जवान लड़की की वासना, प्यार और सेक्स-1

(Jawan Ladki Ki Vasna Pyar Aur Sex- Part 1)

मैं एक मध्यम परिवार से हूँ. मेरे माता पिता हमेशा मेरी शादी की चिंता में उलझे रहते थे. उनकी इस उलझन का सबसे बड़ा कारण पैसों की कमी का होना था. बड़ी मुश्किल से वो मुझे और मेरे भाई बहनों को पढ़ा पाए थे. Jawan ladki vasna part 1 hindi sex story.

चूंकि मैं सबसे बड़ी थी, इसलिए मैं भी उनकी चिंता को अपनी चिंता ही समझा करती थी. मैं पढ़ाई लिखाई में बहुत तेज थी, इसलिए मैंने कुछ ट्यूशन करने शुरू कर दिए. जिन बच्चों को मैं पढ़ाती थी, उनमें से कुछ बच्चे बहुत ही धनी परिवारों के थे.

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जो पैसे मुझे ट्यूशन से मिलते थे, उन्हें मैं अपनी मां को दे देती थी. जिन बच्चों की मैं ट्यूशन करती थी, उनमें से एक के पिता किसी कंपनी में महाप्रबंधक थे. वो बहुत ही नेक इंसान थे. जितना वो नेक थे, उतनी ही उनकी लड़की बिगड़ी हुई थी. मैं जो भी उस लड़की को पढ़ाती थी, वो उस पर ध्यान ही नहीं देती थी.

एक दिन मैंने उससे कहा- देखो मैं कल से तुम्हें पढ़ाने नहीं आऊँगी क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मैं तुम्हारे पिता से बेकार में पैसे लूँ … जबकि तुमको पढ़ना ही नहीं है.

मेरी बात सुनकर वो बोली- नहीं दीदी … मैं अब मन लगा कर पढूँगी और आपको कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा … आप प्लीज़ पापा से कुछ ना बोलना.
मैंने कहा- ठीक है.

अभी मैं उसे पढ़ा ही रही थी कि उसका कोई फोन आया और वो दूसरे कमरे में चली गई. उसके जाने के बाद मैंने उसका बैग देखा. जो उसमें मैंने पाया, वो देख कर तो मेरे होश ही गुम हो गए.

उसमें बहुत सी अश्लील किताबें और फोटो वाली मैग्जीन थीं. तभी उसके आने की आहट हुई, तो मैंने झट से उसका बैग बंद कर दिया और इस तरह से बर्ताव किया, जैसे मुझे कुछ पता नहीं है.
मैंने उससे इस बाबत कुछ भी नहीं कहा.

दो दिन बाद उसके पिता ने मुझे ट्यूशन के पैसे देते हुए पूछा- मेरी लड़की की पढ़ाई कैसी चल रही है?
तब मैंने उनसे कहा- सर अगर आप बुरा ना माने, तो मुझे आपसे कुछ कहना है. मगर मुझे डर भी लगता है कि कहीं आप नाराज़ ना हो जाएं.
यह सुनने के बाद उन्होंने मुझसे कहा- आप बिना झिझक के कहो, जो भी कहना है.

इस पर मैंने कहा- सर आप अपनी लड़की पर कुछ नज़र रखें, मुझे लगता है कि उसकी सोहबत कुछ ग़लत लोगों से हो गई है. आप कृपया उसके बैग की बिना उसकी जानकारी के तलाशी लिया करें. इससे अधिक मैं कुछ नहीं कह सकती. मैं आशा करती हूँ कि आप मेरा मतलब समझ गए होंगे.

अगले दिन जब मैं उसको ट्यूशन देने के लिए जाने लगी थी, तो उसके पिता ने मुझे एक मैसेज दिया था कि मैं जल्दी घर आ जाऊंगा और आप मुझसे बिना मिले ना जाना.

खैर अभी मैं उसको पढ़ा ही रही थी कि उसके पिता घर आ गए. उनके घर से जाने से पहले मैं उनसे मिलने गई.

उन्होंने मुझे ना सिर्फ़ धन्यवाद ही किया बल्कि कहा- जब तुम अपनी स्टडी पूरी कर लो, तो हमारे ऑफिस में तुम्हारी नौकरी पक्की है. मैं तुम्हारा बहुत ही बड़ा कर्ज़दार हो चुका हूँ क्योंकि तुमने समय रहते मेरी लड़की को सही रास्ते पर लाने के लिए मेरी बहुत बड़ी सहायता की है. वरना ना जाने यह लड़की कौन सा गुल खिला देती. खैर … अब मैं अपने तरीके से उसको सही रास्ते पर ले आऊंगा.

