मैं, दीदी और मस्तराम

Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

मुझे मस्तराम कहानियों का शौक था पर पता नहीं था ये शौक मैं दीदी के साथ शेयर करूँगा। हमारी पड़ोसन का भी हाथ है इसमें। इस मस्त Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories का मज़ा लीजिये..

वैसे तो मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ पर जॉब की वजह से अभी दिल्ली में हूँ। मैं साधारण कद काठी का हूँ पर बचपन से ही जिम जाता हूं इसलिए अभी भी मेरी बॉडी अच्छे आकार में है । बाकी बॉडी के बारे में धीरे धीरे पता चल जायेगा।

मैं जो कहानी आपसे बाँटने जा रहा हूँ वो सच्ची है या झूठी, यह आप ही तय करना।

बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी। उस वक़्त मेरी उम्र २१ थी। मैं अपने मम्मी-पापा और अपनी बड़ी बहन के साथ कोलकाता में एक किराये के मकान में रहता था। मेरे पापा उस वक़्त सरकारी जॉब में थे। माँ घर पर ही रहती थीं और हम भाई-बहन अपनी अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे। मेरी और मेरी बहन की उम्र में बस एक साल का फर्क है। इसलिए हम दोस्त की तरह रहते थे। हम दोनों अपनी सारी बातें एक दूसरे से कर लेते थे, चाहे वो किसी भी विषय में हो।

मैं बचपन से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सी था और सेक्स की किताबों में मेरा मन कुछ ज्यादा लगता था। पर मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहता था इसलिए मुझसे सारे लोग काफी खुश रहते थे।

हम जिस किराये के मकान में रहते थे उसमें दो हिस्से थे, एक में हम और दूसरे में एक अन्य परिवार रहता था, जिसमें एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे। दोनों काफी अच्छे स्वभाव के थे और हमारे घर-परिवार में मिलजुल कर रहते थे। मेरी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं। मैं भी उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह ही मानता था और उनके पति को जीजा कहता था। उनके बच्चे मुझे मामा मामा कहते थे।

सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था। अचानक मेरे पापा की तबीयत कुछ ज्यादा ही ख़राब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा। हम लोग तो काफी घबरा गए थे पर हमारे पड़ोसी यानि कि मेरे मुँहबोले जीजाजी ने सब कुछ सम्हाल लिया। हम सब लोग अस्पताल में थे और डॉक्टर से मिलने के लिए बेताब थे। डॉक्टर ने पापा को चेक किया और कहा की उनके रीढ़ की हड्डी में कुछ परेशानी है और उन्हें ऑपरेशन की जरूरत है। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

हम लोग फ़िर से घबरा गए और रोने लगे। जीजाजी ने हम लोगों को सम्हाला और कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है सब ठीक हो जायेगा। उन्होंने डॉक्टर से सारी बात कर ली और हम सब को घर जाने के लिए कहा। पहले तो हम कोई भी घर जाने को तैयार नहीं थे पर बहुत कहने पर मैं, मेरी बहन और आशिमा दीदी मान गए, आशिमा मेरी मुँहबोली बहन का नाम था।

हम तीनों लोग घर वापस आ गए। रात जैसे तैसे बीत गई और सुबह मैं अस्पताल पहुँच गया। वहां सब कुछ ठीक था। मैंने डॉक्टर से बात की और जीजा जी से भी मिला। उन लोगों ने बताया कि पापा की शूगर थोड़ी बढ़ी हुई है इसलिए हमें थोड़े दिन रुकना पड़ेगा, उसके बाद ही उनकी सर्जरी की जायेगी। बाकी कोई घबराने वाली बात नहीं थी। मैंने माँ को घर भेज दिया और उनसे कहा कि अस्पताल में रुकने के लिए जरूरी चीजें शाम को लेते आयें। माँ घर चली गईं और मैं अस्पताल में ही रुक गया। जीजा जी भी अपने ऑफिस चले गए।

