चाची ने जबरदस्ती मेरी चुदाई करवाई

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मैं उन दिनों अपने चाचा के यहां आई हुई थी। मैं ग्रेजुएशन की छात्रा थी। Antarvasna Kamukta Hindi sex Indian Sex Hindi Sex Kahani Hindi Sex Stories चाचा बिजनेस के सिलसिले में कुछ दिनों के लिये सूरत गये हुए थे। चाची घर पर ट्यूशन पढाती थी। चाची का नाम रेश्मा था। उनकी उम्र ३४ वर्ष की थी। उसके पास कोलेज दो के छात्र पढने आते थे। पंकज और अरविन्द नाम था उनका। दोनो ही १९ – २० वर्ष के थे।

मुझे पहले दिन से ही वो हाय हेल्लो करने लगे थे। उन दोनों से मेरी जल्दी ही दोस्ती हो गयी थी। ऊपर का कमरा खाली था सो रेश्मा उन्हे वहीं पढाया करती थी।

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एक बार जब रेश्मा ट्यूशन पढा रही थी तब मैं किसी काम से ऊपर कमरे में गयी। जैसे ही मैं कमरे के पास पहुचीं तो मुझे सिसकारी की आवाज सुनायी पडी। मैं सावधान हो गयी। तभी मुझे फिर से हाऽऽय की आवाज सुनायी पडी। मैने धीरे से खिडकी से झांक कर देखा। वो लडके रेश्मा की चूंचियां दबा रहे थे। रेश्मा ने पेन्ट के ऊपर से ही एक का लन्ड पकड रखा था। रेश्मा बार बार आनन्द से सिसकारियां भर रही थी। मैं दबे पांव पीछे हट गयी और नीचे उतर आई।
मेरे सारे शरीर में सनसनी फ़ैल गयी थी। मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गयी। मेरी सांसे तेज चल रही थी। मेरे मन में उत्तेजना भरने लगी थी। मुझसे रहा नहीं गया……

मैं फिर से दबे पांव ऊपर गई … मैने फिर से झांक कर देखा… मुझे पसीना छूटने लग गया। कमरे में सभी नंगे थे… पंकज ने अपना लन्ड रेश्मा की चूत में डाल रखा था…और तबियत से चोद रहा था…… अरविन्द ने अपना लन्ड रेश्मा के मुँह में दे रखा था… मैं फिर नीचे आ गयी… मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी… मैं अपनी चूत दबा कर बैठ गयी। मैं भी जवान थी…मेरे पास भी जवानी का पूरा खजाना था। मेरे मन में भी चुदवाने तेज इच्छा उठने लगी। मेरी चूंचियां कड़ी होने लगी… जवानी का जोश हिलोरें मारने लगा।

चाची ने जबरदस्ती मेरी चुदाई करवाई


मैं मन मार कर कमरे से बाहर निकल आई… पास की दुकान से अपना मोबाईल रीचार्ज करवाने लगी। जब मैं वापस आई तो उनका कार्यक्रम समाप्त हो चुका था। पंकज और अरविन्द जाने की तैयारी में थे। मुझे देख कर कर वो दोनों ही मुसकराये, मैने भी उन्हे तिरछी निगाहों से मुसकरा कर देखा। वो दोनो चले गये और मैं रेश्मा की किस्मत पर जल उठी… जो कि दो जवान लण्डों की मालकिन थी। मेरे मन में हलचल हो रही थी…।

मन अशान्त था …… मुझसे रेश्मा की चुदाई बरदाश्त नही हो पा रही थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रात के करीब 10 बज रहे थे…। मैने कमरे की लाईट बन्द कर दी और सोने के लिये लेट गयी। पर नींद कहां थी। रह रह कर रेश्मा की चुदाई की याद आ रही थी। मैने अपनी पेन्टी उतारी , रात को मैं ब्रा नहीं पहनती थी। मैने सोचा कि चूत में उंगली करके झड़ जाती हूं…… पर मुझे उसी समय बाहर कुछ आवाज आई… मैने दरवाजे से झांक कर देखा तो पंकज और अरविन्द रेश्मा के कमरे की तरफ़ जा रहे थे। मैने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में आंखे गडा दी , यह दरवाजा चाचा के कमरे में खुलता था, और सुनने का प्रयास करने लगी। मुझे ये सुन कर हैरानी हुई कि रेश्मा उन दोनो के साथ मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी… पर कैसे…?

