छोटी बहन की जिज्ञासा – II

मुझे अजीब सा तो लग रहा था पर अपने भाई और भाभी को छुप छुप के देखना पर अन्दर ही अन्दर मज़ा भी आ राहा था. इन chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories का आखिरी भाग..

कुछ देर सूरज ने रीना की गान्ड को नाईटगाउन के ऊपर से सहलाया और फ़िर हाथ को नाईटगाउन के अन्दर डाल उसकी गान्ड को सहलाने लगा. फिर उसने नाईटगाउन को उठा कर निकाल दिया. अब वो सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में थी. फिर सूरज खडा हुआ और अपना शर्ट और पजामा उतार दिया और अपने अन्डरएयर मे रीना के सामने खडा हो गया.

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उसका लन्ड उसके अन्डर्वेयर मे तन के खडा था. मैं आंखें फाड फाड के ये नज़ारा देख रही थी. मेरी सांसें तेज़ी से चल रही थी. रीना ने खिडकी की तरफ़ देखते हुए अपने मम्मों को अपने हाथों मे पकड कर बोला: सूरज कैसी लग रही हूं आज? मै समझ गयी की वो असल मे हमे दिखा रही थी और ये सवाल करण के लिये था.

सूरज बोला: अरे तू तो है ही बहुत खूबसूरत यार. चल अब इनको बाहर निकाल. उसने भाभी के मम्मों की तरफ़ इशारा करके काहा. रीना ने अपनी ब्रा खोली और ब्रा हटाई तो मै देखकर दन्ग रह गयी. एकदम गोल और कसे कसे मम्मे थे. फिर वो लेटी और अपने मम्मों को उभार दिया. सूरज उसके ऊपर झुका और पहले दोनो निप्पल को चूमा और फ़िर जीभ निकल दोनो को १०-१५ बार चाटा. जीभ से चाटने के बाद दोनो मम्मों को हाथों से पकड मसला और फ़िर एक को मुंह में लेकर चूसने लगा.

मै दोनो का खेल देख उत्तेजित हो गयी थी. मेरे से राहा नही गया और मै अपने मम्मों को पकड के हल्का सा दबाने लगी. मगर फिर मैने देखा की करण मुझे ये करते हुए देख राहा है तो मैने अपना हाथ जलदी से हटा लिया. रीना सिसकियां ले रही थी और बार बार अपनी चूंचियों को ऊपर की ओर उचका के सूरज के मुंह में घुसेड रही थी. मै सोच रही थी की मम्मे चुसवाने और निप्पल चटवाने में कितना मज़ा आता होगा. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

सूरज कुछ देर तक मम्मे चूसने के बाद उठा और फ़िर रीना कि पैन्टी को खिसकाया. रीना ने अपनी गान्ड उठा के पैन्टी को उतरवाया और अब वो बिलकुल नंगी बेड पर लेती थी. सूरज ने अपना हाथ रीना की चिकनी टांगों पर रखा और सहलाते हुए चूत तक ले गया और पूरी चूत को हाथ से दबाया. फिर उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसकी क्लिट को अन्गूठे से मसलने लगा.

रीना बोली: मुंह से करो ना. सूरज उसकी दोनो टांगों के बीच आया और अपने मुंह को झुका कर उसकी चूत पर रख दिया. चूत से जीभ लगते ही भाभी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी. भाभी इस पोस में लेटी थी की हमे सब कुछ साफ़ साफ़ दिखायी दे राहा था. भैया जीभ को पेलकर चाट रहे थे और हाथ से दोनो मम्मों को भी दबा रहे थे. भाभी मज़े से भर करे अपनी गान्ड उछाल रही थी और तेज़ तेज़ अवाज़ में सिसक रही थी. मुझे भी अपनी पैन्टी गीली होने का ऐहसास हुआ क्योंकी मेरी चूत से भी पानी निकलने लगा था.

