spent the night with the bride to be टाइटल पढ़ कर आपको लग रहा होगा कि इस में क्या बड़ी बात हैं, Chudai Antarvasna Kamukta Hindi sex Indian Sex Hindi Sex Kahani Hindi Sex Stories लेकिन दुल्हन जब किसी और की हो तो कहानी और मजेदार हो जाती है. हुआ यूँ कि बचपन से ही मैं अपने आस पड़ौस में एक शरीफ और हेल्पिंग नेचर वाला व्यक्ति माना जाता था. किसी के घर कोई फंक्शन हो या ग़मी मैं हमेशा अपनी सेवाएँ देने को तत्पर रहता था, मेरे पापा कभी कभी इस बात से नाराज़ हो कर कहते थे कि “ये लड़का तो मैंने समाज सेवा के लिए पैदा किया है”. वो बात और है कि जवान होते होते मेरी समाज सेवा का रुख थोड़ा बदल गया था. हमेशा की तरह शादी ब्याह के सीजन की शुरुआत से ही मेरे आस पड़ौस में किसी ना किसी घर में टेंट तम्बू तन रहे थे और मेरे मन में सेवा करने की ललक जाग उठी. मेरे घर के पीछे वाले घर में भी तम्बू तने हुए थे और ये जान कर कि उषा की शादी हो जाएगी मेरा हमेशा तना रहने वाला बम्बू मुरझा गया था. दरअसल उषा को मैं बचपन से चाहता था, होने को तो वो मुझसे पाँच बरस बड़ी थी लेकिन मेरा मन तो जैसे बस उषा के लिए ही पागल था. उसकी शादी वैसे भी देर से हो रही थी तो उसका पूरा परिवार तो मनो ख़ुशी से पागल हुआ पड़ा था क्यूंकि उनकी जाति में लड़कियों को ज्यादा उम्र तक घर में बिठा कर नहीं रख सकते थे. उषा की माँ हमारे घर शादी का कार्ड देने आई तो सबसे पहले उसने मुझे ही आवाज़ लगाई और जाते जाते भी बोली कि बेटा बहन की शादी में लग के काम करवाना. बहन सुनते ही मेरे तो सीने पर सांप लोट गए लेकिन क्या करता पूरे परिवार के सामने बोली थी. उषा की माँ के जाने के बाद में अपने कमरे में अकेला पड़ा रहा और अपना सामान मसलते हुए सोचने लगा कि अब उषा जैसे कड़क माल को उसका पति कैसे कैसे ठोकेगा, क्यूँकि यही सब अपने साथ होता हुआ सोच कर मेरा सामान सावधान की मुद्रा में खड़ा हो जाता था और उषा रानी को याद कर के मैं अपनी फ्रस्ट्रेशन अपने हाथ से ही मिटा लेता था. मन में आया कि एक दफे उषा से पूछ कर तो देखूँ शायद वो मेरे साथ भागने को राज़ी हो जाए पर फिर डर भी लग रहा था क्यूंकि जाने किस मूड में बैठी हो, कहीं लेने के देने ना पड़ जाएँ. उस रात मैंने दो तीन दफे उषा को याद कर के अपने हाथों ही अपनी ठरक मिटाई लेकिन मन तो साला हरामी था माने कैसे. सुबह होते ही मैं छत पर पहुँच गया और उषा के घर के आँगन में बने की तरफ देखने लगा कि शायद कहीं वो नाहा कर निकलती हुई दिख जाए, पर फूटे करम मेरे कि इतने इंतज़ार के बाद बाथरूम से निकली भी तो उसकी माँ. मैं बस मुद कर जाने ही वाला था कि उषा की माँ ने मुझे बुलाया, मैंने सोचा चलो अच्छा हुआ इसने खुद ही बुला लिया अब तो इस बहाने उषा को नज़र भर के देख लूँगा, उसकी पतली कमर भरे हुए कूल्हे और खरबूजे सी छातियाँ जिनके लिए मैं बावला था कही दिख जाएँ या सामान उठाने वगेरह में कहीं छू जाएँ. मैंने दौड़कर उषा के घर पहुँच तो उसकी माँ ने कहा कि बेटा तेरे अंकल बाज़ार गए हैं तो तू ही ऊपर परछत्ती पर से ये बक्सा उतार दे, हालाँकि सेवा करने में मुझे कोई गुरेज़ नहीं था लेकिन ये बात उषा की माँ कि जगह उषा खुद कहती तो शायद बक्से का बोझ कम लगता. परछत्ती पर चढ़ने के लिए एक दरवाज़े पर पैर रख कर चढ़ना था और उसके लिए किसी को दरवाज़ा पकड़ना भी था. spent the night with the bride to be
