मेरी बहनें मजबूरी में चुदी या मज़े मे

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Behan Ki Chudai ki Kahani

Behan Ki Chudai ki Kahani सभी लण्डधारियों और गुलाबी चूतवालियों को मेरा रंगीला सलाम
प्यारे दोस्तों “मेरी बहन ने मजबूरी में चुदी या मज़े में” के अंतर्गत आज की यह कहानी एक ऐसे युवक फिरोज़ से संबंधित है जो उन हालात का सामना करता है जिनसे वे राज़ी तो नहीं लेकिन जिन्हें बदल पाना उसके बस का नहीं था तो उन्हें चुपचाप स्वीकार कर लेने के सिवा और कोई चारा भी नहीं था चलिए कहानी की शुरुआत फिरोज़ के ही शब्दों से करते हैं।

मेरा नाम फिरोज़ है मैं उत्तर प्रदेश के एक गांव मे रहता हूं मेरी फैमिली खेती का काम करती है हमारे पास ज़्यादा ज़मीन नहीं है। हम घर में 5 लोग हैं अम्मी अब्बू जी बड़ी बहन ज़ैनब और छोटी बहन ज़ीनत, मैं भाई बहनों में सबसे छोटा हूं। अब आपको ज़्यादा बोर ना करते हुए कहानी पर आता हूं कैसे मैंने अपनी छोटी बहन को मनीष जो कि एक हिंदू 45 साल का अब्बू की उम्र का व्यक्ति है उससे चुदाई करवाते हुए देखा।

जैसा कि मैंने बताया हमारे पास ज़्यादा ज़मीन नहीं है तो हमने कुछ ज़मीन मनीष से किराए पर ले रखी थी जिसमे हम खेती करते थे और मनीष को किराया देते थे।

ये बात उस वक्त की है जब मैं आठ नो साल का था और मेरी बड़ी बहन ज़ैनब की शादी हो चुकी थी खेती में अक्सर ऐसा होता रहता है कि कई बार फसल ठीक नहीं हो पाती और ज़मीन का किराया देना भी मुश्किल हो जाता है परंतु मैंने देखा कि मनीष ने कभी भी इस बात के लिए हमें भला बुरा नहीं कहा और कई बार किराया माफ़ भी कर दिया।

लेकिन जब से मेरी बड़ी बहन की शादी हो गई तब से हर बार मनीष हमसे बहस करता और कई बार किराया नहीं दे पाने के कारण हमारी फैमिली की बेइज्जती भी कर देता था।

इस बात का मुझे बाद में पता चला की शादी से पहले बड़ी बहन ज़ैनब की उसने चार पांच साल तक खूब चुदायी की और इस कारण वो किराया भी माफ कर देता था क्योंकि उसके पास बहुत पैसा और ज़मीन थी और उसकी कोई फैमिली भी नहीं थी।

मनीष के कठोर बरताओ के बारे में अम्मी ने बड़ी बहन ज़ैनब को बताया तो बाजी ने अम्मी को बोला की वो उस से बात करेगी शायद अम्मी को मनीष और बड़ी बहन ज़ैनब के बारे में सब पता था।

ये बात सर्दियों के दिनों की है जब ज़ैनब बाजी हमारे घर आई हुई थी और मनीष उनसे मिलने कई बार घर आ चुका था। पर उन दोनो की मुलाकात नहीं हो पाई थी।

बाजी ने मनीष को बोला की वो शाम को खुद उसके घर मिलने आयेगी ये सुनकर मनीष चला गया। अम्मी ने बाजी को पूछा की ऐसे तू कब तक हमारे लिए ये सब करती रहेगी तो बाजी ने अम्मी को बोल दिया की अम्मी सब ठीक हो जाएगा।
शाम को बाजी छोटी बाजी ज़ीनत को लेकर मनीष के घर जाने लगी तो मैंने भी साथ चलने की ज़िद की तो अम्मी ने कहा ले जाओ अभी नासमझ है कुछ नहीं समझेगा तो बाजी हमें ले कर मनीष के घर पहुंच गई।

