हेलो दोस्तों, मुझे इस वेबसाइट की Hindi sex kahaniya बहुत ही sexy लगती है, इसलिए मैंने सोचा मैं भी अपनी स्टोरी जो मैंने सालो पहले पढ़ी है, यहाँ पोस्ट कर दूँ| उम्मीद है ये kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story आपको पसंद आये|
मैं श्रीनगर कश्मीर से महक अपने तजुर्बे आप लोगों से शेयर करना चाहती हूँ । कश्मीर को धरती पे स्वर्ग कहा जाता है । यहाँ कुदरती खूबसूरती की भरमार है और यह बात यहाँ की लडकियों मैं भी है । कश्मीरी लडकियों की खूबसूरती के चर्चे बोहुत दूर तक हैं और वोही चर्चे मेरे भी हैं । मैं कॉलेज ख़तम कर चुकी हूँ और नोकरी करती हूँ । सेक्स की आदत छोटी उम्र से लग गयी और उसका कारण था यहाँ के मर्दों की भूख ।
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मेरी याद में सबसे पहली बार मेरा योंन-शोषण तब हुआ जब मैं # साल की थी । एक 18 साल का लड़का प्रकाश कुमार हमारे पड़ोस मैं रहता था और जब भी मैं बाकी बच्चो के साथ खेल रही होती तो वो मुजे साइड पे बुला के मेरे जिस्म पे हाथ फेरा करता और मेरे होंठों को चूसा करता । 10 मिनट ऐसा करने के बाद वह मुझे टॉफी दे देता और बोलता किसी को न सुनाना वरना टॉफी नही मिलेगी। ऐसा काफी दिनों तक चलता रहा और फिर एक दिन वो मुझे अपने घर ले गया। वहां सोफ़ा पे लिटा के उसने पहले 5 मिनट मुजे चूम चूम के बेहाल कर दिया।
फिर अपनी पेंट उतार के मुझे अपना लिंग पकड़ा दिया। मैं हैरान थी क्युकी पह्की बार खड़ा लिंग देख रही थी। उसने मुझे पुछा की टॉफी पसंद है या चोकलेट तोह मेने कहा चाकलेट। उसने मुझसे कहा की अगर चाकलेट चाहिए तो उसका लिंग मसलना पड़ेगा। मैं भोली भाली कमसिन बच्ची थी मुझे क्या पता यह सब क्या होता हे। मैं उसका लिंग हिलाने और मसलने लगी और वोह भी मेरे जिस्म पे हाथ फेरने लगा । फिर उसने मुजे चुम्बन दे के लिटाया और मेरी frock उठा के* पेंटी उतार दी और मेरी टांगो के बीच अपना लिंग रख के आगे पीछे झटके देने लगा ।
साथ ही वोह हमारे मोहल्ले की सबसे सेक्सी सरदारनी जिसका नाम रोमा कौर था और जो मेरी दूर की cousin बेहेन थी उसका नाम ले ले के मुजे चोदने लगा । मैं हैरान परेशान सी सोफा पे लेटी हुई उसका यह कुकर्म झेलती रही । फिर उसने मुझे उलटी लिटा दिया पेट के बल और पीछे से मेरी टांगो में लिंग सटा के धक्कम रेल चलाता रहा। 5 मिनट बाद उसका सफ़ेद घाड़ा पानी निकला और मुझे सीधी करके मेरे पेट और झांघो पे गिरा दिया । मैं हैरान हो गयी क्युकी पहली बार वीर्य देखा था । kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
मेने पुछा यह दही कहाँ से आया तोह वोह कमीना हस के बोला हाँ यह दही है स्वाद ले के देख । मेने ऊँगली से उठा के जीब पे रखा तो अजीव सा नमकीन स्वाद आया । फिर उसने अपनी ऊँगली पे लगा के सारा वीर्य पिला दिया । उसके बाद प्रकाश ने मुझे चोकलेट दी और बोल किसी से ना कहना ।
मुझे चोकलेट पसंद थी और फिर यह सिलसिला चल पड़ा। वह तक़रीबन हर दुसरे या तीसरे दिन मेरा योंन शोषण करता और बदले में चोकलेट या चिप्स दे देता । पर एक बात थी उसने कभी भी मेरे सुराख़ में लिंग डालने की कोशिश नही की ।
यह था मेरा पहले योंन सम्बन्ध जो 6 महीने चला । फिर प्रकाश के पापा का तबादला किसी और शेहर हो गया ।
प्रकाश के चले जाने के बाद अगले कई साल मेरी जिंदगी में कोई नया लड़का नही आया। मैं अब बड़ी हो रही थी और मेरे अंदर नई नई उमंगें जवान होने लगी थी। टीवी पे फिल्मो में दिखने वाले सीन्स मुझे मस्त कर देते। रोमांटिक सीन्स देख देख के मैं भी अपने हीरो की राह देखने लगी थी। कोई भी लड़का मुझे देखता तोह मैं अंदर ही अंदर उम्मीद लगा बैठती की क्या येही हे मेरा राजकुमार।
फिर वोह पल आ ही गया जब मेरा राजकुमार मेरे सपनो को पूरा करने चला आया। मैं अपनी उम्र नही बता सकती क्युकी admin ने warning दी है। आप समझ लें यह वोह उम्र थी जब पहली बार लड़की बच्ची से जवान कहलाने लगती है। हमने अपना घर बदल लिया था और नये मोहल्ले में एक किराये के सेट में रहने चले आये थे। यह पुराने मोहल्ले से बड़ा और ज्यादा पोश एरिया था।
मैंने ध्यान दिया की दो लड़के आते जाते मुझे घूर के आपस में बातें करते हैं। वह दोनों classmate थे और मेरे स्कूल के सीनियर्स भी। मैं भी उनसे बात करना चाहती थी पर उनकी और से पहेल का इंतजार कर रही थी। कुछ दिन बीत गये और मेरी उस मोहल्ले में नई सहेलियां बन गयी। उनमे से सोना दीदी मेरी बेस्ट फ्रंड थी। वोह एकदम खुल्ले ख्यालों वाली पंजाबी कुड़ी थी। मोहल्ले के लडको से उसकी खूब पटती थी।
एक शाम को हम पार्क में खेल रहे थे की तभी सोना दीदी कहीं गायब हो गयी। उनको ढूँढने के लिए मैं पार्क के पिछले कोने में गयी तोह वहां झाड़ियों से मुजे सोना दीदी के हस्सने की आवाज़ आई। मैं चोकन्नी हो गयी और बड़े ध्यान से करीब गयी। वहां जो हो रहा था उस से मेरे होश उड़ गये। सोना दीदी को दो लडको ने अपने बीच दबोच रखा था और उनकी स्कर्ट उठी हुई थी कमर तक। मेरे दिमाग में प्रकाश के साथ बिताये पल याद आने लगे और मेरा जिस्म मस्ती के सैलाब में बहने लगा।
मैं सोना दीदी की हरकतों को देख के हैरान भी थी और उनकी हिम्मत की दाद भी दे रही थी। तभी वह दोनों लडको पे मेरी नजर पड़ी तोह देखा की यह वही दोनों हैं जो मुझे घूरते थे। मैने ध्यान से उनकी बातों को सुना तोह पता चला की वह मेरे ही बारे में बातें कर रहे थे। सोना दीदी ने उनको मेरा नाम बताया और कहा की वह दोनों सबर रखें तोह मेरी उनसे दोस्ती करवा देंगी। यह बात सुन के मेरा दिल मस्ती से कूदने लगा और मैं वहां से चली आई।
15 मिनट बाद वह तीनो भी आ गये और सोना दीदी ने मुझे बुला के अपने दोनों दोस्तों से परिचय करवाया। उनके नाम विजय और पियूष था। विजय ऊँचा लम्बा हट्टा कट्टा लड़का था। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story and She has partnered with leading Hyderabad call girls, allowing her to sharpen her expertise and elevate her service quality.