सो मैंने कहा कि आंटी आप किसी को दरवाज़ा पकड़ने के लिए बुला लो नहीं तो मैं गिर जाऊँगा. उषा की माँ ने कुछ सोचा और फिर आवाज़ लगाई “उषा !! अरी ओ उषा, ज़रा दरवाज़ा पकड़ ले भाई को परछत्ती पर से बक्सा उतारना है”. बस अपने लिए भाई का संबोधन सुनकर तो मेरे आग लग गई लेकिन जो नीचे सामान में आग लगी हुई थी वो बुझने के कगार पर पहुँच गई. उषा अपने कमरे से निकल कर आई और आकर दरवाज़ा पकड़ लिया दरवाज़े पर चढ़ने से ले कर बक्सा उतारने और फिर वापस उतरने में जो उसके शरीर को मेरे शरीर ने छुआ तो जैसे मैं सारी थकान भूल गया. पर जब बक्सा उतर गया तो मैंने सोचा कि अब क्या ? मतलब की बस !! इतनी सी छुअन से तो बस एक दो दफे मुठ मारने की यादें जुड़ी हैं मेरे मन में. मन और लालची हो चला था मैं जाने के लिए मुड़ा ही था कि उषा कि माँ ने उषा को कहा, अब ये आ ही गया है तो अपने ब्यूटी पारलर के काम के ले भी इसे ही ले जा.spent the night with the bride to be
मैंने मन ही मन अपनी किस्मत को थैंक्स बोला और उषा की माँ से कहा “हाँ जी बिलकुल, वैसे भी मुझे कॉलेज तो जाना ही है तो मैं रस्ते में छोड़ दूंगा”, पर उषा की माँ ने फिर पासा पलट दिया ये बोल कर कि नहीं बेटा ज्यादा देर का काम नहीं है सो तू बस ले जा और वापस भी लेता अईयो अगर तकलीफ ना हो तो. मैंने कहा “जी तकलीफ किस बात की, आखिर मैं नहीं करूँगा तो फिर”. उषा की माँ ने ख़ुश हो कर मेरा माथा चूम लिया, हालाँकि ये चुम्मा तो मुझे उषा से चाहिए था और वो भी अपने होठों पर. खैर उषा की माँ ने मुझे बाइक में पेट्रोल भरवाने के लिए सौ रुपए भी दिए और साथ में ये भी कह ही दिया कि बेटा शादी का घर है जाने कितनी दफे दौड़ना पड़ेगा सो अभी भरवा ही ले एक बार में. इतनी देर में उषा भी कपडे बदल कर आ ही गई, मैंने बाइक निकली और उषा उस पर बैठ गई, कॉलोनी से बाहर निकलते ही अपन तो बाइक को चीते की तरह दौड़ाने लगे मानो पुलिस पीछे पड़ी हो.spent the night with the bride to be
अचानक एक गली से निकल कर कुत्ता भगा तो मैंने ब्रेक लगा दिया और उषा के गरमा गर्म खरबूजे मेरी पीठ से टकरा कर दब गए, उषा बोली “धीरे ही चला ले” तो मैंने कहा “धीरे में मज़ा कहाँ आता है” अब ये सुनकर तो वो हँस पड़ी. मैं भी ख़ुश था कि चलो हँसी तो, अब उसने ऐतिहात के चलते मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे पकड़ लिया लेकिन इस से तो और बड़ी प्रॉब्लम हो गई क्यूंकि एक तो मेरा सामान सलामी देने लगा था और दुसरे मैंने अपने लोअर के अन्दर अंडरवियर भी नहीं पहना था. एक और अभागा ब्रेक लगा और उषा का हट सीधे सामान पर चला गया. वो बोली “कर क्या रहा है तू” तो मैंने कहा क्या करूँ आज सारे ही गाय कुत्ते मेरे रस्ते में ही आरहे हैं”. उषा ने कहा “तो डंगरों की तरह तो मत चला” मैं उसके स्पर्श में इतना खोया था कि उसकी कोई बात बुरी नहीं लग रही थी. ब्यूटी पारलर में उषा की डेंटिंग पेंटिंग करवा कर मैंने उसे घर तो छोड़ दिया था लेकिन वो बड़ी अजीब तरह से बैठी थी तो मुझे लगा कि शायद सुहागरात के लिए वैक्सिंग करवा कर आई होगी, और ये सोच कर मैं और दुखी हो गया था क्यूंकि मन बार बार सोच रहा था कि अब तो इसकी बिना बालों वाली मोरनी को इसका पति कैसे कैसे नाच नचाएगा. शाम को भी उषा की माँ ने एक दो और काम मुझसे करवाए और फिर बोली कि बेटा मैं और तेरे अंकल कल इसके मामा को न्योता देने जाएँगे तो इसके एक आध और काम हैं वो भी तू ही साथ जा कर करवा देना. spent the night with the bride to be
