छोटा सा हादसा और आंटी की चुदाई

(Chhota Sa Hadsa Aur Aunty Ki Chudayi)

खड़े लौड़ों को और गीली चूतों को मेरा यानि स्वप्निल का प्रणाम. मैं महाराष्ट्र से हूँ और मेरी उम्र अभी 24 साल है. सब लोग अपनी अपनी सच्ची कहानी लिखते हैं तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी एक वास्तविक घटना लिख दूं जिसने मेरी ज़िंदगी को एक नए मोड़ पर लाकर रख दिया है. Chhota sa hadsa aunty hindi sex story.

यह कहानी तब की है जब मैं अभियांत्रिक के आखिरी वर्ष में था. हाल ही में हमने पुणे में एक नया घर लिया था. घर उसी कॉलोनी में था जिस कॉलोनी में हम पहले किराए पर रहते थे.

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चूंकि मैं अभियांत्रिक की पढ़ाई कर रहा था तब किराया बहुत हो जाता था तो हमने खुद का घर ले लिया. घर ढूँढने में मेरे पिताजी के सहकर्मी की बीवी ने हमारी सहायता की और उनके बाजू वाली बिल्डिंग में ही हमें एक घर मिल गया. घर बहुत अच्छा था और मेरे पिताजी काम के सिलसिले में कभी कभार बाहर जाते थे. वैसे ही आंटी, जिन्होंने हमें घर ढूंढने में मदद की थी, उनके पति साल में 10 महीने बाहर रहते थे तो उनको भी मेरा सहारा मिल गया.

Chhota sa hadsa aunty

आंटी का नाम हेमा (बदला हुआ नाम) था जो कि बहुत कामुक औरत थी और हेमा आंटी ही इस कहानी की मुख्य नायिका है.

आंटी यहां पुणे में अकेली ही अपनी दो लड़कियों के साथ रहती हैं जिनमें से एक जॉब करती है जो मेरे से बड़ी है और दूसरी मेरे से 1 साल छोटी है वो जीव विज्ञान की पढ़ाई करती है. दोनों लडकियां मोटी सी हैं देखने में मगर शेप में हैं और एक भरे शरीर की मालकिन लगती हैं. दोनों के बूब्स इतने सुडौल और बड़े हैं कि टॉप में से झांकते उनके कबूतर किसी का भी लौड़ा खड़ा कर देंगे. गांड का तो पूछो मत, इतनी मोटी और कड़क गांड है उनकी कि चलती है तो ऐसा लगता है जैसे अपने पास बुला रही हो. Chhota sa hadsa aunty hindi sex stories.

तो दोस्तो, अब मेरी कहानी शुरू होती है. हमने नया घर ले लिया था और घर में सब सेट हो गया था. इस काम में आंटी ने बहुत मदद की और अब मम्मी-पापा मुम्बई रहते थे. मुझे पुणे में सेट करने के बाद वो वापस मुंबई चले गये. घर पर मैं अकेला रह गया.

मगर अभी एक समस्या बस खाने की रह गयी थी. मेरे घर में अभी तक मेरा खुद का गैस सिलेंडर नहीं था इसलिए आंटी ही मेरा सहारा थी. उन्होंने खुद ही बोल दिया था कि जब तक तुम्हारा अपना खुद का गैस सिलेंडर नहीं आ जाता है तो तब तक तुम मेरे घर पर आकर खाना खा सकते हो.
आंटी मेरे ऊपर काफी प्यार लुटा रही थी. उन्होंने साफ ही बोल दिया था कि जब भी तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो मुझे बता दिया करो.

इस प्रकार आंटी के कहने पर मैं उनके घर पर ही खाना खाने के लिए जाने लगा. इस तरह से आंटी के साथ मेरी नजदीकी और भी बढ़ गई थी क्योंकि जहां पर खाने तक बात पहुंच जाती है तो फिर ज्यादा कुछ और औपचारिकता नहीं रह जाती है.
मुझे भी आंटी अपनी सी लगती थी. आंटी भी मुझे अपने ही परिवार के सदस्य की तरह रखने लगी थी. मैं भी बेहिचक उनके घर पर चला जाया करता था. इस तरह से उनके घर पर मेरा आना-जाना काफी बढ़ गया था.

