Bhade ka pati good sex story
सुहाग रात तो मैंने अपनी शर्त पर मना ली पर रहा मैं भाड़े का पति ही। अब देखिये हमारा ये शादी का नाटक और क्या क्या रंग लाता है। इस Bhade ka pati good sex story का अगला मस्त पार्ट-
Sex story in hindi के अन्य भाग-
मेरी शादी की कहानी तो पहले ही लिखी जा चुकी थी और कहानी के अनुसार ही मैं अपने चंद सालों की पत्नी संजना के साथ हनीमून सूईट में था और उसका प्रेमी अमित हमारे कमरे से थोड़ी ही दूर दूसरे कमरे में था।
मुझे अमित के कमरे में सोना था और अमित संजना के साथ उसके कमरे में। सब कुछ पहले से तय था। मेरे हनीमून का मतलब था कि संजना ज्यादा से ज्यादा समय अमित के साथ बिता सके। सब कुछ जानते हुए मैं अपने साथ बहुत सारी किताबें ले आया था जिससे मेरा समय कट सके।
हर रात एक शादी शुदा जोड़े की तरह मैं और संजना किसी अच्छे रेस्तोराँ में खाना खाने जाते और किसी पब में जाकर नाचते जिससे लोगों की नज़र हम पर पड़ सके। पब से लौटते वक्त संजना शराब के नशे में ही होती जब होटल वापस पहुँचते तो मैं उसे सहारा देकर सीधा अपने कमरे में ले जाता और जब रात को पैसेज में कोई नहीं होता तो मैं अमित के कमरे में चला जाता और अमित संजना के कमरे में आ जाता। किसी दिन हम ऐसी जगह घुमने जाते जहाँ एकांत हो तो अमित वहाँ पर संजना का इंतज़ार करते हुए मिलता। मैं संजना को अमित के पास छोड़ कर पास में ही कहीं टहल कर अपना समय व्यतीत करता।
ये सब कुछ छः दिनों तक चला पर एक रात मैं हैरान रह गया। मैं अपने कमरे में गहरी नींद सोया हुआ था कि अचानक मैंने कमरे में संजना के सैंडलों की खटखटाहट सुनी। वो नशे में झूमती हुई आयी और मेरे बगल में आकर मेरे पास लेट गयी।
संजना मेरे पास लेटकर मेरे लंड से खेलने लगी। जब मैं नींद से जगा तो उसने मुझे सीधा किया और मेरे चेहरे पर बैठ कर अपनी चूत मेरे मुँह से लगा दी।
“मेरी चूत को चूसो राजऽऽऽ। खूऽऽब जोरसे चूसो। आज अमित ने मेरी चूत नहीं चूसी। अब एक अच्छे पति की तरह मेरी चूत को खूब चूसो और चाटो।”
खैर मैं क्या करता, इसी काम के लिये तो मुझे किराये पर रखा गया था और वैसे भी मैं पहले से जानता था कि ये सब तो होना ही था। मैं जोरों से संजना की चूत को चूसने और चाटने लगा। पता नहीं क्यों आज मुझे उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि मुझे अपनी सुहागरात को संजना की चूत चूसने में आया था। शायद इसलिये की वो अभी-अभी अमित से चुदवा कर आ रही थी।
हमारा पंद्रह दिन का हनीमून किसी भी विवाद के बिना खत्म हो गया। हम वापस घर आ गये। मैं हमेशा की तरह अपने काम पर जाने लगा। मुझे इस बात की परवाह नहीं थी कि मेरे स्टाफ में सब लोग क्या कहेंगे कि मैंने तरक्की के लिये कंपनी की बॉस से शादी कर ली। मुझे अपना काम पसंद था और मैं दिल लगा कर अपना काम करने लगा। सभी लोग मेरे काम की तारीफ़ भी किया करते थे।
कुछ नहीं बदला था, ना तो कंपनी का माहौल, ना काम। सिर्फ़ बदला था तो मेरा कंपनी पहुँचने का तरीका। अब मैं संजना के साथ उसकी गाड़ी में ऑफिस पहुँचता। दोपहर को हम खाना साथ खाते और शाम को साथ ही घर पहुँचते। जब घर पहुँचते तो अमित वहाँ इंतज़ार करते हुए मिलता। हम तीनों साथ-साथ खामोशी से खाना खाते। मैंने आज तक अमित से बात नहीं की थी, बल्कि सही कहूँ तो मैं उसे नज़र-अंदाज़ सा ही करता था। खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ जाता या फिर स्टडी-रूम में चला जाता जहाँ मैंने अपना छोटा सा ऑफिस बनाया हुआ था। संजना अमित के साथ अपने कमरे में चली जाती।
इसी तरह एक हफ़्ता गुज़र गया। अमित और मेरे बीच खामोश युद्ध सा चल रहा था। फिर एक दिन वही हुआ जिसका मुझे अंदाज़ा था। उसने वही किया जो मैंने पहले से सोच रखा था। खाने के बाद जब सोने का समय हुआ तो उन दोनों ने काफी शराब पी रखी थी। अमित ने मुझे घूरते हुए कहा, “राज, हम सोने जा रहे हैं, सुबह मिलेंगे। मैं तुम्हारी बीवी को उपर कमरे में ले जा रहा हूँ और आज मैं उसकी चूत का बैंड बज़ा दूँगा। तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ना?”