रात भर मैं ये सोच सोच कर मुठ मार रहा था कि कल तो उषा और मैं साथ रहेंगे, मैं क्या करूँगा वो क्या करेगी और कहीं उसका भी दिल कर गया तो क्या होगा. बस इसी उधेड़बुन में सामान पर हाथ रखे रखे ही सो गया और सुबह उषा के पापा के खटारा स्कूटर की आवाज़ ने मुझे जगा दिया. मैं तो तुरंत उठ कर बालकनी में गया और देखा कि वो लोग निकल रहे हैं, बस अब तो अपना ही राज था सो मैंने फटाफट ब्रश किया नहाया और तैयार हो कर उषा के घर पहुँच गया. वहां जा कर आवाज़ लगाई तो उषा बाहर आ कर बोली “जैसे कि तुझे पता नहीं कि मम्मी पापा मामा के यहाँ कार्ड देने गए हैं”, उसके इस व्यव्हार से मैं थोडा विचलित तो हुआ लेकिन मैंने हार नहीं मानी और पूछा “आज कहाँ कहाँ जाना है”. इस पर उषा बोली कि हैं एक दो काम और फिर वो नहाने चली गई मैंने जोर से आवाज़ दे कर पूछा “अब कितनी देर लगेगी, आ रही हो या मैं अपने काम निपटा लूँ” इस पर उषा बाथरूम में से ही चिल्लाई “पाँच मिनट बैठ जा ऐसी क्या आग मची है”. अब उसे क्या बताता कि क्या आग मची थी सो मन मार कर वहीँ बैठ गया और पुराने अखबार को पढने का नाटक करने लगा, उषा बाथरूम से बाहर आई तो उसे सिर्फ टॉवल में देख कर मैं अन्दर तक हिल गया था, क्यूंकि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी ऐसी गोरी चिकनी टाँगें होंगी फिर याद आया कि अच्छा तो पारलर में यही करवाने गई थी. spent the night with the bride to be
मैं सोच ही रहा था कि उषा ने मुझे खुद नोटिस करते हुआ देख लिया और बोली “तू चिंता मत कर तेरे लिए नहीं है” मैंने भी पलट के कहा “हाँ तो चाहिए भी नहीं”. इस पर उषा तमक कर बोली “नहीं चाहिए तो रोज़ छत पर से मुझे बाथरूम में घुसते और निकलते क्यूँ देखता था, जान बूझ कर मेरे करीब आने के फंडे क्यूँ लगाता था”. मेरा तो जैसे गला सूख गया और आवाज़ गले से खिसक कर पेट में जा बैठी थी, मैंने मुँह नीचे कर के खड़ा हो गया तो वो मेरे पास आई और बोली “मैं तो जाने कब से सोच रही थी कि अब आएगा अब लाइन मरेगा अब पूछेगा अब मेरी जवानी को चखेगा, लेकिन नहीं तू तो बस छू के चला जाता था और फिर अकेले में हिलाता होगा. बोल हिलाता था कि नहीं”. spent the night with the bride to be
मैंने घबरा कर जवाब दिया “हाँ” और बस इसी के साथ उसने मेरे गाल पर चाँटा रखा तो अब तक किस का इंतज़ार कर रहा था मैं यहाँ प्यासी मरी जा रही थी और तुझे सामान हिलाना था, अब तो मेरा ब्याह होने वाला है अब क्या करेगा ? वहां मेरा पति मेरी जवानी का रस पी रहा होगा और तू अपने कमरे में हिलाएगा, क्यूँ सही है न”. मैं गुस्से से बाहर जाने को हुआ तो उस ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मो पर रख दिया और बोली “अरे गधे अब भी जा रहा है, बोल क्यूँ नहीं देता कि तेरे पास कुछ ही नहीं देने को”. मैं घबराया हुआ भी था और ख़ुश भी क्या एक्सप्रेशन दूँ समझ नहीं आरहा था, ऐसे में उषा ने मुझे फिर से उकसाया और मैं उस से लिपट गया जिस से उसका टॉवल खिसक गया और उसका नंगा बदन अब मेरी गिरफ्त में थ, उसके गीले बालों का जूडा खुल कर मेरे कन्धों पर लहरा गया. उसके बदन से आरही भीनी भीनी खुशबु ने मुझे पागल कर दिया, उषा बोली “मेरे हीरो खा जाओ मुझे लेकिन”. “लेकिन क्या” मैंने पूछा तो बोली “लेकिन दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दो बस, फिर मेरी जवानी तुम्हारी है”. spent the night with the bride to be