रंग सांवला और चेहरे पे शेव बनाई हुई थी जिस से अंदाजा हो गया की वह व्यस्क हो चूका था। मोहल्ले के सभी लड़ों पे उसका दबदबा था क्युकी वह बॉडी बिल्डिंग करता था gym में और अमीर माँ बाप का इकलोता बेटा था। उसके पापा पंजाबी ब्राह्मण और माँ कश्मीरी पंडित थी। पियूष कश्मीरी पंडित लड़का था। एकदम गोरा चिट्टा और चिकना पर बातों का उतना ही तेज़ और चिकनी चुपड़ी बातें करने वाला। विजय ने दोस्ती का हाथ मेरी और बढाया और मैंने भी बिना देरी के अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया पियूष भी मेरे पास आया और हाथ आगे बढाया पर विजय मेरा हाथ छोड़ने को तयार ही नही था।
सोना दीदी हस्स्ते हुए बोली महक विजय का हाथ छोड़ेगी या बेचारा पियूष खड़ा रहे। मैं शर्म से लाल हो गयी पर विजय ने बेशर्मो की तरह मेरा हाथ पकडे रखा। मुझे मजबूरी में अपने बायें हाथ से पियूष का हाथ थामना पड़ा। यह देख के सोना दीदी बोली की तुम दोनों नई सरदारनी के चक्कर में पुरानी को भूल तोह नही जाओगे। इस्पे विजय ने हस के कहा की चिकनी सिखनियो का साथ नसीब वालों को मिलता है। इस बात पे हम सब खूब खिलखिला के हस दिए और हमारी दोस्ती का सफ़र शुरू हो गया
नये माहोल में आ के एज नये खुल्लेपन का एहसास होने लगा था। विजय और पियूष से दोस्ती करके नई उमंगे परवान चड़ने लगी थी। सोना दीदी भी खूब बढ़ावा देती थी मुझे। एक दिन शाम को हम सारे छुप्पा छुपी खेल रहे थे। मैं विजय के साथ एक दीवार के पीछे छुप गये। पियूष सोना दीदी के साथ उनके घर के टॉयलेट में छुप गये जो बाहर बना हुआ था लॉन में। विजय ने मुझे अपने सामने कर लिया और चुप रहने को कहा।
तभी राजू जो हम सबको ढूंड रहा था वहां आया पर हम विजय ने मोका देखते मेरा हाथ पकड़ा और पियूष के टॉयलेट की और दौड़ पड़ा। मैं भी विजय का साथ देती हुई वहां पोहंच गयी। विजय ने पियूष से दरवाजा खोलने को कहा और फिर हम दोनों भी अंदर घुस गये। अब जो हुआ उसके लिए मैं बिलकुल तयार नही थी।
विजय मेरे पीछे खड़ा हो गया और पियूष सोना दीदी के। फिर पियूष ने अपने कूल्हे को सोना के नितम्बों पे रगड़ना शुरू कर दिया। मैं आंखें खोल के सोना को देख रही थी पर उसने मुझसे कहा ऐसा करने में बोहोत मज्जा आता हे। मैं कुछ समझ पाती उससे पहले विजय ने अपने कूल्हे को मेरे नितंबो से लगा दिया। मेरी सिस्कारियां निकल गयी पर सोना ने मेरा हाथ थाम के मुझे चुप रहने का इशारा किया। बाहिर राजू हमें ढूंड रहा था और अंदर हम रासलीला मन रहे थे।
विजय ने अपना मोटा लम्बा लिंग मेरे नितंबो के बिच की दरार में फस्सा दिया था और अब हलके हलके धक्के दे के वोह मुझे प्रकाश की याद दिला रहा था। मेने घुटनों जितनी फ्रॉक पहनी थी और वोह भी अब विजय ने हाथ से उठानी शुरू कर दी। मेरी गरम सांसें तेज़ी से चलने लगी और विजय भी अब अपनी साँसों को मेरी गर्दन गले और पीठ पे छोड़ने लगा जिस से मेरी मस्ती दोगुनी होती गयी। सामने पियूष ने सोना की स्कर्ट कमर तक उठा ली हुई थी और अपने कूल्हों को बड़ी तेज़ी से उसके नितंबो पे रगड़ रहा था। हम चारों की तेज़ सांसें उस छोटी सी जगह पे कोहराम मचा रही थी।
पियूष ने सोना की पेंटी उतार दी थी और घुटनों तक खिसका दी थी। सोना की हालत बदहवासी से भरी हुई थी और वह पियूष को उकसा रही थी । इधर विजय बड़े ध्यान से मेरी हालत पतली करने मैं लगा हुआ था। मेरी फ्रॉक अब कमर तक उठ चुकी थी; मेरी पेंटी भी घुटनों तक खिस्सक गयी हुई थी और विजय का लिंग भी बाहिर आ गया था। मेने अपने नग्न नितम्बों पर उसका गरम नंगा लिंग महसूस किया और बिजली के झटके से महसूस करते हुए विजय के अगले कदम का इंतजार करने लगी। विजय ने भी देर नहीं की और सीधे अपने लिंग को मेरी झांघो के बीच फस्सा दिया। मेरी उमंगें तरोताजा हो गयी और मैं हवस के खेल का खुल के मज्जा लेने लगी।
अब मेरी नज़र सोना पे पड़ी जो की घोड़ी की तरह झुकी हुई थी और तक़रीबन नंगी हो चुकी थी पूरी तरह। पियूष ने अपने लिंग पे थूक लगा के सोना के नितंबो के बीच गुदा सुराख में ल फसा के तेज़ धक्का मारा । सोना की हलकी चीख निकली और फिर उसने अपने होंठो को दांतों तल्ले दबा दिया। उफ्फ्फ क्या नज़ारा था …. पियूष का लिंग सोना के अंदर बाहर हो रहा था और सोना झुक्की हुई मज्जे ले ले के मरवा रही थी।
मेरा मन किया की काश सोना की जगह मैं होती। तभी विजय ने अपने लिंग पे थूक लगा दी और फिर मुझे झुकने को कहा। मैं भी बिना सोचे समझे झुक गयी और आने वाले तूफ़ान की तयारी करने लगी। फिर विजय ने भी मेरी गुदा सुराख में थूक लगा के ऊँगली अन्दर घुस्सा दी। मेरी सांस उपर की उपर और नुचे की निचे रुक गयी। पर कुछ ही पलों बाद सब सामान्य हो गया और अब विजय की ऊँगली पूरी तेज़ी से मेरी गांड में अंदर बाहिर होने लगी। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
इसके बाद विजय ने मेरी गांड में और थूक लगा के अपने लंड को लगा दिया। फिर मेरी पतली कमर को थाम के एक कर्ररा शॉट मारा। मेरी जोर से चीख निकल गयी और मैंने विजय को धक्केल के पीछे हटा दिया। विजय ने मुझसे पुछा क्या हुआ तोह मैं बोली की बोहोत दर्द हुआ। इस्पे विजय ने सोना की और इशारा करके कहा की यह भी तो पूरा लंड ले रही हे। मैं घबरा गयी थी और गांड मरवाने का शोक मेरे दिमाग से उतर चुक्का था । विजय ने भी मोके की नजाकत को समझते हुए मुझे छोड़ दिया। मैं उस टॉयलेट से बाहेर निकली और अपने घर चली गयी। पर सारी रात विजय की अशलील हरकतें बार बार याद आती रही और सोना के कारनामे भी नींद उड़ाते रहे
उस रात मुझे नींद नही आई। सारी रात करवट बदल बदल क निकली। सुबह हुई तोह मैं स्कूल को तयार हो के चल दी। दोपहर लंच ब्रेक में विजय मेरे पास आया और हस्स्ते हुए पुछा कल दर्द हुआ था क्या। मेने सर हिला के इशारे से हाँ कहा। वोह बोला शुरू में दर्द होता हे फिर बाद में सिर्फ मज्जा आयेगा जेसे विभा लेती हे। मैंने सर हिल के हाँ कहा और फिर पुछा कि सोना दीदी को भी पहली बार दर्द हुआ था। इस्पे विजय हस के बोला की विभा की जिसने फर्स्ट टाइम ली होगी उसको पता होगा हम तोह उसके शिष्य हैं और उस्सी ने हमें यह सब सिखाया। मैं इस बात पे हस दी और विजय भी मेरे साथ खूब हस्सा ।
फिर विजय मुझे स्कूल कैन्टीन ले गया और चिप्स पेप्सी वगेरा मंगवा दी। मैं घर से सूखे ठन्डे फुल्के और गोबी की सब्जी लायी थी जो मुझे बिलकुल पसंद ना थी। विजय भी यह बात भांप गया और उसने मुझसे आगे से लंच लाने से मना कर दिया। आज से मेरा लंच विजय के साथ कैन्टीन में होगा। तभी वहां पियूष और सोना भी आ गये।
विजय ने उठ के पहले पियूष फिर सोना को हग किया ओर हम चारो बेठ गये। विजय बोला चलो आज बंक मार के फिल्म देखने चलते हैं। मैंने मना किया तो विजय ने कहा विभा और पियूष तुम दोनों चलोगे क्या। वह तयार हो गये। फिर तीनो स्कूल के पिछले गेट पे गये और विजय ने वहां खड़े दरबान को 50 रूपए दिए तोह उसने गेट खोल दिया। तभी सोना ने मुझे आने का इशारा किया। मेरी कुछ समज में आये उससे पहले विजय मेरे पास आया और हाथ पकड़ के साथ चल पड़ा। मैं कोई विरोध नहीं कर पाई और हम चारो स्कूल से बाहर आ गये।
हम सब सिनेमा पोहंच गये और विजय ने 4 टिकेट खरीदे। हम अंदर पोहंचे तोह फिल्म स्टार्ट हो गयी थी। इमरान हाश्मी और उदिता गोस्वामी की अक्सर में खूब गरमा गरम सीन थे और जब तक हम सीट पे बेठें तब तक इमरान ने उदिता को चूमना चाटना शुरू कर दिया था। मैं और सोना बीच में बेठे और पियूष विजय हमारे साइड पे। विजय मेरी और था इसलिए मैं उसकी शरारतों के लिए मन ही मन तैयार थी।
और उसने भी समय बर्बाद नही किया, सीधे अपने हाथ को मेरी झांघ पे रख के हलके हलके मसलने दबाने लगा। मैं उस समय उतेजना से भर गयी और अपने सर को उसके कंधे पे टिक्का के उसको ग्रीन सिग्नल देदी। वोह बायें हाथ से झांघों को मसलने में लगा था और दायें हाथ को मेरे कंधो से होते हुए मेरे उरोजों को मसलने लगा। पहली बार मुझे अपने मम्मों पे किसी मर्द के स्पर्श का असर महसूस होने लगा । इतना मज़्ज़ा आता होगा मम्मे दबवाने में तो कब की शुरू हो गयी होती।
