Hot bahan gay bhai story
मेरी दीदी बहुत हॉट थी, बुड्ढो का भी खड़ा कर दे. पर मेरा नही, मैं तो गे बन चूका था. मेरी दीदी ने तय किया की वो मुझे वापिस स्ट्रैट बना के रहेगी. एक बहुत की रोचक Hot bahan gay bhai story पेश है..
मैं रोहित , दीदी वीणा और मम्मी अनीता , तीन लोगों का परिवार है हमारा । वीणा की उम्र 26 वर्ष है , वो मुझसे तीन साल बड़ी है । एक सरकारी बैंक में कैशियर है। घर का खर्चा उसी की तनख्वाह से चलता है।
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पहले तो मैं भी आम लड़कों जैसा था , पर कुछ गलत लड़कों के संपर्क में आने से रास्ते से भटक गया। धीरे धीरे लड़कियों की तरफ मेरी रूचि बिलकुल ही खत्म हो गयी । उनकी तरफ देखने से मेरे शरीर में कोई हरकत नहीं होती थी , जैसी की अन्य लड़कों को होती है । मेरी दोस्ती सिर्फ सुन्दर लड़कों से थी। ये सब बातें मेरी मम्मी और दीदी को पता नहीं थी। लेकिन सच कभी न कभी सामने आ ही जाता है।
एक दिन मम्मी बोली , ” मैं कुछ दिन के लिए तुम्हारी मौसी के यहाँ जा रही हूँ । तुम दोनों भाई बहन ठीक से अपना ख्याल रखना और तू ज्यादा आवारागर्दी मत करना। घर के कामों में दीदी का हाथ बटाना , समझ गया ? ”
मैंने कहा , ” हाँ हाँ , आप चिंता मत करो , मैं सब समझ गया।”
फिर उनको स्टेशन जाकर ट्रेन में बिठा आया।
बाद में वीणा दीदी अपने बैंक चली गयी और मैं अपने कॉलेज चला गया।
इंटरवल में एक साथी मिल गया । जब उसको पता चला आज घर पर कोई नहीं है तो उसने कहा चलो तुम्हारे घर चलते हैं । कॉलेज छोड़कर कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक्स वगैरह लेकर हम घर आ गये । हमारे पास मौज मस्ती के लिए 3 – 4 घंटे थे सो कोई फ़िक्र नहीं थी । दीदी शाम 6 बजे से पहले नहीं आती थी । Hot bahan gay bhai story
हमने सोफे पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक्स पी । फिर थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में चले आये । कमरे में तेज वॉल्यूम में म्यूजिक चला दिया और फिर हम दोनों का बेड पर कार्यक्रम चालू हो गया । तभी किसी ने मेरे कमरे का दरवाज़ा खोला । मैंने चौककर सर उठा के देखा , आधा दरवाजा खोलकर वीणा दीदी आँखें फाड़े हमें देख रही थी , उसका मुंह खुला हुआ था । ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो ।
मेरे होश उड़ गये , दिमाग ने काम करना बंद कर दिया । जब हमारी नज़रें मिली तो उसने अविश्वास की दृष्टि से मुझे देखा और अपने खुले मुंह पर हाथ रख लिया । फिर तुरंत पलटकर चली गयी । तेज म्यूजिक की वजह से हमें पता ही नहीं चला वो कब घर आ गयी । अब मेरा राज खुल चुका था , मेरी फट के हाथ में आ गयी । फिर मैंने फटाफट कपड़े पहने और लात मारकर साथी को भगा दिया । इसी साले ने कहा था तेरे घर चलते हैं ।
अब उसको तो भगा दिया पर मैं वीणा दीदी का सामना कैसे करूँ ? वो मम्मी को भी बता देगी । बहुत देर तक बिस्तर पर लेटे लेटे सोचता रहा , क्या कहूंगा ? सोचा जाकर उसके पैर पकड़ने की एक्टिंग करूँगा । कुछ इमोशनल डायलाग मार दूंगा । आखिर भाई ठहरा , उसका दिल पिघल जायेगा । मम्मी को न बताने की रिक्वेस्ट करूँगा ।
फिर मैंने हिम्मत जुटायी और सोचा जो होना था वो तो हो चुका । आगे की फिर देखेंगे और चल पड़ा वीणा दीदी के कमरे की ओर । मैंने उनके दरवाज़े पर नॉक किया तो उन्होंने दरवाजा खोला । उनकी आँखों में आंसू थे वो शायद तब से अपने कमरे में रो रही थी । उन्होंने मुझे देखा और मुड़कर कमरे में अंदर चली गयी । मैं भी पीछे चला आया वो बेड पर सर झुकाकर बैठ गयी । Hot bahan gay bhai story
मैं भी उसके सामने सर झुकाकर खड़ा हो गया । घबराहट में हाथ मलते मलते , बीच बीच में उसको देख लेता था । वो सर झुकाये रही कुछ नहीं बोली । शायद उसको बहुत तेज शॉक लगा था ।
फिर हिम्मत जुटाकर मैंने कहा , “ सॉरी दीदी ।“
उसने बिना सर उठाये पूछा , ” कब से चल रहा हैं ये सब ।”
मैंने जवाब दिया , ” तीन साल से ।”
वो चौंकी , ” तीन साल से ? और यहाँ हमें कुछ खबर ही नहीं ।”
फिर पहली बार उन्होंने नज़रें उठायी और मेरी तरफ गुस्से से देखा । वो मुझे ऐसे देख रही थी जैसे मैंने उन्हें कोई बहुत बड़ा धोखा दे दिया हो और वो बहुत हर्ट फील कर रही हो ।
मैं चुपचाप नज़रें झुकाये , जैसे कोई बच्चा अपनी टीचर के सामने खड़ा होता है , वैसे ही उनके सामने खड़ा रहा ।
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वीणा दीदी को कैसे समझाऊँ ?
उन्होंने फिर से गुस्से से पूछा , ” यह लड़का कौन था ? ”
मैंने कहा , ” मेरे कॉलेज का ही है ।”
उन्होंने फिर गुस्से से कहा , ” यही सब काम करता था तू हमारी एब्सेंस में ? ” Hot bahan gay bhai story
मैंने कहा , ” गलती हो गयी , आज पहली बार घर में लाया हूँ । ”
फिर उसको भी कुछ समझ नहीं आया कि वो अब क्या बोले ? 5 मिनट तक सर झुकाये सोचती रही ।
फिर बोली, ” अच्छा तू जा अब , मैं बाद में बात करुँगी ।”
मेरी जान छूटी , मैं फटाफट अपने कमरे में वापस आ गया । उनके कमरे में टेंशन से मेरा सर फट रहा था ।अपने कमरे में आकर कुछ सुकून मिला।
फिर वीणा दीदी ने मुझसे बोलना कम कर दिया । खाना खिला देती थी , ज्यादा कुछ बात नहीं करती थी । अपनी सोच में डूबी रहती थी ।
फिर कुछ दिनों के बाद जब मम्मी वापस आयी तो वीणा दीदी ने उन्हें सब कुछ बता दिया ।
अब चौंकने की बारी मम्मी की थी । उन्होंने रो धो के घर सर पर उठा लिया । तेरे पापा नहीं है , कहाँ तो अपनी मम्मी और दीदी की मदद करेगा । ये सब गंदे काम करता है । हमें कितनी उम्मीद थी तुझसे ।और भी न जाने क्या क्या किट- पिट किट-पिट। थोड़ी देर में ही मेरे कान पक गये और मैं गुस्से से अपने कमरे में चला आया ।
फिर मम्मी ने मेरा पीछा ही नहीं छोड़ा , हर समय समझाती रहती थी । साधु बाबाओं के पास जाकर ताबीज भी बना लायी , मुझे जबरदस्ती पहना दिये । लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ , मुझे तीन साल से आदत पड़ चुकी थी । अब मेरा बदलना संभव नहीं था ।
एक दिन मैं अपने कमरे में कुछ मैगजीन्स ढूँढ रहा था पर मिल नहीं रही थी । वीणा दीदी ने मुझे सब उलटते पलटते देखा तो बोली , ” क्या ढूँढ रहा है ? ”
मैंने कहा, ” कुछ फ़िल्मी मैगजीन्स थी , उन्हीं को ढूढ़ रहा हूँ । ” Hot bahan gay bhai story
उन्होंने कहा , ” फिल्मी मैगजीन्स का शौक़ कब से लग गया तुझे ? मैंने तो कभी तेरे पास फ़िल्मी मैगजीन्स नहीं देखी । ”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया ।