मनीष बहुत दिनो से ज़ैनब बाजी से नही मिला था तो उसको बहुत ज्यादा गर्मी चढ़ी हुई थी बाजी के साथ हम दोनों को देखकर उसे गुस्सा आ गया और उसने ज़ैनब बाजी को गालियां देनी शुरू कर दी। बाजी ने उसे पास बुलाया और प्यार से उसके कान में कुछ कहा तो एक दम से मनीष की आंखे चमक उठी और उसने ज़ीनत बाजी को नजर भरके देखा जो करीब करीब 18 साल की हो चुकी थी पर मनीष ने कभी ध्यान नहीं दिया क्योंकि वह ज़ैनब का दीवाना बना हुआ था।

बाजी और मनीष मुझे खेलने का बोल कर घर के अंदर चले गए मैंने देखा घर के अंदर जाते ही ज़ेनब बाजी ने मनीष को बाहों में भर लिया और उसपे चुंबनों की बौछार कर दी मनीष पहले से ही बहुत ज्यादा गरम था उसे बहुत दिनो से बाजी की चूत भी नही मिली थी तो उसका मोटा लम्बा लन्ड फुंकार उठा और उसने आव देखा ना ताव बाजी के कपड़े उतार कर बाजी को वही डाल के बुरी तरह चोदना शुरू कर दिया।

हालांकि उसका लन्ड बहुत मोटा था पर ज़ेनब बाजी उसे पता नही कितनी बार ले चुकी थी तो बाजी को कोई दिक्कत नही हुई फिर भी आज मनीष ज़्यादा ही गरमाया हुआ था और लन्ड को पूरा बाहर निकाल के फिर एक ही धक्के में पूरा का पूरा अंदर घुसेड़ देता बाजी कर्राह उठती लेकिन मज़े की वजह से सिर्फ आह भरके रह जाती कभी कभी जब मनीष का लन्ड बाजी की बच्चेदानी में टकराता तो वो हल्की सी सिसक उठती और मनीष को ज़ोर से बॉहों मे भर लेती मनीष ने उन्हें जी भरके आधा घंटा चोदा और उनकी भोसडी में अपना माल गिरा दिया। भोसड़ी में इस लिए बोल रहा हूं की वो उस मोटे खूंटे से लन्ड को भी आराम से पूरा अंदर ले रही थी।

चुदायी के बाद उन्हें ध्यान आया की ज़ीनत बाजी भी वहीं है जो उनके इस कांड को देखकर गर्म होने लगी थी। ज़ेनब बाजी ने नंगी लेटे हुए ही ज़ीनत बाजी को पास बुलाया और उसे प्यार से सारे कपड़े उतारने को कहा। ज़ीनत बाजी ने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई ये देखकर मनीष पागल सा हो गया की ये कैसे हो रहा है उसने ज़ेनब बाजी को पूछा ये आज के बाद तेरी जगह लेगी क्या तो ज़ेनब बाजी ने कहा हां लेकिन इसकी उम्र कम है और आपका लन्ड खूंटे से कम नहीं है तो प्लीज़ मेरी तरह से मत चोदना शुरू में प्यार से करना और बाद में ये आपके इस मोटे लन्ड की मेरी तरह ही गुलाम हो जायेगी और आज के बाद अम्मी अब्बू खेती की जमीन का कोई किराया भी नहीं देंगे बोलो मंजूर हो तो ।

ये सुनके मनीष ने कहा की उसे सब मंजूर है और इस तरह उस दिन ज़ेनब बाजी ने अपने सामने आराम आराम से ज़ीनत बाजी की मनीष से चुदायी करवा दी। जब ज़ीनत बाजी को ज्यादा दर्द होता तो ज़ेनब बाजी तुरंत कोई तेल जैसा मनीष के लन्ड पे लगा देती और फिर से उसे ज़ीनत बाजी के ऊपर चढ़ा देती और मनीष को कहती आधे से ज़्यादा अंदर मत करना। ज़ीनत बाजी की सील टूटने के कारण जब खून निकला तो ज़ैनब बाजी ने मनीष को खून दिखाते हुए कहा देख मनीष ये पहली बार तुझसे ही सील तुड़वा रही है आज के बाद इसका पूरा ध्यान रखना।