मैं उनका शुक्रिया करते हुए घर वापिस आ गई.

उसके पिता को बताने का नतीजा निकला कि उन्होंने अपनी बेटी को किसी दूसरे शहर में भेज दिया और मेरी एक ट्यूशन जाती रही.

जब वो मुझे आखिरी बार ट्यूशन के पैसे देने लगे, तो बोले- बेटी यह ना समझना कि तुमको मैं तुम्हारे काम से निकाल रहा हूँ. मैं तो पूरे जीवन भर तुम्हारा अहसानमंद रहूँगा क्योंकि तुमने समय रहते मुझे जगा दिया. मैं तुम्हारी पढ़ाई पूरी होते ही तुमको कोई अच्छी सी नौकरी दे दूँगा या दिलवा दूँगा, तुम कोई चिंता न करना.
मैं उनके घर से चली आई.

जब मैं कॉलेज की पढ़ाई कर चुकी. तब मेरे घर की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो चुकी थी … क्योंकि सबकी पढ़ाई लिखाई में भी खर्चा आता था और फिर कुछ मंहगाई की मार भी पड़ रही थी.

मैं तो अभी आगे पढ़ना चाहती थी, मगर मैं मजबूरी में अपने माता पिता से कुछ ना बोल पाई.
मैंने अपनी एक दो सहेलियों से नौकरी के बारे में बात की, तो उन्होंने कहा- मिल तो जाएगी, मगर जिसके यहां पर नौकरी करनी होगी, वहां उसके कई उल्टे सीधे कामों में उसका साथ देना पड़ेगा.

जब मुझे उनकी बात समझ में ना आई, तब उन्होंने साफ़ साफ़ शब्दों में मुझसे कहा- तुम्हें चुदाई करवानी पड़ेगी.
साथ ही यह भी कहा- एक बात और सुन लो कि तुम्हें किसी काम का कोई तजुर्बा नहीं है, सिवा ट्यूशन करने के. अगर चाहो तो यही काम करो, मगर वो भी तुम छोटी क्लास वाले बच्चों की ही कर सकोगी, जिससे तुमको कम पैसे ही मिलेंगे. वो ट्यूशन भी कोई रेग्युलर नहीं होती क्योंकि ज़्यादातर मां बाप बच्चों की ट्यूशन परीक्षा के दिनों में करवाते हैं. फिर जब किसी काम का तजुर्बा ना हो तो फिर हम लड़कियों को यह भी काम करना पड़ता है. वैसे तुमने सुना भी होगा कि कोई भी फिल्म की हिरोइन बिना इस काम के सफल नहीं होती क्योंकि उनको भी काम लेना होता है, तो उन्हें भी किसी ना किसी लंड के नीचे से निकलना ही पड़ता है. हां जब काम मिलना शुरू हो जाता है, तब वो अपनी मर्ज़ी की मलिक बन जाती हैं.

यह सब सुन कर मैं बहुत हताश हो गई. फिर अचानक से मुझे अपनी उस ट्यूशन के बारे में याद आया, जिसके पिता ने कहा था कि जब पढ़ाई पूरी हो जाए, तो मुझ से मिलना. मैंने सोचा क्यों ना उनसे एक बार मिल लूँ.

मैं उनको फ़ोन से भी बात कर सकती थी, मगर फिर सोचा कि वो कहां अब याद रख पाएंगे मुझ जैसे को. यह सब सोच कर मैंने उनके ऑफिस में ही जाकर बात करना उचित समझा.

अगले दिन मैं सुबह सुबह ही उनके ऑफिस जा पहुंची. वहां पर वो अभी नहीं आए थे. जब मैंने उनसे मिलने की बात की, तो मुझसे कहा गया कि बिना समय लिए उनसे नहीं मिला जा सकता.
मैंने कहा- मेरा उनसे कोई निजी काम है.
तब मुझे बताया गया कि फिर मैं उनसे उनके घर पर ही जा कर मिलूं.

मैं अभी सोच ही रही थी कि क्या करूँ, इतने में वो सामने से आते हुए दिखाई दिए.

गार्ड ने मुझे आगे से हटने को कहा, जो उन्होंने भी सुन लिया. उन्होंने जैसे ही मेरी तरफ देखा तो बोल उठे- अरे पूनम, कैसे आना हुआ … आओ.