फिर वो बोली , ” जो तू ढूँढ रहा है वो मेरे पास है ।”
अब चौंकने की बारी मेरी थी ।
” मैंने तेरे कमरे की तलाशी ली थी । उसमें मुझे 3 – 4 वो मैगजीन्स मिली जिन्हें तू पढ़ता है । लेकिन कान खोलकर सुन ले , आगे से तेरे कमरे में कुछ भी ऐसा मिला तो तुझे इस घर में घुसने नहीं दूंगी । ”
मम्मी और दीदी में हमेशा ही कुछ न कुछ खिचड़ी पकती रहती थी और मेरे सामने आने पर वो दोनों चुप हो जाते थे । कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि वीणा दीदी का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया है । दीदी मेरे सामने ऐसा शो करती जैसे वो इस ट्रांसफर से खुश नहीं हैं । पर मैं जानता था कि उन्होंने जानबूझकर ये ट्रांसफर करवाया है ताकि मुझे मेरे दोस्तों की संगत से छुटकारा दिलाया जा सके । Hot bahan gay bhai story
फिर कुछ दिनों बाद हम सब नए शहर में शिफ्ट हो गये । मेरा भी ग्रेजुएशन हो चुका था । कुछ समय बाद वीणा दीदी ने अपने बॉस की मदद से मेरी भी जॉब एक प्राइवेट बैंक में लगवा दी ।नयी जगह में आकर मम्मी को थोड़ा सुकून मिला था और वीणा दीदी भी थोड़ा हल्का महसूस कर रही थी ।
उन्हें लगा कि मैं जितना बिजी रहूँगा उतना ही उन चीज़ों से दूर रहूँगा और धीरे – धीरे मेरा लड़कियों की तरफ आकर्षण बढ़ेगा पर ऐसा न तो कुछ होना था न हुआ । मुझे यहाँ भी कुछ अपने जैसे मिल ही गये और फिर वही सिलसिला चल निकला ।
वीणा दीदी और मम्मी मुझ पर अब भी नज़र रखते थे । एक दिन दीदी ने मेरे मोबाइल पर किसी का मैसेज पढ़ लिया जिसमें अगले दिन मिलने का वादा था ।
फिर क्या था दीदी अगले दिन मेरे बैंक पहुँच गयी और मुझे वहां न पाकर भड़क गयी ।
शाम को जब मैं घर लौटा तो मम्मी और दीदी दोनों ने मुझे खूब खरी खोटी सुना दी ।मुझे भी गुस्सा आ गया और मैं घर छोड़ कर निकल पड़ा । रात एक होटल में काटी और सुबह वंही से बैंक चला गया । वीणा दीदी ने रात भर मुझे कॉल किया पर मैंने एक भी कॉल रिसीव नहीं की । सुबह दीदी मेरे बैंक आयी और मुझे सॉरी बोलने लगी और शाम को घर वापस आने को कहा । मेरा गुस्सा खत्म हो गया , मैंने कहा आ जाऊंगा ।शाम को जब घर पहुंचा तो वीणा दीदी मुझे छत पर ले गयी और समझाने लगी, Hot bahan gay bhai story
” देख कुछ समय बाद मैं शादी कर के चली जाऊँगी उसके बाद माँ का क्या होगा ? तू कुछ तो सोच ज़रा ?
मैंने कहा “ माँ की देखभाल के लिए मैं हूँ तो । ”
दीदी बोली , ” मैं जानती हूँ कि तू है । पर अगर तेरी शादी हो जायेगी तो तेरी बीवी , माँ का ज्यादा अच्छा ख्याल रखेगी । है कि नहीं ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मेरी शादी कर के भी आपको क्या मिलेगा ?”
दीदी , ” मतलब ? ”
मैंने कहा , ” ये कि मैं जब अपनी बीवी को खुश ही नहीं रख पाऊँगा तो शादी का क्या मतलब रह जायेगा …वो कुछ ही दिनों मैं मुझे छोड़ कर चली जायेगी । ”
वीणा दीदी अब चुप हो गयी और सोच में पड़ गयी ।
फिर बोली , ” देख मैंने एक डॉक्टर से बात की है । उसने बताया है कि क्योंकि तेरी ये प्रॉब्लम बचपन से नहीं है इसलिए तू अभी भी ठीक हो सकता है ।”
मैंने उनकी तरफ देखा और दुखी होकर कहा , ” दीदी आप कितना भी जतन कर लो पर मुझे अब कोई नहीं सुधार सकता ।” Hot bahan gay bhai story
दीदी बोली , ” ठीक है तू मुझे एक महीने का टाइम दे और प्रॉमिस कर कि इस एक महीने में तू अपने उन साथियों से नहीं मिलेगा और एक महीने तक मैं जैसे बोलूंगी वैसे ही करेगा । ”
मैंने कहा “ दीदी एक महीने में कुछ नहीं होगा । आप बेकार में ही अपना टाइम waste कर रही हो । ”
दीदी बोली , “ठीक है , अगर नहीं हुआ तो तू जैसे चाहे अपनी लाइफ जीना । मैं या मम्मी तुझे नहीं रोकेंगे । लेकिन मुझे ये आखिरी कोशिश करने दे। ”
मैंने उनकी आँखों में देखा और पूछा , “ पक्का ? ”
दीदी बोली , ” एकदम पक्का …पर एक महीना मेरी हर बात माननी पड़ेगी । प्रॉमिस कर ।”
मेरी तो बांछे खिल गयी । रोज़ रोज़ की टोका टोकी से मैं भी बहुत परेशान हो गया था । मैंने सोचा एक महीना काटना है, फिर वादे के अनुसार मुझे कोई न रोकेगा न टोकेगा ।
मैंने उनका हाथ पकड़ा और बोला , “ प्रॉमिस , एक महीना आपके नाम ।”
फिर हम छत से नीचे आ गये ।
अगले दिन जब मैं सो कर उठा तो मम्मी मामाजी के घर जाने को तैयार हो रही थी । Hot bahan gay bhai story
बोली , कुछ दिनों के बाद आऊंगी।
बाद में हम दोनों भाई बहन तैयार होकर अपने अपने काम पर निकल पड़े । पर चलते चलते वीणा दीदी ने मुझे अपना प्रॉमिस याद दिलाया , आज से एक महीने तक घर से ऑफिस , और ऑफिस से घर । इधर उधर बिना उन्हें बताये कहीं नहीं जाना ।
मैंने सोचा , चलो देखते हैं एक महीने में ये क्या उखाड़ लेंगी ।
शाम को जब मैं घर वापस आया तो वीणा दीदी को देख कर हैरान रह गया ।
उन्होंने अपने बाल कटवा कर बॉय कट करवा लिए थे । बिलकुल एयरटेल 4G गर्ल की तरह ।
मैंने उनसे पूछा , ” दीदी ये क्या किया आपने बाल क्यों कटवा लिए ? ”
दीदी बोली , “ यहाँ का पानी मेरे बालों को सूट नहीं कर रहा है । बहुत बाल झड़ रहे थे इसलिए कटवा लिये । कैसा लगा मेरा नया लुक ? ” Hot bahan gay bhai story
मैंने जवाब दिया , ” लुक तो अच्छा है पर आपको नहीं लगता कुछ ज़्यादा कटवा दिए आपने ? “दीदी बोली , “छोड़ ना !! बालों का क्या है फिर बढ़ जायेंगे । तू ये बता मैं कैसी लग रही हूँ ? अच्छी लग रही हूँ कि नहीं ? ”
मैंने बोला , ” दीदी तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो ।”
दीदी बोली , ” ओके ! चल तू हाथ मुंह धोले , मैं तेरे लिये चाय लाती हूँ ।”
रात को दीदी मेरे कमरे में आयी और बोली , ” आज से मैं तेरे कमरे में ही सोऊँगी । ”
मैंने कहा , ” पर क्यों ? ”
दीदी बोली , ” भूल गया , मैंने कहा था एक महीने तक जो मैं कहूँगी वही करना पड़ेगा ? ”
मैंने हँसते हुए कहा , ” ओके !! एक महीना आप जो मर्ज़ी आये वो करो । ”
वो हंसी और बोली , ” चल फिर थोड़ा खिसक जा ।”
मैंने थोड़ा खिसककर अपने बेड पर उन्हें जगह दी और लाइट ऑफ कर दी ।
दीदी ने अपना हाथ मेरे सीने पर रख लिया और काफी देर तक हम इधर उधर की बातें करते रहे फिर सो गये ।
अगले दिन जब मैं शाम को घर वापस आया तो देखा दीदी नीली जीन्स और सफ़ेद टॉप पहनकर कहीं जाने की तैयारी में हैं । Hot bahan gay bhai story
मैंने कहा , ” दीदी क्या बात है आज जीन्स टॉप ? ”
दीदी हमेशा साड़ी या सलवार सूट ही पहनती थी । इसलिए उन्हें पहली बार जीन्स टॉप में देख कर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ ।