दोस्तो, एक बात मैं आपको बता दूं कि मुझे बातें करने की आदत बहुत ज्यादा है. इसलिए आंटी के साथ हर वक्त मेरी कुछ न कुछ बात चलती ही रहती थी. इसी कारण से आंटी और मेरे बीच में बहुत सारी बातें होती रहती थीं. आंटी का भी अच्छा टाइम पास हो जाता था मेरे साथ में बातें करते हुए. चूंकि वो घर पर अक्सर अकेली होती थीं तो उनका भी समय कट जाता था और इस दोनों ही काफी घुल-मिल गये थे. Chhota sa hadsa aunty antarvasna story.

फिर एक दिन एक अनहोनी हो गई. दोस्तो कुछ यूं हुआ कि आंटी अपने घर पर अकेली ही थी. न जाने कैसे रसोई में उनका पैर फिसल गया और वो गिर गयी. किसी तरह उन्होंने मुझे फोन किया तो मैं तुरंत उनके घर पर पहुंच गया.

घर पर पहुंचने के बाद मैंने देखा कि आंटी नीचे फर्श पर ही पैर पकड़ कर बैठी हुई थी. मैंने जाकर आंटी से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके पैर में मोच आ गई है और उनको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है.
मैंने आंटी के बताने पर एक स्प्रे उनके पैर पर लगाया.

स्प्रे करने के बाद मैंने आंटी को उठने के लिए कहा क्योंकि गर्म खून में उठना आसान होता है. इसलिए आंटी ने उठने की कोशिश की. लेकिन आंटी से अब भी नहीं चला जा रहा था. आंटी ने उठने की कोशिश की तो उनके पैर में अभी भी बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था.

फिर मैंने खुद ही आंटी की उठने में मदद की. आंटी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा मेरे सहारे से वो धीरे-धीरे उठ कर चलने लगी. आंटी को मैं उनके बेडरूम की तरफ लेकर गया ताकि वो उनको आराम से बेड पर लिटा कर आराम करने के लिए कह सकूं. आंटी मेरे सहारे से चल कर अपने बेडरूम तक पहुंच गई.

अंदर बेडरूम में ले जाने के बाद मैंने आंटी को धीरे से बेड पर बैठा दिया. आंटी ने मुझसे कहा- शायद तुमने घर का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया है.
तो मैंने आंटी के कहने पर जाकर घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. अभी आंटी को मेरी जरूरत थी इसलिए मैं भी आंटी के पास ही रुकना चाह रहा था.

लेकिन दोस्तो अभी तक न तो आंटी के ही मन में और न ही मेरे ही मन में कुछ गलत विचार आये थे. मैं घर का दरवाजा अंदर से लॉक करके वापस आंटी के पास आ गया. आंटी बेड पर लेटी हुई थी.

आंटी ने मैक्सी पहनी हुई थी. लेकिन उनकी मैक्सी ऊपर तक उठ गई थी. जब मैं रूम में घुस रहा था तो पहली बार मेरी नजर आंटी के आधे नंगे पैरों पर गई. एक टांग पर से तो मैक्सी जांघ तक पहुंच गई थी. यह देख कर मेरे मन में कुछ होने लगा था.

आंटी की जांघें काफी गोरी थीं. मैंने आंटी का पैर देखने के बहाने से आंटी के पैरों को छूकर देखा. आंटी की जांघें काफी मुलायम सी थीं. आंटी आंखें बंद करके पड़ी हुई थी. Chhota sa hadsa aunty antarvasna stories.

मेरे अंदर अब हवस जागने लगी थी. मैंने बहाने से आंटी की मैक्सी को थोड़ी सी और ऊपर सरका दिया तो आंटी की जांघों के बीच में उनकी जालीदार कच्छी के अंदर उनकी चूत छिपी हुई थी. उसको बाहर से देखने मात्र से मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.

आंटी का एक पैर मेरी जांघ पर रखा हुआ था. लेकिन आंटी के पैर के पास ही मेरे लंड में कसाव आना शुरू हो गया था. मेरा लंड एक मिनट के अंदर ही पूरा तन गया था. मैंने आंटी का पैर थोड़ा सा और सरका दिया तो आंटी का पैर मेरे खड़े हुए लंड से टच हो गया.