चुदाई से ज़ीनत बाजी की हालत बहुत खराब हो गई थी ज़ैनब बाजी हमें घर ले आईं और अम्मी को बोल दिया कि आज से खेत का कोई किराया नहीं देना होगा। अम्मी को पता था की क्या हुआ पर मुझे कुछ नहीं पता था।

ज़ैनब बाजी ने अम्मी को कुछ दवाई जैसा दिया और मेरे सामने बोली ये रास्ते में ठोकर लगने से गिर गई है तो थोड़ी चोट लग गई है एक दो दिन में ठीक हो जाएगी। अम्मी ने दवाई ज़ीनत बाजी को खिलाई और दूध पिला के सुला दिया।

सुबह को जब वो जागी तो ज़ैनब बाजी ने पूछा कि उसकी तबियत कैसी है तो ज़ीनत बाजी ने बोला कि अप्पी सब ठीक है बस थोड़ा पेट में दर्द है। ये सुनके अम्मी ने ज़ैनब बाजी को अंदर बुलाया और धीरे से पूछा पेट में दर्द क्यों है तो ज़ैनब बाजी ने अम्मी को हंसते हुए कहा अम्मी आप भी ना बस समझती नहीं हो तो अम्मी ने कहा क्या नहीं समझती तो बाजी बोली कि उस साले का बहुत लंबा और मोटा है और आगे से कटा हुआ भी नहीं है अंदर बच्चेदानी तक लगता है।

मैंने पूछा बाजी यह बच्चेदानी क्या होती है तो अम्मी ने मुझे डांट कर चुप रहने को बोला और बाजी को बोलने लगी तभी तू इतने सालों से उसे नहीं छोड़ रही थी तो बाजी बोली अम्मी आप भी ना बस कुछ भी बोलती हो।

इस हंसी ठिठोली में ज़ीनत बाजी बीच में बोल पड़ी कि अम्मी सच में उसका बहुत मोटा और लंबा है। अम्मी ने उसे समझाया कि कोई बात नहीं सब आराम से हो जाता है। अब पांच 7 दिन तू आराम कर और तब तक ज़ैनब उसे संभालेगी तो ज़ैनब बाजी बोली कि मैं तो कल अपने घर वाले के पास चली जाऊंगी क्योंकि उनकी बहुत याद आ रही है तो अम्मी बोली चल कुत्तिया झूठ मत बोल और फिर अगले दिन बाजी अपनी ससुराल चली गई।

मैंने कई बार सोचा कि उसका किसका बहुत लंबा और मोटा है और ये बच्चेदानी क्या होती हैं मगर कुछ समझ नहीं पाया।

तीन चार दिन के बाद मनीष हमारे घर पर आया अब्बूजी खेत पर थे अम्मी और ज़ीनत बाजी घर में थे मैं बाहर खेलने जाने वाला था की मनीष ने अम्मी से पूछा की ज़ैनब उन्हे कुछ बताके गई हैं क्या तो अम्मी ने कहा की हां सब कुछ बताया है। मनीष बोला तो आपकी इजाजत हो तो थोड़ा सा कुछ हो जाए।

अम्मी ने कुछ नहीं बोला और चुप रही। मै बगल के कमरे में खड़ा हुआ था तो मुझे सब सुनाई और दिखाई दे रहा था। अम्मी ने अब्बूजी का खाना लिया और खेत की तरफ चल दी और मनीष ने ज़ीनत को बाहों में भर लिया मुझे अजीब सा लगा की ये आदमी मेरी बाजी को क्यों भींच रहा है।

मै चुप चाप खड़ा रहा और मनीष ने बाजी को चूमना चाटना शुरु कर दिया बाजी भी धीरे धीरे गरम हो गई तो मनीष ने उसे पूरी तरह नंगा कर दिया अब मुझे सब समझ में आ गया था की। यहां क्या होने वाला है।

मनीष बहुत तगड़ा सांड जैसा इंसान था उसने ज़ीनत बाजी को दबा रखा था और बाजी हंस रही थी फिर अचानक मनीष ने अपना कुर्ता उतार दिया और अपनी लुंगी भी खोल दी जब मैने उसका लन्ड देखा तो ज़ैनब बाजी की बात याद आ गई की उसका बहुत मोटा और लंबा है।