जैसे-तैसे शाम हुई और माँ सारी चीजें लेकर वापस अस्पताल आ गईं। हमने पापा को एक निजी कमरे में रखा था जहाँ एक और बिस्तर था परिचारक के लिए। माँ ने मुझसे घर जाने को कहा। मैं अस्पताल से निकला और टैक्सी स्टैंड पहुँच गया। मैंने वहाँ एक सिगरेट ली और पीने लग। तभी मेरी नज़र वहीं पास में एक बुक-स्टाल पर चली गई। मैंने पहले ही बताया था कि मुझे सेक्सी किताबें, खासकर मस्त राम की किताबों का बहुत शौक है। मैं उस बुक-स्टाल पर चला गया और कुछ किताबें खरीदी और अपने घर के लिए टैक्सी लेकर निकल पड़ा।

घर पहुंचा तो मेरी बहन ने जल्दी से आकर मुझसे पापा के बारे में पूछा और तभी आशिमा दीदी भी अपने घर से बाहर आ गईं और पापा की खबर पूछी। मैंने सब बताया और बाथरूम में चला गया। सारा दिन अस्पताल में रहने के बाद मुझे फ्रेश होने की बहुत जल्दी पड़ी थी। मैं सीधा बाथरूम में जाकर नहाने लगा। बाथरूम में जाने से पहले मैंने मस्तराम की किताबों को फ़्रिज पर यूँ ही रख दिया। हम दोनों भाई बहन ही तो थे केवल इस वक़्त घर पर, और उसे पता था मेरी इस आदत के बारे में। इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

जब मैं नहा कर बाहर आया तो मेरी बहन को देखा कि वो किताबें देख रही है। उसने मुझे देखा और थोड़ा सा मुस्कुराई। मैंने भी हल्की सी मुस्कान दी और मैं अपने कमरे में चला गया। मैं काफी थक गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

रात के करीब ११ बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो !

मैं उठा और हाथ मुँह धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया, वहां आशिमा दीदी भी बैठी थी। असल में आज खाना आशिमा दीदी ने ही बनाया था। मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया। हम इधर उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी देखने लगे।

हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे, मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू । काफी देर बात चीत और टीवी देखने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे। मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया क्यूंकि मुझे अचानक अपने किताबों की याद आई। मुझे वहां पर बस एक ही किताब मिली जबकि मैं तीन किताबें लेकर आया था। सामने ही आशिमा दीदी बैठी थी इसलिए कुछ पूछ भी नहीं सकता था अपनी बहन से। खैर मैंने सोचा कि जब आशिमा दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से पूछूंगा।

थोड़ी देर तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो देखा मेरी बहन अपने कमरे में सोने जा रही थी, मैंने उसे आवाज़ लगाई,” निधि, मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं, एक तो मुझे मिल गई लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं ?”

“मेरे पास हैं, पढ़कर लौटा दूंगी मेरे भैया !” और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी।

मैंने कहा,” लेकिन तुम्हें दो दो किताबों की क्या जरुरत है? एक रखो और दूसरी लौटा दो, मुझे पढ़नी है।”

उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा कि आज नहीं कल दोनों ले लेना। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी पैन्ट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा। काफी देर तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने लण्ड को साफ़ करके सो गया।

रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुंचा। जैसे ही मैंने फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हंसने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने ध्यान दिया तो पता लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी। निधि का कमरा हॉल के पास ही है। मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं।

जैसे ही मैंने अपने कान लगाये मुझे निधि के साथ वो दूसरी आवाज़ भी सुनाई दी। गौर से सुना तो वो आशिमा दीदी थी। वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे। मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की, और जो सुना तो मेरे कान ही खड़े हो गए।

आशिमा दीदी निधि से पूछ रही थी,” हाय निधि, ये कहाँ से मिली तुझे? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते थे पहले, जब हमारी नई-नई शादी हुई थी !” Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

“अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं ?”

