Papa ki pari hun main beti sex story
दोस्तों, ये Papa ki pari hun main beti sex story मैं और मेरे पापा की है. मेरी माँ की डेथ के बाद वो बहुत अकेले हो गए थे और हालातो ने हम दोनों को एक दुसरे का सहारा बना दिया.
मेरी मोम की ४ साल पहले एक आक्सिडेंट मैं डेथ हो गई थी. उस वक़्त मैं कोई 16 साल की थी और अपने पापा की अकेली बेटी थी. हम लोग काफ़ी साल पहले चेन्नई से मुंबई शिफ्ट हो गये थे. यहाँ मुंबई मैं सिवई हमारे एक दो फॅमिली फ्रेंड्स के अलावा और कोई रिश्तेदार ना था. बस हम तीनो अकेले रहते थे. मम्मी की डेथ के बाद हम सिर्फ़ 2 रह गये थे. घर क एक कमरे मैं जो की बाहर कमर्षियल स्ट्रीट की तरफ खुलता था, पापा ने बहुत अच्छा जनरल स्टोर खोला हुआ था जिस से हमारी बहुत अच्छी इनकम होती थी.
मम्मी के जाने के बाद मुझे भी तन्हाई महसूस नही होती थी. सुबह मैं स्कूल चली जाती. काम वाली सुबह घर की सफाई कर के खाना तैयार कर के चली जाती. स्कूल से वापसी पर हम दोनो बाप बेटी साथ खाना खाते. मम्मी की कमी बहुत महसूस होती थी. इसी तरह एक साल गुज़र गया.
और मुझे यह कभी भी एहसास ना हुआ के अगर मुझे मम्मी की कमी महसूस होती है तो पापा का क्या हाल होता होगा. मैं जवानी की हदों को चू रही थी. मेरी छातियाँ अच्छी ख़ासी निकल आई थी. अक्सर मेरी चूत मैं भी मीठी मीठी खारिश होती थी. मगर ना मैं इन सब चीज़ों का मतलब जान सकी और ना यह महसूस कर सकी के पापा मम्मी के बाद सेक्स को कितना मिस करते होगे.
फिर एक रात वो हुआ जिसने हम दोनो बाप बेटी की ज़िंदगी बदल दी. जुलाइ की रात थी. गर्मी के बाद बहुत तेज़ बेरिश हो रही थी. बदल बहुत ज़ोर ज़ोर से गरज रहे थे. मैं अपने कमरे मैं सहमी हुई सोने की कोशिश कर रही थी, मगर डर के मारे नींद नही आ रही थी. अचानक जो एक दफ़ा बदल बहुत ज़ोर से गर्जे तो मेरी चीख निकल गई और मैं बेड से उठ कर पापा के बेडरूम की तरफ भागी.
जल्दी से मैंने पापा के बेडरूम का डरवाज़ा खोला और पापा के बेड के बिल्कुल सामने जा खड़ी हुई. सब कुछ इतना जल्दी में हुआ की मैं बेडरूम का डरवाज़ा खोलते हुयी यह भी ना देख सकी के मेरे प्यारे पापा उस वक़्त अपने बेड पर बिल्कुल नंगे हो कर अपने तने हुआी सख़्त लंड को अपनी मुठी मैं पकडे, मुठी को लंड पर ऊपर नीचे कर रहे थे. मैंने ज़िंदगी मैं पहली बार लंड को इतना बड़ा (बिग) देखा था. पापा को भी मोक़ा ना मिल सका की मै हू अपने जिस्म पर शीट डाल लेते.
उनका मुँह खुला का खुला रह गया. मेरे भी मुँह से सिवाए इसके और कुछ ना निकल सका “सॉरी पापा, मैं डर गयी थी, इस लिये जल्दी मैं डोर पर नॉक नही कर सकी”. पापा ने इतनी देर में अपने ऊपर शीट डाल ली और घबरा कर उठ कर बेड पर बैठ गाए, और बोले: “सॉरी बेटा के तुम ने मुझे इस हालत मैं देख लिया. आ जाओ और यहाँ मेरे पास बैठ जाओ. जब बारिश रुक जाए तो चली जाना अपने बेडरूम में”. “मगर पापा ….. आप डिस्टर्ब होंगे. आप कुछ कर रहे थे अभी?” लेकिन पापा ने जवाब देने की बजाए मुझे हाथ पाकर कर अपने साथ बेड पर बिठा लिया.