दीदी बोली , ” हाँ मोनू , ये कुछ दिन पहले मैंने खरीदे थे पर कभी पहन नहीं पायी । क्यूंकि मम्मी को पसंद नहीं थे । पर अब मम्मी की absence में तो पहन ही सकती हूँ । ”
मैं बोला , “ क्यों नहीं , ये मॉडर्न ड्रेस तो आप पर बहुत सूट कर रही है । ”
दीदी खुश होते हुए बोली , ” तू सच कह रहा है या मेरा मज़ाक उड़ा रहा है ? ”
मैंने बोला , ” तुम्हारी कसम दीदी एकदम सच ! तुम वाकई सुन्दर दिखती हो इस ड्रेस में ।”
दीदी कुछ सामान अपने पर्स में रखते हुए बोली , ” चल अपना बैग रख और मेरे साथ ज़रा मार्केट चल , कुछ शॉपिंग करनी है । ”
मैंने कहा , “ 2 मिनट दीदी , मैं ज़रा फ्रेश हो लूँ ।” Hot bahan gay bhai story
दीदी , ” ठीक है जल्दी कर । ”
फिर हम मार्केट गये । दीदी ने कुछ घर का सामान खरीदा और अपने लिये कुछ मॉडर्न ड्रेस
जीन्स , टॉप्स , शार्ट स्कर्ट्स , लॉन्ग स्कर्ट्स लिये । दीदी ने सारे ड्रेस मेरी पसंद से खरीदी ।
फिर हमने बाहर ही खाना खाया और घर आ गये ।
रात को दीदी सोने के लिये फिर मेरे कमरे में आयी । उन्होंने कॉटन का नाईट सूट पहना था ।
वो मेरे बगल में आकर लेट गयी और बोली , ” मोनू , एक बात पूछूं ? ”
मैंने कहा , “ पूछो दीदी । ”
दीदी बोली , ” सच सच बताना , क्या तेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं रही ? ”
मैंने कहा , ” नहीं दीदी , कभी नहीं । ” Hot bahan gay bhai story
दीदी बोली , ” अच्छा ये बता तुझे आजतक कोई भी लड़की अच्छी नहीं लगी ? ”
मुझे थोड़ी हंसी आयी और मैंने कहा , ” नहीं दीदी , पहले तो सभी अच्छी लगती थीं पर अब नहीं लगती । ”
दीदी बोली , “ तुझे लड़कों में क्या इतना अच्छा लगता है ? ”
मैं थोड़ी देर चुप रहा । फिर बोला , ” दीदी आप सो जाओ । मैं लाइट बंद कर देता हूँ । ”
और मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी ।
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दीदी बोली , ” तुझे नहीं बताना है तो मत बता । पर तूने प्रॉमिस किया था कि तू मेरी एक महीने तक हर बात मानेगा । ”
मैंने दीदी के बगल में लेटते हुए कहा , ” ओहो दीदी !! अब आपको क्या बताऊँ कि मुझे लड़कों में क्या अच्छा लगता है , मुझे नहीं पता । लेकिन जब भी मैं किसी सुन्दर लड़के को देखता हूँ तो ….। ”
दीदी बोली , ” तो क्या ? ”
मैंने कहा , ” तो मैं excited हो जाता हूँ और मेरा erect हो जाता है ।”
दीदी आश्चर्य से बोली , ” रियली ? ”
फिर थोड़ी देर बाद बोली , “ अच्छा एक बात बता । अगर कोई तुझे नीचे वहां टच करे तब भी क्या तेरा erection नहीं होता ? ”
मैंने कहा , ” वो तो इस पर depend करता है कि टच करने वाला कौन है ? लड़का है या लड़की । ”
दीदी बोली , ” ओके । ” Hot bahan gay bhai story
फिर दीदी 2-3 मिनट तक कुछ नहीं बोली ।
फिर उन्होंने कहा , ” पता नहीं मुझे ऐसा क्यों लगता है कि अगर ….। ”
मैंने कहा , “ अगर क्या दीदी ? ”
दीदी बोली , ” अगर मैं तुझे वहां टच करूँ तो तेरा …..। ”
मैं बोला , ” क्या बेहूदी बात है ? आप भी ना ! कुछ भी बोल देती हो ।”
दीदी बोली , ” अरे इसमें बेहूदगी की क्या बात है । मैं तो सिर्फ तुम्हारी मदद करने की कोशिश कर रही हूँ । ”
मैंने कहा , ” दीदी अब आप सो जाओ । बहुत रात हो गयी है ? ”
दीदी बोली , ” मुझे नहीं सोना , वैसे भी कल संडे है । ”
मैंने कहा , ” नहीं सोना है तो मत सो और जो करना है करो । ”
दीदी बोली , ” सच ? ”
मैंने कहा , ” क्या सच ? ” Hot bahan gay bhai story
दीदी बोली , ” यही कि जो मैं चाहूं , करूँ ? ”
मैंने कहा , “ आपको जो करना है करो । गुड नाईट ! ”
दीदी बोली , ” ठीक है फिर अपना पायजामा उतार , मुझे तेरा erect करना है । ”
मैंने चौंकते हुए कहा , ” क्या ? पागल हो गयी हो ? आपको पता भी है क्या बोल रही हो ? ”
दीदी बोली , ” हाँ पता है मुझे । जब तक मुझे कन्फर्म नहीं हो जाता । मैं कैसे मान लूँ कि तेरा erection सिर्फ लड़कों के लिये ही होता है ? ”
मैंने झुंझलाते हुए कहा , ” ओहो दीदी , प्लीज ट्राई टू अंडरस्टैंड ।”
दीदी बोली , ” तुमने प्रॉमिस किया था मेरी हर बात मानोगे ।”
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और ऐसे ही लेटा रहा ।
दीदी मेरे कान के पास अपना मुंह लायी और मादक आवाज़ में बोली , ” एक बार मुझे try करने दे ना प्लीज । ”
वो सोने देने वाली नहीं थी । इसलिये हारकर मुझे उनकी बात माननी पड़ी । मैंने कोई जवाब दिये बगैर अपना लोअर और अंडरवियर कमर से नीचे सरका दिया । दीदी ने लंड पर अपना हाथ रख दिया । लंड में कोई हरकत नहीं हुई । दीदी ने अपने हाथ से उसे सहलाना शुरू किया पर कोई रिस्पांस नहीं मिला । दीदी कभी लंड की चमड़ी को ऊपर करती , कभी उसकी मुठ मारती ,कभी मेरी गोलियों को सहलाती , पर लंड में कोई हरकत नहीं होती। करीब 10 मिनट तक ऐसे ही try करने के बाद दीदी ने मेरा लोअर ऊपर सरका दिया ।
उनकी इस नाकामयाबी से मुझे भी बहुत निराशा हुई और मैं उदास हो गया । दीदी मुझे दिलासा देने लगी और मुझे अपने सीने से लगा लिया और मैं ऐसे ही उनसे लिपट कर सो गया । Hot bahan gay bhai story
अगले दिन वीणा दीदी ने मुझे कहा , ” मुझे तुम अपना दोस्त समझो और किसी लड़के की तरह ही ट्रीट करो । ”
और ये भी कहा कि जो कुछ रात को हुआ उसको लेकर भी मैं गिल्ट फील ना करूँ ।
मैं उनकी इस guilt ना फील करने वाली बात से बहुत खुश हुआ और मेरा दिल का बोझ कुछ हल्का हो गया ।
शाम को वीणा दीदी मेरी लड़कों वाली पोर्न मैगजीन्स मुझे देते हुए बोली कि मैं बाद में उनके सामने ही उन मैगजीन्स को पडूँ ।
मैंने उनकी बात मान ली । रात को वीणा दीदी मेरे कमरे में आयी और मेरे बगल में लेटकर बोली , “अब निकाल मैगजीन्स और पढ़ । ”
मैंने कहा , ” दीदी रहने दो ना मुझे शर्म आ रही है । ”
दीदी बोली, ” अच्छा अब तुझे शर्म आ रही है और उस दिन जो तू उस लड़के पर चढ़ा पड़ा था तब तुझे शर्म नहीं आयी थी ? ”
मैंने कहा “ उस दिन मुझे थोड़े ही पता था कि आप आ जाओगी ।”
दीदी बोली, ” चल अब बातें बनाना छोड़ और मैगज़ीन निकाल ।”
मैंने बेड के नीचे से एक मैगज़ीन निकली और दीदी की तरफ उछाल दी ।
दीदी ने मैगज़ीन ली और पन्ने पलटकर देखने लगी और उनके मुंह से निकला ,
” इतना मोटा ! ” फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली , “ लड़कों को वहां दर्द नहीं होता क्या ? ”
नाकामयाबी के बावजूद दीदी का मुझे स्ट्रैट बनाने का जूनून कम नहीं हुआ था। गे मैगज़ीन से ही सही, पर मेरा उनके सामने खड़ा तो हो.. , अब देखिये इन gay stories में आगे क्या होता है..
