एक कीमत “ज़िंदगी” की–41

रितिका को ऐसा खड़ा देख अंकित की तो सॉलिड लग गयी वो बेचारा अपने लंड से परेशान अगर उसके हाथ में

Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai होता तो वो कभी उसे खड़ा नही होने देता ऐसी सिचुयेशन में….कभी लंड अंदर फुदकी मार के इधर होता

तो कभी उधर … बेचारा हाथ बँधे की वजह से अड्जस्ट भी नही कर पा रहा था….

तभी रितिका अपनी कमर को मतकाते हुए पलंग के पास जाने लगी…अंकित की तो आँखों में सेक्स का नशा

सर चढ़ के बोल रहा था रितिका की वो वो ठुमकती कमर में हिलती गान्ड उफ़फ्फ़ क्या सीन था…उसके बाद

का सीन तो और कातिलाना था…रितिका ने अपने आप को हल्का सा झुकाया जिससे उसकी गान्ड उभर के अंकित के

सामने आ गई..एक तो कमर तक ड्रेस उपर से नीचे कुछ पहना हुआ नही…वो गान्ड का छेद और पीछे से

चूत का छेद ऐसे दिख रहा था मानो अभी खा जाएगा उसे अंकित…उसकी तो लार टपकने लगी वहीं लंड

जीन्स की चैन में ज़ोरों से चुभने लगा….

तभी अंकित की कान में एक बेहद सेडक्टिव इंग्लीश सॉंग सुनाई पड़ा…..रितिका मूडी और फिर कमर

मटकाती हुई अंकित से थोड़ी दूर पे जाके खड़ी हो गयी…और उसे आँख मार दी…

अंकित ने जीब बाहर निकाली बस आगे के पल के इंतजार में बैठा था कि अब क्या होगा….और फिर हुआ अंकित

की बजाने का दूसरा सेशन…उसके बाद तो रितिका ने जो सेडक्टिव मूव्स देते हुए डॅन्स शुरू किया है

उसने तो अंकित की साँसे ही उखाड़ दी….

कभी अपनी गान्ड पे हाथ रख के उसने कमर को गोल गोल घुमाया हाई…कभी झुक झुक के अपने बूब्स

के दर्शन करवाते हुए उन्हे दबाती हुए अपनी बॉडी हिलाई है..तो कभी अपने बालों को उपर कर के

अपने दोनो हाथ उपर करके अपने शरीर को अंकित को खुला दिखाया है…

और फिर अंकित के पास जाके उसके चेहरे के पास अपने बूब्स हिलाए हैं..उसे ललचाने के लिए तो

कुर्सी पकड़ के अपनी गान्ड को अंकित के लंड के ठीक थोड़ा उपर रख के घुमाया है…

इस पल ने तो अंकित की बॅंड ही बजा दी…..

अंकित :- प्लीज़ रितिका यार हाथ खोल दे….बस कर..नही सह सकता और…(फाइनली अंकित ने हर मानते हुए

कहा)

रितिका हंस पड़ी…..

अंकित :- हंस मत…यहाँ आज तूने बॅंड बजा दी है…प्लीज़ खोल दे यार..आइ बेग यू..(बच्चे जैसा मुँह बनाते

हुए)

रितिका :- ह्म्‍म्म्मम..सोचने दो….(एटीटियूड में खड़े होते हुए) वैसे…तुम्हे ऐसे देख के बड़ा मज़ा

आ रहा है….तुझे यूँ ताड़पता हुआ देख के(उसके गालों पे अपने नाख़ून गढ़ाते हुए)

अंकित :- एक बार खोल के दे फिर देख आज ये हिन्दुस्तानी लड़का तुझ हिंदू कम न्यू यॉर्क बिल्ली को कैसे कुरेदता

है….

रितिका :- ओह्ह कॉन्फिडेन्स ह्म्म..आइ लीके इट…देन लेट्स सी….

और रितिका अपने नाख़ून को उसके शरीर पर रेंगते हुए नीचे लाती हुई ठीक उसकी जीन्स के उभार पे रख के वहाँ ज़ोर से दबा देती है…

उईईइ माआ…मार डाला रे………अंकित अपना सर छत की तरफ कर के सिसक उठता है….