उधर पियूष ने विभा की स्कर्ट के अंदर हाथ दाल के उसकी हालत खराब कर दी थी। साथ ही वोह उसके मम्मों को बारी बारी से निचोड़ रहा था। मैं उसकी हरकतों को देख रही थी की तभी पियूष ने मेरी और देख के गन्दा इशारा किया, मैं नाक मरोड़ के उसके इशारे को अनदेखा कर दिया। तभी उसने विभा की शर्ट के उपर वाले 2 बटन खोल के उसमे अपना हाथ घुसा दिया। मेरी तो आंखें फटी की फटी रह गयी पर विभा उसका पूरा साथ देती हुई मुस्कुराती हुई मम्मे पुटवाती रही। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
यहाँ विजय ने भी अपनी हरकत तेज़ करते हुए मेरी शर्ट के 2 बटन खोल दिए और हाथ अंदर दाल दिया। मेरी चीख निकल गयी पर उसने दुसरे हाथ से मेरा मुह दबा दिया। पियूष सोना और विजय तीनो मुझे घूर के देखने लग्गे, मैं भी शर्मिंदा महसूस करती हुई सोरी सोरी कहने लगी। विभा ने मुझे डांट लगाते हुए कहा की अब मैं बच्ची नही रह गयी हूँ। मैं भी शर्म से लाल हो गयी थी और उसको भरोसा देते हुए बोली की आगे से ऐसा नही होगा।
मैं शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी। विजय का हाथ मेरी शर्ट के अंदर था और मेरे नग्न उरोजों के साथ जी भर के खेल रहा था। मैं अपनी कक्षा की उन गिनी चुनी लड़कियों में से थी जो ब्रा पेहेन के आती थी। हाला की विभा मुझसे 2 कक्षा आगे थी परन्तु मेरे उरोज उसके उरोजो को अभी से टक्कर दे रहे थे।
विजय ने मेरी ब्रा में हाथ डाला हुआ था और मेरे चिकने मम्मे कस कस से निचोड़ने में लगा हुआ था। मेरी हालत खराब होती जा रही थी, योनी से रस बह बह के पेंटी को गीली कर चूका था। सांसें उखाड़ने लगी थी हवस के सैलाब में। उधर मेरी दाएँ ओर बेठी विभा की हालत मुझसे भी खराब थी। पियूष कभी सोना के होंठ चूसता तो कभी अपना मूंह उसके मम्मों पे रख देता जिन्हें वोह ब्रा से बाहेर निकाल चूका था। विभा के निप्पल मूंह में लेके वोह चूसे जा रहा था और विभा के चेहरे पे हवस के रंग साफ़ झलक रहे थे।
हमारे आस पास भी येही सब चल रहा था। जवान जोड़े अपनी रंग रलियों में बेखबर योंन सुख का आनंद ले रहे थे । अब पियूष ने अपनी अगली चाल चलते हुए ज़िप खोल के अपने लिंग को बाहर निकाल लिया। विभा ने भी झट से उसके 4इंची लिंग को थाम के मसलना शुरू कर दिया। उनको देख विजय केसे पीछे रहता, उसने भी ज़िप खोली और अपना विशाल लंड बाहर निकाल लिया।
उफ्फ्फ में उसका लंड देखते ही परेशान हो गई क्युकी वह पियूष के लिंग से 2 इंच लम्बा ओर दोगुना मोटा था। उसका लंड अभी से कॉलेज के लडको के साइज़ का हो गया था। मैंने अपने कांपते हुए हाथ उसके लंड पे रख के महसूस किया की उसके लंड में आग जेसी गर्मी और दिल जेसी धड़कन थी। मेरे हाथ का स्पर्श पाते ही विजय का लंड उछल उछल के हिलने लगा। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
विजय अपने हाथो से मेरे जिस्म को गरमा रहा था और मैं भी जोश में आ के तेजी से उसके लिंग पे अपने हाथ फिसला फिसला के योंन सुख ले रही थी। उधर सोना के हाथ तेजी से पियूष का हस्त मैथुन कर रहे थे कि तभी पियूष के लिंग से सफ़ेद घाढा दही जेसा माल पिचकारी मारता हुआ छूट गया और विभा के हाथों को भर गया। इधर मैं जोश से भर गयी और तेजी से विज्क्य के लंड की सेवा करने लगी। कुछ पलों में विजय ने भी अपनी पिचकारी छोड़ दी पर उसने मेरे सर को थाम के अपने लंड पे झुका लिया जिस कारण उसका माल मेरे हाथों से साथ साथ ठोड़ी और होंठो पे भी गिरा। पूरानी यादें ताज़ा हो गयी जब मेने अपने होंठो पे जीभ फेरी। वोही नमकीन सा स्वाद और चिपचिपा एहसास।
हमने अपने आप को संभाला और साफ़ सफाई करके बैठ गये। फिल्म ख़त्म हुई और हम सब बाहिर आ गये। मैं शर्म से सर झुका के चल रही थी पर सोना के चेहरे पे कोई शर्म नही थी। वह उन दोनों लड़कों से हस हस के बातें करती चलती रही। तभी विजय ने मेरा हाथ थाम लिया और पुछा क्या बात है चुप क्यूँ हो। इसपे मेने विजय की आँखों में आंखें ड़ाल के कहा कि यह सब ठीक नही जो हम कर रहे हैं। विजय मुस्कुराया और बोला तुम मेरी गर्ल फ्रेंड बनोगी ? मैं ख़ुशी से फूले नही समा रही थी और मेने झट से सर हिला के हामी भर दी। शायद मुझे विजय से प्यार हो गया था
सिनेमा के अंदर हुए अनुभव ने मुझे बोल्ड बना दिया था और अब मैं काफी खुल गयी थी। स्कूल और घर दोनों जगह विजय मेरे साथ मस्ती करने का कोई मोका नही छोड़ता। विजय के लिंग का हस्त-मैथुन करते करते और उस से निकले वीर्य का स्वाद लेते लेते 2 हफ्ते हो गये थे ।फिर एक दिन शनिवार को हाफ-डे स्कूल छुट्टी के बाद विजय मुझे अपने घर ले गया।
वहां उसने मुझे अपना आलिशान 2 मंजिला बंगला दिखाया । उस समय वहां उसके नोकर के सिवा कोई ओर नही था। फिर अंत मैं जब पूरा बंगला अन्दर बाहर से देख लिया तो वह मुझे अपने मम्मी-पापा के बेडरूम ले गया । वहां उसने एक अलमारी खोली और किताबों के निचे से एक मैगज़ीन निकाली। मैं तब तक बिस्तर पे बेठ चुकी थी। विजय ने वो रंगीन मैगज़ीन मेरे सामने रख के कहा यह ब्लू-मैगज़ीन हे।
मेने पहले कभी ब्लू-मैगज़ीन नही देखी थी पर देखने की इच्छा जरुर थी। मेने पहला पन्ना खोला तो दंग रह गयी। उसपे ढेर सारी तसवीरें थी जिन में अंग्रेज युगल जोड़े सम्भोग की अलग अलग क्रिया में दिख रहे थे। मेने विजय की और देखा और मुस्कुराते हुए पुछा कि ये गन्दी मैगज़ीन कहा से लायी तो उसने बिलकुल बेबाकी से कह दिया की मम्मी पापा की हे। मैं हैरान हो गयी और 2 पल के लिए यह सोचने लगी कहीं मेरे मम्मी पापा भी तो ऐसी गन्दी मैगज़ीन नही देखते ? खैर मैं वापिस मैगज़ीन में खो गयी और पन्ने पलटा पलटा के सेक्स को नये तरीके से जानने लगी।
उसमे हस्त-मैथुन तो था ही, पर पहली बार गुदा-मैथुन, मुख-मैथुन और योनी-मैथुन के नज़ारे देखने को मिल रगे थे । ओर साथ ही साथ एक मर्द-दो लडकियां या एक लड़की-दो मर्द एकसाथ सेक्स करते देखने को मिले। यह सब देख देख के मेरी हालत का अंदाज़ा आप सब लगा ही सकते हो, एक तो कच्ची उम्र उपर से बॉय-फ्रेंड का साथ । मेरी योनी गीली हो चुकी थी और जिस्म हवस की गर्मी से लाल हो गया था। विजय भी शायद इसी मकसद से मुझे अपने घर लाया था और अब मेरी हालत से उसको मेरे किले में अपना झंडा गाड़ के जीत का जशन मानाने का आसान मोका दिख रहा था।
मैगज़ीन देखते देखते मेरा मन बोहत विचिलित हो चूका था। मेरे हाथ पैर थरथरा रहे थे ओर सर भारी हो गया था। जेसे जेसे पन्ने पलट रही थी वेसे वेसे हवस की दासी बनती जा रही थी । अब विजय ने अपनी चाल चली और मुझे पकड़ के पेट के बल लिटा दिया और खुद मेरे उपर चढ़ गया । मैं कुछ कहती उस से पहले मैगज़ीन मेरे सामने रख दी और बोला ऐसे देख । उसका 6इंची लंड मेरे पिछवाड़े की दरार में सटा हुआ महसूस हो रहा था।
अब विजय मैगज़ीन के पेज पलटा रहा था और मुझे समझा भी रहा था की यह पोज केसे लेते हैं । पर मेरा ध्यान अब उसके लिंग पे था जो मेरे पिछवाड़े को निहाल कर रहा था । मेने स्कूल ड्रेस पहनी हुई थी, स्कर्ट और शर्ट । विजय ने अब मुझसे कहा की वो मुझे मैगज़ीन वाला मज्जा देना चाहता हे, मेने भी व्याकुल मन से हामी भर दी ओर उसको ग्रीन सिग्नल दिया । विजय ने मेरी स्कर्ट उठाना शुरू की, मेरी चिकनी जवानी नंगी होती जा रही थी। स्कर्ट कमर तक उठा देने के बाद विजय ने मेरी पेंटी झटके से निचे खींच दी, और पेरों से बाहर करके मुझे कमर के निचे पूरी नंगी करके मेरे चिकने शरीर पे अपनी हाथ फेरने लगा।
अब मैं बिलकुल से हवस की गिरिफ्त में थी ओर विजय की अगली चाल का इंतजार करने लगी। तभी विजय ने मैगज़ीन को वोह पन्ना खोला जिस पे गुदा-मैथुन की तस्वीर थी । मैं विजय का इशारा समज गयी और मन ही मन से खुद को तयार करने लगी । विजय ने अब मेरे चिकने मांसल और गुदाज चुतड की दो फांको को अपने दो हाथो से चीर के अलग किया और फिर पुछा की थूक लगा लू या तेल ? मेने कोई जवाब नही दिया तोह उसने थूक लगा के मेरी गांड को चिकनी करना शुरू कर दिया। अच्छी तरह से थूक लगाने के बाद उसने ऊँगली मेरी गांड में घुस्सा दी। मेरी हलकी सी चीख निकली पर ऊँगली अंदर घुस चुकी थी और अब विजय उसको अंदर बाहर करने लगा।
मेरे अंदर हवस का तूफ़ान तेज होता जा रहा था । विजय ने अब ऊँगली निकाल ली और फिरसे थूक लगा के गांड को चिकनाई से भरने लगा। फिर उसने अपनी पेंट खोली और लिंग पे थूक लगा के मेरे गुदा-द्वार पे टिका के बोल, सरदारनी तयार हो जा थोडा दर्द होगा पहले फिर मज़ा ही मज़ा । मेने लम्बी सांस ली और शरीर ढीला छोड़ दिया । विजय ने मेरे चुतड खोल के लंड को एक झटका देते हुए मेरी गांड में घुसेड़ना चाहा पर सुराख तंग होने के कारण लंड फिसल गया।