पैर जैसे ही मेरे लंड पर टच हुआ तो मेरे लंड एक झटका मार दिया और आंटी ने आंखें खोलकर बहाने से मेरे लंड की तरफ देखा. आंटी ने मेरे खड़े हुए लंड को देख लिया था. उनको पैर से भी पता चल रहा था कि मेरा सांप अंदर ही उनकी गुफा में घुसने के लिए तड़प उठा है. इसलिए आंटी ने एक बार देख कर दोबारा से अपनी आंखें बंद कर लीं और मैं आंटी के पैर की मालिश करता रहा.

मेरे हाथ आंटी की जांघों तक पहुंच रहे थे और आंटी मेरे हाथों की मालिश के मजे ले रही थी. मैंने जान बूझ कर थोड़ा सा तेल उनकी जांघों पर ऊपर तक डाल दिया. आंटी ने घुटनों से अपने पैर मोड़ लिये थे इसलिए आंटी की जांघों के ऊपर से बहता हुआ तेल उनकी चूत पर जाने लगा था.
मैं भी तो यही चाह रहा था कि तेल आंटी की चूत की तरफ बह कर चला जाये ताकि मुझे चूत के करीब तक मालिश करने का मौका मिल जाये.

जब तेल आंटी की चूत तक पहुंच गया तो आंटी ने एक सिसकारी सी ली. मैं समझ गया कि मेरा तीर निशाने पर लगा है.
मैंने धीरे से मेरी तीन उंगलियां उनकी जांघ पर घुमाईं और सीधी उनकी पैंटी तक लेकर गया. लेकिन मैंने चूत तक हाथ पहुंचने से पहले ही अपने हाथ को बीच में ही रोक दिया. मैं भी आंटी को पूरी तरह से गर्म होते हुए देखना चाहता था. कई मिनट तक मैं ऐसे ही करता रहा. मैं आंटी की चूत तक हाथ को ले जाता था और बीच में ही रोक देता था. आंटी की सिसकारियां धीरे-धीरे बाहर आ रही थीं. Chhota sa hadsa aunty sex story.

जब आंटी काफी गर्म हो गई तो आंटी के पैर ने हल्का सा दबाव मेरे लंड पर बनाना शुरू कर दिया. यह मेरे लिए अच्छा संकेत था कि आंटी मेरे लंड के लिए गर्म हो चुकी है. वो बार-बार अपने पैर को मेरे लंड पर दबा रही थी लेकिन पूरा नहीं दबा रही थी बस हल्का सा ही प्रेशर दे रही थी.
आंटी भी मेरे खड़े लंड का मजा ले रही थी. जब भी आंटी का पैर मेरे लंड पर लगता था तो मेरा लंड झटका सा दे देता था.

आंटी पूरी गर्म हो चुकी थी. उन्होंने अपनी जांघों को थोड़ी सी और फैला दिया था और मुझे अब आंटी की मैक्सी के अंदर चूत की घाटी काफी साफ नजर आने लगी थी. मैंने धीरे आंटी की चूत के पास तक उंगलियां फिरानी शुरू कर दीं. आंटी के पैर ऊपर उठे होने के कारण ऊपर चल रहे पंखे की हवा भी आंटी की चूत पर लग रही थी. आंटी की मैक्सी हवा में और सरक कर आंटी की चूत को बेपर्दा करने में लगी हुई थी.

धीरे-धीरे करके आंटी की मैक्सी पूरी पेट पर जाकर सिमट गई लेकिन आंटी ने अपनी मैक्सी को ऊपर नहीं किया और ऐसे ही उनके पेट पर पड़ी रहने दिया. वो मुझे अपनी पैंटी के दर्शन करवा रही थी. आंटी की जांघों के बीच में उनकी गुलाबी जालीदार पैंटी के अंदर आंटी की फूल रही चूत मुझे दिखाई देने लगी थी.

अब मुझसे भी कंट्रोल करना मुश्किल होता जा रहा था. मैंने आंटी की चूत तक अपनी उंगलियां पहुंचानी शुरू कर दीं. आंटी की सिसकारियां भी तेज होने लगीं. आंटी ने अपनी जांघों को और चौड़ी करके खोल दिया.