ज़ीनत बाजी बिल्कुल आराम से मनीष के साथ चूमा चाटी करने लग चुकी थी और पूरी तरह नंगा मर्द उसके पास था जिसका खूंटे जैसा लन्ड उनकी छोटी सी चूत में तूफान मचाने वाला था फिर मनीष ने बाजी से पूछा जाने मन डालूँ तो बाजी हंसते हुए बोली की मना किसने किया है जी।

बाजी की इस अदा पे मनीष और ज्यादा उत्तेजित हो गया और उसने अपने लन्ड को हाथ में पकड़ा तो मैं उसे देखकर डर गया क्योंकि अब तो वो और भी ज़्यादा खतरनाक हो गया था पर बाजी को कोई टेंशन नहीं थी।

फिर मनीष ने अपना लन्ड बाजी की फूली हुई छोटी सी चूत में डालना शुरू किया जैसे जैसे लन्ड अन्दर जा रहा था बाजी की आंखे फटती जा रही थी और आधे लन्ड के अंदर जाते ही बाजी ने कहा प्लीज़ बस और नही मर जाऊंगी।

मनीष रुक गया और ज़ीनत बाजी को चूमने चाटने लगा और उसकी चूचियां दबाने लगा दो तीन मिनट में ही बाजी इतनी मस्त हो गई की खुद बड़बड़ाने लगी की सैंया जी पूरा उतार दो ना मेरी चूत में अपना लन्ड।
मनीष इसी इंतजार में था।और उसने एक ही धक्के में पूरा खूंटा बाजी की चूत में घुसा दिया बाजी एक बार फिर चीख पड़ी मर गई अम्म मम्मी,,,,,उफ्फ फट गई री मेरी।

पूरा लन्ड अन्दर जाते ही बाजी छटपटाने लगी मगर मनीष उनके।मुकाबले एक सांड जैसा था वो उसके नीचे से नही निकल सकती थी आखिर बाजी दिल पक्का करके उसके लन्ड को झेलने की कोशिश करने लगी और वो भी बाजी की चूचियां दबाता रहा और होठ चूसता रहा बस दो तीन मिनट बाद ही बाजी ने उसे पुरी छूट दे दी की जितना पेलना है पेल ले।

मनीष सांड की तरह उसके ऊपर चढ़ा हुआ था उसने पूरा लन्ड बाहर निकाला और घप्प से अंदर ठोक दिया इस बार लंड बाजी की बच्चेदानी से टक्कर मारने लगा बाजी को बहुत दर्द हो रहा था मगर मनीष बाजी को ऐसे ही आधे घण्टे तक चोदता रहा और जब वो बाजी के ऊपर से उतरा तो उसका लन्ड बाजी की चूत के रस से भीगा हुआ था और बाजी की चूत मनीष के वीर्य से भरी हुई थी। मनीष ने अपनी लुंगी उठाई और कपड़े पहन के घर से निकल गया।

तब तक अम्मी खेत से आ चुकी थी मनीष के बाहर जाते ही अम्मी तेजी से अंदर आई और बाजी को उठाने लगी तो बाजी ने अम्मी को बोला की थोड़ा गरम पानी करके दो सिकाई करनी है बच्चेदानी में काफी चोट लगी है।फिर अम्मी ने उसे कपड़े पहना के लिटा दिया और गरम पानी करके ले आई।
ये थी मेरी बाजी की चुदायी जो मैने देखी और बहुत ही भयानक थी फिर तो लगभग हर दूसरे दिन मनीष घर पे आता था और अम्मी उसे कमरे में बाजी के साथ भेज देती थी और बाजी के कर्राहने की आवाजे बाहर आती रहती थी। और मैं कुछ नहीं कर सकता था।

दोस्तों ये थी “मेरी बहनें मजबूरी में चुदी या मज़े मे” अब इजाज़त दीजिये और … ईमेल आईडी नीचे दिये दे रहा हूँ, चाहें तो थोड़ी मेहनत करके हौसला अफजाई के चार शब्द लिख सकते हैं। man650490@gmail.com