … मेरी चूत को फाड़ के रख दे रे मेरे काले ! तेरा घंटा बहुत ज़ालिम है रे काले।

वीरू जोश में भर के मेरे मम्मे मसलते हुए बोला- हाय मेरी जान ! माँ और चाची से चार कदम आगे है तू।

थोड़ी देर में मेरा शारीर अकड़ने लगा और फिर एक जोर का ज्वालामुखी मेरी चूत में छुट पड़ा और गरम गरम लावा मेरी चूत में निकल पड़ा। दोनों शरीरों से निकले लावा ने हम दोनों को तृप्त कर दिया था।

जब उसने मुझे छोड़ा तो हम दोनों हांफने लगे थे। कुछ देर चित्त लेटने के बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और वो घर से बाहर निकल गया।

एक अलग सा स्वाद वो मेरे जीवन में छोड़ गया और मेरे चेहरे पर संतुष्टि झलक रही थी।

नौकर के साथ हुई पहली चुदाई के साथ ही मेरी जिंदगी बदलने की शुरुआत हो चुकी थी. अब सिर्फ उस एक लौड़े से मेरी जिज्ञासा नहीं मिट रही थी, मुझे और चाहिए. इन जबरदस्त xxx sex stories का आखिरी भाग-

थोड़ी देर में मेरा शारीर अकड़ने लगा और फिर एक जोर का ज्वालामुखी मेरी चूत में छुट पड़ा और गरम गरम लावा मेरी चूत में निकल पड़ा। दोनों शरीरों से निकले लावा ने हम दोनों को तृप्त कर दिया था।

जब उसने मुझे छोड़ा तो हम दोनों हांफने लगे थे। कुछ देर चित्त लेटने के बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और वो घर से बाहर निकल गया। dolly tractor trolly khet sex story

एक अलग सा स्वाद वो मेरे जीवन में छोड़ गया और मेरे चेहरे पर संतुष्टि झलक रही थी।

वीरू के साथ मेरे शारीरक संपर्क बन चुके थे और हम जब मौका मिलता मस्ती के सागर में डूब जाते थे। तो इसी चक्कर में एक बार वीरू ने मुझे मोटर घर में पकड़ लिया और हम दोनों की गर्मी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। हमें कुछ नहीं मालूम था, बस उसका काला लौड़ा मेरी चूत को हलाल करने में लगा था।

जब हम अलग हो कर होश में आये तो सामने नंदू को देख हमारे चेहरे पर तोते उड़ने लगे। मैं सम्पूर्ण नंगी थी, एक भी कपड़ा तन पर नहीं था।

जल्दी से मैंने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपाने की कोशिश की और जब मैंने अपनी सलवार खींच कर चूत को ढकने की कोशिश की तो मेरे मम्मे दिखने लगे।

नंदू बोला,”वाह मेम साहब ! इस वीरू की पाँचों उँगलियाँ घी में रहती हैं।”

मैं सलवार सीधी कर पहनने लगी तो उसने मुझे रोक दिया।

मैंने उससे गुस्से में कहा,”नंदू ! जाओ यहाँ से।”

वह अपने लंड को अपने लुंगी के ऊपर ही मसलते हुए बोला,”हमें स्वाद नहीं लेने दोगी जवानी का डॉली रानी ?”

“मैं रंडी नहीं हूँ जो हर किसी से करवाऊँ!” मैं गुस्से में लाल हुए जा रही थी।

यह सुन कर वो मेरी बाहें पकड़ कर मुझे लगभग खींचते हुए बोला,”साली रंडी से कम भी नहीं है तू ! एक शादी शुदा नौकर के साथ रंगरलियाँ मानते वक़्त याद नहीं आया कि रंडी क्या होती है?”