दीदी बोली, ” चल अब बातें बनाना छोड़ और मैगज़ीन निकाल ।”
मैंने बेड के नीचे से एक मैगज़ीन निकली और दीदी की तरफ उछाल दी ।
दीदी ने मैगज़ीन ली और पन्ने पलटकर देखने लगी और उनके मुंह से निकला , Hot bahan gay bhai story
” इतना मोटा ! ” फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली , “ लड़कों को वहां दर्द नहीं होता क्या ? ”
मुझे उनकी बात पर हंसी आ गयी , मैंने कहा , “ शुरू शुरू में होता है । बाद में आदत हो जाती है और मज़ा आता है । ”
दीदी बोली , “ तुझे भी तो शुरू शुरू में दर्द हुआ होगा ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मुझे क्यों दर्द होगा ? ”
दीदी बोली , “ क्यों तेरे साथ नहीं किया किसी ने ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मुझे देने में नहीं , लेने में मज़ा आता है ” और मैं हंस दिया ।
दीदी ने मैगज़ीन मेरे सर पर मारी और बोली , “ तो इसका मतलब तेरी किसी ने नहीं ली ? ”
मैंने हँसते हुए कहा , ” हाँ “।
दीदी बोली , ” चल अब मैगज़ीन पढ़ मैं देखना चाहती हूँ , तेरा खड़ा होता है कि नहीं ।”
वीणा दीदी के मुंह से ” खड़ा ” शब्द सुन कर मैं चौंक गया ।
उन्होंने मुझे अपनी तरफ देखता पाकर कहा , ” ऐसे क्या देख रहा है ? खड़ा ही तो बोलते हैं erection को ।”
मैंने चुपचाप उनके हाथ से मैगज़ीन ली और पन्ने पलटने लगा । पर मेरा मन दीदी के साथ बैठकर कुछ भी देखने या पढ़ने का नहीं Hot bahan gay bhai story
हो रहा था । 2-3 मिनट तक मैं ऐसे ही पन्ने पलटता रहा।
तभी दीदी ने टोक दिया , ” अरे पढ़ ना ! पन्ने क्यों पलट रहा है ? ”
मैंने कहा , ” दीदी मेरा आप के साथ बैठ कर पढ़ने का मन नहीं हो रहा है ।”
दीदी बोली , ” क्या अब भी शर्म आ रही है ? ”
मैंने कहा , ” बात शर्म की नहीं है । एक तो आप लड़की, ऊपर से मेरी दीदी । मुझे बहुत guilty फील हो रहा है । ”
दीदी बोली , ” ओह ! ऐसी बात है । ”
दीदी कुछ सोचने लगी , फिर बोली , ” देख ऐसा करते हैं , तू सोच कि मैं तेरी वीणा दीदी ना होकर तेरा भाई हूँ और तेरा बेस्ट फ्रेंड भी ।
तू बेहिचक मेरे सामने ऐसा behave कर जैसा तू अपने फ्रेंड्स के साथ करता है । मैं बिलकुल बुरा नहीं मानूंगी ।”
मैंने कहा , ” दीदी ये कैसे possible है ? आप मेरी दीदी हो । मैं ये कैसे imagine कर लूँ कि आप लड़का हो ।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा , मैं सो रहा हूँ बस ।”
दीदी बोली , ” ठीक है ठीक है । तू सो जा , मत कर जो मैं बोल रही हूँ । तोड़ दे अपना प्रॉमिस । मैं होती ही कौन हूँ , तुझे समझाने वाली ।”
दीदी गुस्सा कर के दूसरी तरफ मुंह कर के लेट गयी । Hot bahan gay bhai story
मैंने दीदी को कंधे से पकड़ कर उठाया और कहा , ” दीदी आप जो कह रही हो वो एकदम से पॉसिबल कैसे हो सकता है ?
थोड़ा वक्त तो लगेगा ना , इमेजिन करने में ।”
दीदी बोली , “ मैंने कब कहा कि तू अभी इमाजिन कर । ओके ! चल एक काम करते हैं । कल से तू मुझे अपने फ्रेंड की तरह ट्रीट करना और मैं कोशिश करुँगी कि तुझे , मैं लड़की कम और लड़का ज्यादा लगूँ । ”
मैंने कहा , ” ok lets try ! लेकिन अगर मान लीजिये कि मैंने आपको लड़का imagine कर भी लिया और मुझे आपको देखकर इरेक्शन हो भी गया तब भी तो प्रॉब्लम वही रहेगी ना । मेरे कहने का मतलब है कि मैं तो लड़के में ही इंटरेस्टेड रहूँगा ना ? ”
दीदी बोली , ” तब का तब देखेंगे अभी इतना तो कर । ”
मैंने कहा , “ ओके ! कल से कोशिश कर के देखते हैं । अब सो जायें ? ”
दीदी बोली , ” ओके ! गुड़ नाईट ! “
अगले दिन जब मैं सो कर उठा तो देखा वीणा दीदी किचन में चाय बना रही हैं और उन्होंने जीन्स और मेरी सफ़ेद शर्ट पहन रखी है ।
मैं उनके करीब गया और गुड़ मॉर्निंग कहा। दीदी पलटी और उन्होंने मेरा गुड मॉर्निंग का रिप्लाई किया । मैंने देखा कि उन्होंने अपनी नाक और कान में ज्वेलरी नहीं पहनी है ।
मैंने पूछा , ” दीदी आपकी जेवेलरी कहाँ गयी ? ”
दीदी मुझे चाय का कप पकड़ाते हुए बोली , ” भूल गया , लड़के ज्वेलरी नहीं पहनते और खबरदार अगर मुझे दीदी कहा तो ।
मैं तुम्हारा फ्रेंड हूँ ।“
मैंने हँसते हुए कहा , ” ओके फ्रेंड ! पर तुम्हारा नाम क्या है ? ” Hot bahan gay bhai story
दीदी ने कुछ सोचा फिर बोली , ” जैसे तू रोहित से मोनू है , वैसे ही अब मैं वीणा से रॉय हूँ । और अब से तू मुझे इसी नाम से बुलायेगा । “
मैंने कहा , ” ओके रॉय ! तो ऑफिस भी ऐसे ही जाओगे क्या ? ”
दीदी बोली , “ नहीं यार ! ऑफिस तो वैसे ही जाना पड़ेगा । लेकिन घर पर मैं तुझसे ऐसे ही मिलूंगा ।”
मैंने कहा , ” ठीक है रॉय ! शाम को मिलते हैं ।”
फिर मैं ऑफिस जाने की तैयारी में जुट गया ।
4-5 दिन तक यही सिलसिला चलता रहा । मैं दीदी को रॉय कह कर बुलाता और दीदी मुझे मोनू ।
कभी भूल चूक से मेरे मुंह से दीदी निकल जाता तो दीदी तुरंत मुझे डांट कर ठीक कर देती ।
5-6 दिन बाद मुझे कुछ आदत सी हो गयी और मैं दीदी को रॉय पुकारने लगा और उन्हें एक लड़के की तरह ही ट्रीट करने लगा और मुझे दीदी ने इसमें पूरा सहयोग दिया । वो बिलकुल लड़के की तरह ही behave करती और वैसे ही ड्रेस पहनती । कभी जीन्स और मेरी ही शर्ट्स , कभी लुंगी के साथ शर्ट्स , कभी मेरे शॉर्ट्स और मेरी टी -शर्ट्स , बिना किसी ज्वेलरी के और बिना किसी मेकअप के ।
ऐसा चलते चलते करीब 10 दिन निकल गये ।
11 वें दिन मैं सोकर उठा और दीदी को ढूंढ़ने लगा । किचन में गया पर दीदी किचन में नहीं थी ।फिर मैं पेपर उठाने के लिए बालकनी में गया तो देखा वीणा दीदी बालकनी की रैलिंग पर झुके हुए पेपर पढ़ रही हैं । उन्होंने मेरा boxer और मेरी ही शर्ट पहन रखी थी और रैलिंग पर झुकने के कारण उनकी बड़ी सी गांड एकदम से बाहर की तरफ उभरी हुई थी । पहली बार अपनी ही दीदी की गांड देखकर मेरे लंड ने झटका खाया और मैं दूर खड़े होकर ही उस नज़ारे को एन्जॉय करने लगा ।तरबूज जैसी गांड से होती हुई मेरी नज़र उनकी चिकनी जांघों पर आ टिकी , जहाँ बालों का नामोनिशान तक न था और मेरे बॉक्सर के अंदर तूफ़ान अंगड़ाइयां लेने लगा ।
मेरे दिल की धड़कनें बढ़ने लगी थी और मेरा खून मेरी रगों में बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ रहा था । और मेरा लंड लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया ।
मुझे अपने ऊपर कंट्रोल रख पाना मुश्किल लगने लगा था । मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को सम्हाला और धीमे पांव से दीदी की तरफ बढ़ गया और ठीक उनकी उभरी हुई गांड पर अपने बॉक्सर में बने टेंट को टिका कर बोला , ” गुड मॉर्निंग रॉय ! ” Hot bahan gay bhai story
दीदी ने पहले तो थोड़ा सीधा होने की कोशिश की पर जैसे ही मेरे लंड का अहसास उन्हें अपनी गांड पर हुआ । वो उसी पोजीशन में झुक गयी और अपनी गांड को मेरे लंड पर दबा कर बोली , “ गुड़ मॉर्निंग मोनू ।”
मैंने अपने लंड को थोड़ा सा और उनकी गांड पर दबाया । फिर मैं दीदी के ऊपर झुक गया और उन्हें कमर से आलिंगन करते हुए बोला ,
” आज तो कमाल लग रहा है तू रॉय ।”
वीणा दीदी मेरी स्थिति को समझ चुकी थी और वो काफी खुश हो रही थी ।