१०-१२ मिनट तक चटवाने के बाद रीना हांफ़्ते हुए बोली: आह बस अब बस करो नही तो मैं झड जाऊंगी. हाय रुको और अब मुझे अपना लन्ड दो. फ़िर वो उठी और सूरज को लिटाया और उसके अन्डर्वेयर को हाथ से निकाल दिया. मै भैया के लन्ड को देख कर दन्ग रह गयी. खूब मोटा और लम्बा था. लन्ड एक्दम सख्त और ऊपर को तना था. उसने झुककर लन्ड को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. वो पूरे लन्ड पर चारों तरफ़ जीभ चलाती फ़िर मुंह में लेकर चूसती.

मैने देखा की करण का लन्ड भी पैन्ट के अन्दर तन के खडा है और वो उसे अपने हाथ से हल्के हल्के सहला राहा है. करण ने देख लिया की मै उसके लन्ड को देख रही हूं और मुसकुरा दिया पर रुका नही. बलकी उसने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी और अब उसका लन्ड अन्डर्वेयर के अन्दर तन के दिखने लगा. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

आज कैसे चोदोगे?” रीना भैया के लन्ड को पकड कर हिलाती हुई बोली. सूरज उसे बेड पर लिटाते हुए बोला, तू लेट जा बस मै चोद लूंगा जैसे मन करेगा. वो लेट गयी. उसकी टांगे हमारी तरफ़ ही थी जिससे उसकी चूत का लाल चेद मुझे साफ़ दिख राहा था. फिर सूरज उसके ऊपर आया और अपने लन्ड को उसकी चूत पर रखा और धीरे धीरे घुसा कर पूरा अन्दर डाल दिया. लन्ड अन्दर जाते ही भाभी के चेहरे पर खुशी देखने वाली थी. उसने हाथों को भैया के कन्धों पर रख लिया था. फिर सूरज ने धीरे धीरे लन्ड अन्दर बहार कर चुदाई शुरू कर दी.

मैं अपनी चुदती भाभी को देख बहुत ही गरम हो गयी थी. मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी और पैन्टी नीचे से पूरी भीग गयी थी. करण ने भी अपने अन्डर्वेयर की मोरी मे से लन्ड निकाल कर उसे मुठ्ठी मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया था. मुझसे भी अब राहा नही जा राहा था और मैने सल्वार के नाडे को खोल के ढीला किया और अपना एक हाथ अपनी पैन्टी मे डाल दिया और अपनी चूत को रगडने लगी.

करण ने मुझे ये करते हुए देख लिया पर मुझे अब पर्वाह नही थी. फिर करण ने मेरे एक बूब के ऊपर अपना हाथ रख दिया और उसे थोडा सा दबाया. मैने उसकी तरफ़ देखा और उसने मेरी तरफ़. दूसरे हाथ से वो अपने लन्ड को हिलाता राहा. मैने उसे कुछ नही काहा और उसने अब मेरे मम्मों कोएक एक करके कमीज़ के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया.

वहां कुछ देर तक सूरज भाभी को इसी तरह चोदता राहा और फ़िर लन्ड बाहर निकाल दिया. चूत के रस से भीगा लन्ड चमक रहा था. लन्ड बहर कर उसने रीना को उठाया और उसे डॊगी स्टाइल में किया और फ़िर पीछे से उसकी चूत में लन्ड पेल कर चुदायी शुरू कर दी. वो हाथ आगे कर रीना के दोनो मम्मों को पकड के कस कर चुदाई कर राहा था.

मै अब पैन्टी मे हाथ डाले ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत और क्लिट को मसल रही थी. फिर करण ने मेरी कमीज़ के गले के अन्दर अपना हाथ डाला और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे मम्मों को दबाने लगा. मेरी मस्ती की कोई सीमा नही थी और मै चाह रही थी के वो मुझे पूरी तरह से नंगा कर दे, पर मै कुछ नही बोली. फिर उसने मेरा हाथ पकड कर पैन्टी से खींच के बाहर निकाल दिया और अपने लन्ड पर रख दिया और इससे पहले की मै कुछ बोलती अपना हाथ मेरी पैटी मे डाल दिया. वो मेरी चूत को सहलाने लगा और मै सातवें आसमान पर पहुंच गयी. मैने भी उसके लन्ड को अपनी मुठ्ठी मे लेकर हिलाना शुरू कर दिया जैसे मैने उसे करते देखा था.