“पापा आप ने कुछ नही पहना … मुझे शरम आती है.” यह कहते हुए मुझे खुद अपने बारे मैं एहसास हुआ की मैंने भी गर्मी की वजह से सिर्फ़ एक थिन सी, सी-थ्रू क़िसम की टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. ब्रा भी नही पहनी थी, इस लिये मेरा जिस्म भी बिल्कुल रिवील हो रहा था. टी-शर्ट भागते हुआी ऊपर हो गई ही, जिस की वजह से मेरा पायट और मेरे टिट्स सॉफ नज़र आ रहे थे. एक तरफ पापा को मैं नंगा अपना लंड पकडे देख चुकी थी, और अब वो शीट डाले बैठे थे के पीछे से उनकी कमर नीचे तक नंगी थी.
और दूसरी तरफ मैं भी सेमी-नेकेड उनके पास बैठी हुई थी. मेरी साँस फूल रही थी. मुझे उस रात पापा के पास बैठ कर पहली दफ़ा एहसास हुआ के मेरा जिस्म बहुत सेक्सी है. मेरे बूब्स मेरी 13 साल की लड़की के मुक़ाबले मैं ज्यादा बड़े और कड़े हैं और सामने को निकले हुयी हैं. मेरे हिप्स बहुत रौंद, हार्ड और बल्जिंग हैं. मेरा जिस्म भरा भर लगता है. अचानक बारिश का शोर और ज्यादा हो गया और साथ ही बादल एक बार फिर बहुत ज़ोर से गर्जे के मैं डर के मारे एक दम पापा से चिपट गई. इस तरह चिमटने से पापा की शीट हट गई, और पापा फिर से नंगे हो गाए. मैं कोई 10 सेकेंड उन्ही चिमती रही, टब मुझे पता चला के मैं अपने पापा के नंगे जिस्म से लिपटी हुई हूँ.
मैंने घबरा कर पापा से अलग होने की कोशिश की तो पापा ने मेरी कमर मैं अपना हाथ डाल कर मुझे मज़बूती से अपने नंगे जिस्म के साथ जकड लिया. “जानू ऐसे ही बैठी रहो” मैं कुछ ना जवाब दे सकी. मैं पापा के लेफ्ट साइड से लिपटी हुई थी. मेरा सर पापा के सीने पर था. शीट हट जाने की वजह से पापा का खड़ा हुआ लंड मेरे फेस से एक फीट के फ़ासले पर था. पापा ने एक बार फिर अपने लंड को रिघ्त हॅंड की मूती मे जकर लिया और हाथ को लंड पर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर नीचे करने लगे. “पापा यह आप काइया कर रहें हैं?”
“आज तुम्हारी मम्मी की बहुत याद आ रही हे” पापा ने जवाब दिया. “ची पापा, जुब मम्मी की याद आती हे तो आप ऐसे करते हैं?” “बेटा, वो तुम्हारी मया थी, लेकिन मेरी बीवी थी, और मीयन बीवी का रिश्ता और तरह का होता हे”. “मैं समझी नही पापा!” “बेटी काइया तुम्हे नही पता मीयन बीवी का काइया जिन्सी रिश्ता होता हे?” पापा ने पूछा “नही पापा, आप बताएँ” “अब मैं कैसे तुम्हें बताऊं के मीयन बीवी मैं सेक्स का रिश्ता होता. और इसी रिश्ते की वजह से तुम पायदा हुईं और आज तुम मेरे साथ इस तरह बैठी हो” “हू कैसे पापा?”