“हाँ, मुझे तो बहुत मज़ा आता है। लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है। और तुझे तो पता है कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती, और वो हैं कि कुछ समझते ही नहीं।”

“कोई बात नहीं दीदी, जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना, मैं आपको दे दूंगी।”

“लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से ?”

“अब छोड़ो भी न दीदी, तुम बस आम खाओ, पेड़ मत गिनो।”

“पर मुझे बता तो सही !”

“लगता है तुम नहीं मानोगी !”

“मैं कितनी जिद्दी हूँ, तुझे पता है न। चल जल्दी से बता !”

“तुम पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी !”

“अरे बाबा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं किसी को भी नहीं बताउंगी।”

“ये किताबें रिंकू लेकर आता है।’ Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

” हे भगवान् ..” आशिमा दीदी के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई,” तू सच कह रही है ? रिंकू लेकर आता है ?”

निधि उनकी शकल देख रही थी,”तुम इतना चौंक क्यूँ रही हो दीदी ?”

आशिमा दीदी ने एक लम्बी साँस ली और कहा,” यार, मैं तो रिंकू को बिलकुल सीधा-साधा और शरीफ समझती थी। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसी किताबें भी पढ़ता है।”

” इसमें कौन सी बुराइ है दीदी, आखिर वो भी मर्द है, उसका भी मन करता होगा !”

” हाँ यह तो सही बात है !” दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा,” लेकिन एक बात बता, ये किताब पढ़कर तो सारे बदन में हलचल मच जाती है, फिर तुम लोग क्या करते हो ? कहीं तुम दोनों आपस में ही तो…….??”

आशिमा दीदी की आवाज़ में एक अजीब सा उतावलापन था। उन्हें शायद ऐसा लग रहा था कि हम भाई-बहन आपस में ही चुदाई का खेल न खेलते हों।

इधर उन दोनों की बातें सुनकर मेरी आँखों की नींद ही गायब हो गई। मैंने अब हौले से अन्दर झांका और उन्हें देखने लगा। वो दोनों बिस्तर पर एक दूसरे के साथ लेटी हुई थी और दोनों पेट के बल लेट कर एक साथ किताब को देख रही थीं।

तभी दीदी ने फिर पूछा,” बोल न निधि, क्या करते हो तुम दोनों ?” आशिमा दीदी ने निधि की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथो से मसल डाला। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

” ऊंह, दीदी….क्या कर रही हो ? दर्द होता है..” निधि ने अपने उरोजों को अपने हाथों से सहलाया और आशिमा दीदी की तरफ देख कर मुस्कारने लगी।

आशिमा दीदी की आँखों में एक शरारत भरी चमक थी और एक सवाल था…. निधि ने उनकी तरफ देखा और कहा,” आप जैसा सोच रही हैं वैसा नहीं है दीदी। हम भाई-बहन चाहे जितने भी खुले विचार के हों, पर हमने आज तक अपनी मर्यादा को नहीं लांघा है। हमारा रिश्ता आज भी वैसे ही पवित्र है जैसे एक भा बहन का होता है।”

यह सच भी है, हम भाई-बहन ने कभी भी अपनी सीमा को लांघने की कोशिश नहीं की थी। खैर, आशिमा दीदी ने निधि के गलों पर एक चुम्बन लिया और कहा,” मैं जानती हूँ निधि, तुम दोनों कभी भी ऐसी हरकत नहीं करोगे।”

“अच्छा निधि एक बात बता, जब तू यह किताब पढ़ती है तो तुझे मन नहीं करता कि कोई तेरे साथ कुछ करे और तेरी चूत को चोद-चोद कर शांत करे, उसकी गर्मी निकाले ?” आशिमा दीदी के चेहरे पर अजीब से भाव आ रहे थे जो मैंने कभी भी नहीं देखा था। उनकी आँखे लाल हो गई थीं।

“हाय दीदी, क्या पूछ लिया तुमने, मैं तो पागल ही हो जाती हूँ। ऐसा लगता है जैसे कहीं से भी कोई लंड मिल जाये और मैं उसे अपनी चूत में डाल कर सारी रात चुदवाती रहूँ !” Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

“फिर क्या करती हो तुम ?”

