मेरा पहला अनुभव चचेरी भाभी की चुदाई का

Pahli Chudai Me Chacheri Bhabhi Ki Chudai Ki

हाय दोस्तो, मैं आप लोगों को अपनी पहली चुदाई की सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उस समय मेरी उम्र 18 साल से तीन महीने ज्यादा थी और मैं इन्टरमीडिएट का छात्र था। Pahli Chudai Me Chacheri Bhabhi Ki Chudai Ki

दशहरे के अगले दिन मैं अपने गाँव से वापस कस्बे आ गया, माँ गाँव में ही रह गयीं। उसी दिन मेरे चचेरे भाई साहब अपनी बीवी और डेढ़ साल की बेटी के साथ हमारे घर आये। वे लोग हमारे दूसरे गाँव में रहते थे। घर में मैं और मेरे पिताजी थे, उन्हें उस रात टूर पर जाना था।

भाई साहब मेरे साथ पास के शहर गये, वहाँ से वे अपनी बहन के घर चले गये और मैं वापस आ गया।

जब मैं शहर में था तभी मेरे मन में भाभी के साथ सम्भोग करने का पागलपन सवार हो गया क्योंकि रात के बारह बजे पिताजी के चले जाने के बाद घर में भाभी और मैं अकेले रहने वाले थे, बेटी उनकी काफ़ी छोटी थी।

दरअसल भाभी की शादी को चार साल हो चुके थे, वे बहुत तो नहीं पर सुन्दर हैं और शुरू से ही वे हम लोगों से काफ़ी मजाक, खासकर गन्दे मजाक किया करती थीं और वे काफ़ी खुली थीं हालाँकि मैं बहुत शर्मीला था।

पर अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था और दो तीन सालों से मैं हस्तमैथुन करके अपनी बेचैनी शान्त कर लेता था, चूत चोदने का बहुत मन करता था पर कोई जुगाड़ नहीं हो पाता था।

मैंने उस रात उनको अपने साथ चुदाई के लिये राजी करने का प्लान बनाने लगा।

आधी रात को पिताजी के घर से निकलते ही मैं बाथरूम गया तो खिड़की से देखा कि भाभी जगी हैं। मैंने उन्हें आवाज दी- भाभी, आप जगी हुई हैं क्या?
उन्होंने कहा- हाँ देवर जी, नींद उचट गयी है।
मैंने कहा- भाभी, अगर चाहें तो मेरे कमरे में आ जाइये।

भाभी झट से तैयार हो गयीं और अपनी बेटी को ले कर मेरे कमरे में आ गयीं। मेरी चौकी के बगल वाली चारपायी पर अपनी बेटी को दूसरी तरफ़ सुला कर खुद मेरी तरफ चारपायी लेट गयी।
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उन से कहा- भाभी, मैं एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नहीं होंगी?

उन्होंने कहा- देवर जी, ऐसी क्या बात है?
मैंने कहा- नहीं पहले वादा करो तब?
उन्होंने कहा- ठीक है बोलिये, मैं नाराज नहीं होऊँगी।

मैंने कहा- भाभी, आज मैंने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी 3-4 महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों में इतने परिवर्तन हो जाते हैं?
मैंने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था।

उन्होंने कहा- शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैंने कहा- भाभी, ज़रा खुल कर बताइये ना…
तो भाभी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों को मसल दिया।
ओह… ह… ह…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी, मैं समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।

मैं भी उनके बालों में उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं। अब तक भाभी अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर।
मैं भाभी के गालों को सहलाते हुए बोला- कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी।
वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया… जोर से भाभी को अपनी बाहों में भींच लिया… उन्होंने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों का चुम्बन लेने लगे… दोनों के जिस्म एक दूसरे में उलझ गये…वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…

मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।

हालाँकि मैंने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।

मैंने सोचा था कि उनकी चूत में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब… जिस चूत को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था…वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।
उफ़्फ़्फ़्फ़… अब एक पल भी रुकना असम्भव था।

उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज में थीं। मेरा मन चूची चूसने पर इस लिये नहीं गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं… वैसे में चूचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।

मैंने भाभी से कहा- भाभी… दोगी?
उन्होंने पूछा- क्या?
मैंने कहा- अब तुम्हें भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ?
तो इस पर वो मुस्कराते हुए बोलीं- आपको रोका कौन है, जो इच्छा हो कर लीजिये।

अब तो मानो मेरे सपनों के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया.
फ़िर उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी पूरी चूत जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए थे, पर नाइट लैम्प की रोशनी में जितना दिख रहा था वही बहुत था।

मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी चूत में डाला… चूत एक दम गरम और गीली थी… ओह… मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी चूत में बिना किसी रुकावट के चला गया… क्योंकि भाभी का चूत तो भोसड़ा हो गया था.

खैर पहली बार एक छेद में डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा चुदाया भोसड़ा… मैं तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था… खैर उनकी गरम चूत में पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मैं तुरन्त ही झड़ गया… और सच बताऊँ मैं बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मैं शीघ्र पतन का शिकार हो गया।

मैं उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल में लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा- क्या हुआ देवर जी, बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त?
मैं अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैंने कहा कि दोपहर से ही तुम्हें चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।
उन्होंने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होंने कहा- पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।

फ़िर वो मुझ से चिपट कर लेट गयीं, मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे धीरे मैं भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे… उनके निप्पल को चुटकी में मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है… वो अपना निप्पल मेरे मुँह में डालने लगीं.