वहां ५-६ मिनट तक इस तरह से चोदने के बाद सूरज ने फिर लन्ड बाहर निकाला और खुद नीचे लेट गया. जब वो नीचे लेटा तो रीना जल्दी से ऊपर आयी और उसके लन्ड को पकड अपनी चूत से लगा उसपर बैठने लगी. लन्ड जब पूर अन्दर चला गया तो वो खुद ऊपर नीचे हो चुदवाने लगी. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

सूरज भी नीचे से अपनी गान्ड उठा उठा लन्ड पेल राहा था और हर धक्के पर भाभी ऊ आ ऊ कर रही थी. इस तरह से भी उसने ७-८ मिनट तक रीना को चोदा फ़िर उसे अपने बदन से चिपका लिया और बोला: आह्ह्ह रीना मैं झडने वाला हूं. आह्ह मेरा निकलने वाला है. रीना तेज़ी से एक झटका और देती हुई चिलाते हुए बोली: हां मै भी झड रही हूं. सूरज अब आह आह करता झड राहा था. झडने के बाद उसने रीना के होंठों पर अपने होंठ रखे और चूमने लगा. फिर दोनो एक दूसरे से चिपक कर बेड पर ढेर हो गये.

इधर मै भी झड रही थी और अपने होंठों को दांतों मे दबा कर अपनी आवाज़ को रोक रही थी. मेरे हाथ मे करण क लन्ड भी झटके खाने लगा और एक पिचकारी की तरह उसके लन्ड से वीर्य की धार निकल कर दूर जा गिरी.

वहां कमरे से उठ कर सूरज बाथरूम मे चला गया तो रीना ने जलदी अपना नाईटगाउन पहना और भागकर खिडकी पर आयी और धीमी सी आवाज़ में मुझसे बोली: देखा प्रीटी तेरे भैया मुझे कैसे चोदते हैं? शो देख कर मज़ा आया? मैं शर्मा गयी और सिर्फ़ सर हिला दिया. वो थोडा सा हंसी और बोली: अब तुम दोनो जल्दी से याहां से निकल लो.

मै अभी सोने के बिलकुल मूड में नही थी इसलिये मै और ऊपर वाली छत पर चली गयी. वहां पर खाली छत है और हमने सिर्फ़ एक गद्दा डाल रखा है कभी कभी छत पर आकर बैठने या लेटने के लिये. मेरे पीछे पीछे करण भी छत पर आ गया और आते ही कहने लगा: कहो. कैसी रही..? Main: म्म्म. . ..(मै कुछ देर खमोश रही और फिर बोली).. ..करण ये हमने ठीक नही किया. .हम दोनो बहन भाई हैं करण: क्यों.. .तो क्या हुआ?.. . .हमने क्या गलत किया? chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

मै: तो क्या ये ठीक था? करण: हां.. .ठीक था. ..अखिर हम दो एक दूसरे से प्यार करते हैं. इस मे बुराई ही क्या है? मै: करण मै तुम्हारी बहन हूं. . करण:देखो प्रीटी. .तुम मेरी सब से अच्छी दोस्त हो. जिस के लिये मै कुछ भी कर सकता हूं. ..अगर तुम को लगता है की मैने गलत किया तो आगे से मै तुमसे दूर रहूंगा. मै: नही करण.. .

मै ऐसा नही चाहती. करण: तो फिर .. मै: तो फिर क्या? करण: इस खुबसूरत माहौल को मज़ा लो. और क्या मै: करण. . ..तुम क्या चीज़ हो. .तुम को ज़रा भी शर्म नही आती अपनी बहन से ऐसी बातें करते हुए? करण:बहन से नही. .अपनी दोस्त से. .अपनी जान से भी प्यारी दोस्त से..अच्छा एक बात बताओ. मै: क्या? करण: सच सच बताना? मै: पूछो तो सही? करण: मैने जो भी किया. .तुम को अच्छा लगा के नही?