मेरी समझ मैं अब भी नहीं आ रहा था. “शादी के बाद मीयन अपनी बीवी के साथ सेक्स करता हे, यानी अपनी बीवी तो इस लंड से उसकी चूत को चोद्ता हे. चोदते हुआी जुब लंड से मनी चूत मैं निकलती हे तो फिर 9 मंत बाद बाकचा पैदा होता हे”. लंड और चूत का नाम तो मैंने कहीं सुन रखा था, मगर “चोद्ता” मैंने पहली बार सुना था. “पापा यह “चॉड्टा” काइया होता हे?” पापा की साँस आहिस्ता आहिस्ता फूल रही थी. शिवरिंग सी आवाज़ मैं वो बोले. “अब इस से आगे मैं जो तुम्हाइन बताऊँगा तो उसके लिये तुम्हाइन भी मेरी तरह काप्राय उतार कर नंगी होना परे गा. काइया तुम तय्यार हो.”
मैं पापा की बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई और उनकी ग्रिफ़्ट से निकालने की कोशिश करने लगी. लेकिन पापा ने ज़बरदस्ती मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार दी और हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगे होगएय. अब पापा ने मेरा रिघ्त हॅंड पाकर कर अपना लंड मेरे हाथ मैं पकरा दिया, और साथ ही मेरी चिकनी और हेरलेस चूत पर उंगली फेरते हुआी बोले. “यह तुम ने मेरा लंड पकरा हुआ हे और मैं टुमरी चूत पर उंगली फेर रहा हूँ.
तुम्हे प्यार करते हुआी अगर मैं अपने इस लंड को अपनी बेटी की चूत मैं डाल कर अपने लंड को तुम्हारी चूत मैं अंडर बाहर करूँ गा तो इसका मतलूब होगा के मैं तुम्हाइन छोड़ रहा हूँ, या तुम मुझ से छुड़वा रही हो, और या मैं तुम्हे छोड़ता हूँ” मेरी चूत पर पापा की उंगली लगते ही मेरी चूत मैं करेंट सा दौर गया. पापा ने जुब मेरी चूत के दाने को उंगली से चेरा तो मैंने बुरी तरह से मचल कर पापा के हाथ को अपनी राणो के डरमियाँ भींच लिया. इस के साथ ही मैंने पापा के लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी. पापा का लंड मेरी मूती मैं किसी ज़िंदा मखलूक़ की तरह मचल रहा था.
मुझे अब एहसास हो रहा था के सेक्स काइया होता हे. “पापा लंड मेरी चूत मैं डाल कर मुझे छोड़ के दिखाएँ” मैंने पापा से कहा. “जानू तुम अभी कुँवारी हो, और मेरी सग़ी बेटी हो. पहली बात तो हुमैन ऐसा नहीं करना चाहिये. लेकिन एक साल से मेरा लंड किसी चूत को छोड़ने के लिये तारप रहा हे. बाहर जा कर मैं रंडी को नही छोड़ना चाहता. अगर तुम्हारी मर्ज़ी हो तो फिर मैं अपनी बेटी को छोड़ कर दिखा सकता हूँ”
“पापा मैं अभी सिर्फ़ 18 साल की हूँ, लेकिन अभी अभी आप के मेरी चूत को हाट लगाने से जो मेरी हालत हो रही हे, तो मैं आप की हालत भी समझ सकती हूँ .. … पापा छोड़ के दिखाएँ मुझे, ता के मुझे भी पता चले के आप मेरी मम्मी को कैसे छोड़ते थे … और पापा मेरी शकल सूरत भी चूँके मम्मी से बहुत मिलती हे, इस लिये आप को छोड़ते हुआी लगे गा के आप अपनी बीवी को छोड़ रहें हैं…” “उफ़ जानू … मेरी प्यारी बेटी … तूने तो मेरी मुश्किल आसान करदी …”, यह कहते हुआी पापा ने एक दूं से उठा कर मुझे अपनी गौड़ मैं बिता लिया.
Papa का लंड मेरी राणो के बीच मैं से बाहर को निकल कर मेरे पायट से टच कर रहा था. पापा के लंड के मुँह से चिकना चिकना लेसडार पानी निकल कर मेरे पायट पर लग रहा तट. पापा ने मुझे अपने से चिंता कर खूब मेरे मुँह पर, मेरे होंतों पर प्यार करना सुरु काइया. मेरी दोनो छातियाँ पापा ने अपने हाथों मे पाकर कर मसलनी सुरु कर्दीन. मेरे पूरे जिस्म मे जैसे आग सी लग गई. मैं भी बे-इकतियार हो कर अपने पापा को उसी तरह चूमने चाटने लगी. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थी. मेरा पूरा जिस्म शिद्दत-ए-जज़्बात से काँप रहा था.