दूसरी सुबह ऑफिस जाते वक्त संजना ने मुझसे अमित के व्यवहार के लिये माफ़ी माँगी।
“माफ़ी माँगने की कोई बात नहीं है संजना, मैं तो ये सब पहले से ही जानता था। मैंने जैसा सोचा था उसने वैसे ही व्यवहार किया। मुझे कोई तकलीफ़ नहीं हुई। पर हाँ, अब तुम दूसरा वादा पुरा करो जो तुमने किया था, मुझे भी अपनी सैक्स लाइफ़ चाहिये।”
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संजना बॉस की मतवाली चूत
“ठीक है, ऑफिस पहुँचते ही मैं सब इंतज़ाम कर दूँगी।” संजना ने मेरा हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा।
दोपहर को खाना खाते समय संजना ने मुझसे कहा, “राज सब तय हो चुका है, जिस लड़की को तुमने चुना था वो कल से आ सकती है। पर वो सिर्फ़ दिन में ही आ सकती है इसलिये कल से तुम खाना घर पर खाना। ऑफिस में बहाना बना दूँगी कि तुम किसी मिटिंग में व्यस्त हो या फिर किसी क्लायंट के साथ लंच पर गये हो। मैं बस ये चाहती हूँ कि ये सब एक राज़ रहे।”
“लगता है मुझे भी कहानी सोच कर रखनी होगी, कहीं उस लड़की ने मुझसे ये पूछ लिया कि एक नये शादी शुदा पति को किराये की लड़की की क्या जरूरत पड़ गयी तो? अगर मैं उसे ये कह दूँ कि तुम्हें मर्दों में कम और लड़कियों में ज्यादा दिलचस्पी है तो कैसा रहेगा?”
मेरी बात सुनकर संजना हँस दी, “राज मैं तुमसे कहीं आगे हूँ। जिस दिन तुमने उस लड़की को चुना था मैंने अगले दिन ही उससे मुलाकात कर ली थी। मैंने उससे कहा था कि मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ पर किसी खास बिमारी की वजह से मैं उनके साथ सैक्स नहीं कर सकती इसलिये मुझे उसकी मदद की जरूरत है। मैंने उससे कहा कि मुझे पता है कि उसकी भी कुछ जरूरतें है जिसे मैं पूरा कर सकती हूँ।”
संजना थोड़ा सा झुकी और मेरी जाँघों को थपथपाते हुए कहा, “राज, वो काफी सुलझी हुई लड़की है और उसे उसके काम के लिये मैंने मुँह माँगी कीमत दी है, देखना मेरा पैसा व्यर्थ ना जाने पाये।”
उस रात जब मैं सो चुका था तो संजना मेरे कमरे में आयी और मेरे लंड से खेलने लगी। मैं अपनी आँख मलते हुए उठा तो मैंने उसे कहते सुना, “राज, मेरी चूत बह रही है, इसे जोर जोर से चूसो राज। मेरी रसीली चूत का सारा पानी पी जाओ।”
दूसरे दिन मैं खाने के वक्त घर पहुँचा तो सादिया सोफ़े पर बैठी कोई मैगज़ीन पढ़ते हुए सिगरेट पी रही थी। उसे देखते ही मेरे लंड में सनसनाहट होने लगी। उसने शिफॉन की प्रिंटेड साड़ी बहुत ही सैक्सी तरीके से नाभि के बहुत नीचे बाँधी हुई थी और उसका मैचिंग चोली-नुमा ब्लाऊज़ बहुत ही छोटा सा था और पैरों में बहुत ही खूबसूरत हाई हील सैंडल पहने हुए थे। साथ ही उसने उपयुक्त शृंगार किया हुआ था। जैसे ही मैं हॉल में घुसा, उसने चौंकते हुए मेरी तरफ़ देखा, “राज, तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो?”