मै ये सवाल सुन कर चुप हो गयी और करण को भी समझ आ गया था के मेरा जवाब क्या है. कुछ देर बाद वो खुद ही मेरी तरफ़ बढा और कहने लगा: थोडी देर के लिये भूल जाओ के हम बहन भाई हैं और अपने दिल से पूछो. .इस वख्त क्या दिल चाह राहा है तुम्हारा? मै अब करण की आंखों मे देख रही थी और सोच रही थी अगर सच मे करण मेरा भाई ना हो तो? ये सोचते ही मेरे मन मे एक लहर सी दौड गयी और मुझे अब करण एक बहुत ही हैन्डसम लडका लग राहा था और उसे देखते देखते मै मुसकुराने लगी. अब मै थोडी रिलैक्स फ़ील कर रही थी.और करण के पास जा कर आहिस्ता से उसे गगे लगा कर उससे लिपट गयी.

करण फिर समझ गया.और बोला: चलो आज की रात हम बहन भाई नही बल्की दोस्त और प्रेमी के रिश्ते से गुज़ारते हैं. क्या तुम तय्यार हो? मैने उसकी आंखों की तरफ़ देखते हुए सर हिला दिया. करण ने मुझे अपने गले लगा लिया और अपने से चिपका लिया. उसका हाथ मेरी कमर पर उपर नीचे चल राहा था. मै उससे और ज़ोर से चिपक गयी.करण ने कुछ देर बाद मुझे पीछे हटाया और मेरे होंठों को अपने होंठों से टच किया. ओ भगवान . ..क्या लम्हा था. ..जैसे मै हवा मे उड रही हूं.

आहिस्ता आहिस्ता मैने भी उसे रिस्पॊन्स देना शुरू कर दिया. अब हम पागलों की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे.करण ने अपना एक हाथ मेरे दाहिने बूब पर रख दिया. इस बार मुझे और भी मज़ा आ राहा था इसलिये मैने उसे नही रोका. हमारी किसिन्ग इतनी इनटेन्स हो गयी के हम एक दूसरे के होंठों को काटने लगे. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

मेरे अब बुरा हाल था.करण ने अचानक मेरी कमीज़ को उठाना शुरू कर दिया. मै एक दम रुक गयी. और उसकी तरफ़ देखा.. ..उसने मुझे इशारे से ही ना रुकने को काहा. पता नही मुझे क्या हुआ के मैने उसे फिर से किस करना शुरू कर दिया. वो मेरी कमीज़ फिर से उतारने लगा. मैने इस बार उसकी मदद भी की. अब मै सिर्फ़ ब्रा और सलवार मै थी. मै सिर्फ़ चूमने पर ध्यान दे रही थी और वो आहिस्ता आहिस्ता मेरी ब्रा भी खोल राहा था. मुझे पता था के वो क्या कर राहा है लेकिन मैने करण को इस बार बिल्कुल भी नही रोका.

मेरी ब्रा भी उतर चुकी थी अब. करण ने मेरे होंठों को चूमना छोड दिया और पीछे हो कर मेरे बूब्स को देखने लगा. मुझे अब शरम आ रही थी और मैने अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पर रख लिये. वो मुसकुराया और अपनी शर्ट उतारने लगा. मै अब उसे बडे गौर से देख रही थी. इस के बाद उसने पैन्ट भी उतार दी.

अब वो सिर्फ़ अन्डर्वेयर मे था और मै सिर्फ़ सलवार मे. मै अब भी अपने हाथों से बूब्स छुपा रही थी. वो मेरे करीब आया और मेरे हाथ छाती से हटाने लगा. मैने रेसिस्ट नही किया और हाथ हटा लिये. अब वो मेरे बूब्स को देख राहा था और फिर आगे बढा और मेरे बूब्स को चूसने लगा. ओ भगवान.क्या लग राहा था. मेरी इस बात का अन्दाज़ा सिर्फ़ वो लडकियां ही लगा सकती हैं जिन्होंने ये करवा रखा हो. मैने उसको सर से पकडा हुआ था और मेरी आंखें बन्द थी.