वीरू ने अपने कपड़े ठीक किये और धीरे से निकल गया। नंदू ने आगे बढ़ कर मुझे अपनी बाहों में दबोच लिया और पागलों की तरह मुझे चूमने लगा। dolly tractor trolly khet sex story

मैंने उसका विरोध करना चाह रही थी मगर मुझे अपने भेद का खुल जाने का डर था।

मेरे मम्मों को ऊपर से ही दबाते हुए वो बोला,”डॉली ! बचपन से देखा है तुझे ! बिल्कुल अपनी माँ पर गई है।”

“नंदू दिमाग मत खराब कर और मुझे छोड़ दे !” मैंने उससे विनती की।

मगर वो कहाँ मानने वाला था। उसने जल्दी से मुझे लिटाया और ज़बरदस्ती मुझे मसलने लगा।

वह मेरे मम्मे दबाने लगा और फिर उन्हें अपने मुँह में डालकर चूसने लगा। उसने अपनी लुंगी उतार कर अपना लौड़ा निकाला और मेरी जांघों में घुसाने लगा। उसने मेरी दोनों टांगें फैला दी और मेरी चूत पर थूक लगाया।

उसके लौड़े को अभी तक मैं देख भी नहीं पाई थी। जब उसने अपना लौड़ा मेरी चूत पर सटा कर एक झटका दिया तब मुझे पता चला कि उसका लौड़ा कितना तगड़ा है।

मैं छटपटाने लगी। कितना बड़ा और कितना मोटा लौड़ा होगा उसका यह सोच कर मेरी जान निकल रही थी।

उसने ना तो मेरी चूत चाटी और ना ही मेरे होंठ चूमे बस देसी लौंडे की तरह अपना काम निकाल रहा था वो। वो तो बस अपने लौड़े को चूत में डाल कर अपना काम निकाल रहा था, किला फतह करने की कला उसमें नहीं थी।

मेरे मुख से निकला,”निकालो अपने लौड़े को ! चूत फट रही है मेरी।”

उसने कहा,”अभी मजा आएगा कुछ देर सह ले मेरी जान।”

और सच में कुछ ही देर में मैं नीचे से खुद ही हिलने लगी और उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी।

वो खुश होते हुए बोला,”आया ना मजा साली !”

मैंने उससे कहा,”तुम बहुत गंदे हो नंदू। तुमने मुझे चोद दिया। मैं माँ को बता दूंगी यह सब।”

उसने अपने दांत दिखाते हुए कहा,”चल न, इकट्ठे चलते हैं तेरी माँ के पास ! मैंने बताऊंगा तेरी माँ को कि उसकी छोरी वीरू के नीचे लेटी थी और उसे देख कर मेरा खड़ा हो गया ! अब तू ही बता कि मैं क्या करता.. मेरे सामने नन्ही मुन्नी सी डॉली नंगी लेटी थी और मैंने उसे पकड़ लिया। और जब अब पकड़ ही लिया था तो चोदना तो बनता ही है न !”

मुझे उसकी हरामीपने की बातें सुन कर शर्म आ रही थी मगर मुझे उसके धक्कों से मजा भी आ रहा था।

आह्ह्ह्ह …..आआह्ह्ह्ह……..हम दोनों की कमर एक साथ चल रही थी और हम दोनों आनन्द के सागर में मजे ले रहे थे। dolly tractor trolly khet sex story

थोड़ी देर बाद हम दोनों साथ साथ झड़े।

सच में नंदू का लौड़ा बड़ा मस्त निकला और मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू आ गए।

कभी वीरू के साथ तो कभी नंदू के साथ में मोटर घर में मजे कर रही थी।

रोज का नियम सा बन गया था यह। कभी कभी तो दोनों के एक साथ भी मजे लेती थी।

एक दिन कि बात है। मेरे फूफाजी आये हुए थे। किसी शादी के लिए बुआ जी और माँ को शहर ले जा कर उनको खरीदारी करवानी थी।

मैंने फूफाजी को खाना-वाना खिलाया और डिब्बे में खाना डाल कर मोटर घर की तरफ चल पड़ी मेरे वीरू को खाना खिलाने।