“क्या तुम्हें पता नहीं?” मैंने कहा।
“मुझे क्या पता नहीं?” उसने ऐशट्रे में सिगरेट बुझा कर सोफ़े पर से खड़े होते हुए पूछा।
“यही कि तुम्हें मेरे लिये ही बुलाया गया है।”
“हाय अल्लाह! सही में अगर मुझे ये पहले पता होता तो मैं संजना मैडम का ऑफर कभी मंज़ूर नहीं करती,” सादिया ने हँसते हुए कहा।
“क्या मैं इतना बुरा इंसान हूँ?”
“ये बात नहीं है राज, पर तुम मेरे शौहर के दोस्त हो और मैंने मेरे शौहर के लिये काफी कुछ किया है, मैं नहीं चाहती कि ये बात हमारी शादी शुदा ज़िंदगी को बरबाद करे,” उसने जवाब दिया।
“देखो सादिया, मैं तुम्हें साफ़-साफ़ बताता हूँ। मैं जब तुमसे पहली बार मिला था तभी से मेरे दिल में तुम्हें चोदने की इच्छा थी। फिर जब मैंने उस एसकोर्ट एजेंसी के एलबम में तुम्हारी फोटो देखी तो मुझे लगा कि मेरी बरसों की तमन्ना अब पूरी होने वाली है। मैंने इतनी सारी लड़कियों में से सिर्फ़ तुम्हें चुना क्योंकि मुझे आज भी तुम उतनी ही पसंद हो। तुम्हें क्या लगता है कि मैं पागल हूँ जो तुम्हारे शौहर को बताऊँगा कि मैंने उसकी बीवी को चोदा है,” मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
“अगर ये बात है तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है” सादिया ने मेरी आँखों में आँखें डालते हुए कहा।
“तो फिर क्या इरादा है, पहले थोड़ा सा रोमाँस हो जाये या फिर सीधे मुद्दे पर आ जायें?” मैंने उसके होंठों को चूमते हुए कहा।
“अगर रोमाँस हो तो मज़ा आ जायेगा मगर बाद में। पहले मैं ये तो जान लूँ कि मुझे क्या-क्या करना पड़ेगा” सादिया मेरे होंठों को चूमते हुए बोली।
“अगर तुम्हें किसी खास चीज़ से परहेज़ है तो बता दो?
“मुझे सिर्फ़ जानवरों वाले बर्ताव से परहेज़ या फिर उससे जिसमें दर्द हो वर्ना मैं हर चीज़ के लिये तैयार हूँ” उसने हँसते हुए कहा।
“वैसे मैं भी एक साधारण इंसान हूँ, सैक्स मुझे अच्छा लगता है, खासतौर पर लंड चुसवाने में और चूत चाटने में और मैं उसका पुरा लुत्फ़ उठाना चाहता हूँ”, मैंने कहा।
“जो कुछ मैंने सुना है उससे लगता है कि तुमने एक गलत लड़की से शादी कर ली है” सादिया ने कहा।
“अब मेरी शादी के बारे में क्या कहूँ, प्यार अंधा होता है। संजना ने मुझसे कहा था कि वो शादी तक कुँवारी रहना चाहती है, इसलिये शादी से पहले मैंने उसके साथ कुछ नहीं किया। शादी से पहले मुझे उसकी बिमारी के बारे में पता नहीं था और जब पता चला तो मैं क्या कर सकता था, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। अब वो अगर चाहती है कि मैं किसी और लड़की से जिस्मानी संबंध बनाऊँ… वो भी तुम्हारी जैसी खुबसूरत लड़की से तो मैं क्या कहता।”
“अब तो आगे बढ़ो….. खड़े-खड़े क्या कर रहे हो?” सादिया ने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा।