Papa ने प्यार करते करते मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद अपना लंड हाथ मैं ले कर मेरे मुँह के ऊपर आ गाए, और लंड की टोपी को मेरे होंतों से लगते हुआी बोले: “शहला, मेरी प्यारी सी बेटी, अपने पापा का लंड चूसो मुँह मैं ले कर. पापा के लंड से मनी निकालने वाली है, फिर इसके बाद मैं अपनी बेटी को छोड़ूं गा”. “पापा यह मनी काइया होती हे?” “अभी जुब तुम्हारे मुँह मैं निकले गी तो देख लेना. यह वाइट क्रीम या मलाई की तरह होती हे, और बहुत गरम और मज़ेदार होती हे. लो अब चूसो पापा का लंड.”
मैंने मुँह पूरा खोल दिया, और पापा ने अपना हड्डी की तरह सख़्त लंड मेरे मुँह मैं डाल दिया. मैं लंड मुँह मैं ले कर लंड को अपने लिप्स से दबा लिया, और पापा होले होले मेरे मुँह को छोड़ने लगे. “उफ़ शहला …. जानू …. मज़ा आरहा है …. छोड़ रहा हूँ अपनी बेटी शहला के मुँह को. उफ़ … …. निकालने वाली हे पापा के लंड से मनी….” और इसके बाद छूँड हे लम्हे मैं पापा के लंड से एक तेज़ पिट्चकारी मेरी मुँह के अंडर निकली, और उसके बाद तो जैसे पिट्चकारीओं की लाइन लग गई. मेरा मुँह पापा की गरम गरम मनी से भर गया.
पापा की मनी मुँह से बाहर ना निकल जाई, इस ख़याल से मैं काफ़ी मनी पी गई. पापा घहरी घहरी साँसाइन ले रहे थे और उनका लॉरा मेरे मुँह मैं ढीला परता जा रहा था. पापा ने आख़िर अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकल लिया. मुझे पापा का लंड देख कर हँसी आ गई के वो अब बिकुल सूकर कर लुल्ली बुन गया था. हंस ने की वजह से पापा की बाक़ी मनी मेरे मुँह से बाहर निकल कर मेरी छातियों पर बहने लगी. गारही गारही, सुफैइड क्रीम जैसी लेसडार मनी.
मनी मैं से एक अजीब सी खट्टी मीठी खुश्बू उठ रही थी (जैसे आता गूंधने के बाद आती हे). “देखी अपने पापा की मनी? ऐसी होती हे मनी. यह मनी जुब लर्की या औरत की चूत के अंडर निकलती हे तू उस से औरत के पायट मैं बाकचा तहर जाता है.”
मैं इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी के मैंने पापा की मनी अपनी टिट्स पर मालनी सुरु करदी. “बेटी मैं अब तुम्हारी चूत को चाटून गा ता के तुम्हारी नून्न्ी मुन्नी चूत पापा के मोटे सख़्त लंड को अंडर लेने के लिये तय्यार हो जाए.” आज मैं अपने पियरे पापा से जो कुछ भी छुड़वाने के नाम पर करवाने जा रही थी, यह मेरी ज़िंदगी का सब से अनोखा तजर्बा था. आअज से पहले मैं अपनी चूत को सिर्फ़ पेशाब करने की जगह समझती थी. मुझे आज पहली बार पता चला के चूत मैं ऐसी खारिश भी होती हे जो सिर्फ़ लंड से मिट ती हे.