वो हंसकर बोली , ” क्या कमाल , यार मोनू ! मैं तो रोज़ ही ऐसे रहता हूँ , तू देखता ही कहाँ है मुझे ।”
मैंने दीदी को अपने आलिंगन में थोड़ा और कसा । फिर अपने लंड को उनकी गांड पर रगड़ते हुए उत्तेजना से भरी आवाज़ में कहा ,
“ तो दिखा दे ना डार्लिंग । क्या दिखाना चाहता है अपने यार को ? ”
मेरे इस तरह लंड को रगड़ने और बाँहों की जकड़ ने दीदी को मदहोश बना दिया था । Hot bahan gay bhai story
दीदी के मुंह से मस्ती भरी सिसकारी निकली , आह हहहहह ……।
फिर मादक आवाज़ में वीणा दीदी बोली , ” सब तेरा ही तो है यार , जो चाहे देख ले। ”
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मैंने दीदी को ऐसे ही कस कर पकड़े रखा और अपने लंड से हलके हलके धक्के लगाने लगा और दीदी की गरदन और कान को बेतहाशा चूमने लगा । दीदी भी अपनी गांड को पीछे उछाल उछाल कर मज़े ले रही थी । फिर मैंने अचानक से दीदी का बॉक्सर नीचे सरकाने की कोशिश की तो दीदी खड़ी हो गयी और बोली , ” यहाँ नहीं ! कोई देख लेगा , चल अंदर चल। ”
हम जल्दी से कमरे के अंदर आ गये और बालकनी का दरवाज़ा बंद कर दिया । सबसे पहले मैंने अपना बॉक्सर उतार कर अलग किया और मेरा 6.5 इंच का लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया । जल्दबाज़ी के चक्कर में दीदी ने मेरी तरफ मुंह किये हुए सबसे पहले अपनी शर्ट उतार फेंकी और अगले ही पल अपना बॉक्सर उतार दिया । और मेरी नज़र उनकी बड़ी बड़ी चूचियों से होती हुई बिना बालों की चिकनी चूत पर पड़ी और मेरा excitement उतनी ही तेज़ी की साथ खत्म होता चला गया।
दीदी को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो तुरंत पलट कर खड़ी हो गयी और थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गयी पर मेरे लंड का तनाव गिरता ही गया।
दीदी ने जब ये देखा तो आगे बढ़ कर मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी पर कुछ असर नहीं हुआ । फिर उन्होंने अपनी नंगी गांड को मेरे मुरझाते हुए लंड पर रगड़ा पर रिजल्ट वही का वही रहा। मैंने मायूसी से अपने कपडे उठाये और बाथरूम की तरफ बढ़ गया और वीणा दीदी ऐसे ही नंगी खड़ी मुझे जाता देखती रही ।
बाद में जब मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था ।
तब वीणा दीदी मेरे रूम में आयी और बोली , ” क्या बात है हीरो , सुबह तो कमाल हो गया । ”
सुबह की बात याद आते ही मैंने अपना मुंह फेर लिया । Hot bahan gay bhai story
दीदी फिर बोली , “ अरे क्या बात है , मायूस क्यों हो रहा है यार । ”
वो अब भी मेरे male फ्रेंड की तरह बात कर रही थी ।
मैंने गुस्से से कहा , ” दीदी छोड़ो ना , मुझे तैयार होने दो । ”
दीदी गुस्सा होते हुए बोली , ” कौन दीदी ! भाई मेरा नाम रॉय है , भूल गया क्या ? मारूंगा अगर फिर
मेरा नाम रॉय से कुछ और बोला तो । ”
मुझे हंसी आ गयी । मैं अपने जूते पहनते हुए बोला , ” ओके रॉय ! राइट ! अब मैं ऑफिस जा रहा हूँ , शाम को बात करेंगे । ”
घर से बाहर निकलते वक्त वीणा दीदी ने कहा , ” कुछ तो पॉजिटिव हुआ । इतनी जल्दी मायूस नहीं होते और जो हुआ उसे भूल जा , जैसे कुछ हुआ ही ना हो । हमें अपनी कोशिश जारी रखनी है ।”
मैंने मंज़ूरी में अपना सर हिलाया और ऑफिस के लिए चल दिया ।
शाम को जब मैं वापस आया तो दीदी और मेरे बीच वैसे ही लड़कों की तरह बात हुई ।
रात को दीदी मेरे साथ जब बेड पर सोने आयी तो मैंने पूछा , ” यार रॉय ! मम्मी कब वापस आयेंगी ? ”
दीदी बोली , “ क्यों तेरा मन नहीं लग रहा क्या ? ”
मैंने कहा ,” नहीं ऐसी बात नहीं है । बस काफी दिन हो गये उन्हें गये हुए , इसलिए पूछ रहा था ।”
दीदी बोली , ” उनका फ़ोन आया था । मामाजी की लड़की को कुछ लड़के वाले देखने आ रहे हैं । कुछ दिन बाद आ जायेंगी । ” Hot bahan gay bhai story
मैंने कहा , ” ओहो , ऐसी बात है । ”
दीदी ने कहा ,” हाँ ! चल अब सो जा । ”
और दीदी दूसरी तरफ मुंह करके लेट गयी और मेरा हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख लिया ।
मैंने भी दीदी को लेटे लेटे ही पीछे से आलिंगन किया और उनके कान में फुसफुसाया , ” यार रॉय ! आई लव यू । ”
दीदी ने अपनी गांड को लेटे लेटे ही मेरे लंड पर दबाया और बोली , ” आई लव यू टू , मोनू !”
Didi की गांड के दबाव से मेरे लंड में कुछ हरकत हुई और थोड़ा सा तनाव आया । पर ज़्यादा देर बरक़रार नहीं रह सका । दीदी को अहसास हुआ तो उन्होंने और ज़्यादा दबाव बनाया पर कोई फायदा नहीं हुआ और फिर हम ऐसे ही सो गये । अगले 3-4 दिन तक यही सिलसिला चलता रहा ।
दीदी रोज़ रात को मेरे साथ ऐसे ही सोती और अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ती रहती । मेरे लंड में थोड़ी हरकत तो होती पर ज़्यादा देर तक कायम नहीं रह पाती ।
फिर शनिवार आया और क्यूंकि अगले दिन हमारी छुट्टी थी । इसलिए हम देर तक बातें करते रहे । फिर आपस में लिपट कर सो गये । सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे बहुत तेज़ पेशाब लगी थी । मैं जल्दी से बाथरूम भागा और पेशाब कर के वापस आया तो देखा दीदी पेट के बल सोयी हुई थी और उनकी टाइट गांड उनके लोअर को फाड़ने का इरादा कर के उभरी हुई पड़ी थी ।अचानक मेरे लंड ने झटका खाया और अपना आकार बढ़ाने लगा ।
मुझे उस वक्त दीदी की गांड के अलावा कुछ और नहीं सूझ रहा था । मैं वीणा दीदी को दीदी न समझ कर सिर्फ रॉय ही imagine कर रहा था । मैंने आनन फानन में अपने सारे कपडे उतार फेंके और बेड पे जाकर दीदी के ऊपर लेट गया और दीदी की गरदन , कान और गालों को चूमने लगा । Hot bahan gay bhai story
दीदी मेरे वजन को महसूस कर के नींद से जग गयी और बिना किसी देरी के सारी बात समझ गयी और अपने एक हाथ से मेरे बालों को सहलाने लगी। मेरे ऊपर वासना इस कदर हावी थी कि मैं दीदी को न सिर्फ चूम रहा था बल्कि बीच बीच में हल्का हल्का काट भी रहा था । मेरी साँसें धोंकनी की तरह चल रही थी और मेरे हर चुम्बन पर दीदी के मुंह से सिसकारियां फूट रही थी ।
जैसे ही मैं उन्हें कहीं काटता तो उनके मुंह से दर्द और मस्ती भरी आह निकल जाती ।
मैं पूरी तरह से नग्न था और दीदी ये बात समझ चुकी थी और मेरा भरपूर सहयोग कर रही थी । मैंने अपने लंड का दबाव दीदी की गांड पर बना रखा था जिससे दीदी को भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो बीच बीच में अपनी गांड को उछाल रही थी ।
उस वक्त मुझे ये ज़रा भी ख्याल नहीं था कि मेरे नीचे मेरी वीणा दीदी और एक लड़की है । मैं तो उन्हें लड़का ही इमेजिन कर रहा था । करीब 2 मिनट तक ऐसे ही दीदी को चूमने और रगड़ने के बाद मैंने दीदी के कान में कहा , “रॉय ! ”
दीदी ने धीरे से जवाब दिया , “हम्मम.. ”
मैंने खुमारी में पूछा , “ पहले किसी ने तेरी ली है ? ”
दीदी फुसफुसाते हुए बोली , ” नहीं यार मेरा फर्स्ट टाइम है ।”
मैं उसी तरह फिर बोला , ” थोड़ा दर्द होगा झेल लेगा ? ”
दीदी धीमे स्वर में बोली , “ कोशिश करूँगा पर अंदर डालने से पहले कुछ चिकनाई लगा लेना ।”
मैं यह सुनते ही तुरंत उठा और अपनी अलमारी से नारियल तेल की बोतल निकाल लाया , दीदी वैसे ही बिना हिले डुले पड़ी रही ।