मैंने जैसा सोचा था सादिया वैसी ही निकली। हम पूरी दोपहर मेरे बेडरूम में चुदाई करते रहे। जिस तरह से उसने मेरा लंड चूसा था, मुझे ज़िंदगी भर याद रहेगा। उसे अपनी गाँड मराने में बहुत मज़ा आया। जब मैंने एक बार और उसकी गाँड में अपना लंड घुसाना चाहा तो उसने कहा, “अब और नहीं राज, मुझे देर हो रही है। उनके घर पहुँचने से पहले मुझे घर पहुँच कर उनके लिये खाना बनाना है।”
“क्या तुम्हें नहीं लगता कि जब तुम रात को उसके साथ बिस्तर में घुसोगी और जब वो अपना लंड तुम्हारी चूत में डालेगा तो उसे पता नहीं लगेगा कि तुम क्या करके आ रही हो।”
मेरी बात सुनकर सादिया हँसने लगी, “उसे कैसे पता लगेगा राज? जब से शादी हुई है तब से उसे पता है कि वो अकेला मर्द है जिसने मुझे चोदा है। अब मैं जाऊँ और कल फिर आऊँ या फिर तुम्हारे फोन का इंतज़ार करूँ?” सादिया ने कपड़े पहनते हुए कहा।
“तुम्हें कल फिर आना है मेरी जान, आज ही के वक्त” मैंने उसे बाहों में भरा और उसके होंठ चूसने लगा। सादिया ने भी थोड़ी देर तक मेरे होंठों को चुसा और फिर विदा लेकर अपने घर चली गयी।
मैं अपने दोस्त के बारे में सोचने लगा कि उसे आज तक पता नहीं है कि उसकी बीवी को दूसरे मर्दों से चुदाने के लिये पैसे मिलते हैं और इधर मैं एक ऐसी औरत का पति हूँ जो मुझे उसे ना चोदने के पैसे देती है।
अगले नौ महीने तक ज़िंदगी ऐसे ही चलती रही। हफ़्ते में दो या फ़िर तीन बार सादिया मेरे घर आती और हम वो समय गुज़ारते। संजना भी अक्सर रात को मेरे पास आ जाती और हर बार की तरह मुझे उसकी चूत चाटनी पड़ती। जिस दिन सादिया आकर गयी होती उस रात अगर संजना मेरे पास आती तो मुझे बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता पर क्या करता, वचन से जो बंधा था।
अमित हमेशा की तरह मेरे साथ वैसा ही व्यवहार करता। कभी-कभी तो मन में आता कि एक जोर का मुक्का उसके मुँह पर मारकर उसका जबड़ा तोड़ दूँ। पता नहीं संजना को उस गधे में ऐसा क्या दिखा था जो अपना सब कुछ उस पर न्यौछावर कर रही थी।
समाज में संजना की शख्सियत की वजह से हमेशा समाज में आना जाना पड़ता था। कभी किसी डिनर पर तो कभी किसी फ़ंक्शन की पार्टी में। मैं एक अच्छे पति का रोल अदा कर रहा था। पर इस दौरान मैंने देखा कि कुछ खास लोग हैं जो मुझे अक्सर दिखाई देते थे। हम जहाँ भी जाते वो वहीं पर होते थे।
एक रात एक चैरिटेबल फ़ंक्शन में मैंने फिर एक ऐसे शख्स को देखा जो मुझे पहले भी कई बार दिख चुका था। जब संजना वाशरूम की ओर जाने के लिये उठी तो मैं भी उठा और उसे अपनी बाँहों में भर कर उसके होंठ चुमने लगा और धीरे से उसके कान में फुसफुसाया, “देखो मेरी इस हरकत पर गुस्सा मत होना, मेरी पीठ की ओर देखो और मुझे बताओ की टेबल नंबर तीन पर जो आदमी बैठा है क्या तुम उसे जानती हो?”