वीरू तो मेरी राह देख ही रहा था। मेरे पहुँचते ही उसने मुझे दबोच लिया। काफी दिनों के बाद हम मिले थे और नंदू अभी वहाँ नहीं था।

देखते ही देखते हम दोनों वहाँ लेट कर रंगरलियाँ मानाने लगे। उसने मुझे चूमते हुए मेरे कपड़ो के ऊपर से मेरे मम्मे दबाते हुए मेरी सलवार खोल दी।

उसका लौड़ा खड़ा था और मुझे मेरी टांगो के बीच में चुभ रहा था।

“वीरू आज तो तेरा पप्पू बड़ा जल्दी खड़ा हो गया रे?”

“अरे यह तो पहले से ही खड़ा था ! चल इसे दो-चार चुप्पे नहीं लगाएगी?” उसने बड़ी ही बेसब्री से कहा।

मैंने नीचे झुक कर उसका लौड़ा मुँह में लिया और चूसने लगी।

“दोनों गेंदों को निगल कर चूस रे छिनाल !” उसने कहा।

कुछ ही देर में मेरी चूत जवाब देने लगी और मुझे रह पाना अब नामुमकिन हो रहा था। dolly tractor trolly khet sex story

“डाल दे न अपना मूसल मेरे चूत में ! हाय कितना तड़पा रहा है रे ठरकी ! देख न कैसे पनिया रही है मेरी मुनिया ..” मैंने उसके सामने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा।

वीरू ने मुझे दबोच लिया और अपना हाथ नीचे ले जाकर निशाने पर तीर रख कर डाल दिया मेरी चूत में अपना लौड़ा।

मेरी बहुत खुश थी, आखिर बहुत दिनों बाद मुझे वीरू का लौड़ा मिला था।

मैंने उससे कहा, “हाय रे वीरू ! बड़े दिनों बाद तेरा लौड़ा मिला है रे ! आज तो जी भर के चोद ले अपनी डॉली को।”

वो जोश में आते हुए बोला,” साली झूठ बोलती है ! नंदू था न तेरे पास !”

“नंदू है तो सही, लेकिन उसमें तेरे जैसा जोश नहीं है रे मेरे वीरू !” ऐसा मैंने उसे और जोश दिलाने के लिए कहा, मैं तो चाहती थी कि आज वो मेरी चूत को फाड़ कर तृप्त कर दे।

वो जोश में आकर मुझे चोदने लगा और दस मिनट के बाद हम शांत होकर एक तरफ लुढ़क गए।

तूफ़ान शांत हो चुका था और हम अपने कल्पनाओं के सागर में एक दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। आज वो खास मूड में था ! चुदाई के बाद के चुम्बन मुझे और रोमांचित कर रहे थे।

करीब आधे घंटे के बाद हम सामान्य हुए और उसने कहा,”चल उठ कर सलवार पहन ले।”

उसने मेरी ब्रा का हुक लगाते हुए मुझे फिर से चूम लिया और मैंने भी बदले में उसे चूम कर उसका धन्यवाद अदा किया।

जब मैं अपनी सलवार ऊपर कर रही थी तो मुझे मोटर घर के बाहर एक साया दिखा। फिर अचानक ही किसी चीज़ के गिरने की आवाज आई।

मैं हड़बड़ा गई और बाहर जाकर देखा तो बाहर फूफाजी खड़े थे !

मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। मेरे चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी और मैं सर नीचे कर उनके सामने खड़ी हो गई।

वो बोले,”शर्म नाम की कोई चीज़ बची है या नहीं तेरे अन्दर?” वो मुझे डांट रहे थे और मैं सर झुका कर खड़ी थी।

उन्होंने कहा,” चल आज तू घर चल ! तेरी माँ और बुआ से तेरी खैर निकलवाता हूँ। खाना पहुँचाने आती है या यहाँ हर मजदूर से चुदवाने ?” dolly tractor trolly khet sex story

इतना कह कर वो निकल गए।

मेरी तो फटने लगी। मुझे पता था कि बुआ का हाथ बहुत भारी है और वो यह भी नहीं देखती कि कहाँ लग रही है।

मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ते देख वीरू ने मुझे गले से लगते हुए कहा,”देख ! तेरे फूफा बहुत ही बड़े ठरकी हैं। इन्हें मैं बहुत पहले से जानता हूँ। तेरी चाची के साथ भी सम्बन्ध रहे हैं इसके ! तू बस घर जा कर संभाल इसको।

पाँव पकड़ते हुए लुंगी में मुँह घुसा देना, शांत हो जायेगा।”

मुझे गुस्सा आने लगा, मैंने वीरू को डांटते हुए कहा,”क्या बक रहा है कमीने !”

वीरू ने मुझे समझाया,”बक नहीं रहा हूँ डॉली रानी ! तुझे अपनी इज्जत बचने का तरीका बता रहा हूँ। तेरा क्या बिगड़ जायेगा? दो लेती थी एक और ले लेना !”

मैं वहाँ से जैसे तैसे भाग कर घर आ गई। फूफाजी अपने कमरे में लेट कर अखबार पढ़ रहे थे। मैं उनके पैरों की तरफ बैठ कर उनसे विनती करने लगी।

“मुझे माफ़ कर दो फूफाजी, आगे से ऐसी गलती नहीं करुँगी।” इतना कह कर मैं रोने लगी। मेरे आँखों से आंसू बह रहे थे।

उन्होंने मुझे घूरते हुए कहा,”शर्म-लाज कुछ है तुझमें?”

“घुटने पकड़ लिए हैं फूफाजी, मुझे माफ़ कर दो !” इतना कह कर मैं वहाँ से रोते हुए अपने कमरे में चली आई और अपने बिस्तर में गिर कर सुस्ताने लगी। dolly tractor trolly khet sex story

बुआ, चाची और माँ सब बाजार गए हुए थे और उन्हें शाम से पहले लौटना नहीं था। वैसे भी वीरू ने मुझे हल्का कर दिया था और ऊपर से गर्मी के कारण मुझे बेचैनी सी होने लगी थी। यूँ तो चुदाई के बाद मुझे नींद बड़ी अच्छी आती है मगर आज मेरी आँखों से नीद गायब थी। मैं चाह रही थी कि फूफाजी के सामने जाकर सब कुछ बता दूँ, मगर हिम्मत नहीं हो रही थी।

कभी कभी ख्याल आ रहा था कि उनसे जा कर लिपट जाऊं, खुद को उनके हवाले कर दूँ, उन्हें अपने दूध पिला दूँ ..

वैसे भी उन्होंने मुझे आधी नंगी तो देख ही लिया है….क्या पता शायद वो बहुत देर से मेरी जवानी का मजा ले रहे हों.. पता नहीं ऐसे अनगिनत ख्याल मेरे मन में घर कर रहे थे। मुझे यह तो ज्ञात था के मेरी उभरी हुई जवानी देख कर उनके दिल में कुछ तो हुआ होगा, मगर उनके गुस्से से मैं वाकिफ थी। इस अजीब सी कशमकश में कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नहीं चला।

कुछ देर बाद मुझे मेरे पास किसी के लेटे होने का एहसास हुआ। ऐसा लगा जैसे कोई मेरे चूतड़ों पर हाथ फेर रहा हो। मेरी आँख खुल गई मगर मैंने सोये होना का नाटक करना चालू रखा।

मैंने अपनी आँखें धीरे से खोल कर कनखियों से देखा तो वो और कोई नहीं मेरे फूफाजी ही थे !