मुझे आज और अभी पता चला के चूत को चाट तय भी हैं. पापा अब खुद सीधे हो कर लाइट गाए और मुझे अपने ऊपर आने को कहा. मैं पापा के ऊपर इस तरह लेती के मेरी चूत पापा के मुँह पर थी और पापा का दोबारा से खरा होता हुआ लंड मेरे होंतों के आईं सामने था. पापा ने पीछे से मेरी दोनो राणो को हाथ डाल कर खोलते हुआी मेरी चूत को अपनी ज़बान से चाटना सुरु काइया. पापा की ज़बान मेरी चूत मैं लगने की देर थी के मेरे सारे जिस्म मैं करेंट सा दौरने लगा. ऐसा ही करेंट जैसा बिजली के लिव तार को छूने से होता हे.
पापा की ज़बान मेरी चिकनी चिकनी नून्न्ी मुन्नी चूत के पंखों के बीच मैं घूम रही थ्री. कभी पापा मेरी चूत के दाने पर ज़बान फेरते, और मैं बुरी तरह से मचल जाती. फिर पापा उस जगह ज़बान फेरते जहाँ से मेरी पी निकलती हे. पी की जगा पर ज़बान लगते ही मुझे अभी ज़ोर से पी आनी हनी लगती के पापा एक दूं मेरी चूत के छोड़ने वाले छेड़ मैं ज़बान डाल कर चाटना सुरु कर देते. इधर मेरी आँखों के बिल्कुल सामने पापर का पूरी तरह ताना हुआ लंड था.
मैं इतने क़रीब से पापा के लंड को पहली दफ़ा देख रही थी और सोच रही थी के यही वो लंड हे जिसने मम्मी को छोड़ा और उसकी वजह से मैं पैदा हुई, और आज खुद अपने बाप के ऊपर लाइट कर उसके लंड को सामने देख रही हूँ, हाथ मैं पाकर रही हूँ और चूस रही हूँ, और पापा अपनी हे सग़ी बेटी की चूत को चाट और चूस रहाीन हैं. “पापा मेरी चूत मैं बहुत खारिश हो रही हे … उफ़ मार जाऊंगी … पापा बहुत खुजली हो रही हे …”
Papa ने जुब यह सुना तो मुझे अपने ऊपर से उतार कर बेड पर चिट लिटा दिया, और मेरी टाँगों के बीच मैं घुटनो के बाल बैठ कर बोले” “जानू, अब पापा अपनी बेटी के साथ वो करने जा रहाीन हैं जो पापा तुम्हारी मम्मी के साथ करते थे. तय्यार हो तुम, शहला?” “पापा काइया अब आप चोदो गे मुझे? पापा बहुत मोटा और सख़्त लंड हे आप का, और लंबा भी बहुत हे. इतना मोटन लंड कैसे मेरी चूत मैं जाएगा, पापा?”
“मैंने अपनी बेटी की चूत चाट चाट कर इतनी चिकनी कर दी हे अब इस्मे हाथी का लंड भी चला जाएगा. डरो मूत शहला, मैं पहले सिर्फ़ अपने लंड के टोपी चूत मैं डालूँगा. फिर आहिस्ता आहिस्ता छोड़ते हुआी पूरा लंड डालूं गा.” यह कहते हुआी पापा ने मेरी दोनो तांगे उठा कर अपने कांधों पर रखीं, और मेरी गोल गोल गांड के नीचे पिल्लो रख दिया, जिस से मेरी गांड और चूत बिल्कु ऊपर उठ गई. पापा मेरे ओपपर औन्हे हो गाए और मेरी दोनो टिट्स को पाकारते हुआी कहा: “शहला .. पहली दफ़ा तुम मुझ से छुड़वा रही हो.. अच्छा हे के बेटी अपने बाप का लंड खुद अपने हाथ से पाकर कर अपनी चूत के छेड़ से लगाई.” मैं और पापा फुल मस्ती मैं थे.
मैंने रिघ्त हॅंड से पापा का ताना हुआ लंड जो मेरे चूसने की वजह से चिकना हो रहा था, पाकर कर उसकी टोपी को अपनी चूत के मुँह से लगाया. पापा ने होले से अपने लंड को मेरी चूत मैं पुश काइया, और इसके साथ हे मेरी चूत के छेड़ मैं पापा के लंड की टोपी फँस गई. “मज़ा आया शहला?” पापा ने कहा मेरी नज़रैयण पापा की नज़रों से मिली, और मैं शरम से आंखाईं बूँद करलीन. पापा ने बे इकतियार हो कर, मेरे गालों, मेरे होंतों और मेरी टिट्स को प्यार करना सुरु कर दिया. अब जुब के पापा का लंड अपनी बेटी की चूत मैं जा चुका था, तो मुझे शरम आ र्है थी के आज मैं अपने ही सगे बाप से छुड़वा रही हूँ.