मैंने दीदी के लोअर की इलास्टिक पकड़ी और नीचे की और खींचा , दीदी ने थोड़ा सा अपनी गांड को हवा में उठा कर मुझे लोअर निकालने में मदद की ।
मैंने लोअर को उनके घुटनों से थोड़ा नीचे तक सरका दिया । उन्होंने अंदर कोई पैंटी नहीं पहनी थी ।
दीदी ने अपने पैरों की मदद से लोअर को शरीर से अलग कर के बेड से नीचे गिरा दिया ।
फिर मैंने अपने हाथ में तेल लिया और उनकी गांड पर अच्छे से मल दिया और अपने लंड को भी तेल से नहला दिया ।
दीदी उसी मुद्रा में लेटी रही । मैं दीदी के ऊपर झुका और अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर टिका कर उनके कान के पास अपना मुंह ले जाकर बोला , “रॉय ! तैयार है ? ” Hot bahan gay bhai story
दीदी ने अपने दोनों हाथों से तकिये को भींच लिया और सिर्फ “ हम्म्म्म …” कहा ।
मैंने धीरे धीरे लंड का दबाव बनाया और साथ ही दीदी की गरदन को बेतहाशा चूमने लगा ।
थोड़ा सा और दबाव बनाते ही लंड की टोपी फिसल कर अंदर चली गयी और दीदी के मुंह से कराह निकल गयी आह हहहह ………..।
मैंने थोड़ा सा दबाव और दिया और लंड थोड़ा सा और अंदर सरक गया और दीदी के मुंह से फिर एक दर्द भरी आह हहह निकली और उनकी आँखों से आंसू आगये ।
पर वासना में डूबे हुए मेरे दिमाग को कुछ नहीं सुनाई दे रहा था । मैंने अपना काम ज़ारी रखा और धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा ।
दीदी की टाइट गांड ने मेरे लंड को बड़ी मज़बूती के साथ जकड़ रखा था । जिसकी वजह से मुझे आनंद तो बहुत आ रहा था पर थोड़ा थोड़ा दर्द भी महसूस हो रहा था । गांड की सख्ती के कारण लंड बड़ी मुश्किल से आगे पीछे हो पा रहा था ।
दीदी का हाल और भी बुरा था । वो दर्द के मारे छटपटा रही थी और पूरी ताकत के साथ तकिये को अपनी मुट्ठी में भींचे हुए थी । Hot bahan gay bhai story
मैं बड़ी सावधानी से लंड को आगे पीछे कर रहा था । तेल की चिकनाई के कारण आधे से ज़्यादा लंड दीदी की गांड में जा चुका था ।
जब वीणा दीदी से दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो दीदी कराहते हुए बोली ,
” आह हहहह … मोनू बहुत दर्द हो रहा है । प्लीज ! बाहर निकाल ना यार ! ”
मैंने उत्तेजना के बहाव में जवाब दिया , ” बस आज ही दर्द होगा मेरे राजा । उसके बाद तो तू रोज़ मेरा लंड मांगेगा ।”
दीदी ने फिर कराहते हुए कहा , “ प्लीज यार मोनू , एक बार निकाल ले बाहर । फिर दोबारा डाल लेना । ”
मैंने सोचा ठीक है , ये इतना बोल रहा है तो निकाल लेता हूँ और दीदी को कहा , “ ठीक है यार , पर सिर्फ थोड़ी देर के लिये । ”
दीदी ने कराहते हुए कहा ,” आह… हाँ , ठीक है ।”
और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया । पर वैसे ही दीदी की पीठ पर लेटा रहा ।
लंड के बाहर आते ही दीदी की जान में जान आयी और उन्होंने एक राहत भरी सांस ली , उह हहह … ।
मैं दीदी को कभी गाल पर , कभी गरदन पर चूमता चाटता रहा । करीब 1 मिनट बाद मैंने दीदी के कान में कहा , “ रॉय ! फिर से डालूं ? ”
कितनी महान थी मेरी दीदी, अपने गे भाई को सुधरने के लिए अपनी कुंवारी गांड मरवा ली थी. पर इतना काफी नही था. इस gay brother story का आखिरी भाग.. Hot bahan gay bhai story
लंड के बाहर आते ही दीदी की जान में जान आयी और उन्होंने एक राहत भरी सांस ली , उह हहह … ।
मैं दीदी को कभी गाल पर , कभी गरदन पर चूमता चाटता रहा । करीब 1 मिनट बाद मैंने दीदी के कान में कहा , “ रॉय ! फिर से डालूं ? ”
तो दीदी ने थोड़ा सा खुद को एडजस्ट किया और बोली , “ हम्म्म तू ऐसे ही लेटा रह , मैं डालता हूँ । तू बस धक्के लगाना ।”
मैंने कहा ठीक है ,” तू ही डाल । ”
दीदी अपना सीधा हाथ अपने पेट के नीचे से पीछे लायी और मेरे लंड को पकड़ के गांड के छेद पर टिकाते हुए बोली ,
” हम्म…. अब धीरे धीरे करना । ”
मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर डाला ।
दीदी के मुंह से फिर दर्द भरी आवाज़ निकली ,” आहिस्ता ! आहिस्ता !”
मैंने धीरे धीरे लंड को फिर आगे बढ़ाया । एक बार पहले लंड अंदर करने के बाद भी गांड उतनी ही टाइट महसूस हो रही थी ।
जैसे ही आधा लंड अंदर गया , वीणा दीदी के मुंह से हलकी से एक चीख निकली , “ एआइइइइ आअह्ह्ह …” और उन्होंने बेडशीट को सख्ती के साथ अपनी मुट्ठी में भींच लिया । उन्हें दर्द से निजात दिलाने के लिए मैंने उन्हें पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया । Hot bahan gay bhai story
दीदी को थोड़ी राहत मिली और अब उनके मुंह से धीमी धीमी सिसकारियां निकलने लगी थी ।
असल में जिसे गांड समझ कर मैं चोद रहा था वो दीदी की चूत थी । दीदी ने बड़ी ही चालाकी से मेरे लंड को अपने चूत के छेद पर रखा था और मैं वासना और उत्तेजना के बहाव में उनकी चूत को ही उनकी गांड समझ कर चोदे जा रहा था । क्यूंकि मैं उन्हें एक लड़का ही समझ रहा था और ये भूल गया था कि दीदी एक लड़की है और उनके पास दो छेद हैं , वो भी लगभग मिले हुए ।
धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में पेल दिया और आगे पीछे करने लगा ।
दीदी दर्द और आनंद की मिक्स feelings दे रही थी और उनकी चूत धीरे धीरे काफी गीली हो गयी थी ।
जिस के कारण अब लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था । उनकी चूत भी उनकी गांड की तरह ही टाइट थी और मैं तो उसे गांड समझ कर ही चोद रहा था ।
धीरे धीरे दीदी को दर्द का अहसास कम हुआ और वो अपनी गांड पीछे की और उछालने लगी ।दीदी भी अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी ।
मैंने अपने धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी ने भी अपनी गांड उछालना तेज़ कर दिया ।फिर अचानक वीणा दीदी ने अपने बदन को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी टीशर्ट को आधी पीठ तक ऊपर खींच लिया । फिर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूचियों को मेरे हाथ से मसलने लगी और साथ ही अपनी गांड को तेज़ी से पीछे करने लगी । शायद दीदी झड़ने ही वाली थी और इस समय बहुत उत्तेजना में थी , पर हुआ कुछ उल्टा । Hot bahan gay bhai story
जैसे ही मुझे दीदी की चूचियों का स्पर्श हुआ , मेरे दिमाग में हलचल मच गयी । और जैसे मैं किसी सपने से जाग गया और मुझे अहसास हुआ कि असल में मैं किसी लड़की को चोद रहा हूँ ।तो मेरे लंड का तनाव खत्म होने लगा और मेरी धक्का लगाने की स्पीड कम होती गयी और फिर मैं रुक गया ।
उधर दीदी की मदहोशी में खलल पड़ गया था , उनको कामतृप्ति का सुख मिलना बंद हो चुका था ।
वो अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी । पर मेरा लंड ढीला पड़ता जा रहा था और कुछ ही पल बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से बाहर आ गया ।फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी ।
दीदी अपना सीधा हाथ अपने पेट के नीचे से पीछे लायी और मेरे लंड को पकड़ के गांड के छेद पर टिकाते हुए बोली ,
” हम्म…. अब धीरे धीरे करना । ”
मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर डाला ।
दीदी के मुंह से फिर दर्द भरी आवाज़ निकली ,” आहिस्ता ! आहिस्ता !”