निधि ने एक गहरी सांस ली और कहा,” बस दीदी, कभी कभी ऊँगली या मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ !”

दीदी ने निधि को अपने पास खींच लिया और उसके होठों पर एक चुम्मा धर दिया। निधि को भी अच्छा लगा। दोनों ने एक दूसरे को पकड़ लिया और सहलाना शुरू कर दिया।

यहाँ बाहर मेरी हालत ऐसी हो रही थी जैसे मैं तेज़ धूप में खडा हूँ, मैं पसीने पसीने हो गया था और मेरे लंड की तो बात ही मत करो एक दम खड़ा होकर सलामी दे रहा था। मैंने फिर उनकी बातें सुननी शुरू कर दी।

तभी अचानक मैंने देखा कि आशिमा दीदी ने निधि की टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी। निधि को बहुत मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिस्कारियां निकल रही थी।

“ऊफ दीदी….मुझे कुछ हो रहा है……आपकी उँगलियों में तो जादू है।”

फिर आशिमा दीदी ने पूछा,” अच्छा निधि एक बात बता, तूने कभी किसी लण्ड से अपनी चूत की चुदाई करवाई है क्या ?” Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

“नहीं दीदी, आज तक तो मौका नहीं मिला है। आगे भगवान् जाने कौन सा लण्ड लिखा है मेरे चूत की किस्मत में।” निधि अपनी आँखें बंद करके बाते किये जा रही थी,” दीदी, तुमने तो खूब चुदाई करवाई होगी अपनी, बहुत मज़े लिए होंगे जीजाजी के साथ…. बताओ न दीदी कैसा मज़ा आता है जब सचमुच का लण्ड अन्दर जाता है तो ….?”

“यह तो तुझे खुद ही महसूस करना पड़ेगा मेरी बन्नो रानी…. इस एहसास को शब्दों में बताना बहुत मुश्किल है…”

“हाय दीदी मुझे तो सच में जानना है कि कैसा मज़ा आता है इस चूत की चुदाई में …. तुमने तो बहुत मज़े किये है जीजाजी के साथ, बोलो न कैसे करते हो आप लोग? क्या जीजा जी आपको रोज़ चोदते हैं?”

तभी आशिमा दीदी थोड़ा सा उदास हो गई और निधि की तरफ देख कर कहा,”अब तुझे क्या बताऊँ, तेरे जीजा जी तो पहले बहुत रोमांटिक थे । मुझे एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ते थे। जब भी मन किया मुझे जहाँ मर्ज़ी वहा पटक कर मेरी चूत में अपना लंड डाल देते थे और मेरी जमकर धुनाई करते थे।”

“क्या अब नहीं करते ?” निधि ने पूछा।

“अब वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तो तेरे जिज्जाजी को टाइम ही नहीं मिलता और मैं भी अपने बच्चों में खोई रहती हूँ। आज कल तेरे जिज्जाजी मुझे बस हफ़्ते एक या दो बार ही चोदते हैं वो भी जल्दी जल्दी से, मेरी नाइटी उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बस १० मिनट में ही लंड का माल चूत में झाड़ देते हैं।”

यह बात सुनकर मेरा दिमाग ठनका। मैंने पहले कभी भी आशिमा दीदी को सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था। अब मेरे दिमाग में कुछ शैतानी घूमने लगी। मैं मन ही मन उनके बारे में सोचने लगा….। ऐसा सोचने से ही मेरा लंड अब बिल्कुल स्टील की रॉड की तरह खड़ा हो गया। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

आशिमा दीदी को उदास देख कर निधि ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा,” उदास न हो दीदी, अगर मैं कुछ मदद कर सकूँ तो बोलो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी, मेरा वादा है तुमसे।”

दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा,” मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी, फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल !”

“हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ ?”