उन्होंने धीरे धीरे मेरी कमीज को ऊपर सरकाया और मेरे चिकने सपाट पेट पर हाथ फेरने लगे।

फिर धीरे से उन्होंने मेरा नाड़ा भी खोल कर मेरी सलवार को खिसकाते हुए मेरी पेंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर हाथ फेरने लगे।

वो बड़े आराम से मेरी नाभि पर हाथ फेरते हुए और मजे लेते हुए बोले,”डॉली ! अब मूड में आ भी जाओ ! कब तक सोते रहने का नाटक करोगी?” dolly tractor trolly khet sex story

फिर भी जब मैंने अपनी आँखें नहीं खोली तो उन्होंने मेरी पैंटी में हाथ डाल कर मेरे दाने को मसल दिया।

मैं उनकी तरफ मुड़ी और उनसे लिपट गई और बोली,”आप किसी से कहेंगे तो नहीं ?”

उन्होंने बड़े ही प्यार से मेरे होंठों को चूमते हुए कहा,”नहीं कहूँगा मेरी रानी ! चल उठ कर नंगी हो जा।”

मैंने कहा,”नहीं फूफा जी, माना कि मैं चुदाई करवाती हूँ और आपने मुझे देखा भी है पर आपके सामने यूँ नंगी होने में मुझे शर्म आ रही है। मैं आंखें बंद कर रही हूँ, आपको जो उतारना है, उतार लेना ।”

मैं खड़ी हो गई मगर मुझे यह ध्यान नहीं था कि फूफाजी ने मेरा नाड़ा खोल दिया है। जैसे ही मैं खड़ी हुई मेरी सलवार नीचे सरक कर पैरों में गिर गई। मैं शर्म से लाल हो रही थी और अपनी जाँघों को समेट रही थी।

“क्या मस्त जांघें हैं तेरी ! डॉली रानी इतनी चिकनी जांघें तो मैंने कभी देखी ही नहीं। दूर से देखा था तब पप्पू मेरा हिलने लगा था और अब पास से देख रहा हूँ तो मेरा पप्पू अकड़ने लगा है।” उन्होंने लगभग घूरते हुए अपनी आखों से मुझे चोदते हुए कहा।

“क्यों ? बुआ जी की चिकनी नहीं है क्या?” मैंने चुटकी ली।

“अब कहाँ वो बात !” उन्होंने एक लम्बी सांस लेते हुए कहा और मेरी कमीज उतार कर मेरी काले रंग की ब्रा में कैद मेरे कबूतरों को आजाद कर दिया।

मेरे फडफाड़ते हुए कबूतरों को देख कर वो बोले,”क्या मस्त माल है तेरे पास !”

और इतना कह कर वो मेरे अनारों को मसलने लगे।

कुछ देर मसलने के बाद उन्होंने मेरे चुचूक को अपने मुँह में भर लिया और चूस चूस कर मेरे चुचूक खड़े कर दिए।

“हाय फूफा जी ! मारोगे क्या ! बड़ा मस्त चूसते हो आप !”

“चल अब मेरा लौड़ा हिला और चूस इसको !”

“खुद पास आकर चुसवा लो न !”

उन्होंने खुद अपना लौड़ा पकड़ कर मेरे मुँह में डाल दिया और मैं चूमने लगी उनके मस्त लौड़े को।

“हाय रे डॉली रानी, क्या चूसती हो !” dolly tractor trolly khet sex story

कुछ देर चूसवाने के बाद बोले,”साली मुँह में झड़वा देगी क्या ?”

इतना कहते हुए उन्होंने मेरी टाँगें फैला दी। मैंने भी ज्यादा नाटक ना करते हुए रास्ता साफ़ कर दिया।

उन्होंने अपने लौड़े को पकड़ कर निशाने पर टिका कर एक करार झटका लगा दिया।

उनका लौड़ा मस्ती में मेरी चूत में झूलने लगा था।

“मजा आया रानी ?” उन्होंने अपने धक्कों को संयमित करते हुए पूछा।

“हाँ फूफाजी ! और तेज रगड़ा लगाओ ना !