मैंने धीरे धीरे लंड को फिर आगे बढ़ाया । एक बार पहले लंड अंदर करने के बाद भी गांड उतनी ही टाइट महसूस हो रही थी ।
जैसे ही आधा लंड अंदर गया , वीणा दीदी के मुंह से हलकी से एक चीख निकली , “ एआइइइइ आअह्ह्ह …” और उन्होंने बेडशीट को सख्ती के साथ अपनी मुट्ठी में भींच लिया । उन्हें दर्द से निजात दिलाने के लिए मैंने उन्हें पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया ।
दीदी को थोड़ी राहत मिली और अब उनके मुंह से धीमी धीमी सिसकारियां निकलने लगी थी ।
असल में जिसे गांड समझ कर मैं चोद रहा था वो दीदी की चूत थी । दीदी ने बड़ी ही चालाकी से मेरे लंड को अपने चूत के छेद पर रखा था और मैं वासना और उत्तेजना के बहाव में उनकी चूत को ही उनकी गांड समझ कर चोदे जा रहा था । क्यूंकि मैं उन्हें एक लड़का ही समझ रहा था और ये भूल गया था कि दीदी एक लड़की है और उनके पास दो छेद हैं , वो भी लगभग मिले हुए । धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में पेल दिया और आगे पीछे करने लगा ।
दीदी दर्द और आनंद की मिक्स feelings दे रही थी और उनकी चूत धीरे धीरे काफी गीली हो गयी थी । जिस के कारण अब लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था । उनकी चूत भी उनकी गांड की तरह ही टाइट थी और मैं तो उसे गांड समझ कर ही चोद रहा था । Hot bahan gay bhai story
धीरे धीरे दीदी को दर्द का अहसास कम हुआ और वो अपनी गांड पीछे की और उछालने लगी। दीदी भी अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी । मैंने अपने धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी ने भी अपनी गांड उछालना तेज़ कर दिया ।
फिर अचानक वीणा दीदी ने अपने बदन को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी टीशर्ट को आधी पीठ तक ऊपर खींच लिया । फिर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूचियों को मेरे हाथ से मसलने लगी और साथ ही अपनी गांड को तेज़ी से पीछे करने लगी । शायद दीदी झड़ने ही वाली थी और इस समय बहुत उत्तेजना में थी , पर हुआ कुछ उल्टा ।
जैसे ही मुझे दीदी की चूचियों का स्पर्श हुआ , मेरे दिमाग में हलचल मच गयी । और जैसे मैं किसी सपने से जाग गया और मुझे अहसास हुआ कि असल में मैं किसी लड़की को चोद रहा हूँ ।
तो मेरे लंड का तनाव खत्म होने लगा और मेरी धक्का लगाने की स्पीड कम होती गयी और फिर मैं रुक गया ।
उधर दीदी की मदहोशी में खलल पड़ गया था , उनको कामतृप्ति का सुख मिलना बंद हो चुका था ।
वो अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी । पर मेरा लंड ढीला पड़ता जा रहा था और कुछ ही पल बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से बाहर आ गया ।
फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी ।
दीदी ने मुझे पीछे धकेला और बेड पर पीठ के बल लेट कर अपने हाथ से अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी । वो वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी पर अपने हाथ से दीदी को संतुष्टि नहीं मिली । थोड़ी देर अपनी चूत को रगड़ने के बाद दीदी बेड पर बैठ गयी और मेरी तरफ देखते हुए गुस्से से बोली , ” क्या फायदा ऐसे लंड का जो किसी की प्यास न बुझा सके । ”
मैं पहली बार दीदी के मुंह से लंड जैसा शब्द सुन कर हैरान रह गया और मैंने पलट कर कहा ,” सॉरी दीदी ! ”
इस पर दीदी बोली ,” तेरे सॉरी बोलने से मेरी आग तो नहीं बुझेगी भेंनचोद !!!” Hot bahan gay bhai story
दीदी के मुंह से गाली सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैंने कहा , ” दीदी !!! माइंड योर लैंग्वेज ।”
दीदी भी गुस्से में बोली ,” क्या माइंड योर लैंग्वेज । ज़्यादा चिल्ला मत ।”
फिर रुक कर बोली , ” हिजड़ा कहीं का !!! ”
मैं ज़ोर से चिल्लाया , ” दीदी !!! मैं कह रहा हूँ अपना मुंह बंद रखो । मुझे गुस्सा मत दिलाओ ।”
दीदी ने टौंट मारा , ” ओह ! तो हिजड़ों को भी गुस्सा आता है । क्या करेगा तू मेरा ? ”
मैंने फिर गुस्से में कहा , ” दीदी शटअप !! मैं कोई हिजड़ा नहीं हूँ । आप अच्छी तरह से जानती हो और बार बार मुझे गाली देना बंद करो । ”
पर दीदी किसी और ही मूड में थी । वो मेरी कहाँ सुनने वाली थी ।
वो फिर बोली ,” अच्छा तो तू हिजड़ा नहीं है तो अपने लंड को खड़ा क्यों नहीं करता । देख एक नंगी लड़की तेरे सामने बैठी है । कोई बुड्ढा भी मेरा जिस्म अगर इस तरह से देख ले तो मुझे बिना चोदे नहीं रह सकता ।”
और यह कहते ही दीदी ने अपनी टीशर्ट सर के ऊपर से उतार फेंकी । मैं बेड पर नंगा बैठा दीदी के नए रूप को देख रहा था । मुझे दीदी से बहस में पड़ना फ़िज़ूल लगा । मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा ।
दीदी ने मुझे कपडे पहनते हुए देखा और बोली , ” क्यों अब जवाब नहीं है तेरे पास । साले गाँडू !!! जा जाकर किसी लौंडे की गांड मार । तू इसी लायक है । ”
मैं अपना शार्ट पहन चुका था । मुझे गुस्सा आ गया , ” साली अब और कुछ बोली ना तो …।”
दीदी गुस्से में ही हंसी ,” तो क्या भड़वे !! मारेगा मुझे ? आ ले मार । ” Hot bahan gay bhai story
दीदी के मुंह से और गालियां सुनकर मुझसे रहा नहीं गया , मैं तेज़ी से उनके पास पहुंचा और उनके बॉयकट बालों को अपनी मुट्ठी में भर कर बोला , ” साली कुतिया !!! बहुत ज़ुबान चला रही है । साली !! शहर के सारे कुत्तों से तुझे चुदवा दूंगा । हरामज़ादी ! ”
दीदी ने अपने बाल मेरी मुट्ठी से छुड़ाये और बोली , ” जा जा ! बड़ा आया कुत्तों से चुदवाने वाला ! जा जाकर उन कुत्तों की ही गांड मार । भेनचोद हिजड़े !! ”
बस फिर न जाने मुझे क्या हुआ मैंने एक ज़ोरदार थप्पड़ दीदी के गाल पर दे मारा ।
दीदी बेड पर पेट के बल गिर पड़ी । मैं गुस्से से भर चुका था और मेरा खून खौल रहा था। मुझे सिवाय गुस्से के कुछ और नहीं सूझ रहा था । मैंने एक ही झटके में अपना शार्ट उतार फेंका और दीदी को उनके बालों से पकड़ कर उठाते हुए बोला , ” साली कुतिया !!! बहुत चुदने का शौक चढ़ा है ना तुझे । आज तेरी मैं सारी गर्मी निकाल दूंगा । चोद चोद कर तेरी चूत ही फाड़ दूंगा । ”
पता नहीं कैसे मेरे मुंह से ऐसे शब्द निकल रहे थे मुझे नहीं पता । मैं गुस्से और अपमान में सुलग रहा था । मैंने दीदी के सर को उठाया और अपने लंड को उनके मुंह पर रगड़ने लगा ।
मेरा लंड पहले से ही अपने पूरे शबाब पर था । मुझे ये भी नहीं पता चला कि वो कब इतना सख्त हो गया । करीब 1 मिनट तक मैं गुस्से और आवेश में अपने लंड को दीदी के मुंह पर रगड़ता रहा । फिर मैंने गुस्से में ही कहा , ” चल खोल अपना मुंह बहन की लोड़ी !! और चूस इसे ।”
दीदी ने कोई जवाब नहीं दिया और अपना मुंह खोल कर लंड को धीरे धीरे चूसने लगी । पर मैं इतने में कहाँ मानने वाला था । मैंने उनके बालों को पकड़े पकड़े ही उनके मुंह में धक्के लगाने शुरू कर दिये और अपना पूरा लंड उनके गले तक ठूंस दिया । Hot bahan gay bhai story
दीदी गों गों की आवाज़ें निकाल रही थी । पर मैं तो जैसे अपने अपमान की आग में अँधा हो गया था । मुझे उनके किसी दुःख दर्द की फ़िक्र नहीं हो रही थी ।