“चल आज हम एक दूसरे को खुश करते हैं और एक दूसरे का मज़ा लेते हैं….” निधि थोड़ा सा मुस्कुराई और आशिमा दीदी को चूम लिया।

अपनी आँखों के सामने अपनी 2 बहनों को लेस्बियन सेक्स करते देख मेरा तो दिमाग ख़राब हो गया था, मेरी mastram sex story के चक्कर में साक्षात् lesbian sex के दर्शन हो रहे थे.. इस hindi sex kahani का आखिरी भाग-

आशिमा दीदी को उदास देख कर निधि ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा,” उदास न हो दीदी, अगर मैं कुछ मदद कर सकूँ तो बोलो। मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी, मेरा वादा है तुमसे।”

दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा,” मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी, फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल !” Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

“हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ ?”

“चल आज हम एक दूसरे को खुश करते हैं और एक दूसरे का मज़ा लेते हैं….” निधि थोड़ा सा मुस्कुराई और आशिमा दीदी को चूम लिया।

आशिमा दीदी ने निधि को बिस्तर से उठने के लिए कहा और खुद भी उठ गई। दोनों बिस्तर पर खड़े होकर एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी। निधि की पीठ मेरी तरफ थी और आशिमा दीदी का चेहरा मेरी तरफ। निधि ने आशिमा दीदी की नाईटी उतार दी और दीदी ने उसकी टी-शर्ट।

हे भगवान् ! मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने आशिमा दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था। वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। दूधिया बदन , सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो। उनकी चूचियां बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो। उनकी कमर २६ से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती। बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजो में समां जाये। कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया। उनकी गांड का साइज़ ३६-३७ के लगभग था। बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था। कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…..

हे भगवान् मैंने आज से पहले उनके बारे में कभी भी नहीं सोचा था।

इधर निधि के कपड़े भी उतार चुकी थी और वो भी ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी। उसका बदन भी कम सेक्सी नहीं था। 32 / 26/ 34…वो भी ऐसी थी किसी भी मर्द के लंड को खड़े खड़े ही झाड़ दे।

“हाय निधि, तू तो बड़ी खूबसूरत है रे, आज तक किसी ने भी तुझे चोदा कैसे नहीं। अगर मैं लड़का होती तो तुझे जबरदस्ती पटक कर तुझे चोद देती।”

“ओह दीदी, आप के सामने तो मैं कुछ भी नहीं, पता नहीं जिज्जाजी आपको क्यूँ नहीं चोदते ..”

“उनकी बातें छोडो, वो तो हैं ही बेवकूफ !” आशिमा दीदी ने निधि की ब्रा खोल दी और निधि ने भी हाथ बढ़ा कर दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया।

मेरी तो सांस ही रुक गई, इतने सुन्दर और प्यारे उरोज मैंने आज तक नहीं देखे थे। आशिमा दीदी के दो बच्चे थे पर कहीं से भी उन्हें देख कर ऐसा नहीं लगता था कि दो-दो बच्चों ने उनकी चूचियों से दूध पिया होगा….

खैर, अब निधि की बारी थी तो दीदी ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और साथ ही साथ उसकी पैंटी को भी उसके बदन से नीचे खिसकाने लगी। दीदी का उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कई जन्मों की प्यास हो।

निधि ने भी वैसी ही फुर्ती दिखाई और आशिमा दीदी के पैंटी को हाथों से निकालने के लिए खींच दिया। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

संगेमरमर जैसी चिकनी जांघों के बीच में फूले हुए पावरोटी के जैसे बिल्कुल चिकनी और गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया……..