फिर रितिका धीरे से जीन्स के बटन और ज़िप को नीचे कर देती है…अंकित बिना रितिका के कहे अपनी गान्ड जितनी

उठा सकता था उतनी उठा लेता है..रितिका उसके इतने उतावले पन को देख के मुस्कुरा पड़ती है और फट से

उसकी जीन्स नीचे कर देती है..और उसके बाद उसका कच्छा भी…..और जैसे ही उसका कच्छा नीचे होता है.

हााअ..आहह व्हाट आ रिलीफ…….(अंकित तो ऐसे खुश होता है

मानो दुनिया की हर हॉट लड़की की मार चुका हो)

हववव…….कितना लाल हो गया अन्कित्स बिग कॉक..हहेहेहेहेहेहेः…(बोलते हुए रितिका हँसने लगती है)

अंकित :- हँसी आ रही है…अरे पता है कितना दर्द हो रहा था…ऐसा लग रहा था मानो कोई सूइयां चुबा

रहा हो अंदर एक एक कर के…क्या हालत हो गई है….बहुत दर्द हो रहा है…..

फिर रितिका उसे अपने हाथ से पकड़ के उठाती है….

अहह ओह्ह्ह उईईईईई माँ…दर्द हो रहा है…..अंकित दर्द में सिसक उठता है..उसकी आँखों

से पानी निकल आता है…

और पहली बार रितिका को अंदाज़ा होता है कि सच में अंकित को काफ़ी दर्द हो रहा है…वो कुछ नही बोलती..

पर उसके चेहरे पे एक दुख होता है..इसलिए वो अपनी जीब बाहर निकाल के उसे चाटने लगती है..

अंकित उसे इस हालत मे देख के घायल हो जाता है..रितिका बिल्कुल लंड को ऐसे चाट रही थी मानो कुत्ता कोई

हड्डी चाटता है….

रितिका की गर्म जीब का जादू अंकित पे सर चढ़ के बोल रहा था…लंड पर नरम और गीली चीज़ का एहसास

पाके अंकित को दर्द से धीरे धीरे छुटकारा मिलने लगा…उसकी आँखें मस्ती में घूम रही थी…जब रितिका

ने देखा अंकित कुछ नॉर्मल हो गया है..तो रितिका ने अपने हाथ आगे बढ़ा के लंड को सीधा किया..

और उसे अपने मुँह के अंदर बाहर लिया और अंकित को देखने लगी…अंकित की नज़र भी रितिका पे पड़ी जैसे

ही उसने लंड मुँह में लिया ….

क्या सीन था अंकित के लिए उसके सपने में भी नही सोचा था कि इतनी सेक्सी हॉट लड़की उसका लंड ऐसे मुँह में

लेके बैठी होगी..पर ये सच था कोई सपना नही…रितिका ने चेहरे पे मुस्कान फैलाई और फिर लंड को स्यौर्र्र

करके मुँह से बाहर निकाला और फिर अंदर डाल लिया…..

अहह ओह येस्स.स………………..यौरर…. डॅम….गूड्ड़.अहह…

रितिका अंकित के लंड को सक करने लगी..बीच बीच में जीब से उसके सुपाडे को सहलाने लगी जिससे अंकित

के शरीर में एक झुरजूरी सी दौड़ जाती…..

अंकित :- आहह..उफफफफफफफफफफफ्फ़…रीतितका.आ..आ.आ…प्लीज़ ओपन माइ हण्दड़ड़.द.द…

रितिका लंड बाहर निकाल के…माइ पनिशमेंट ईज़ नोट ओवर एट…..(एक सेडक्टिव स्माइल देती है और फिर लंड मुँह

में ले लेती है)

स्यौरर तसुसपप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प उःम्म्म्मममममम…जैसी आवाज़ें आ रही थी……रितिका अब तेज़ी से लंड सक करने

लगी..मानो किसी ने मशीन चला दी हो … उपर से अपने नखुनो से लंड की बॉल्स को कुरेदने लगी….

आहहह ओह मययययययययययी …रितिका…ससिईईईईई उफ्फ…..आहूऊऊऊओ ये.स.सस्स….