वो मुझे अपने कमरे में ले गए. उनका कमरा इतना सुसज्जित था कि मैंने वैसा ऑफिस अपने अभी तक के जीवन में कभी नहीं देखा था.
मुझे अपने साथ ले जाकर उन्होंने पूछा- चाय कॉफ़ी क्या लोगी?
मैंने कहा- नहीं सर, कुछ नहीं चाहिए … मैं तो आपसे अपने किसी निजी काम से मिलने आई हूँ.

इससे पहले कि मैं कुछ बोलती, उन्होंने किसी से फ़ोन पर कहा- जल्दी से दो कॉफी और बिस्किट भेजो.

फिर बिना मेरी कोई बात सुने उन्होंने कहा- पूनम मैं तुम्हारा अहसान जीवन भर नहीं भूल सकता. अगर तुमने समय रहते मुझको ना बताया होता, तो शायद मेरी बेटी मेरा मुँह काला करवा देती. अगर तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो चुकी हो, तो मैंने तुम्हारे लिए एक जॉब अपने यहां पर रिज़र्व की हुई है. तुमको बीस हजार रूपए की तनख्वाह दी जाएगी. काम भी तुमको समझा दिया जाएगा. ऑफिस का टाइम सुबह नौ बजे से शाम को छह बजे तक का है. शनिवार और रविवार छुट्टी रहेगी. तुमको अगर यहां पर काम करते हुए किसी ने कुछ भी कहा, तो तुम सीधा मुझको बोलना. अगर तुम चाहो, तो कल से आ जाना. हां तुम बोल रही थी कि तुम किसी निजी काम से यहां आई थी, बताओ क्या काम था. ये मेरा सौभाग्य होगा, अगर मैं तुम्हारा कोई काम कर सकूँ.

मैंने कहा- सर आपने तो मुझे बिना कहे ही इतना दे दिया है कि मैं कुछ भी कहने लायक नहीं रही. अगर आप सहमति दें, तो मैं आज से ही ऑफिस में काम करना चाहूँगी … और सर आपने जो तनख्वाह बताई है, यदि ये उससे आधी भी होती, तो मैं बहुत ही खुशी खुशी करने के लिए राज़ी हो जाती. मैं तो समझ रही थी कि सात आठ हज़ार की ही नौकरी मिलेगी. मगर आपने तो मुझे पता नहीं कहां से कहां तक पहुंचा दिया.

मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराने लगे.

मैं भी अपने मन में सोचने लगी कि जब मेरी सहेलियों को ये पता लगेगा कि मेरी नौकरी लग गई है, तो उन सबको यही पूछना है कि ये नौकरी पाने में तेरी चूत ने कितनी बार लंड लिया था. क्या एक ने ही चोदा था या एक से ज़्यादा भी थे. इसी झंझावात में मैं आगे सोचने लगी कि जब मैं उनसे बताऊंगी कि ऐसा कुछ नहीं हुआ.

मैं उन सर के ऑफिस से बाहर आ गई. मेरी नौकरी पक्की हो चुकी थी और मुझे उस दिन काम के बारे में समझा कर दूसरे दिन से ज्वाइन करने के लिए कह दिया गया.

शाम को जब मैं अपनी सहेलियों से मिली और उनको अपनी नौकरी की बात बताई, तो वही हुआ. जो मैंने सोचा था. उनके कुछ इसी तरह के सवाल थे. सबका जानने के बाद यही कहना था कि चलो ना बताओ, वैसे हमें सब पता है कि बिना चुदवाए यह कहीं होगा ही नहीं. तुम ना बताना चाहो, तो तुम्हारी मर्ज़ी. अगर ये सही बात है कि तुझे बिना कुछ किए काम मिल गया है, तो वहां पर मेरी भी नौकरी लगवा दो.

चूंकि मैं किसी की नौकरी नहीं लगवा सकती थी, इसलिए मैंने सभी से यही कह दिया कि हां मैंने अपनी चूत के बलबूते पर नौकरी पाई है.
ये सुनकर मानो उनकी बात को मैंने जानबूझ कर सही साबित करवा दिया था.

अब मुझे किसी के प्रमाण पत्र की कोई ज़रूरत तो थी नहीं, इसलिए मैंने यही उचित समझा कि मुझे किसी से क्या लेना देना. सच्चाई क्या है वो तो मैं जानती ही हूँ.