“जानू, और लंड डालूं अंडर?” मैंने शरम से कुछ ना बोल पाई. पापा ने फिर कहा: “जानू, शर्मा क्यूँ रही हो अपने पापा से. अब तो पापा का लंड जा चुका हे तुम्हारी चिकनी चूत मैं. बोलो और डालूं अंडर; जानू मैं पूरी तरह लंड तुम्हारी चूत मैं डाल कर छोड़ना चाहता हूँ. वही सही चुदाई होती हे”. मैं फिर भी कुछ ना बोली और सिर्फ़ मेरे मुँह से आहिस्ता से “हूँ” निकल सका. पापा जैसे हे मेरी “हूँ” सुनी, और उन्हों ने एक हे झटके से अपना पूरा स्कहत और लंबा लंड मेरी चूत मैं डाल दिया. मेरी चूत चिकना चिकना पानी चोर रही थी, मगर फिर भी पहली दफ़ा तकलीफ़ की वजह से मेरी चीख निकल गई. “मार गई पापा. डर्द हो रहा मेरी चूत मैं बहुत ज़ोर का. मेरी चूत फॅट गई पापा. उफ़ …. मार गई …”
पापा ने मेरी टांगायन अपने कांधो से उतार कर मेरे जिस्म को अपने जिस्म से चिंता लिया. मेरी टांगायन खुली हुई तीन और डर्मायाण मैं पापा का लंड पूरा का पूरा मेरी छोटी सी चूत मैं घुसा हुआ था. मेरी चीख सुन कर पापा ने मुझे प्यार करते हुआी कहा: “जानू, पहली पहली बार डर्द होता है, 2 मिनिट मैं यह डर्द ख़तम हो जाए गा, और फिर मज़ा आने लगे गा. वैसे भी तुम्हारी चूत इस क़डर टाइट हे के रब्बर बंद की तरह मेरे लंड को जाकरा हुआ हे”. हम डॉन बाप बेटी कुछ देर तक उन्ही लिपटे रहे. इस डॉरॅन पापा मुझे किस करते रहे.
मेरी आँखों मैं तालकीफ़ की वजह से आँसू आ गाए थे. पापा के प्यार करने से मैं ठीक होने लगी और मैंने भी पापा के होंतों पर प्यार करना सुरु काइया. किस करते हुआी पापा ने अपनी ज़बान मेरे मुँह मैं डाल दी, और मैं पापा की ज़बान को चूसने लगी. पापा की ज़बान से मुझे अपनी चूत का टेस्ट आ रहा था. मैं बहुत ज़ियाड गरम हो गई. शहवात से मेरा बुरा हाल होने लगा. पापा ने फिर मेरे बूब्स को चूसना सुरु काइया, और मैं बुरी तरह मचलने लगी.
डर्द अब बिल्कुल ख़तम हो गया था और उसकी जगा वाक़ई अब मुझे इतना मज़ा आ रहा था के मैं बता नहीं सकती. मैं सोच रही थी के मम्मी भी इसी तरह पापा से चुड़वाते हुआी मज़ा लेती होंगी. जुब मज़ा मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया, और पापा उन्ही मेरे ऊपर परे हुआी थे, तो मुझ से रहा ना गया: “पापा, कुछ कराईं ना …. मेरी चूत मैं आग लगी हुई हे ….” इस के साथ ही मैंने नीचे से पापा को ऊपर की तरफ पुश काइया.
——-क्रमशः——-
पापा ने मेरी कुंवारी चूत में आग लगा दी थी, मैं अपने प्यारे पापा से ही अपनी सील तुडवा बेठी हूँ.. इस beti sex story की शुरुआत कैसी लगी आप लोगो को?
और भी मस्त desi kahani पढने के लिए आते रहिये पर..
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