मैंने जैसा कहा संजना ने वैसा ही किया और कहा, “हाँ, मैं जानती हूँ वो राजदीप मिश्रा है।”
“कौन है वो?” मैंने पूछा।
“वो उस ट्रस्ट का चेयरमैन है जिसके नाम मेरी वसियत है” संजना ने जवाब दिया।
“मुझसे ऐसे ही चिपकी रहो और ऐसे बर्ताव करो कि तुमने कुछ देखा ही नहीं” मैंने संजना से कहा। संजना मुझसे जोरों से चिपक गयी और मुझे बाँहों में भर कर मेरी पीठ सहलाने लगी। उसकी इस हरकत से मेरा लंड तन गया और उसकी कॉटन की पैंट के ऊपर से उसकी चूत छूने लगा।
शायद संजना को भी मेरे खड़े लंड का एहसास हो गया और उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “क्या मेरी वजह से ऐसे तन कर खड़ा है।”
“तुम्हारी यही अदा से तो ये हमेशा ही तन कर खड़ा हो जाता है, पर ये समय इन सब बातों का नहीं है, मेरे हाथ में हाथ डाले बाहर की ओर बढ़ो फिर मैं तुम्हें समझाता हूँ” मैंने उसका हाथ पकड़ा और दरवाज़े की ओर चल पड़ा।
बाहर आकर मैंने उसे समझाया कि किस तरह ये राजदीप मिश्रा हमारा हर जगह पीछा कर रहा है। मैंने संजना से कहा, “संजना शायद ये राजदीप हमारी शादी में कोई नुक्स निकालने की कोशिश कर रहा है। मैं तो अपना रोल अच्छी तरह से निभा रहा हूँ, पर शायद तुम्हारे मेरे प्रति व्यवहार से ये कुछ हासिल करने में कामयाब हो जाये। इसलिये तुम्हारे भले के लिये कह रहा हूँ कि एक आदर्श पत्नी की तरह समाज के सामने तुम भी पेश आओ जब तक की हमारे शादी को दो तीन साल नहीं हो जाते।”
मैंने अपनी पैंट के बटन खोले और अपने लंड को बाहर निकाल कर मसलने लगा। “ये तुम क्या कर रहे हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गये हो?” संजना लगभग चिल्लाते हुए बोली।
संजना मुझे देखती रही, मैंने अपने लंड को थोड़ी देर मसला और उसे फिर अपनी पैंट के अंदर डाल दिया और संजना से कहा, “मैं अपना पार्ट अदा कर रहा हूँ।” मैंने अपनी पैंट की ज़िप बंद नहीं की। “हम वापस अंदर जा रहे हैं। तुम भी मेरा हाथ पकड़े अपनी ब्रा के स्ट्रैप्स को दुरुस्त करने का बहाना करते हुए अंदर चलोगी। मुझे विश्वास है कि उस राजदीप की आँखें हम पर ही गड़ी होंगी, इसलिये जब वो हमें इस हाल में देखेगा तो यही समझेगा कि एक पत्नी अपने पति की इच्छा बाथरूम में पूरी करके लौट रही है।”
मेरा विश्वास सही निकला। जब हम अंदर घुसे तो वो राजदीप हमें ही घूर रहा था। संजना ने भी इस बात को महसूस किया और वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दी। रात में घर लौटते वक्त उसने पूछा, “क्या इन लोगों की नज़रों में मैं आज भी शक की निगाह पर हूँ?”
“मुझे पता नहीं शोना, हो सकता है कि ये इत्तफ़ाक भी हो पर हमें सावधान रहना होगा,” मैंने जवाब दिया।
उसने अजीब सी निगाहो से मेरी और देखा, “तुमने मुझे ऐसे क्यों बुलाया?”
“क्या?”
“तुमने मुझे शोना कहकर क्यों पुकारा?” उसने पूछा।
“ऐसे ही कोशिश कर रहा था,” मैंने जवाब दिया।
“पर क्यों?”
“इसलिये की हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और जब पति पत्नी इतना प्यार करते हैं तो उनके कुछ प्यार भरे नाम भी होते हैं। आज के बाद पब्लिक में मैं तुम्हें इसी नाम से पुकारूँगा और ये दिखावा करूँगा कि मैं तुमसे सही में बहुत प्यार करता हूँ।”
संजना मेरी बात सुनकर थोड़ी देर चुप रही फिर मुझसे पूछा, “तुम अंदर क्या कहना चाहते थे कि मुझे देखकर तुम्हें बरसों से…..”
“किस बात के बारे में कह रही हो?” मैंने उससे पूछा।
“वही बात जो बाथरूम के बाहर तुमने अपने खड़े लंड को मसलते हुए कही थी” संजना ने जवाब दिया।
“ओह….. अच्छा उसके बारे में पूछ रही हो!” मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा।
“हाँ उसी के बारे में…. तुम्हारा मतलब क्या था?”