विजय ने मुझे अपने दोनों हाथ पीछे लाने को कहा और बोला कि में अपने चुतड हाथो से फैला लू । मेने वेसा ही किया ओर अब विजय को आराम से लंड अंदर डालने का अवसर मिल गया । अगले ही पल विजय के लिंग-मुंड ने मेरी गांड के तंग सुराख को चीरते हुए जगह बना के अंदर प्रवेश पा लिया।
मेरी तेज़ चीख निकली पर विजय ने मेरा मूंह बंद कर दिया और अब तेज़ी से धक्के मार मार के अपने लंड को मेरी तंग गांड में घुसाता गया । मैं पीड़ा से कराह रही थी पर विजय ने मेरा मूंह बंद कर रखा था। 8-10 धक्कों के बाद वोह रुक गया और मेरे मूंह से हाथ हटा के मेरे ऊपर लेट गया। मैंने विजय से रोते हुए कहा कि मुझे छोड़ दे यह सब मुझसे नही होगा । उसपे विजय ने कहा की अब रोती क्यों हे लंड पूरा अंदर हे ।
मुझे यह जान के थोड़ी राहत मिली की लंड पूरा अंदर था, अब मेने अपने शरीर को ढीला कर दिया जो कि अब तक अकड़ा हुआ था दर्द से । विजय ने भी अब हलके हलके धक्के देने शुरू किये ओर कुछ देर में ही मेरा दर्द काफी कम हो चूका था । विजय ने लंड पूरा बाहर खिंच के फिर से मेरी गांड और अपने लंड पे थूक लगा के फिरसे पोजीशन बनाई ओर अब की बार आराम से लंड अंदर घुसाने लगा। इस बार दर्द कम हुआ ओर मज़ा ज्यादा आया, मेने भी शरीर ढीला छोड़ दिया ओर विजय को आराम से चोदने को कहा ।
विजय अब स्पीड बढ़ा के तेज़ी से मेरी ले रहा था । साथ ही बोल रहा था की विभा से ज्यादा मज़ा तेरे साथ आ रहा हे, तुम सरदारनी कुडियां मस्त होती हो ओर मज्जे से गांड मरवाती हो । मैं यह जान के खुश हुई की विभा से ज्यादा मज़ा मुझ में था और अब में भी गांड उठा उठा के लंड लेने लगी। यह देख के विजय का जोश दोगुना हो गया ओर उसने मेरी कमर थाम के ताबड़ तोड़ लंड को मेरी गांड में मारना शुरू कर दिया।
मैं भी जोर जोर से सिस्कारियां मारती हुई गांड मरवा रही थी कि तभी विजय मेरे उपर निढाल सा गिर गया ओर उसके लंड से वीर्य की धार मेरे अंदर बहने लगी। 2 मिनट वेसे ही मेरे उपर पढ़ा रहने के बाद वोह उठा ओर तोलिये से अपना लंड साफ़ करके मेरी गांड पे रख दिया। में सीधी हुई ओर अपनी गांड को तोलिये से साफ़ करके पेंटी पहन ली। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
अब तो सिलसिला चल पड़ा था मेरा और विजय का, जब भी मोका मिलता विजय मुझे घर पे या स्कूल में दबोच के मेरी ले लेता । पर धीरे धीरे मुझे एहसास होने लगा था कि इस सब में प्यार तो हे ही नही । विजय कभी भी मुझे किस नही करता और न ही प्यार भरी रोमानी बातें करता, वह बस मोका मिलते ही मुझे झुका के स्कर्ट उठाता,पेंटी उतारता और थूक लगा के मेरी गांड मार लेता।
एक दिन मेने सोना दीदी से इस बारे में बात की, उसने मुझे यकीन दिलाया कि विजय बोहत अछा लड़का हे ओर मुझे उस जेसा बॉय-फ्रेंड नही मिलेगा। तभी विजय और पियूष वहां आ गये, सोना ने विजय को झिडकी लगा के मेरा ख्याल रखने को कहा। पियूष को मोका मिला और उसने विजय को मेरा ख्याल रखने की सलाह देते हुए यह कह दिया कि अगर वोह ख्याल नही रखेगा तो में रखूगा। पियूष की आँखों में अजीब सी चमक थी, ओर मुझे पहली बार पियूष में एक अछा इन्सान नजर आया। वेसे देखने में ओर बोल-चाल में पियूष विजय से कई कदम आगे था ओर मेने पहली बार ध्यान दिया की पियूष विजय से कितना गोरा चिकना ओर स्मार्ट था ।
स्कूल ख़त्म होने के बाद हम चारो बाहर निकले ओर विजय के कहने पे ice-cream खाने पास के रेस्टोरेंट की ओर चल दिए। विजय मेरी दायें ओर था पर उसका ध्यान मुझसे ज्यादा विभा में था। पियूष मेरी बाएँ तरफ था ओर बार बार मेरी आँखों में आंखें डाल के कुछ कहने का यतन कर रहा था। तभी चलते चलते उसने अपना हाथ मेरे नितम्ब पे चिपका दिया, मेरी सिसकारी निकल गयी पर उसने जल्दी हाथ हटा लिया। मेने उसकी ओर देखा तो वोह मुस्कुरा दिया, मैं भी उसकी बेशर्मी से भरी मुस्कान पे लुट सी गयी ओर मुस्कुरा दी ।
हम सब अंदर बैठे ice cream का मज्जा ले रहे थे। पियूष मेरे सामने और विजय विभा के सामने बता था। तभी मुझे किसी के पेर अपनी टांग से छुते हुए महसूस हुए। मुझे लगा विजय ही होगा,इसलिए विरोध नही किया और बेठी रही। आहिस्ते से वो पेर मेरी दोनों टांगो के बिच से घुटनों तक आ गये। पर विजय तो ऐसी हरकतें करता ही नही था, वह तो बस मेरे भारी भरकम कूल्हों का दीवाना था। खैर हमने ice cream ख़त्म की ओर चल पड़े।
मेरा ध्यान पियूष की पेंट की ओर गया तो समझ गयी की मुझे पेर से कोन छेड़ रहा था; पियूष की पेंट में टेंट बना हुआ था । मैं मुस्कुरा गयी शर्म के मारे ओर चेहरा लाल हो गया, पियूष ने भी मेरी नजर पकड ली थी जब में उसके लिंग को घूर रही थी। वह भी मुझे देख मुस्कुराया ओर एक फ्लाइंग किस चोरी से मेरी ओर भेज दी। मेने भी आंख के इशारे से उसे जता दिया कि मेने उसकी फ्लाइंग किस कबूल करली।
धीरे धीरे पियूष मेरे करीब ओर विजय मुझसे दूर होते जा रहे थे। एक दिन हम चारो विजय के घर शनिवार के दिन हाफ-डे छुट्टी के बाद गये। वहां हम विजय के मम्मी पापा वाले बेडरूम में बैठे थे जहाँ विजय ने कोई 20 बार मेरी गांड ली होगी। बातों बातों में ही ब्लू-फिल्मो पे आ गये तो पता चला की विभा को xxx फिल्म्स देखते हुए 2 साल हो चुके थे, ओर यह बात भी पता चली की विजय ने विभा को भी इस कमरे में बुला के फिल्मे देखी हैं। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
धीरे धीरे माहोल गरम हो गया। विभा ने बताया की जब पहले पहले विजय उसकी लेता था तो दर्द कितना हुआ करता था, इस बात पे मैंने भी अपने दर्द भरे एहसास को बता दिया। फिर बात पियूष ओर विजय के लिंग के साइज़ की हुई तो दोनों ने जल्दी से अपने कपडे उतार के तन्ने हुए लंड सामने करते हुए बोला बताओ कोन किसका पसंद करती हे। विभा ने झट से विजय का 6इंची काला लम्बा लंड पकड़ लिया। मेरी नज़रें पियूष के 5इंची गोरे चिट्टे लंड पे टिक्की हुई थी। पर शर्म के मारे मेने कोई हरकत नही की ओर चुप चाप बेठी रही। तभी पियूष विभा की ओर बढ़ा और उसके होंठों को अपने मूंह में भर के रसपान करने लगा।
विभा को उन दोनों के साथ खुल के अय्याशी करते देख मुजे विजय की दिखाई हुई ब्लू-मैगज़ीन याद आई जिस में एक लड़की 2 या 3 मर्दों के साथ लगी होती थी। तभी विजय ने पुछा किसे किसे ब्लू-फिल्म देखनी हे। हम सब ने एक स्वर में हामी भर दी।
विजय ने अलमारी से एक cd निकाली ओर dvd player में डाल दी। फिल्म शुरू हो गयी ओर साथ ही साथ उन तीनो की अय्याशी भी।
विभा उन दोनों को बड़ी आसानी से संभाले हुए थी। एक तरफ विजय का लंड हाथों में सहलाते सहलाते और तगड़ा कर रही थी दूसरी तरफ पियूष से अपने होंठो को चुसवा चुसवा के मदमस्त कर रही थी। ब्लू-फिल्म on हो चुकी थी ओर मेरा सारा ध्यान उसमे होने वाले हवस के प्रदर्शन पे चला गया। एक इंडियन सी दिखने वाली लड़की को दो अंग्रेजो ने घेर रखा था ओर बारी बारी से उसके जिस्म से खिलवाड़ कर रहे थे। कभी मम्मे चूसते तो कभी होंठो का मदिरापान करके उसकी मदहोशी बढ़ाते। इधर विजय ओर पियूष पूरे नंगे हो के विभा को भी नग्न करने में जुट गये।
यह सब देख के मेरे दिल-o-दिमाग पे गहरा असर पढ़ रहा था। प्यार ओर हवस के बीच का फर्क अब बेमानी हो गया था। जिस विजय से पहले मुझे प्यार हुआ ओर जिस पियूष के लिए मेरे दिल में नये जज्बात उभर रहे थे वह दोनों मेरी आँखों के सामने मेरी सहेली ओर स्कूल की सबसे चालू ओर बदनाम सरदारनी के साथ हवस का नंगा नाच खेल रहे थे।
पर मैं भी तो विभा कौर की राह पे चल पड़ी थी, अब मेरे लिए पीछे हटना संभव नही था। दो-दो हवस भरे नज़ारे देख के मेरा दिमाग मेरे काबू से बाहिर होता जा रहा था। मैंने भी अब अयाशी के समुन्द्र में डुबकी लगाने की ठान ली ओर उन तीनो के देखते देखते अपने जिस्म से स्कूल यूनिफार्म की स्कर्ट ओर शर्ट उतार के बिस्तर पे उनके साथ जा मिली।
हम चारों नंगे बेड पे ब्लू-फिल्म का आनंद ले रहे थे। मुझे नंगी देख पियूष ने विभा को छोड़ के मेरे पास आ गया था। ओर फिर मेरी नंगी कमर में हाथ डाल के अपने चिकने नंगे गोरे बदन से चिपका लिया। मैं भी शरम लाज की सभी सीमओं को लाँघ के पियूष से चिपक गयी। फिर पियूष ने मेरे रसीले होंठो का रसपान शुरू किया, ओर निचे से एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मेरी चीख निकली ओर तभी विजय ओर विभा का ध्यान मेरी ओर गया।