बड़ी मुश्किल से दीदी ने खुद को छुड़ाया और बेड से उतर कर खड़ी हो गयी । उनकी साँसें बहुत तेज़ी से चल रही थी और उनकी मोटी मोटी पपीते की शेप की चूचियां उनकी सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी । पहली बार ज़िन्दगी में मुझे किसी लड़की की चूचियों में रूचि हो रही थी और मैं एकटक उन्हें ऊपर नीचे होता हुआ देख रहा था ।
वीणा दीदी ने बहुत मुश्किल से अपनी सांस संभाली और बोली , “ पागल हो गया है क्या , जानवर !!! मुझे जान से मारेगा क्या ? ”
मैं जो उनकी चूचियों में खोया हुआ था , जैसे नींद से जागा और बोला , “शुरू तूने किया था कुतिया !! अब भुगत । ”
दीदी मेरे द्वारा कहे गए अपशब्दों का बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी और मैं उनकी ख़ूबसूरती को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था ।
फिर दीदी ने मेरा ध्यान भंग किया , ” मैं जा रही हूँ । ”
और वो अपने कपड़े उठाने के लिए झुकी ।
तभी मैंने पीछे से जाकर दीदी को दबोच लिया और उन्हें सीधा खड़ा कर के अपनी तरफ घुमाया । फिर उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा ।
वीणा दीदी ने शायद इस सब की कल्पना भी नहीं की होगी । पहले तो उन्हें आश्चर्य हुआ फिर वो भी चूमने में मेरा साथ देने लगी । हम दोनों के बदन आपस में किसी बेल की तरह लिपटे हुए थे और मेरा लंड दीदी के पेट पर रगड़ खा रहा था । कुछ देर तक हम एक दूसरे के होंठों को ऐसे ही चूमते रहे फिर दीदी ने मुझे अलग किया और बोली , ” चल हट ! अब कपड़े पहन ले ।”
पर मुझे दीदी के शब्द तो जैसे सुनायी ही नहीं दिये । मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचियों पर रख दिये और उन्हें ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा । दीदी ने पहले थोड़ा विरोध किया पर फिर मज़ा लेने लगी। मुझ पर धीरे धीरे वासना इस कदर हावी हो गयी कि मैं भूल गया कि मेरे सामने मेरी वीणा दीदी हैं और वो भी एक इंसान हैं । Hot bahan gay bhai story
मैं दीदी की चूचियों को चूसने लगा , मसलने लगा और काटने लगा। दीदी के मुंह से दर्द मिश्रित कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ….आह हहह ..मममम …… । मैं तो जैसे पागल ही हो गया था । मैंने उन्हें पहले तो ऊपर से लेकर नीचे उनकी मांसल जांघों तक चूमा । फिर वासना के वशीभूत होकर उन्हें जगह जगह काटने लगा । पहले तो दीदी मेरा काटना भी एन्जॉय कर रही थी पर कभी कभी मैं ज़्यादा ज़ोर से काट लेता तो उनकी चीख निकल जाती ।
उनकी चीख सुनकर पता नहीं क्यों , मुझे और अच्छा लगा । फिर मैं उन्हें कभी नितम्बों पर , कभी जांघों पर और कभी चूचियों पर ज़ोर ज़ोर से काटने लगा । थोड़ी देर तो दीदी ने बर्दाश्त किया । पर जब उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्होंने मुझे धक्का दे दिया और ज़ोर से चिल्लाई , ” रोहित ! बेहव योर सेल्फत नहीं सुनी और उन्हें धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और घोड़ी बना लिया और उनकी चूत पर अपना मुंह ले गया और अपनी जीभ से उनकी चूत और गांड को चाटने लगा ।
वीणा दीदी की मादक सिसकारियों से सारा कमरा गूँज उठा । कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मैं उनकी टाँगों के बीच अपने घुटनो के बल बैठा और दीदी की कमर को एडजस्ट करा , फिर दीदी का हाथ पकड़ के पीछे लाया और अपने लंड पर रख दिया। अब फैसला वीणा दीदी को करना था कि किस दिशा में मेरे लंड को ले जाना चाहती हैं । दीदी ने लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर टिका दिया । दीदी की चूत पहले से ही रस से भीगी हुई थी इसलिए लंड को अंदर पेलने में कोई समस्या नहीं हुई । लंड एक धक्के में ही आधा अंदर समा गया । दीदी के मुंह से थोड़ा दर्द और मज़े से भरी हुई सिसकारी निकली आह हहहहहह ……………. ।
फिर मैंने आधे लंड को ही आगे पीछे करना शुरू किया और कुछ पलों तक ऐसे ही करता रहा । फिर धीरे धीरे धक्कों के साथ ही बाकी के हिस्से को भी अंदर पेलने लगा और थोड़ी ही देर में पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया ।
उधर दीदी को दर्द भी बहुत हो रहा था । उनकी आँखों से आंसू निकल रहे थे ।
मैंने दीदी की हालत देख कर पूछा , “ बाहर निकाल लूँ क्या ? “
वीणा दीदी कराहते हुए बोली , ” इडियट हो क्या ? आह हहहहह …… बस धीरे धीरे आगे पीछे करते रहो । ”
मैं दीदी के कहे अनुसार कुछ समय तक लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा । Hot bahan gay bhai story
दीदी को अब मज़ा आने लगा था और वो अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगी थी । उसके मुंह से कामुक सिसकारियां धीरे धीरे तेज़ हो रही थी ।
फिर मैंने अपनी स्पीड थोड़ी बड़ा दी और लंड को पूरा अंदर तक पेलने लगा ।
वीणा दीदी के मुंह से कामुक आवाज़ निकली , ओह्ह्ह हहहहहह …….मोनूउउउउउउ … ऊह्ह्हह्ह ……. ।
मैंने धक्के लगाते हुए जवाब दिया , ” यस दी ! आह हहहहहह ….. । “
दीदी : “ooohhh SAMU !!! Come On……Come On…….Fuck Me ! Fuck Me ! “
मैं : “ yeah didi !!! take it……..take it you bitch ! ”
दीदी : “yeah behenchod !!! …give it to me !!! …पूरा डाल दे । ”
मैं अपने धक्के और तेज़ करते हुए बोला, “ ले मेरी रंडी और ले !!! ……. आया मज़ा ? ”
दीदी : “ooohhh aaahh ……. बहुत अच्छा लग रहा है जानू !!! …और ज़ोर से मार…. । ”
मैंने अपने लंड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और ज़ोरदार धक्के से एक ही बार में पूरा अंदर धांस दिया ,
” ये… ये ले मेरी कुतिया !!! …… अब बता कैसा लगा ? ” Hot bahan gay bhai story
मेरे इस तरह पूरा लंड बाहर खींच कर फिर पूरा घुसा देने से दीदी की जोर से चीख निकल गयी ।
पर उसे मज़ा भी बहुत आया , ” आह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह …….. बहुत बढ़िया मेरे कुत्ते !!! और ज़ोर से चोद अपनी दीदी को !!! ”
वासना के वशीभूत होकर हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही अनाप शनाप बकते रहे , जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था ।
फिर कुछ देर तक मैंने ताबड़तोड़ धक्के दीदी की चूत में मारे और ज़ोर से चिल्लाया , “ओह हहहह ….. दी ! मेरी प्यारी दी ! मैं आ रहा हूँ …… । ”
दीदी भी चिल्लाई , “ आह हहहह उउउउउउ …ईईईई हहहहहह….. मोनू मेरे प्यारे भाई ! भर दे अपनी दीदी की चूत को अपने वीर्य से ……… आह हहहहह ……..। ” और फिर हम दोनों ही एक साथ झड़ गये ।
मैं वीणा दीदी की चूत में ही अपना सारा वीर्य निकाल कर उनके ऊपर बेसुध होकर गिर पड़ा और मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में ही अटका हुआ था ।
हम दोनों की साँसे बहुत तेज़ तेज़ चल रही थी । हम बिना कुछ बोले कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे ।
फिर मैंने दीदी के कान में कहा , ” तुमने कर दिखाया दीदी , तुम जीत गयीं !!! ”
वीणा दीदी मुस्कुरायी और मेरे गाल पर किस करते हुए बोली , ” welcome back bro !!! ”
———–समाप्त———–
वीणा दीदी ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी थी, अब मेरा लड़कियों की तरफ इंटरेस्ट वापिस बढ़ गया और चूत मारने की इच्छा भी. दीदी ने अपनी एक फ्रेंड को मेरी गर्लफ्रेंड भी बना दिया. पर उसकी भी मैं कभी कभी गांड मार ही लेता हूँ..
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