मैं हँसा और दौड़कर दरवाज़ा बंद किया, उषा वहीँ उसी हालत में खड़ी थी उसने अपना टॉवल तक नहीं लपेटा था मैं उसे हक्का बक्का देख रहा था और वो मुस्कुरा रही थी, मैंने भाग कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगा. उसका बदन गीला था लेकिन ठंडा नहीं, हो भी कैसे सकता था सेक्स की आग में जल जो रही थी मेरी उषा रानी. अब बस मैं उषा और गर्म गर्म साँसों की आवाज़ तीन ही चीज़ें थी वहाँ, उषा ने मुझसे कहा “अब मुझे वो तो दिखा जिसे मेरी याद में हिला हिलाकर हैरान कर रखा है तूने” मैं शर्मा गया तो उसने मेरी जीन्स को बेल्ट से पकड़ कर अपनी तरफ खींच और अपने घुटनों पर बैठ गई, पहले बेल्ट और फिर बटन खोलकर मेरा सामान पकड़कर मुस्कुरायी और बोली “हम्म ये तो काफी है”. मैं शर्माने लगा तो बोली “अब भी शरमाएगा तो माहौल कैसे गर्माएगा” मैंने उषा से पूछा कि ऐसी भाषा में क्यूँ बात कर रही है तो बोली कि तू भाषा पर नहीं मेरी जवानी पर ध्यान दे और मुझे तेरे सामान की सेवा करने दे”.
बस इस के बाद तो उसने मुंह में ले ले कर मेरे सामान की ऐसी सेवा की कि मैं तो धन्य ही हो गया, मेरे सामान का टोपा चाट चाट कर लाल कर दिया था उषा ने, अपने मुट्ठी में भींच भींच कर ऐसे हिला रही थी जैसे आज ही सारा रस पिएगी. उषा के मुंह की गर्माहट और उसकी लार में मेरा सामान जैसे निखर ही रहा था कि मेरा रस पिचकारी बन कर उसे मुंह में छूट गया, मैं उषा से दूर हटना चाह रहा था लेकिन उसने मेरी गांड पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरा पूरा का पूरा रस पी गई अब वो चाट चाट कर मेरे सामान को ऐसे साफ़ कर रही थी जैसे कि उसकी प्यास ही ना बुझी हो. मैं मस्त हो कर उसे निहार रहा था और वो थी की चूसे ही जा रही थी, मैंने कहा “अब बस भी कर !! कुछ सेवा मुझे भी करने दे” तो उसने मुझे पकड़ लिया और जा कर सोफे पर बैठ गई अपनी दोनों टाँगें चौड़ी कर के उसने मुझे पास खींचा और मेरा सर पकड़ कर अपनी मेंढकी पर लगा लिया कमाल की मदहोश करने वाली खुशबु थी उसकी मेंढकी की. एक भी बाल नहीं एक भी दाग नहीं और मस्त पाव की तरह फूली हुई मेंढकी पर मेरे होंठ जमे हुए थे. Desi Kahani
उषा ने कहा “बस होंठ ही लगाएगा या कुछ जलवा भी दिखाएगा” उसकी ये बात सुनते ही मैंने अपने होंठ खोले और अपनी जीभ का ऐसा जलवा दिखाया कि उसकी मेंढकी पानी पानी हो गई वो मारे ख़ुशी के सिसकारियाँ भरने लगी और रह रह का चिल्ला रही थी “हाँ मेरे हीरो और अच्छे से और अच्छे से सेवा करो आज तुम्हे इस सेवा का अच्छा फल मिलने वाला है”. ना वो रुकी और ना ही मैं और फिर उसकी मेंढकी ने मेरी सेवा के फल के रूप में भर भर के अपनी मलाई से मेरा मुंह पोत दिया वो जैसे ही फारिग हुई सोफे पर ऐसे लेट गई जैसे बस ट्रेन यार्ड में थम गई हो लेकिन अब मेरा जोशीला जवान फिर ऑन ड्यूटी की मुद्रा में खड़ा हो चुका था. मैंने कहा “उषा रानी अब इसका भला कौन करेगा तो वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली “अरे हीरो असली प्रसाद तो मिलना अभी बाकी है” उसने सोफे पर लेटे लेटे ही मुझे अपने ऊपर खींच लिया मेरा चेहरा पकड़ कर मेरे होंठों को चाटने चूमने और चूसने लगी मैंने भी बराबर उसका साथ दिया, उसने मेरे हाथ अपने मुम्मों पर रखे और बोली “खेलो इनसे मेरे हीरो, चूसो – चाटो – पियो या काटो बस खा जाओ आज इन्हें, अपनी और मेरी प्यास बुझाओ”. उषा के मुम्मों के साथ खेलने में मैं इतना मशगूल हो गया था कि अपने सामान के बारे में भूल ही गया उषा ने मेरा सामान अपनी मेंढकी तक पहुँचाया और मुझे कहा “बस हीरो अब डाल दे अब सहन नहीं हो रहा, कर दे फिटिंग पाइपलाइन की और बुझे दे मेरी आग”.