अब मेरे जीवन के दिन बहुत मज़े से कट रहे थे. मैं ऑफिस में देखती थी कि लड़कियों की पगार मुझसे बहुत कम थी. वो भी बहुत बन ठन कर रहा करती थीं. क्योंकि मैं कुछ अपने में ही मस्त रहती थी, इसलिए मुझे सभी कहा करते थे कि यह अपने आपको कुछ ज्यादा खास ही समझती है. जब कि ऐसी कोई बात नहीं थी.

आख़िर मैंने खुद ही सोचा कि मुझे भी इन सबके साथ उठना बैठना चाहिए.

फिर मैंने भी सबके साथ धीरे धीरे दोस्ती बनानी शुरू कर दी. दोपहर का खाना भी उन सबके साथ खाने लगी. खाना खाते हुए सब आपस में बहुत ही गंदी बातें किया करती थीं. कुछ तो शादीशुदा थीं और कुछ मेरे जैसे थीं, जिनकी शादी अभी होनी थी.

मैंने देखा कि सबकी सब लंड और चूत जैसे शब्दों का प्रयोग ऐसे करती थीं, जैसे कि सब्ज़ी में नमक डालना ज़रूरी हो.
उनकी बातों की एक झलक ‘आज मैंने इस तरह से चुदवाया, या उस तरह से चुदवाया.’

मुझे हैरानी उन शादीशुदा लड़कियों से नहीं होती थी … क्योंकि वो तो अपना अनुभव बताया करती थीं. मगर हैरानी तो तब होती थी … जब वो लड़कियां भी, जिनकी अभी शादी नहीं हुई थी, अपनी चुदाई भी बातें बहुत मजे लेकर सुनाती थी. मैं उन सबमें एक अजनबी की तरह से होती थी, जो सुनती सबकी थी, मगर कह कुछ नहीं सकती थी. क्योंकि मैं ऐसा कोई काम नहीं करती थी.

एक दिन उन सभी ने मुझे घेर लिया और पूछने लगीं कि जब तक तुम अपनी चुदाई की कोई बात नहीं बताओगी, तब तक हम तुमको नहीं छोड़ेगीं.

जब मैंने उनसे कहा- मैं सच में सही कह रही हूँ. मैंने कभी भी कुछ नहीं किया … और ना ही मेरी किसी लड़के से किसी तरह की दोस्ती है.
जब उनको ये विश्वास हो गया कि मैं सही कह रही हूँ. तब एक शादीशुदा लड़की ने कहा- यह तो रास्ते से भटक गई है शिवानी … अब तू ही इसे रास्ते पर ला … वरना इसकी जिंदगी खराब ही रहेगी.
शिवानी नाम की लड़की ने कहा- ठीक है … कल मैं इसका पूरा इंतज़ाम करके ही आउंगी.

अगले दिन वो एक पैकेट अपने साथ लेकर आई और बोली- इसे अपने साथ ले जाना और घर पर जाकर खोलना. हां मगर कमरा बंद करके ही खोलना. फिर कल तुम्हारा टेस्ट लिया जाएगा. इस पैकेट में माल के साथ तुमको अपने अनुभव शेयर करना होगा, जो इसमें रखा हुआ है.
मैंने कहा- इसमें क्या है?
तो उसने सबको देखते हए और आँख मारते हुए मुझसे कहा कि जब देखेगी तभी तो पता चलेगा.

फिर मैंने उस पैकेट को खोलने की कोशिश की, तो उसने झट से मेरे हाथ से पैकेट को खींच लिया और बोली- यहां नहीं … घर पर ही, वो भी अकेले में, किसी के सामने नहीं.

मैं चुप हो गई और उस पैकेट को घर ले आई. मुझे बहुत उतावलापन हो रहा था कि देखूं तो इसमें क्या है.

फिर मैंने सोचा कि अगर इसे किसी के सामने खोला, तो हो सकता है कोई मुसीबत ना आ जाए, इसलिए उसको मैंने छुपा कर रख दिया.

रात तो सोने से पहले मैंने उस पैकेट को खोला, तो उसके अन्दर जो था, उसे देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं.

उस पैकेट में एक सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा डिल्डो था और साथ में कई चुदाई की फोटो भी थीं. एक लिखा हुआ काग़ज़ भी था, जो शायद शिवानी ने खुद लिखा था. उस कागज़ में जो लिखा था, वो मैं पढ़ने लगी.

आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है, इसको लेकर आप क्या सोचते हैं, प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.
कहानी जारी है.

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