हेलो दोस्तों, आपकी महक वापिस आ गयी है अपनी desi kahaniya लेके. ये hindi sex story लोगो को काफी पसंद आई है उसके लिए शुक्रिया. अब में इस Hindi Sex Stories का आखिरी भाग पेश करने जा रही हूँ. kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
हम चारों नंगे बेड पे ब्लू-फिल्म का आनंद ले रहे थे। मुझे नंगी देख पियूष ने विभा को छोड़ के मेरे पास आ गया था। ओर फिर मेरी नंगी कमर में हाथ डाल के अपने चिकने नंगे गोरे बदन से चिपका लिया। मैं भी शरम लाज की सभी सीमओं को लाँघ के पियूष से चिपक गयी। फिर पियूष ने मेरे रसीले होंठो का रसपान शुरू किया, ओर निचे से एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मेरी चीख निकली ओर तभी विजय ओर विभा का ध्यान मेरी ओर गया।
मैं पियूष से अलग हो के अपनी योनि को पकडे हुए लेटी थी, पियूष परेशान ओर विजय हैरान था। पियूष ने पुछा की तेरी इतनी टाइट क्यों हे, विजय तो बोलता हे की खूब ली हे। इस्पे मेने कहा की सामने से कुवारी हूँ, विजय पीछे से लेता हैं। विभा यह बात सुन के हस दी ओर बोली, विजय तो बस पीछे से लेने का शोकीन हे, सामने से पियूष ही लेगा तेरी। यह सुन के मैंने पियूष की ओर देखा तो वोह चमकती आँखों से मेरी ओर देख के बोला, तयार हो जा अपनी सील तुडवाने को। मैं थोडा सा घबरा गयी ओर प्रेगनेंसी के डर से उनको अवगत करवाया। मुझे माँ नही बनना था इसलिए मेने उनसे बता दिया जो मेरे दिल में था।
विभा ने हस्ते हुए कहा की घबरा मत कुछ नही होगा, में भी तो चूत देती हूँ इनको, मैं कभी प्रेग्नेंट नही हुई। मेने पुछा केसे तो वो बोली की हम लडकियों के पेट से होने के चांस महवारी के 7 दिन बाद बोहत कम होते हैं, उन दिनों में चूत मरवाया करना। मेरे दिल में ओर जितने सवाल थे में उनसे पूछती गयी, वीर्य को लेके या कंडोम को लेके, माला-डी और एबॉर्शन, शादी ओर बच्चे, प्यार और हवस…. हर मुद्दे पे हमने खुक के बात की ओर जब मुझे संतुष्टि हो गयी तो में भी योनी संभोग के आनंद का मज़ा लेने को व्याकुल हो गयी
मैंने पियूष के लिंग को हाथों में लेके मसलना शुरू किया। उधर विभा झुक के विजय के लंड को चूस रही थी जेसे ब्लू-फिल्म में हो रहा था। पियूष ने मुझे इशारा किया चूसने का, मैं भी झुक गयी ओर मूह खोल के उसके गोरे लंड का सुपाडा मूंह में ले के स्वाद किया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ …. क्या नज़ारा था। मोहल्ले की दो सबसे हसीन ओर सेक्सी कुडियां झुक के अपने मुंह में लंड लिए हुए थीं, ओर दोनों एक दुसरे से आगे बढ़ना चाहती थी। विभा अनुभवी थी ओर लिंग को धीमी लय से चूस रही थी, वहीँ मैं जोश से भरी हुई तेज़ी से लिंग-मुंड पे अपने रसीले होंठ चला रही थी। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
विजय ओर पियूष दोनों की हालत खराब थी ओर किसी भी समय झड सकते थे। तभी विजय ने अपना लंड विभा के मुंह से खीँच लिया, ओर मेरे पीछे आ गया। मैं पियूष का लंड चूसने में व्यस्त थी की तभी मेरे गोरे चिट्टे भारी चुतड के बीच विजय का फनफनाता लंड महसूस हुआ। मेने पियूष के लिंग को मुंह से निकाल के पीछे देखा तो विजय तयार था ओर तभी मेरी गांड में तेज़ दर्द के साथ उसका मोटा सुपाडा मेरी गुदा में प्रवेश कर गया। मेरे मुंह से चीख निकली,”हाय रब्बा …ओउह ओह आओह … दर्द हो रहा विजय निकाल लो प्लीज़” परन्तु विजय पे हवस का भूत सवार था ओर वो अपने फूले हुए लंड को मेरी गांड की गहराइयों में अंदर ओर अंदर करता गया तेज़ धक्कों से।
उधर पियूष ने फिरसे मेरे मुंह में अपने लिंग को ठूस दिया ओर अब महक दो दो लंड अपने अंदर ले के निहाल हुए जा रही थी। विजय के धक्के तेज़ होते गये ओर कुछ ही पलों बाद उसका कामरस मेरी गुदा में बहने लगा। में भी विजय को झड़ते हुए महसूस कर रही थी, उसके लंड की नस्सें फूल ओर सिकुड़ के मेरी चिकनी गांड में वीर्य का सैलाब भर रही थी। मुझे गरम लावा अपने अंदर बहता हुआ महसूस हो रहा था।
अब विजय निढाल हो के बिस्तर पे गिर गया पर मुझे आज़ादी नही मिली क्युकी पियूष मेरे मुंह में हलकी लैय बना के धक्के देता हुआ मेरा मुंह चोद रहा था। तभी पीछे से विजय ने अपनी ऊँगली मेरी योनी में घुसा दी, मुझे महसूस हुआ की इस बार मेरी चूत योंन-रस से पूरी भीग चुकी थी ओर विजय की ऊँगली सरक के बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी। विजय मेरी चूत को ऊँगली से चोद रहा था जबकि पियूष मेरे लम्बे केश पकड़ के तेज़ी से मेरा मुख-मैथुन कर रहा था। मेरी योनी में विजय की ऊँगली नये नये करतब करती हुई मुझे अपने चरम की ओर ले के जा रही थी।
विजय की ऊँगली मेरी योनी में एक तूफ़ान सा ले आई थी। जेसे जेसे विजय ऊँगली अंदर बाहर करता वेसे वेसे मैं अपने चरम के पास पुहंच रही थी। विजय तेज़ तेज़ ऊँगली चलाने लगा, मेरी भी अब बर्दाश्त करने की शकती समाप्त होती जा रही थी। मेने अपने मुंह से पियूष का लंड निकाल लिया ओर अपने चेहरे को तकिये में धंसा के योनी में उठने वाली तरंगों का आनंद लेने लगी। फिर कुछ ही देर बाद वह पल आ गया जब पेट की गहराई में कुछ टूटता हुआ महसूस हुआ, ओर फिर एक भावनात्मक शारीरिक ओर मानसिक तौर पे जिंदगी का सबसे हसींन एहसास जो एक उफनते हुए सैलाब की भांती सारे बाँध तोड़ के बाहिर निकल आया । मेरे जीवन का यह पहला सखलन था, पर यह कुछ ऐसा नशा था जिसकी लत्त पहली ही बार में लग गयी ।
अगले कुछ मिनटों तक में यूँही बेसुध सी बिस्तर में पड़ी हुई झटके खा रही थी, जब मुझे होश आया तोह पियूष मेरी टांगो के बीच आ चूका था ओर अपने लिंग को मेरी करारी योनी पे रगड़ रहा था। में जानती थी अब क्या होने वाला था, पर अपना कुवारापन खोने का डर तो हर भारतीये लड़की को होता ही हे। मेने पियूष से रुकने को कहा, पर इस से पहले की में कुछ समज पाती, पियूष ने तीर निशाने पे छोड दिया। तीखे दर्द से में एकदम दोहरी हो गयी ओर चीख चीख के पियूष को मेरी योनी से अपना लिंग निकालने की गुजारिश करने लगी। पर मेरी किसी बात का असर नही हुआ ओर वो मुझे बिस्तर में दबा के मेरी योनी की गहराई नापने में जुट गया। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
दूसरी ओर विभा doggy पोज में झुकी हुई थी और विजय उसकी चूत पीछे खड़ा हो के मार रहा था। उसके लम्बे केश विजय ने लगाम की तरह पकड रखे थे ओर खींच खींच के लंड पेल रहा था अंदर बाहर। हम दोनों अपने रब को याद करके “हायो रब्बा हायो रब्बा” का जाप कर रही थी, जब की पियूष ओर विजय दोनों अपने अपने लंड से हमारी सेवा में जुट गये थे। मेरे दर्द में अब कुछ कमी होने लगी क्योंकि चूत पानी पानी हो चुकी थी जिस से लंड को अंदर बाहर करना में आसानी ही रही थी।
पियूष ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा ली ओर दूसरी तरफ विजय ने तो शताब्दी रेल की भांति विभा की चूत में तूफ़ान भर दिया था । आखिरकार वह पल आ ही गया , ओर हम चारों एकसाथ अपने चरम पे पहुँच गये । मैं ओर विभा “… हाय रब्बा.. ओह हाय वाहेगुरु … आह् मार सुटेया…” कहती हुई झड़ने लगी तो दूसरी तरफ पियूष ओर विजय ” ओह गॉड… फ़क यू… बहनचोद मज़्ज़ा आ गया सरदारनी … ओर ले और ले ” जेसे शब्द बोल के हमारे अंदर ही झड गये
पियूष द्वारा योनी कोमार्य भंग करवाने के बाद विजय ने मोर्चा संभाला । विभा ने चूस चूस के उसका लंड लोहे की रॉड जेसा सख्त कर दिया था ओर लगातार योंन क्रीडा करने से उसका रंग बैंगनी सा हो गया था । विजय ने मेरी कमर उठा के चुतड के नीचे तकिया टिकाया ओर फिर मेरी चिकनी गोरी झांघों के बीच पोजीशन बना के बैठ गया। तब तक पियूष भी अपना लिंग धो के बाथरूम से निकला ओर बिस्तर का नजारा देख के उतेजित हो के मेरे पास आ गया। उसने मुझसे कहा कि मुझ में विभा से बढ़ के मज़ा हे। फिर उसने विजय की ओर देख के कुछ इशारा किया ओर मेरे होंठो पे अपना मुंह रख के जबरदस्त किसिंग करने लगा। मैं उसके किस करने के अंदाज की कायिल थी ओर कुछ ही पलों में उसके किस में खो गयी।