करण अभी भी मेरे मम्मे चूस राहा था और उसके साथ साथ उसने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया जिस के साथ ही मेरी सलवार नीचे गिर गयी. अब मै सिर्फ़ पैन्टी मे थी. उसने बूब्स को किस करते हुए अपना अन्डर्वेयर उतार दिया और फिर मेरी पैन्टी भी नीचे खींच कर उतार दी. अब हम दोनो बहन भाई खुले आसमान के नीचे बिलकुल नंगे खडे थे और वो मेरे मम्मों को चूस राहा था. मुझे बहुत ही मज़ा आ राहा था. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

उसने हम दोनो के कपडे एक साईड पर कर दिये और मुझे गद्दे पर लेटने के लिये काहा और मै लेट गयी. अब करण मेरे उपर लेट गया. लेकिन एक दम मुझे जैसे कोई करन्ट लगा. क्यों के इस सारे नशे मे मै करण की वो चीज़ तो भूल ही गयी थी जो अब मेरे वैजाईना के बिलकुल उपर थी. हां उस का लन्ड. .हे भगवान. ..पहली बार किसी का लन्ड मेरे वैजाईना के साथ टच किया था. मै बिल्कुल पागल हो चुकी थी अब.

उस का लन्ड बहुत ही सख्त हो चुका था और गरम भी बहुत था. वो मेरे लेटे शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा. फिर मेरे मम्मों को कुछ देर फिर चूस के आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूत तक पहुंच गया. अब तो मै मरने वाली थी. जैसे ही उसने अपनी ज़ुबान मेरे वैजाईना पर लगायी मेरे मुंह से वैसी ही अवाज़ें निकलनी शुरू हो गयी जो कुछ देर पहेले रीना भाभी के मुंह से निकल रही थी. अब मेरी समझ मे आया के वो इतना क्यों तडप रही थी.

अब मै करण के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत की तरफ़ दबा रही थी. मेरा मन कर राहा था की वो ऐसे ही रहे हमेशा के लिये.वो और भी ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चाटने लगा. उसकी ज़ुबान ने मेरा बुरा हाल कर दिया था. करीब ८ से १० मिनट तक वो यही करता राहा. अब मै बिलकुल करण के वश मे थी और उसके कहने पर कुछ भी करने को तय्यार थी. करण ये जानता था और इसी बात का फ़ायदा उठाया उसने.

वो फिर से मेरे ऊपर आ कर लेट गया और लिप किसिन्ग करने लगा लेकिन इस बार एक और काम किया उसने. मेरी दोनो टांगों को खोल दिया और उनके बीच आ गया. मेरे कान मे बोला. ..प्रीटी क्या तुम मुझे अपनी सब से कीमती चीज़ दोगी? क्या तुम मुझे इतना प्यार करती हो? chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

मै: क्या मतलब तुम्हारा. . ? मै सारी दुनिया से ज़्यादा प्यार करती हूं अपने भाई से. अपना सब कुछ तो तुम को दे दिया है अब और क्या चाहिये तुम को? करण: अच्छा. .अब मै जो करने वाला हूं उसको बर्दाश्त कर लोगी? मै: क्या करने वाले हो तुम? करण: अपना लन्ड तुम्हारे वैजाईना के अन्दर डालने लगा हूं.

पहली बार थोडी तक्लीफ़ होती है पर कुछ देर के बाद मज़ा आना शुरू हो जायेगा मै: करण. .देख लो. .कोई गरबड ना हो जाये करण: मुझ पर भरोसा है ना तुमको? मै: हां पूरा भरोसा है करण: तो बुस तुम चुपचाप मै जो कर राहा हूं करने दो और थोडी देर के लिये तक्लीफ़ बर्दाश्त कर लेना. मेरे लिये. मै: करण तुम जो करना चाहते हो कर लो. .मै कुछ नही कहूंगी.