आंटी की पैंटी अब मुझे बिल्कुल ही करीब से दिखाई देने लगी. आंटी की फूली हुई चूत को देख कर मन कर रहा था कि बस आंटी की चूत को नंगी करके अपने दांतों से काट ही लूं. लेकिन मुझे भी आंटी को गर्म करने और उनके लंड लेने के लिए तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था.

इधर मेरे लंड का हाल भी आंटी की पैंटी के अंदर कैद बेहाल चूत को देख कर बुरा हो चला था. मेरे लंड ने मेरी पैंट पर निशान बना दिया था और आंटी अब मेरे लंड को पहले से ज्यादा जोर से दबाने लगी थी. मैं समझ गया था कि लोहा अब एकदम से पूरा गर्म हो ही चुका है और अब अपना वार करने का टाइम भी हो गया है.

मैंने आंटी की पैंटी की तरफ हाथ बढ़ाया और पैंटी को खींच कर एक तरफ कर दिया तो आंटी की चूत के दर्शन मुझे हो गये. आंटी भी इसी पल के इंतजार में थी कि कब मैं उनकी चूत की तरफ अपना हाथ बढ़ाऊंगा. आंटी की चूत देखते ही अब मुझसे भी रहा न गया और मैंने आंटी की गीली हो रही चूत पर अपने होंठों को ले जाकर रख दिया तो आंटी सिहर उठी.

मेरे होंठों के छूने से ही आंटी कसमसा गई. आंटी ने अपने हाथों को मेरे सिर पर लगा लिया और मेरे सिर को अपनी चूत की पंखुड़ियों पर दबा दिया. मैंने मुंह खोल कर जीभ निकाली और सीधी आंटी की चूत में घुसा दी.
आंटी जोर से सिसकारने लगी.

अब बात दोनों के ही काबू से बाहर हो गयी थी. मैं उनकी गुलाबी चूत के अंदर जीभ को डाल कर उनकी चूत का रस चूसने में मस्त हो गया था.
आंटी भी पागल सी हो उठी थी. वो बार-बार मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी. Chhota sa hadsa aunty sex stories.

फिर मैंने आंटी की मैक्सी के अंदर हाथ डाल कर उनके पेट से होते हुए उनके चूचों तक हाथ ले गया. मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से उनके चूचों को दबा दिया. आंटी ने मेरे हाथों को अपने हाथों से दबा लिया और अपने चूचों को दबाने लगी.

जब आंटी से रहा न गया तो वो उठ गई और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरे कपड़ों को खोलने लगी. साथ में ही आंटी मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ कर सहला रही थी. दो मिनट के अंदर ही आंटी ने मुझे पूरा नंगा कर दिया. मैंने आंटी की मैक्सी को उतार दिया और फिर उसकी चूत को चाटने के लिए नीचे झुका तो आंटी ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया.

वो मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी और मुझे अपने साथ 69 की पोजीशन में लेटा लिया. मैंने आंटी की गर्म चूत में जीभ डाल दी और आंटी ने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया. मैं आंटी की रसीली चूत को चाटने लगा और आंटी मेरे लंड को चूसने लगी.

हम दोनों ही मस्ती में खोने लगे. आंटी भी पूरे मजे से मेरे लंड को चूस रही थी.

फिर मैं उठ कर रसोई में चला गया. वापस आया तो आंटी अपनी चूत को अपने हाथ से ही रगड़ रही थी. मैंने आंटी की जांघों को अपने होंठों से चूमते हुए फिर से उनको किस किया और आंटी ने मेरे लंड को मुंह में ले लिया.

जब मैंने आंटी की चूत पर ले जाकर अपना मुंह खोला तो आंटी चिल्ला उठी. मेरे मुंह के अंदर से मैंने छोटा सा बर्फ का टुकड़ा आंटी की चूत पर छोड़ दिया था. आंटी की चूत गर्म थी और आंटी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि मेरे मुंह में बर्फ भी हो सकती है. उसने जोर से मेरे मुंह को अपनी चूत में दबा दिया. आंटी की चूत गर्म भी थी और मेरे ठंडे होंठों के लगने से और भी ज्यादा गर्म हो गई थी. अब आंटी लंड को अंदर डालने की विनती करने लगी.