पर यह खुमारी ज्यादा देर की नही थी, विजय ने अपने बड़े से लंड को मेरी योनी में थास के धकेल दिया … मेरी चीख भी पियूष ने निकलने नही दी अपने मुंह को मेरे मुंह पे दबा के । विजय ने आव देखा ना ताव ओर जंगली सांड की तरह मेरी कमसिन करारी चूत में ताबड़ तोड़ अपना लौडा पेलता चला गया ।मेरे निचले पेट में हर धक्के से तेज़ दर्द का एहसास हो रहा था, पर विजय था की रुकने का नाम ही नही ले रहा था। मैं अपनी मजबूर हालत को समझते हुए अपने रब्ब को याद करने लगी। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ तो पियूष ने मेरे मुंह से अपना मुंह हटा लिया। अब मैं खुल के अपने एहसास को बयान करती हुई चुदवाने लगी। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
पीड़ा की जगह अब आनंद ने ले ली थी ओर में बढ़ चढ़ के उनका साथ देने लगी। पियूष ने मेरे निम्बू जितने उरोज को हाथों से मसलना शुरू किया ओर विजय ने मेरी दोनों चिकनी गोरी टांगो को उठा के अपने कंधो पे रख लिया । अब तो चुदवाने में मुझे जन्नत का मज़ा आने लगा, में अब ” ओह येस फ़क मी हार्ड ” और “जोर से विजय ओर अंदर ओर अंदर” जेसी बातें बोल के विजय को उकसाने लगी। विजय भी मेरे इस बदले हुए रूप को देख के बोखला गया ओर एकदम वेह्शी बन के मेरी चूत मरने लगा। कुछ देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया ओर मैं झड गयी। मेरे बाद ही विजय भी झड गया ओर मेरे उपर निढाल सा हो के गिर गया ।
मेरी योनी सूझ गयी थी । उसका रंग लाल सुर्ख हो गया था । विजय और पियूष बाहर विभा से गप्पें मार रहे थे और में अंदर बिस्तर पे पड़ी हुई अपनी हालत पे रो रही थी। फिर जेसे तेसे में कड़ी हुई, कांपती टांगो से चल के बाथरूम गयी और खुद को शावर के नीचे खड़ी कर के नहा धो के साफ़ करने लगी ।
फिर नहा के यूनिफार्म पहनी और बाहर निकली, मुझे देख के उन तीनो ने बातें बंद करदी। में बड़ी मुश्किल से चल रही थी, विभा मेरे पास आयी और बोली की ऐसे घर जायगी तो सब शक करेंगे। वो मुझे फिरसे अंदर ले गयी और विजय से बोली की दूध गरम कर दे । फिर उसने पियूष को बाज़ार से पैन किलर लाने को कहा। अब मेरे साथ बैठ के विभा ने अपने पहले योंन अनुभव के बारे में बताया। आज से 3 साल पहले उसका कोमार्य ट्यूशन वाले सर ने किया था, और तभ भी उसकी येही हालत हुई थी। फिर उन्होंने गरम दूध और पैन किलर टेबलेट दी थी जिस से बोहुत आराम मिला था। मेने विभा से पूछा कि प्रेगनेंसी का कोई खतरा तो नही? वह बोली अगर तेरी माहवारी हफ्ता पहले आयी थी तो कोई टेंशन नही।
तब तक पियूष टेबलेट ले आया था और विजय ने अपने हाथों से गरम दूध से वह टेबलेट खिल दी। करीब आधे घंटे बाद मुझे काफी फर्क पढ़ गया और में घर जाने की स्थिथि में थी।
उस रात मुझे नींद नही आई। एक तरफ कुंवारापन खोने का दुःख, दूसरी और जिंदगी में पहली बार स्वर्ग का एहसास कराता योंन सखलन । एक तरफ लिंग से मिलने वाला दर्द तो दूसरी और उस्सी लिंग से मिलने वाला सुख। एक तरफ हवस में डूबे तीन खुदगर्ज़ लोग तो दूसरी तरफ मेरी तकलीफ का हल ढूँढ़ते हुए वोही तीन दोस्त । बस इसी कशमकश में सारी रात निकल गयी और सुबह 4 बजे कहीं जा के थोड़ी सी नींद की kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
अगले एक महीने मेरी खुल के चुदाई हुई । पियूष ओर विजय ने मुझे योंन क्रीडा में निपुण बना दिया था, विभा तो थी ही एक्सपर्ट एडवाइस के लिए । अब मेरे लिए दुनिया बदल चुकी थी । मर्दों को देखने का नजरिया भी बदल चूका था । पहले कभी कोई अंकल जब मुझे गोद में बिठाता या गाल चूमता तो सामान्य लगता तगा, पर अब वोही हरकत जिस्म में योंन वासना से भरी सिरहन पैदा कर देती। ओर ऐसा भी नही की सब अंकल लोग मुझे बच्ची की नजर से देखते हों। कुछ ऐसे भी थे जो मुझे आसान शिकार के रूप में देख रहे थे।
ऐसे ही एक इन्सान थे राजदीप । वह पापा के दोस्त थे ओर अक्सर उनका हमारे घर आना जाना था। में महसूस करती थी की जब भी वह घर आते तो उनकी आंखें मुझे ही ढूँढ रही होती । वह बाहर लॉबी में बेठ के अक्सर मेरे बारे में पूछते,
फिर पापा मुझे आवाज़ लगा के बुलाते और कहते कि राजदीप अंकल आये गें। ओर जब में उनके सामने जाती तो उनकी आँखों की चमक से शर्मा जाती। फिर वह चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा करते, में पास जाती तो वह हस के मुझे अपनी गिरफ्त में लेके गाल पे थपकी लगा के गोद में बिठा देते ओर फिर चॉकलेट देते। में महसूस करती की नीचे मेरे नितंबो पे कोई चीज चुभ रही हे, और वह चीज अब मेरे दिलो दिमाग पे छाया हुआ मर्दों का औज़ार था जिससे हम लिंग लंड लौड़ा इत्यादि के नाम से जानते हैं ।
राजदीप अंकल मुझे गोद में बिठाने का कोई मोका नही छोड़ते। में वेसे तो उनके साथ विजय पियूष वाला सम्बन्ध नही सोच रही थी पर फिर भी मेरे दिमाग में ये सवाल अक्सर आता था कि राजदीप अंकल के इरादे क्या हैं , क्या वह बस यूँही गोद में बिठा के खुश रहेंगे या फिर किसी दिन मुझे विजय पियूष की तरह टांगें उठा रौंद डालेंगे।
मेने अब महसूस करना शुरू कर लिया था कि में जहाँ भी जाती हूँ, मर्दों और लड़कों की नज़रे मुझे जरूर घूरती हैं। चाहे स्कूल हो या ट्यूशन, बाजार हो या पार्क, पार्टी फंक्शन हो या सत्संग, यहाँ तक की गुरद्वारे जाते हुए बाहर खड़े लड़के भी मेरे जिस्म को ताड़ रहे होते। धीरे धीरे मेरी समझ में ये बात आने लगी थी कि जगह कोई भी हो, समय कोई भी हो, मर्द मर्द ही रहेंगे। वह किसी भी धर्म जाती के हो, जो मर्जी उम्र हो उनकी, जो मर्जी काम धंधा हो उनका, मर्दों को हम लडकियों की अजब सी ना भुझने वाली प्यास रहती हे । kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
एक दिन स्कूल बस में घर आ रही थी, सीट खाली नही थी इसलिए खड़ी थी। साथ बैठे कंडकटर ने मुझे अपने पास जगह बना के बेठने का इशारा किया, में भी थकी हुई थी सो बैठ गयी। बस रस्ते पे दौड़ रही थी और उस कमीने के हाथ की उँगलियाँ मेरी चिकनी गोरी ओर स्कर्ट से बाहर झांक रही सुडोल झांघों पे । में पहले तो चौंक के ठिठक गयी, फिर आगे पीछे नजरें घुमा के देखी कहीं किसी ने देखा तो नही। कोई नही देख रहा था, मुझे ऐसा लगा, और फिर मेने उस कमीने की आँखों में ग़ुस्से से देख के उसको डराने की कोशिश की पर उसने आगे से कमीनी मुस्कुराहट से जवाब दिया। मुझे लगा कि में और झेल नही सकूँगी इसलिए सीट से खड़ी हो गयी। उसने हाथ हटा लिया और मेने राहत की सांस ली।
ऐसी ऐसी घटनाएं अब आये दिन मेरे साथ होने लगी थी। कोई दिन ऐसा नही जाता जब मुझे अपने नितम्बों उरोजों झांघों कमर इत्यादी पे मर्दों के फिसलते हाथ ना महसूस हों। ओर सबसे खतरे वाली बात थी के मुझे इसकी आदत सी होती जा रही थी।
फिर एक दिन जब में घर पे अकेली थी की तभी बेल बजी। मेने दरवाजा खोल तो सामने राजदीप अंकल खड़े थे
सामने राजदीप अंकल को देख मेरी हवाइयां उड़ गयी। वह सीधे अंदर आ गये और पूछा की मम्मी पापा कहाँ हैं, जब की उनको पता था की इस वक़्त घर पे कोई नही होता। मेने कहा बाहर हैं बस आते ही होंगे। पर राजदीप जनता था कि कोई नही आने वाला अगले कई घंटो तक सो वह अंदर आ के लॉबी में बैठ गया।
मेने उनके लिए पानी पुछा पर उन्होंने चॉकलेट निकाल के मुझे पास आने का इशारा किया। में अकेली थी घर पे इसलिए थोडा घबराई हुई थी, सो मेने चॉकलेट नही ली। राजदीप ने जब देखा की में पास नही आ रही तो वह खुद खड़े हो के मेरे पास आने लगे। में झट से लॉबी के बाहर निकल गयी ओर अपने आप को उनसे दूर करने लगी। पर वो मेरा नाम लेते हुए पीछे आ रहे थे। “महक बेबी कहाँ जा रही हो…. अंकल के पास आओ … में आपके लिए गिफ्ट लाया हूँ…”
गिफ्ट का नाम सुनते ही में खड़ी हो गयी, राजदीप भी पास पोहंच गये ओर मुझे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढाया पर में भी कच्ची गोलियां नही खेली थी सो झट से दूर हो गयी। अंकल ने अब अपना अगला दाव चला, और जेब में हाथ दाल के मुझसे कहा की गिफ्ट यहाँ हे आ के लेलो। मेरी नजर उनकी पेंट की जेब पे पड़ी परन्तु मेरा ध्यान उनके गुप्तांग वाली जगह पे बने टेंट पे गयी । कितना बड़ा लग रहा था अंकल का लिंग, विजय ओर पियूष तो बच्चे थे उनके सामने। मेरे अंदर एक अजीब सी लहर पैदा हुई जिसने मेरे पक्के इरादों को कमजोर कर दिया, में अंकल से दूरी बना के रखना चाहती थी पर उनका खड़ा लंड मुझे उनके पास जाने को मजबूर करने लगा। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