मैंने कहा “पागल मत बन अभी तो माहौल बनाऊंगा” मैंने अपना सामान उसकी मेंढकी पर टिकाया और पानी से लबरेज़ उस के मुहाने पर हौले हौले रगड़ने लगा, उषा ख़ुशी के मरे चीख रही थी और मेरे सामान को अन्दर लेने के लिए लगातार अपनी मेंढकी आगे खिसका रही थी लेकिन मैं था कि अभी अन्दर डालना ही नहीं चाह रहा था, आखिर परेशान हो कर उषा बोली “तू चिंता मत कर मेरे हीरो अभी हम और खेलेंगे बस एक बार डाल तो सही”. बस ये सुनते ही मैंने एक ही झटके में अपना सामान उसकी मेंढकी के मुंह में भर दिया वो जितनी बाहर से चिकनी और गर्म थी अन्दर से भी उतनी ही ज्यादा भट्टी हो रही थी, काफी देर धक्के लगाने के बाद उषा बोली “पीछे से कर न मुझे ये वाला स्टाइल पसंद है मैंने ब्लू फिल्म में देखा था”. उसकी इच्छानुसार मैं उसे कुतिया की तरह खड़ा किया और पीछे से उस पर सवार हो गया एक हाथ से मैंने उसके खुले बालों को अपनी मुट्ठी में भीचा और दुसरे हाथ से उसके एक मम्मे को दबाते हुए मैंने उसे पीछे से ले रहा था ५ मिनट ऐसे ही लगते रहने के बाद उषा चिल्लाई “बस अब ट्रेन चला दे जोर से.”
मैंने तुरंत उसकी बात मानी और नॉन स्टॉप ट्रेन चलने लगा, उषा की आवाज़ तेज़ होने लगी मेरा भी सब्र का बाँध बस टूटने को ही था कि उसने एक जोर की सिसकारी भरी और मेरा भी छूट गया. मैंने कहा “अरे साली ये तो अन्दर चला गया कहीं तू माँ ना बन जाये” तो वो बोली चिंता मत कर मैंने पढ़ा है एक बार में माँ बने ऐसा ज़रूरी नहीं है और अगर बन भी जाती हूँ तो तुझे क्या, बाप तो मेरा पति ही कहलायेगा तू बस अपनी मेहनत कर” ये कह कर उसने मुझे बाँहों में भर लिया और जी भर के चूमने लगी.
मैंने उषा से कहा “तू मेरे साथ भाग जा हम दोनों ऐसे ही साथ रहेंगे” तो बोली “बावला मत बन, एक तो पहले ही मुश्किल से शादी हो रही है और तू बनी बनाई बात बिगाड़ने को कह रहा है” मैंने कहा तो फिर क्या करें “अब तो तेरे बिना रहा ही नहीं जाएगा”. ये सुनकर वो हँस पड़ी और बोली “अरे मेरे मजनूँ परेशान मत हो मैं आती रहूंगी और ऐसी ही तेरी जवानी को मेरी जवानी का प्रसाद देती लेती रहूँगी. इसके बाद तो उषा की शादी होने तक और उसके बाद आज तक जब भी हम मिलते हैं ऐसे ही अपनी अपनी आग शांत करने और सेक्स की मौज लेने लगते हैं.