“कुतिया क्या हाल है तेरा ! साली सुहाग रात पर पकड़ी जायेगी ! कुछ छोड़ दे उसके लिए भी ! तेरी उम्र में तो तेरी बुआ मेरा लौड़ा अपनी चूत में ले कर कराहने लगती थी, मगर तू तो बड़ी कमीनी है रे ! और जोर से धक्के लगाने को कह रही है !”

“हाय फूफाजी ! रगड़ दो ….रगड़ दो मुझे …और….और तेज…तेज…चोदो मुझे !” मेरे मुँह से आवाजें निकल रही थी और फूफाजी मुझे तेजी से चोदने लगे थे।

करीब आधे घंटे के कोहराम के बाद हम दोनों फारिग हुए और एक दूसरे के जिस्म को जकड़ कर एक ओर लुढ़क गए।

फूफाजी बोले,”साली मैंने तो सोचा था कि तू मोटर घर में वीरू से चुद कर ठंडी हो गई होगी। मगर तू तो पक्की हरामन है रे !”

“भतीजी किसकी हूँ ! सच बताना मैं अपनी चाची से भी ज्यादा मस्त हूँ न !”,मैंने उन्हें छेड़ा।

“क्या मतलब है तेरा?” वो गुर्राए।

“वही जो पूछा है !”

“किसने कहा तुझसे यह सब?”

“बस बताने वाले ने बता दिया फूफाजी !”

“बहुत तेज है रे तू छोरी ! चल एक और दौर हो जाए !”इतना कह कर वो मेरी गाण्ड पर हाथ फेरने लगे।

“तेरी चूत मारते वक़्त देखा था, तेरी गांड बड़ी चिकनी है ! बोल मरवाएगी?” यह कह कर वो अपने हाथ से मेरी गोलाइयों का जायजा लेते हुए मेरी गाण्ड सहलाने लगे। dolly tractor trolly khet sex story

मैंने उन्हें समझाया,” फूफाजी ! अभी सब आने वाले हैं। सो खुद की गाण्ड मत फड़वा लेना बुआ से !”

मगर वो कहाँ मानने वालों में से थे! उन्होंने जबरदस्ती अपना मुरझाया हुआ लंड मेरे गांड पर सटा दिया और अन्दर डालने की कोशिश करने लगे। लेकिन उनका इतनी जल्दी खड़ा नहीं हो पा रहा था।

आखिर हार मान कर वो मुझे अपने कपड़े पहनने को बोल कर अपने कपड़े ठीक करने लगे।

“अब तो तू मेरी ही है डॉली ! आज नहीं तो फिर कभी सही। अब मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला !”

थोड़ी देर में वीरू घर पर चाय लेने आया। उसने मुझसे सुबह वाले किस्से के बारे में पूछा,”कर लिया अपने फूफा को अपने गुनाहों में शामिल?”

मैं शरमा गई और शरमा कर उससे बोली, “चल हट ! कुत्ता ! जा चाय लेकर ! मैं आती हूँ खेतों पर !”

“क्यों अभी भी चूत की आग शांत नहीं हुई क्या जो दोबारा वहाँ आएगी?” उसने मुझे छेड़ा,” फाड़ डालेंगे तेरी चूत को ! आज तो नंदू के अलावा कामा भी है वहाँ !”

मैं थक चुकी थी और ३ लौड़ों को एक साथ सँभालने की ताकत अभी नहीं थी मेरी। इसलिए मैंने चाय बना कर उसे पकड़ा कर उसे रुखसत किया।

————समाप्त————

इस किस्से के बाद तो मैंने हर किसी से चुदवाने लगी और खुले में गफ्फे लगाने लगी।

और इस तरह मैं डॉली से ट्रैक्टर की ट्राली बन गई ! dolly tractor trolly khet sex story

इसके बाद तो बस मैं हर तरह से सेक्स का मजा लेने लगी। तो दोस्तों, ये xxx sex stories यहीं ख़त्म होती है..

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