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वे तीनों मेरे कमरे की ओर आने लगे। मैं भाग कर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी। मुझे लगा कि वो तीनों मेरे कमरे के बाहर आ गये है…… तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला… मैने देखा रेश्मा पहले अन्दर आयी… फिर दोनो उनके पीछे पीछे आये……।

मैने सोने का बहाना किया। अरविन्द ने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। पर तीनों मेरे साथ क्या करेंगे …… क्या बलात्कार… यानी मेरी चुदाई… मेरा मन खुशी के मारे उछलने लगा…बिना कुछ किये मन की मुराद पूरी हो जाये तो… फिर ऊपर वाले का धन्यवाद करो…। मेरा सोचना बिलकुल सही निकला। पंकज ने लाईट जला दी… मुझे देख कर उन दोनो के मुंह में पानी आ गया। मैने पेन्टी और ब्रा वैसे भी नहीं पहन रखी थी। स्कर्ट भी जांघों से उपर आ चुका था। अन्दर से मेरी चूत झांक रही थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | पंकज ने बिस्तर पर पास बैठ कर मेरी छोटी सी कमीज़ को ऊपर कर दिया। मेरे नंगी चूंचियां उसके सामने तनी हुयी खडी थी। मेरे शरीर में रोमांच भर आया… मुझे लग रहा था कि मेरी चूंचियां पकड कर मसल दे…

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लेकिन उसने बडे प्यार से मेरे स्तन सहलाये… मेरी नोकों को हौले हौले से पकड कर मसलते हुये घुमाया। इतने में अरविन्द ने मेरे स्कर्ट को ऊंचा करके मेरी चूत नंगी कर दी। अचानक मुझे मेरी चूत पर गीलापन लगा…… अरविन्द की जीभ से थूक मेरी चूत पर टपका कर उसे चाट लिया था…… मैं तड़प उठी… पर मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पडा। रेश्मा ने मेरे दोनो हाथ ऊपर कस कर पकड़ लिये। अरविन्द ने मेरी टांगे चीर कर फ़ैला दी। और मेरी टांगों के बीच में आ गया। अब मुझे लग गया कि मैं चुदने वाली हूं……तो मैने नाटक शुरु कर दिया…… मैने जाग जाने का नाटक किया…
“अरे ये क्या…… छोडो मुझे……… चाची…”
“चुप हो जा…कुतिया… मजे ले अब…”
” चाची… नहीं प्लीज़……”
इतने में अरविन्द का लन्ड मेरी चूत में घुस गया। मन में मस्ती छा गयी। चूत को लन्ड मिल गया था… तेज गुदगुदी सी उठी।


“अरविन्द…ये क्या कर दिया तूने… मुझे छोड दे……मत कर ना…मादरचोद…”
“नीता रानी … ऐसी मस्त जवान लड़की को तो चुदना ही पड़ता है… देख क्य टाइट चूत है…अब हम तेरी बहन चोद देंगे।” अरविन्द मस्त हो कर बोला।


पंकज मेरे चूंचकों को चूस रहा था… रेश्मा ने खुद के कपड़े उतार फ़ेंके…वो पूरी नंगी हो गयी। हम सभी को पता था कि कार्यक्रम सफ़ल हो चुका है। रेश्मा ने पंकज की पेन्ट और कमीज़ उतार कर उसे नन्गा कर दिया। अरविन्द पहले ही नंगा हो चुका था। चाची मुझे समझा रही थी | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | “देख नीता… लन्ड तो तेरी चूत में फ़िट हो ही गया है… अब मजा ले ले…ना’

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“चाची… प्लीज़… मत करो ना…देखो मैं मर जाऊगीं…” मैने फिर नाटक किया। चाची ने मेरे होंठ चूमते हुये कहा
“अच्छा… दो मिनट के बाद छोड देंगे… मजा नहीं आये… तो नहीं सही… बस”
चाची समझ चुकी थी…कि मै यूं ही ऊपर से कह रही हूं और वास्तव में मुझे मजा आ रहा है।
“अरविन्द …मत करो…… इसे अच्छा नहीं लग रहा है… चलो मेरी मां चोद दो…

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