में इसी कशमकश में खड़ी थी की तभी राजदीप ने एक झपटे में मेरी नाज़ुक कलाई पकड़ ली ओर हस्ते हुए एकदम पास आ गया। उनकी आँखों में जीत की चमक थी, वेसी ही जेसी किसी योधा को जंग जीत की होती होगी। राजदीप ने जंग तकरीबन जीत ली थी, बस अब सरदारनी के किले में झंडा गाड़ने की देर थी। उन्होंने मेरा हाथ अपनी पेंट की जेब में डाला और कहा की गिफ्ट लेलो। मेने हाथ अंदर टटोला तो गिफ्ट नही था, पर वो चीज हाथ में आ गयी जो दुनिया की सबसे अच्छी गिफ्ट हो सकती हे किसी भी सेक्सी सिखनी के लिए।
राजदीप मुझे पीछे करते हुए बेडरूम की तरफ ले गये। मैं घबराई हुई उनकी और देखती हुई रह गयी ओर वह मुझे बिस्तर पे फेंक के मेरे उपर सवार हो गये, ऐसा लग रहा था जेसे एक भैंसा किसी बकरी पे चढ़ गया हो। मैं उनके अगले कदम के बारे में सोच रही थी कि उन्होंने मेरी दोनों कलाइयाँ थाम के सर के उपर कर दी ओर अब मेरे गले गरदन ओर गालों को चूमने लगे। उनकी आँखों में हवस का अशलील साया साफ़ दिखाई दे रहा था, पर में बेसहारा लाचार सी उनके निचे पड़ी हुई उनकी हवस का शिकार बन रही थी।
फिर धीरे धीरे उन्होंने अपने कूल्हों को हिलाना चालू किया, मेरी योनी पेट ओर झांघों पे उनके मोटे औजार की रगड़ साफ़ महसूस होने लगी। बीच बीच में वह मेरी चूत में हमला करने की कोशिश करते जिस से मुझे उनका लंड चुभन का एहसास देता, कपडों के उपर से ही। मेने हरे रंग की फ्रॉक पहनी थी जो की अब काफी उपर तक उठ चुकी थी ओर मेरी गोरी चिट्टी झंघें राजदीप को दीवाना बना रही थी। वह मेरी झांघों को जोर जोर से मस्सल के लाल करने में जुट गये, में भी एक वयस्क मर्द के हाथों की कलाकारी का आनंद लेना शुरू कर चुकी थी। विजय ओर पियूष तो नोसिखिये थे, पर राजदीप अंकल एक परिष्कृत खिलाडी जिसने न जाने कितने किले फ़तेह किये हुए थे। एक कमसिन सिखनी को जीत के उसे अपनी हवस मिटाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नही था ।
अब 10 मिनट हो गये थे राजदीप को मेरे उपर चढ़े हुए, ओर अब तक मेरी प्रतिरोध करने की क्षमता ख़त्म हो चुकी थी, उलटे अब में भी अंकल का खुल के साथ देने लगी थी। मेरी सिस्कारियां बेडरूम में गूँज रही थी, मेरा तन्ना हुआ जिस्म उनके नीचे मछली की तरह मचल रहा था, ओर मेरे हाथ उनके बालों को सहला रहा थे। अंकल को शायद अंदाजा नही होगा की यह कमसिन सी दिखने वाली सरदारनी कितने बड़े कारनामे कर चुकी थी, इसलिए जब मेने खुल के उनका साथ देना चालू किया तो वो थोडा हैरान जरुर हुए, पर फिर दोगुना जोश के साथ मुझ पे टूट पड़े ओर मेरे योवन रस का सवाद लूटने लगे
राजदीप मेरे उपर चढ़ के मुझे रगड़ रहे थे। उनके मरदाना स्पर्श से में एकदम मस्त हो गयी थी ओर खुल के उनका साथ दे रही थी। अब वह थोडा सीधे हुए ओर अपनी ज़िप खोल के अपने विशालकाय लंड को बाहर निकाल लिए। विजय पियूष के लंड ले ले के मुझे चुदने का चस्का लग गया था, पर अंकल के 8इंची लम्बे ओर मेरी कलाई जितने मोटे लंड को देख के चुदवाने की इच्छा गायब हो गयी।
अंकल ने मेरी फ्रॉक उपर उठा दी ओर फिर पेंटी नीचे खीँच के मुझे नंगी कर दिया। मेने कुछ दिनों से सफाई नही की थी इसलिए योनी पे बाल उग आये थे, अंकल ने मेरी योनी अपनी हथेली में ले के मस्सल डाली जिस कारण मेरी चीख निकल गयी।
राजदीप ने पुछा तुम सफाई नही करती हो क्या, टी मेने कहा हाँ करती हूँ पर पिछले हफ्ते नही कर पायी अब इस एतवार को करूंगी
यह सुन के राजदीप जोश से भर गये और मेरे होंठों गालों को मुंह में भर के पीने लगे। में भी मस्ती में उनका साथ दे के अपने योवन रस को लुटवाने लगी। अब उन्होंने मेरी गोरी चूत को फैलाया और घप से एक ऊँगली अंदर घुसा दी। में इस अचानक हुए हमले के लिए तयार नही थी, मेरी चीख निकल गयी kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
में : हायो रब्बा ओऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह ऊईईईईई
राजदीप : क्या हुआ बेबी?
में : अंकल प्लीज़ बाहर निकालो ना ….. मुझे दर्द हो रहा हे
राजदीप : बेबी तुम तो गीली हो गयी हो, देखो कितने आराम से ऊँगली खा रही हे तुमारी चूत
यह बोल के अंकल ने ऊँगली अंदर बाहर करना चालू करदी। सही में बड़े आराम से अंदर बाहर ही रही थी।
राजदीप: बेबी तुमारी चूत अंदर से बड़ी गरम भी हे; एकदम तंदूर जेसी
में : हायो रब्बा ऊई आह ओह ओह उह्ह उह्ह उह्ह
राजदीप : बेबी मेरा लंड चूसोगी ?
में : अंकल यह भी कोई चूसने की चीज हे … छी छी
पर राजदीप पे हवस का भूत सर चढ़ के बोल रहा था, वह मेरी चूत से ऊँगली निकाल के मेरी छाती पे चढ़ गये और अपने विशाल कड़क लिंग को मेरे मूंह पे मरने लगे।
में : अंकल आपका बोहोत बड़ा हे
राजदीप (सवालिया आँखों से) : नही बेबी यह तो नार्मल साइज़ हे
में : नहीं अंकल यह बोहत बड़ा हे, इतना बड़ा मेने कभी नही देखा।
राजदीप (मुस्कुराते हुए) : महक बेबी तुमने कितने लंड देखे हैं?
में अपनी गलती देर से समझी पर तब तक देर हो गयी थी। मेरा राज़ खुल गया था ओर अब राजदीप अंकल मुझ पे हावी होते चले गये
राजदीप मेरे जिस्म को नोच नोच के निशान डाल रहे थे, ख़ास करके झांघ चुतड उरोज ओर टांगों पे। में घबरा रही थी कहीं कोई आ गया तो क्या होगा। मेरे अंदर डर और उतेजना का मिला जुला भाव उफान भर रहा था। फिर तभी राजदीप ने मेरी टांगें ओर चोड़ी करके खोली अपनी एक ओर ऊँगली घप से घुसेड दी, मेरी चीख निकल गयी पर राजदीप ने कोई रहम नही दिखाया ओर अब उनकी दो ऊँगलीयां मेरी टाइट चूत की गहराई ओर चोडाई नापने में जुट गयी। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
धीरे धीरे हवस का मज़ा मेरे डर पे हावी होने लगा था, राजदीप भी एक कलाकार की भांति मेरे अंदर की चालू कुड़ी को बाहर निकाल रहा था।
राजदीप : बेबी बोलो ना तुमने कितने लंड देखें हैं
में : अंकल वो वो एह वो एह एह ह्म्म्म ….
( मेरी बोलती बंद हो गयी थी, मेरा राज़ खुल चूका था ओर इसीलिए राजदीप मुझ पे जोश से सराबोर होके टूट पड़े थे।)
में : अंकल वो एह वो बस एक ही देखा हे।
राजदीप : किसका ?
में : है कोई स्कूल का सीनियर।
राजदीप : उसी ने तुमारी चूत मारी हैं क्या ?
में शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। पर में जितना शरमाती राजदीप उतना ही हावी हो के मेरी चूत में ऊँगली करते। अब तो उनकी 2 उँगलियाँ भी सटासट अंदर बाहर हो रही थी जिस कारण में अपने चरम के करीब पुहंच गयी थी। में अपने चूतड उठा उठा के उनकी उँगलियाँ लेने लगी। यह देख के राजदीप के चेहरे की हैरानी ओर उनकी आँखों में हवस की चमक साफ़ नजर आ रही थी। उन्होंने मेरे होंठों को अपने मूह में भर दिया ओर रस चूस चूस के मेरे होंठ पीने लगे, साथ ही निचे उनकी उंगलियों ने अपनी करामात दिखाते हुए मेरा काम कर दिया। में तेज़ तेज़ झटके खाती हुई झड़ने लगी ओर अपना योनी-रस राजदीप की उंगलियों ओर हाथो पे फेंकने लगी
में बिस्तर पे निढाल पड़ी हुई थी। मेरी योनी ओर झंघें भीग चुकी थी मेरे कामरस से। मेरी आंखें बंद थी ओर में मंद मंद मुस्कुराते हुए ओरगास्म का मज़ा ले रही थी की तभी एक कठोर झटके ने मेरे होश उड़ा दिए। राजदीप ने अपने तन से सारे कपडे जुदा करके साइड को रख दिए थे ओर उनका मूसल समान लंड मेरे अंदर था। मेरी चीख निकली पर उन्होंने मेरा मूह बंद करके एक करारा शॉट मारा जिस से उनका मशरुम जेसा सुपाडा मेरी टाइट चूत में घुस गया। मैं दर्द से तड़प रही थी, ओर राजदीप को धक्के दे के पीछे हटाने की कोशिश करने लगी। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
राजदीप पक्का खिलाडी था, उसने भी आव देखा ना ताव और लंड को अंदर घुसेड के ही रुका । पूरा लंड मेरी कमसिन चूत में ठेल लेने के बाद वो रुका और अपनी सांसें सँभालने लगा। मेरी हालत बोहत खराब थी, ऐसा लग रहा जेसे कोई छुरी कलेजे में उतार दी हो, जेसे कील ठोक दी हो दिल की गहराई में। कुछ देर यूँही पड़े रहने के बाद राजदीप ने लंड बाहर खिंचा, मेरे अंदर फिरसे दर्द की लहरें पैदा होने लगी और मेने राजदीप से लंड बाहर न निकालने की गुज़ारिश की पर उसने मेरी एक न सुनी। पूरा लंड बाहर निकाल के वह मेरी चूत को निहारने लगे, फिर मुस्कुरा के पुछा…
राजदीप : बेबी तुम अब लडकी से औरत बन गयी हो, केसा लगा मेरा लंड ले के?