मेरे होठों से एक सेक्सी सिसकारी निकली आर मैंने दरवाज़े पर ही अपना सारा माल गिरा दिया…….मेरे मुँह से निकली सिसकारी थोड़ी तेज़ थी । शायद उन लोगों ने सुन ली थी, मैं जल्दी से आकर अपने कमरे में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। कमरे की लाइट बंद थी और दरवाज़ा थोड़ा सा खुला ही था। बाहर हॉल में हल्की सी लाइट जल रही थी जिसमें मैंने एक साया देखा। मैं पहचान गया। यह निधि थी जो अपने बदन पर चादर डाल कर मेरे कमरे की तरफ ये देखने आई थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और वो सिसकारी किसकी थी।

थोड़ी देर वहीं खड़े रहने के बाद निधि अपने कमरे में चली गई और उसके कमरे का दरवाजा बंद हो गया, जिसकी आवाज़ मुझे अपने कमरे तक सुनाई दी। शायद जोर से बंद किया गया था। मुझे कुछ अजीब सा लगा, क्यूंकि आमतौर पर ऐसे काम करते वक़्त लोग सारे काम धीरे धीरे और शांति से करते हैं। लेकिन यह ऐसा था जैसे जानबूझ कर दरवाजे को जोर से बंद किया गया था। खैर जो भी हो, उस वक़्त मेरा दिमाग ज्यादा चल नहीं पा रहा था। मेरे दिमाग में तो बस आशिमा दीदी की मस्त चिकनी चूत ही घूम रही थी।

थोड़ी देर के बाद मैं धीरे से उठा और वापस उनके दरवाज़े के पास गया, और जैसे ही मैंने अन्दर झाँका …….Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

हाय ….बूर चाटू…..राजा….हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है….एक दम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघ लिया….सीईईईइ बहनचोद….साला बहुत उस्ताद हो गया….है…..है मेरे राजा…..सीईईईइ” मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फार दिया, यहाँ तक तक की दीदी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे.

होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दी से कपरे खोलो….” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ….लाइट आ जाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी…..साली …” कहते हुए अपने समीज को खोलने लगी. समीज खुलते ही दीदी कमर के ऊपर से पूरी नंगी हो गई. उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उनकी समीज के ऊपर से उनके चुचियों के निप्पल को मैं देखता रहा था.

फिर दीदी ने मेरा बरमुडा निकाल के अलग कर दिया, मैंने दीदी को बेड पे ही खड़ा कर दिया और दीदी का टी-शर्ट निकाला, फिर जीन्स ! Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

अब दीदी ब्रा और पैन्टी में थी। दीदी पैन्टी-ब्रा में क्या गज़ब की मस्त लग रही थी, क्योंकि दीदी का फ़िगर 36 28 36 था, बड़े बड़े स्तन और गांड बड़ी बड़ी थी। दीदी को नंगी देख मैं बहुत खुश हो रहा था और सोच रहा था कि आज तो दीदी मस्त चुदाई करुंगा क्योंकि ये सब मैं जिन्दगी में पहली बार देख रहा था और इन सब चीज़ों के लिये कब से तड़प रहा था।

मैंने दीदी दे स्तनों को ब्रा के ऊपर से खूब दबाया। फिर मैंने दीदी की पैन्टी नीचे खिसका दी। दीदी की बुर तो देखते ही बनती थी क्योंकि दीदी की बुर बिल्कुल साफ़ और डबलरोटी की तरह फूली हुई थी।

फिर मैंने दीदी की बुर की फांकों को खोल के देखा- क्या बुर थी दीदी की, बिल्कुल गुलाबी-गुलाबी ! ऐसा लग रहा था जैसे किसी राजा के महल में गुलाबी परदे लगे हों !

मैं अब बिल्कुल रोमांच से भर गया था और ऐसा लग रहा था कि कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ। मैंने दीदी से बोला- अब तो मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लो !