मेरी ये बात सुन कर करण ने मेरी टांगें और खोल दी और उनके बीच सीधा बैठ गया. पहली बार अब करण का लन्ड नज़र आया मुझे. .हे भगवान . .वो तो बहुत बडा था. मै फ़ोरन बोली: करण ये तो सूरज भैया से भी बडा है. करण ये सुन कर हंस पडा और उसने मेरा हाथ अपने लन्ड पर रख दिया. पहेले तो मैने पीछे हटाया पर जब उसने फिर पकडाया तो मह्सूस किया के बहुत ही सख्त और गरम था. करण: अब इस का कमाल देखो सिर्फ़ तुम.

ये कह कर वो अपना लन्ड मेरी चूत के ऊपर रगडने लगा. करण की इस हर्कत से मुझे एक अजीब सा मज़ा आ राहा था. फिर उसने अपने लन्ड को आहिस्ता से मेरी चूत के अन्दर की तरफ़ धकेल दिया जिससे थोडा सा लन्ड मेरे अन्दर चला गया. अब मै आप को क्या बताऊं. इतना दर्द हुआ के बता नही सकती. लेकिन मै करण से वादा कर चुकी थी इस लिये अपने होंठों को अपने दांतों मे दबा कर चुप रही. करण मेरी हालत देख कर बोला: अभी तो सिर्फ़ १०% ही गया है.

ये सुन कर मेरी तो जान ही निकल गयी. अगर १०% पर ये हाल है तो आगे क्या होगा. लेकिन मै फिर भी चुप रही. करण अब आहिस्ता आहिस्ता लन्ड को और अन्दर धकेल राहा था और मेरी जान निकल रही थी. फिर उसने एक ज़ोर क धक्का मारा और पूरा लन्ड एक झटके से अन्दर घुसा दिया. मेरी तो चीख निकल गयी. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

आवाज़ इतनी थी के अगर हम कमरे मे होते तो शायद सब जाग जाते. करण ने अकलमन्दी की और एक्दम अपने होंठ मेरे होंठों के साथ जोड दिये जिससे मेरी आवाज़ कम हो गयी. अब दर्द मेरी बर्दाश्त के बाहर था. मैने आंसू भरी आवाज़ मे काहा: करण प्लीज़ निकाल दो नही तो मै मर जाऊंगी. करण: बस मेरी जान हो गया. .कुछ देर मे ही दर्द खत्म हो जायेगा. .बस थोडी देर रुक जाओ. .मेरे लिये.

करण की बात ने मुझे मजबूर कर दिया और मै चुप कर के बर्दाश्त करती रही. वो भी बगैर हिले मुझ पर लेटा राहा अपने लन्ड को मेरी चूत मे घुसाये. काफ़ी देर हम ऐसे ही रहे. अब वाकयी मुझे दर्द थोडा कम होता मह्सूस हुआ. मेरे चहरे को देख कर करण को पता चल गया की अब मै पहले से ठीक हूं. करण का लन्ड एक गरम सलाख की तरह मेह्सूस हो राहा था. अब करण आहिस्ता आहिस्ता अपने लन्ड को आगे पीछे करने लगा.

पहली ५ या ६ बार आगे पीछे करने पर मुझे फिर दर्द हुआ लेकिन वो भी आहिस्ता आहिस्ता एक अजीब से सरूर मे बदल राहा था. और कुछ देर के बाद मुझे सच मे मज़ा आने लगा. एक ऐसा मज़ा जिसका मुझे अन्दाज़ा भी नही था और मै बता भी नही सकती. मै अपने ही भाई का लन्ड अपने अन्दर ले चुकी थी. मै वो हर लिमिट पार कर चुकी थी जो शायद आज तक किसी देसी लडकी ने नही की थी. अपने भाई की मानो बीवी या लवर बन चुकी थी.