“यही कि तुम इतनी सुंदर हो और हर वो मर्द जो तुम्हारे लिये काम करता है तुम्हें पाने की कामना जरूर रखता है” मैंने जवाब दिया।
“कहीं मेरा मज़ाक तो नहीं उड़ा रहे हो?” संजना ने थोड़ा सोचते हुए कहा।
“मैं मज़ाक नहीं कर रहा…. ये तुमने देख ही लिया है, अब हकिकत को अपनाना सीखो” मैंने कहा।
बाकी का घर तक का सफ़र हमने चुप रहकर गुज़ारा।
जब हम घर पहुँचे तो अमित हमारा इंतज़ार कर रहा था। वो और संजना डायनिंग रूम में बने बार की तरफ़ बढ़ गये और मैं अपने कमरे की तरफ़। जब मैं चादर ओढ़कर सोने की तैयारी कर रहा था उसी वक्त अमित और संजना ने मेरे कमरे में कदम रखा। दोनों नशे में थे और संजना अर्ध-नग्न अवस्था में थी। उसने सिर्फ टॉप, पैंटी और सैंडल पहने हुए थे।
“राज थोड़ा खिसको और मेरे और तुम्हारी बीवी के लिये थोड़ी जगह बनाओ….. तुम्हारी बीवी अपनी चूत चुसवाना चाहती है और मैं तुम्हें ये करते हुए देखना चाहता हूँ। तुम्हें नियम तो याद है ना?” अमित ने हँसते हुए कहा जैसे मुझे याद दिलाना चाहता हो कि मैं तो सिर्फ़ किराये का पति या गुलाम हूँ जिसे इस काम की पूरी कीमत चुकाई जा चुकी है।
खैर मुझे शर्त के हिसाब से सारे नियम याद थे। मैंने उन दोनों के लिये थोड़ी जगह बनायी और बिस्तर के बगल में बने स्टैंड पर से अपनी किताब उठा ली जो मैं उन दोनो के आने के पहले पढ़ रहा था। संजना ने अपनी पैंटी और टॉप उतारे और सैंडल पहने ही बिस्तर पर लेट गयी और अमित भी अपने कपड़े उतार कर उसके ऊपर आ गया और दोनों चुदाई करने लगे। मैं जानबुझ कर उन्हें नहीं देख रहा था और अंजान बना अपनी किताब पढ़ने लगा।
बड़ी मुश्किल से मैं अपने खड़े लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था जो कि पहले तो संजना को नंगी देख कर और अब उसकी सिसकारियाँ सुन कर और तनता जा रहा था। अमित जब अपने काम से फ़ारिग हुआ तो संजना के पास से हट गया और लगभग मुझे चिढ़ाते हुए बोला, “अब ये तुम्हारी है।”
मैं खिसकते हुए संजना के पास आ गया और अपना चेहरा संजना की जाँघों के बीच दे दिया। शायद भाग्य आज मेरा साथ दे रहा था। मैंने संजना की जाँघों को फ़ैलाया और उसकी चूत को अपने मुँह में भर लिया। जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई तक पहुँची उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं हुचक-हुचक कर उसकी चूत को पिये जा रहा था और वो अपनी कमर उचका कर अपनी चूत को जोर-जोर से मेरे मुँह पर मारते हुए सिसक रही थी, “ओह राज मजा आ गयाऽऽऽऽ हाँ और चूसो…… खा जाओ मेरी चूत….. उफ मैं मर गयी।” जोर से सिसकते हुए उसकी चूत ने एक बार और पानी छोड़ दिया।
संजना ने मुझे हल्का सा धक्का देते हुए कहा, “बस राज अब और नहीं।”
मैं एक बार फिर से उससे दूर हट गया और अपनी किताब पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद वो दोनों मेरे कमरे से चले गये और मैं लाइट बुझा कर गहरी नींद में सो गया। वो पहली और आखिरी रात थी कि अमित ने संजना को मेरे सामने चोदा हो। साथ ही उसके लिये वो पहली और आखिरी रात थी कि मैंने उसके सामने संजना की चूत को चूसा हो। शायद उसे इस बात से दुख पहुँचा था कि जो कमाल उसका लंड नहीं दिख पाया वो कमाल मेरी जीभ ने दिखा दिया, कि संजना इतनी जोर से सिसकते हुए उसके सामने झड़ी थी। पर मैं उसे ये बता भी तो नहीं सकता था कि उस रात पहली बार ऐसा हुआ था कि संजना इतनी जोरों से झड़ी थी। शायद मेरी तकदीर मेरा साथ दे रही थी।
——क्रमशः——
संजना को पूरी तरफ से संतुष्ट करना ही मेरा सबसे बड़ा सुख बन गया था। उसकी चूत की खुशबु अभी तक मेरे नथुनों में थी। इस good sex story का अगला पार्ट जल्द ही..
और भी मस्त Indian Sex Stories के लिए आते रहिये पर।
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