मेरी झिझक को भाँप कर बोली- घबराइये मत, जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नहीं निकलेगा… इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है… समझे लल्लू देवर जी!
और फ़िर उन्होंने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने उनके निप्पल को मुँह में लेकर हौले हौले चूसना शुरू कर दिया
ओह… ओह.. .ओ… ओह… उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को मेरे लण्ड से रगड़ने लगीं।

हम दोनों करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी. मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मैं उनकी घुण्डी को दाँटों से काट कर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले।

वो मस्त होकर मेरा हाथ अपनी चूत पर ले जा कर रगड़ने लगीं… उनकी चूत एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी… लग रहा था कि चूत को बुखार हो गया हो जैसे…
फ़िर उन्होंने करवट में ही लण्ड चूत के मुँह पे रख कर डालने को कहा.
मैंने कहा- जरा अपनी चूत तो पौंछ लो, एकदम कीचड़ कीचड़ हो रही है.
इस पर उन्होंने साया से अपनी चूत पौंछी और मुझे अपनी दोनों टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।

मैंने लण्ड को उनकी चूत में जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया… शायद करवट होने की वजह से इस बार चूत कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं… फ़िर होंठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह में डाली मुझे बड़ा मजा आया और मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा।

अब वो अपना चूतड़ आगे पीछे करने लगीं और मैं भी अपना लण्ड बाहर भीतर करने लगा फ़च… फ़च्… फ़च… फ़चाफ़च… सट्… सट्… सटासट्… सट… की आवाजें गूंजने लगी कमरे में…
हम दोनों देवर भाभी मस्ती के हिलोरें ले रहे थे.

दरअसल मेरी भाभी बहुत ही चुदक्कड़ हैं, वो मुझे अपनी बाहों में जकड़े हुए लण्ड घचाघच अपनी चूत में लिये जा रही थीं साथ ही साथ जोर जोर से साँसें लेते हुए बोलती जा रही थी- हाए रे मेरे बबुआ, आज तो आपने एक नये लण्ड का स्वाद चखा दिया… मैं तो कब से तरस रही थी स्वाद बदलने को… कब से आपके भैया का लण्ड ले ले कर बोर हो गयी हूँ।

मैंने पूछा- मेरा लण्ड तो छोटा है, भैया का कैसा है?
तो भाभी बोली- आपके भैया का आप से बड़ा और मोटा है पर समय आने पर आप का भी तगड़ा हो जायेगा।
और मुझे जोर से भींचते हुए बोली- मेरे राजा, मजा सिर्फ़ मोटे और बड़े लण्ड से ही नहीं आता, कौन चोद रहा है और कैसे चोद रहा है यह महत्वपूर्ण है, अब देखिये आप अपने भैया से हैण्ड्सम हैं तथा पढ़ने में भी तेज हैं, कोई भी लड़की आपसे चुदवाना चाहेगी.

ऐसा कह कर वह मेरे गाल सहलाने लगी और मैं भी मारे उत्तेजना के और जोर जोर से लण्ड को उन की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. हम दोनों ही मारे मस्ती के सटासट धक्का पे धक्का मारे जा रहे थे.
दोनों की साँसें तेज… तेज… तेज… होने लगी और उन्होंनें मुझे जोर से जकड़ते हुए कहा- हाय रे मैं तो गयी मेरे राजा… आज तो आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरे देवर जी… शादी के बाद पहली बार कोई नया लण्ड मिला है मैं तो निहाल हो गयी…
हम दोनों एक साथ ही झड़े और देर तक एक दूसरे से चिपके रहे।

उन्होंने पूछा- कैसा लगा भाभी को चोद कर?
मैंने हँसते हुए कहा- मैं तो कल्पना कर रहा था कि आप की चूत एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने में दिक्कत आयेगी… पर वैसा कुछ हुआ ही नहीं?
इस पर वह मुस्कराते हुए बोली- अगर कुँवारे में हम दोनों मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी चूत में से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है… आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है… चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।

उस के बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत… सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और भाभी चौकी पर लेट कर उस को अपनी चूची खोल कर दूध पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था.

अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैंने कहा- भाभी एक बार और चोद लेने दो.
तो उन्होंने कहा- बेटी जगी है, देखेगी तो किसी से कह सकती है.
मैंने कहा- डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी।
उन्होंने कहा- यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।

फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रख कर बेटी को अपनी छाती पर रख कर उसके मुँह में निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगों को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझ से बोली- लीजिये, जल्दी से चोद लीजिये, फ़िर पता नहीं कब मौका मिले ना मिले।

मैंने वहीं खड़े हो कर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े में डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नहीं कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे।

थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये में पौंछ कर अलग हो गया।

फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नहीं मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नहीं, और भाई साहब भी जल्दी ही आ गये।

Click the links to read more stories from the category भाभी की चुदाई or similar stories about इंडियन भाभी, कामुकता, देवर भाभी सेक्स, देसी भाभी, सेक्सी कहानी

Partner Websites:- Raipur escort

Scroll to Top