करण अब अपनी स्पीड बढाने लगा और मुझे भी मज़ा आने लगा. अब मै करण को कमर से पकड कर ज़ोर ज़ोर से अपने अन्दर करवा रही थी. कुछ ही देर मै मेरे अन्दर एक अजीब स तुफ़ान उठा. पता नही क्या हो राहा था मुझे मै पागलों की तरह करण को नोचने लगी. अब करण का पीछे हटना भी मन्ज़ूर नही था मुझे. मेरा दिल कर राहा था के वो अन्दर ही अन्दर जाता जाये. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

मै सरूर की सीमा पर आ चुकी थी. मेरी आह निकली और पूरे शरीर में एक लैहर दौड गयी. मेरा पूरा शरीर अकड गया और मुझे एक इतना ज़बर्दस्त आर्गैस्म आया की मै झटके खाने लगी. फिर एक दम मेरे अन्दर जैसे कोई तुफ़ान थम गया हो. मै बहुत ही ज़्यादा मधोश थी. लेकिन करण अभी भी लन्ड अन्दर बाहर कर राहा था.

फिर पता नही उसे क्या हुआ और उसने अपनी स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी और उसके मुंह सी भी अवाज़ें आने लगी. मुझे ये आवाज़ें बहुत ही अच्छी लग रही थी और फिर उसने एक झटके से अपने लन्ड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ मे पकड कर ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगा. फिर एक दम उस के लन्ड से वीर्य की धार निकली जो सीधी मेरी छाती पर जा गिरी. काफ़ी गरम था वो पानी.

इस के बाद वो भी वैसे ही शान्त हो गया जैसे कुछ देर पहले मै हुई थी. करण मेरी साएड पर लेट गया. अब हम दोनों बहन भाई खुले आस्मान की तरफ़ देख रहे थे. काफ़ी देर तक ऐसे ही रहे. फिर मुझे खयाल आया की हम तो नंगे हैं और खुली छत पर अगर कोई आ गया तो क्या होगा. ये सारी बातें पहले नही सोची मैने. ये सोचते ही मैने करण को काहा: जलदी करो. .याहां से चलें अब. .कोई आ गया तो. .मेरे कपडे कहां हैं?.. ..काहां रख दिये तुमने. .? करण: वो दीवर के साथ साफ़ जगह पर हैं. उठा लो वहां से और मेरे भी ले आओ. chhoti bahan jigyasa bhai bahan sex stories

ये सुन कर जैसे ही मै उठने लगी तो मुझे अभी भी वैजाईना पर दर्द हो राहा था जो मै कुछ देर से भूल चुकी थी. मैने करण की तरफ़ देखा और झूटे गुस्से से कहा .. ..करण . . ..मेरे वैजाईना को फाड दिया है तुमने. ऐसा करता है क्या कोई अपनी बहन के साथ?ये सुन कर करण हंसने लगा. उस समय मेरा एक हाथ मेरे वैजाईना पर था. मुझे कुछ गीला गीला मह्सूस हुआ. मैने हाथ लगा कर जब चेक किया तो मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. वो तो खून थ.ये क्या हुआ? मै घबरा के बोली: मै तो ज़खमी हो गयी हूं.अब क्या होगा? करण ने बडे प्यार से काहा: कुछ नही होगा बुद्धू . . ऐसा ही होता है पहली बार. अगली बार ऐसा नही होगा

करण की बात सुन कर मुझे कुछ हौसला हुआ और हम दोनों ने अपने अपने कपडे पहने. और वो जगह साफ़ की जहां खून गिरा था और बडे ही आराम से अपने अपने कमरे मै चले गये. किसी को कुछ पता नही चला. अब अपने बिस्तेर पर लेटी हुई उस रात की सारी बातें याद करने लगी. मै बहुत गिल्टी फ़ील कर रही थी पर साथ साथ मुझे ये भी पता था के मै इस बात से इनकार नही कर सकती थी के मुझे बहुत मज़ा भी आया.

———–समाप्त————

मुझपर एक अजीब सा सकून छाया हुआ था. मुझे पता था की आज मैने करण के साथ आखरी बार चुदाई नही की है और चाहे कुछ भी सोचूं, ये फिर से होगा और मै अपने आप को रोक नही पाऊंगी. और हुआ भी और एक दो बार तो रीना भाभी और मैने मिल के करण के साथ चुदाई की.. कैसी लगी ये bhai bahan sex stories?

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