उ अरे ए ए दांं गुड इन सक.सी..सीसी.किंग.ग..ग.ग..ई लॉव..ए.ए..ए. इट.त……यस ओह्ह्ह्ह….

रितिका तेज़ी से लंड को सक कर रही थी…..नीचे से बॉल्स को बढ़ाने लगी..

ओह्ह आहहह एस.स…आइ आमम्म.क…कुमिणटज्ग्ग..ग.ग.ग.ग..ग.ग..ग.ग.ग.ग.गगगगगगगगगगगगगगगगग…..(वो अपने हाथ से मानो रितिका का सर पकड़ने की कोशिस कर रहा हो..पर हाथ बँधे होने की वजह से वो ऐसा नही कर पा रहा

था) रितिका….आइ अम्म कुमिणत्ग.ग..ग…(फाइनली वो तेज आवाज़ के साथ झटके मारने लगा….कमर

भी बुरी तरह से हिलने लगी)

रितिका ने बिना हाथों की मदद से लंड को अपने मुँह से जकड़ा हुआ था..और लंड पूरा मुँह में था

इसलिए लंड से निकली क्रीम सीधे उसके गले में जा रही थी…..(3-4 झटके मारने के बाद अंकित थोड़ा शांत

हुआ और हाँफने लगा)

और रितिका ने भी अपना मुँह बाहर खिचा…तसुपप्प्प्प्प्प पुक्क्कककककककक करके लंड मुँह से बाहर आ गया…

रितिका लंड को मस्ती भरी नज़रों से देखने लगी..झड़ने के बाद भी लंड बिल्कुल वैसा ही खड़ा था..

रितिका अंकित को देखने लगी…अंकित रितिका को देख मुस्कुराने लगा..

अंकित :- आज ये बिल्ली मार के छोड़ेगा…उससे पहले इसका कोई भी कुछ नही बिगाड़ सकता…

रितिका मुस्कुरा पड़ी..और फिर खड़ी हो गयी….और कमरे से जाने लगी…

अंकित :-आ रे कहाँ जा रही है..खोल तो दो…

रितिका :- खोल दूं..

अंकित :- हाँ प्लीज़ यार…खोल दे..

रितिका :- अच्छा थोड़ी देर पहले तक तो कोई बिल्ली मारने की बात कर रहा था…

अंकित :- हाँ वो तो मारूँगा ही…

रितिका :- तो नही खोलूँगी…..(आक्टिंग करते हुए)

अंकित :- अच्छा ठीक है मत खोल…जानता हूँ बिल्ली खुद चल के आ जाएगी…..

रितिका हंस पड़ी…अच्छा बाब खोल देती हूँ….और फिर रितिका अंकित के एक एक कर के हाथ पैर खोल

देती है…अंकित जल्दी से फ़ौरन उठता है और अंगड़ाई लेता है…मानो शरीर खोल रहा हो जो बैठे बैठे

अकड़ चुका था…

रितिका :- अच्छा में जाउ…(रितिका बोल के पीछे भागने लगती है)

पर अंकित अपने हाथ आगे बढ़ा के उसको कमर से पकड़ के अपनी तरफ खिच लेता है…

अभी कहाँ जानेमन..अभी तो बहुत कुछ बाकी है..(बोलता हुआ अंकित अपनी नाक से रितिका की नाक पे मारता है और अपने होंठ यहाँ वहाँ घुमाता है उसके चेहरे पर)

और थोड़ा सा आगे बढ़ाता है..कि उसका पैर अपनी जीन्स में फँस जाता है..और दोनो सीधा बेड पे जा गिरते हैं

अंकित का पूरा शरीर रितिका के शरीर में धँस जाता है..

अहह सीईईईईई उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़. अंकित.त….इस बार सिसकने की बारी रितिका की थी..क्यूँ कि उसके वो पहाड़ जैसे सख़्त बूब्स अंकित की चेस्ट में धँस गये थे..और अँकति का लंड चूत के उपर प्रेस हो गया था.

अंकित गालों पे और गर्दन पे किस करता हुआ..

अंकित :- असली खेल तो अब शुरू होगा … (बोलते हुए उसके होंठों पे टूट पड़ता है और दोनो एक ज़बरदस्त

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