मगर अभी मैं आंटी को और ज्यादा तड़पाना चाह रहा था मुझे आंटी को तड़पते हुए देख कर बहुत मजा आ रहा था. इधर मेरे लंड का भी बुरा हाल था. फिर मैंने आंटी की चूत में अपनी दो उंगलियां घुसा दीं और तेजी से आंटी की चूत में उंगलियों से चुदाई करने लगा. आंटी की चूत में उंगली करके मैंने हेमा आंटी को पागल कर दिया. फिर आंटी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

चूंकि ये सब अचानक ही हो रहा था तो कंडोम इस्तेमाल करने का तो कोई सवाल ही नहीं था. मेरा लंड आंटी की चूत पर टच हो गया. आंटी जल्दी से लंड को चूत में लेने के लिए उतावली हो उठी थी. लेकिन मैं चूत के बाहर ही लंड को रगड़ता रहा.

तभी आंटी ने बताया कि उनको पेशाब लग आया है. मैंने माहौल को और गर्म करने के लिए आंटी से कहा कि यहीं पर कर दो आंटी. Chhota sa hadsa aunty chudai kahani.
आंटी को भी ये अच्छा आइडिया लगा. मैंने आंटी के चूत के चीरे पर अपना लंड रगड़ना चालू कर दिया. आंटी ने मेरे लंड के ऊपर ही पेशाब कर दिया. उनके गर्म पेशाब से मेरा लंड भीग गया.
अब मेरे अंदर और ज्यादा जोश आ गया. पेशाब की धार बंद होते ही मैंने आंटी को नीचे गिरा दिया और अपना लंड आंटी चूत पर लगाकर उनको जोर से चूसने लगा. मैं आंटी के होंठों को चूसते हुए अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

आंटी ने नीचे हाथ ले जाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और मेरे लंड को खुद ही अपने हाथ के सहारे से अपनी चूत के मुंह पर लगा कर मुझे अपने ऊपर जोर से खींच लिया. आंटी की चूत गीली थी इसलिए लंड गच्च से अंदर चला गया. अब दो बदनों का मिलन हो चुका था. मेरे लंड को लेकर आंटी की चूत फैल गई थी.

आंटी ने मुझे जोर से किस करना शुरू कर दिया. आंटी के नाखून मेरी पीठ पर गड़ गये. वो मेरी गर्दन को चूमने लगी. मैं भी आंटी की चूत में लंड अंदर बाहर करने लगा.

हेमा आंटी की चूत की गर्म चुदाई चालू हो गई थी. अब दोनों को स्वर्ग का सा मजा आने लगा था. आंटी मस्ती से भर गई थी और अपनी गांड को उछाल कर मेरे लंड को पूरा अपनी चूत में ले रही थी.
उनके मुंह से जोर की चीखें निकल रही थीं- और करो चोद दो मेरी चुत को, फाड़ डालो इसको, भर दो अपने वीर्य से इसको उम्म्ह… अहह… हय… याह…
आंटी ने मुझे और जोर से चुदाई करने के लिए उकसा दिया. मैं अब ज्यादा जोर से आंटी की चूत को पेलने लगा. मेरा लंड पूरा कड़क हो गया था.

अब मैं ज्यादा देर नहीं रुकने वाला था. इस बीच में आंटी ने अपने पैर से और हाथों से मेरे को कस कर पकड़ा और ‘हहहहह’ चिल्ला के झड़ गई. बहुत दिनों से सेक्स न करने के वजह से बहुत पानी निकला उसका और मेरा लंड उस पानी में पूरा भीग गया.

लेकिन अभी भी मैंने आंटी की चूत की ठुकाई चालू रखी. फिर दो मिनट के बाद मेरे लंड ने भी अपना लावा आंटी की चूत में निकाल दिया. Chhota sa hadsa aunty story.

हम दोनों के बदन पसीने से तर-बतर हो गये थे. फिर हम दोनों शांत हो गये.

मेरी ये सेक्सी कहानी और नया लिखने का प्रयोग कैसा लगा? जरूर मेल कीजियेगा. कोई चूक हो गयी हो तो माफ कर देना.
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