दीदी भी बिल्कुल गरम हो चुकी थी, दीदी ने मुझसे बेड पे लेटने के लिये कहा और खुद मेरे टांगों के बीच में आ के बैठ गई। मेरा लण्ड बिल्कुल छत की ओर ऐसे खड़ा था जैसे कोइ झंडे का डंडा खड़ा हो। फिर दीदी बड़े प्यार से मेरे लण्ड को फिर से सहलाने लगी और अंडे को चाटने लगी। मैंने पहले कभी मुठ नहीं मारा था इसीलिये मेरे सील टूटी नहीं थी और ना ही मैंने कभी झांट साफ किये थे इसलिये मेरे बड़े बड़े झांट भी थे। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

Didi मेरे अंडों को चाटते हुए लण्ड की ओर बढ़ने लगी और फिर लण्ड की जड़ के चारों ओर चाटने और हल्का हल्का काटने लगी। मुझे बड़ा ही मज़ा आ रहा था और इंतज़ार कर रहा था कि कब दीदी मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरेगी !
दीदी से स्तन मेरी जांघों में रगड़ खा रहे थे, मैं तो बिल्कुल सातवें आसमान में था। दीदी मेरे लण्ड के चारों ओर से काटते, चाटते हुए सुपाड़े की तरफ धीरे धीरे बढ़ रही थी। ऐसा लग रहा था कि दीदी मुझे जानबूझ के तड़पा रही हो।

फिर दीदी ने मेरे सुपाड़े के छेद में जीभ लगाई और धीरे धीरे जीभ से चाटने लगी और फिर थोड़ी देर बाद आखिर दीदी ने मेरे सुपाड़े को अपने मुँह में भर ही लिया। और जैसे दीदी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में भरा, मेरा पूरा शरिर ही झनझना गया, ऐसा लगा कि मेरा बरसों का इंतज़ार खत्म हुआ और बरसों की तमन्ना पूरी हुई। फिर दीदी लगी जम के लण्ड चुसाई करने।

थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब लगी, मैं बोला- दीदी एक मिनट रुको ! मैं सु-सु करके आता हूँ !
दीदी बोली- नहीं यहीं करो सु-सु !
मैं बोला- दीदी यहां कहां करुँ सु-सु ?
दीदी बोली- मेरे मुँह में !
मैं बोला- दीदी मुझे बड़ी जोर से सु-सु लगी है और एक बार जो सु-सु करना शुरु होगा तो मैं बीच में नहीं रोक सकूंगा और फिर बिस्तर भी गीला हो जायेगा। Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

दीदी बोली- मैं नीचे बैठ जाती हूँ, मुझे एक बर थोड़ा सा स्वाद चखना है और अगर अच्छा लगा तो पूरा पी जाउंगी !
फिर दीदी नीचे बैठ गई, मैं दीदी के मुँह में लण्ड डाल लगा मूतने जोरों से !
दीदी दो चार घूंट पी गई लेकिन पूरा मुँह भर जाने के कारण पी नहीं सकी और फिर अपने चेहरे पर, वक्ष पर, बुर में गिराने लगी।
फ़िर मैंने पूछा- दीदी, कैसा लगा स्वाद ?
दीदी बोली- बहुत ही मज़ा आ रहा था, लेकिन थोड़ा धीरे धीरे करते तो मैं पूरा पी जाती !
मैं बोला- ठीक है, अगली बार धीरे धीरे करुंगा !
फिर दीदी ने कमरे में पोंछा लगाया और बोली- अब तुम थोड़ा स्वाद ले के देखो सु-सु का !
मैं बोला- नहीं मुझे नहीं करना है टेस्ट ! दीदी बोली- बिल्कुल थोड़ा सा ही करुंगी, अगर अच्छा नहीं लगा तो दुबारा नहीं बोलूंगी !

फिर मैं नीचे लेट गया और दीदी मेरे मुँह में बुर लगा के ऐसे बैठ गई जैसे बाथरुम में सु-सु करते हैं और लगी जोर लगाने सु-सु करने को।
लेकिन दीदी को तो सु-सु लगी ही नहीं थी इसलिये बहुत जोर लगाने से 4-5 बून्द सु-सु ही कर पाई मेरे मुँह में।
दीदी ने पूछा- कैस लगा टेस्ट?
मैं बोला- बहुत ही नमकीन, खटटा और थोड़ी बदबू भी !
दीदी बोली- मुझे तो अच्छा लगा !
मैं बोला- लेकिन दीदी आपकी बुर चाटने मज़ा आ रहा था !

तो दीदी बोली- तो फिर जम बुर ही चाट दो !
फिर हम बिस्तर में आ गये और मैं दीदी के होंटो पे चुम्बन करने और चूसने लगा। दीदी के होंटो को चूसते, चाटते हुए दीदी के कान पे जीभ फिराने लगा। दीदी बहुत ही गरम हो गई थी, कान को चाटते गले से होते हुए वक्ष को चाटने लगा लेकिन दीदी के चुचूकों के पास जा कर चुचूक को मुँह में लिये बगैर ही दूर हो जाता था। दीदी चुचूक चुसवाने के लिये तड़पने लगी और जबर्दस्ती मेरे मुँह में अपने चुचूक पकड़ के ठूंस दिए।

मैं दीदी का एक चुचूक चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने सहलाने लगा। फिर धीरे धीरे मैं दीदी की बुर की ओर बढ़ने लगा और बुर के चारों ओर चूस-चूस दीदी की बुर लाल कर दी। फिर दीदी बुर चटवाने के लिये छटपटाने लगी और मेरा सर पकड़ के जबर्दस्ती अपने बुर में धंसा दिया। मैं लगा दीदी की बुर और बुर के दाने चूसने-चाटने ! Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

फिर थोड़ी देर में हम फिर 69 करने लगे। दीदी फिर से मेरा लण्ड जम चूसने लगी। फिर मैं बेड पे खड़ा हो गया और दीदी घुटनों के बल बैठ गई, मैंने दीदी का सर पकड़ के लौड़ा घुसा दिया। दीदी ओ-ओ करने लगी और दीदी की आंख से आंसू आ गये। मैं दीदी के मुँह को बड़े प्यार चोदने लगा। दीदी ने एक हाथ से मेरी गांड को सहलाते हुए मेरे गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसेड़ दी। अब मुझे डबल मज़ा आने लगा। फिर दीदी दूसरे हाथ मेरे लण्ड को हिलाते हुए चूसने लगी। मेरे लण्ड में हल्का हल्का दर्द होने लगा। दीदी बड़े जोरों से मेरे लण्ड हिलाने और चूसने लगी और दूसरे हाथ की दो उंगलियाँ मेरी गांड में घुसेड़ के अंदर-बाहर करने लगी। मुझे बहुत मज़ा आने लगा और पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं दीदी के मुँह में ही झड़ गया।

दीदी मेरा पूरा लण्ड का रस चूस-चूस के पी गई।
मेरा लण्ड खड़ा तो था लेकिन थोड़ा ढीला पड़ गया था और दर्द भी होने लगा था। दीदी तो लौड़े का रस पी के बिल्कुल गरम हो चुकी थी और बोली- भाई, अब मुझे जम के चोद दो !
मैं बोला- दीदी लण्ड तो खड़ा है लेकिन इसमें दर्द बहुत हो रहा है मैं चोद नहीं सकूंगा !
फिर दीदी बोली- कोइ बात नहीं, जब तुम्हारा लण्ड सही हो जायेगा तब चोद देना ! लेकिन अभी तो इसे चूस-चाट के झड़ा दो ! Main didi aur mastram story new antarvasna hindi sex stories

मैं बोला- दीदी, हां ! मैं ये कर सकता हूँ !
फिर दीदी टांग फैला के लेट गई और मैं दीदी की चूत चाटने लगा। दीदी मेरा सर पकड़ के जोर जोर से चटवा रही थी। फिर दीदी मेरे मुँह पे ही झड़ गई।
इसी तरह रात भर में 5-6 बार मेरे मुँह में झड़ी और मैं दीदी का सारा माल चाट-चाट कर पी गया और जब घड़ी देखी तो सुबह के पांच बज रहे थे।
फिर हम दोनों थक के चूर हो गये थे और फिर हम लुढ़क के चिपक के सो गये।

——–समाप्त——–

यारो मेरी तो लाइफ बन गयी.. अब तो मैं दीदी को रोज़ चोदता.. मेरी mastram sex story ने जन्नत दिखा दी।

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