में : स्स्स्स्स्स्स्स्स उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अंकल मुझे बोहत तेज़ जलन हो रही हे, लगता मेरी फट गयी हे
राजदीप : बेबी तुमारी तो पहले से थोड़ी फट्टी हुई थी, आज पूरी फाड़ के तुम्हे औरत बना दिया हैं। अब तुम किसी भी मर्द को खुश कर सकोगी
में : ऊ ऊ ऊ ऊह्ह जलन हो रही हे अंकल , कुछ करो भी अब
राजदीप ने मेरी हालत को समझा और मेरी टांगों के बीच झुक गये, फिर अपना मूह मेरी योनी पे ले जा के अपनी लम्बी जीभ निकाली ओर मेरी जलती हुई चूत पे रख दी
मेरी चूत को जलन से आराम मिला जब राजदीप अंकल ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटना शुरू किया। मेरे लिए एक नया एहसास था यह, ओर कुछ ही पलों में मेरी जलन खत्म हो चुकी थी। अब में अंकल की इस अत्यंत रोमांचित हरकत से मंत्रमुग्ध हो गयी , मेरे अंदर फिर से एक नये चरम तक पहुँचने की लालसा जाग गयी। अंकल मेरी चूत के सुराख में जीभ घुसेड के दाएं बाएँ घुमा के मुझे पागलपन की हद तक मज़ा दे रहा थे, फिर जीभ को चूत से बाहर निकाल के मेरे क्लाइटोरिस की सेवा करने में जुट गये। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
में : ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ अंकल अह्ह्ह्ह आह ऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मर गयी हाय रब्बा
राजदीप : ऊम्म्म्म्म्म बेबी तुम तो जन्नत हो, खुदा की कसम तुम ने मेरा दिल जीत लिया है। मुझे उम्मीद नही थी की इतनी नादान सी दिखने वाली सिखनी इतना मज़्ज़ा देगी
में : अंकल आप ने मुझे जितना मज़ा दिया आजतक किसी ने नही दिया था। में हर वक़्त तरसती थी कोई मुझे ऐसा प्यार करे जेसा अभी आप कर रहे हो
राजदीप अंकल ने फिर मेरी आँखों में देखा, और दोबारा जीभ से मेरी चूत के हर हिस्से को चाटने में जुट गये। में भी खुल के सिस्कारियां भरती हुई जीभ ओर योनी के मिलन से उठने वाली तरंगों में झूमने लगी। में अब चरम के पास पहुँच गयी थी, मेरी सांसें गहरी ओर तेज़ हो गयी, पेट की गहराई में ज्वारभाटा बढ़ने लगा, आँखों के सामने सतरंगी सितारे चमकने लगे, ओर फिर बाँध टूट गया । में झड़ रही थी, मेरा जिस्म ऐसे झटके खा रहा था मानो 440 वोल्ट की करंट लगी हो। मेरी योनी से कामरस बहने लगा जिसे राजदीप ख़ुशी ख़ुशी चाटने लगे।
मेरी योनी से बहते कामरस की आखरी बूँद चाट लेने के बाद राजदीप सीधे हुए और अपना पत्थर जेसा सख्त लंड मेरी लिसलिसी चूत के मुंह पे लगा के बोले
राजदीप : बेबी अब तुमको इतना मज़ा आयेगा कि मानो जन्नत की सैर कर रही हो।
में : अंकल मैं झूम रही हूँ, ऐसा लगता हे जेसे हवा में उड़ रही हूँ।
राजदीप ने लम्बी सांस भरी और मरदाना लंड को कमसिन चूत में उतारने लगा, और तब तक उतारता रहा जब तक पूरा लंड जड़ तक अंदर ना समा गया । मुझे पहली बार के मुकाबले कम दर्द हुआ, ओर इस बार मस्ती से लंड लेके राजदीप के पेट और छाती से खुद को चिपका ली मानो छिपकली छत से चिपक गयी हो। मेरी टांगें राजदीप की कमर के आसपास लिपटी हुई थी और बाहों का हार उनके गले में था, मेने अपने हलके जिस्म को राजदीप के कठोर बदन से ऐसे चिपका लिया कि सिर्फ मेरे पैर ओर सिर बिस्तर से लगे हुए थे, बाकी का नंगा जिस्म राजदीप से चिपका हुआ था।
राजदीप मेरी हरकत देख परेशान हुए, पर जल्दी खुद को सँभालते हुए पूरे जोश से लंड बाहर खींच के जबरदस्त धक्का मारते हुए मुझे बिस्तर में धंसा दिया और लंड फिर से जड तक मुझ में समा गया। फिर से एक बार दोबारा लंड बाहर खींचते हुए राजदीप ने जबरदस्त तरीके से मेरी रसीली चूत में प्रहार किया जिस से उनका मशरुम जेसा सुपाडा मेरी कमसिन कोख से जा टकराया। मेरी चीख निकल गयी, और आँखों के सामने अँधेरा छा गया। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
में बेहोश हो गयी, पर जब होश आया तो राजदीप मुझे बुरी तरह रौंद रहे थे । में चुदती रही ,राजदीप चोदते रहे। मुझे अब एहसास होने लगा की में जल्दी अपने चरम तक पहुँच जाउंगी, सो मेने भी राजदीप की ताल से ताल मिलाते हुए नीचे से कुल्हे उचका उचका के अपनी चूत में लंड लेना प्रारम्भ किया। जल्दी वो घडी आ गयी जब राजदीप अपने अंडाशय में उबलते हुए ज्वालामुखी को रोक नही पाए और जल्दी से लिंग बाहर खींच के मुझे अपने गाढे सफ़ेद गरम वीर्य से नहलाने लगे। में भी आंखें बंद करके अपने नंगे जिस्म पे गिरती वीर्य की बूँदों को महसूस करती अपने चरम को प्राप्त हुई
राजदीप से अपना योंन उत्पीडन करवाने के बाद मुझे मर्दों में ख़ास रूची पैदा हो गयी, ओर विजय-पियूष से मिलना जुलना कम होता गया। अब मैं अक्सर घर बेठी रहती, बाहर खेलना बंद करके घर में राजदीप के साथ खेल खेलने में ज्यादा खुश रहती। राजदीप भी किस्मत से मिले इस मोके का भरपूर फायदा उठा रहे थे। वो हफ्ते में कम से कम 3 बार जरुर मुझसे मिलने आते, वह भी तब जब कोई न हो घर पे। चूँकि वह पापाजी के दोस्त थे और ओर अक्सर आना जाना तगा, सो किसी ने शक भी नही किया।
मैं भी राजदीप के आने की राह देखा करती, ओर जबसे बाहर जाना बंद किया था तबसे मेरा सारा ध्यान उनमे ही चला गया था। पर जेसे ही वह घर में घुसते, मैं उनसे दूर भागने की कोशिश करती। यह हर बार की रूटीन बन गयी थी अब, वह मुझे देख के मुझपे झपटते, ओर में हस के भाग निकलती। फिर वह हस्ते हस्ते मेरा पीछा करते, ओर में हस्ते हस्ते उनसे दूर भागती। पूरे घर में वह मेरा पीछा करते, लॉबी से बेडरूम, किचन से कॉरिडोर ओर फिर लॉबी। पर अंत में वो जहाँ कहीं भी मुझे पकड़ लेते वहीँ हमारा योंन कार्यक्रम शुरू हो जाता।
अक्सर वो मुझे सीढियों में दबोच लिया करते, और फिर वहीँ मुझे झुका के पेंटी नीचे खिसका के अपने फड़कते हुए लंड को मेरी करारी चूत में ठूस के मेरा योनी-मर्दन किया करते। मैं तो पहले हमले में ही झड जाया करती पर वह 10-20 मिनट लगा के पूरी कसर निकलते अपनी हवस की। झड़ने से पहले वो लंड बाहर खींच लेते ओर मेरे केश पकड़ के मुझे सामने बिठा के मेरा मूंह में ओर चेहरे पे अपना सफ़ेद माल की पिचकारी छोड़ दिया करते।
यूँही काफी हफ्ते तक चलता रहा, ओर किसी को शक भी नही हुआ। पर यह मेरी गलतफ़हमी थी, क्यूकी विजय पियूष ने नजर रखी हुई थी की राजदीप अंकल का घर पे आना जाना जब से बढ़ गया तब से उनकी महक घर से बाहर निकलती ही नही थी।
एक दिन मैं घर पे अकेली थी की तभी किसी ने दरवाजा खट खट्टाया। में ये सोच के दौड़ के दरवाजा खोलने गयी की राजदीप होंगे, पर सामने कोई और थे। विजय ओर पियूष दोनों मुझे घूर रहे थे, कि विजय ने चुप्पी तोड़ते हुए पुछा, आजकल आती नही बाहर? में थोडा सा घबराई हुई थी पर खुद को सँभालते हुए बोली कि तबीयत ठीक नही रहती इसलिए। यह सुन के वो दोनों अंदर घुस आये और बोले कि इसलिए शायद वो अंकल आजकल ज्यादा आ जा रहा हे, तेरा ईलाज करता होगा न? kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
में परेशान हो गयी उनकी बातें सुन के, और मेने उनसे कहा की ऐसा वैसा कुछ नही हे जो तुम सोच रहे हो। इसपे पियूष ने मुझसे ग़ुस्से में कहा कि अंकल तब क्यों आता हे जब घर पे कोई नही होता? तू क्या सोचती हे मोहल्ले वाले अँधे हैं, उनको कुछ दिखता नही क्या?
में शर्म के मारे लाल हो गयी, मेरे कानों में सीटी बजने लगी ओर आँखों के सामने अँधेरा सा आने लगा। पेट में अजीब सी चुभन का एहसास होने लगा, ओर मेरी टांगे कांपने लगी। विजय ने मेरी कमजोर हालत को भांप के अगली चाल चली, उसने बोला कि पूरे मोहल्ले में येही चर्चा हे के महक अपनी बड़ी बेहेन की राह पे चल दी है।
( मेरी 2 बड़ी बहने हैं जिनमे सबसे बड़ी का डाइवोर्स हो चूका हे और उनसे छोटी घर से भाग गयी थी किसी शंकर नाम के ड्राईवर के साथ )
में समझ गयी कि विजय ओर पियूष को क्या चाहिए। हम तीनों अंदर बेडरूम में आ गये, ओर बिना ज्यादा बातें किये मेने उन्के कपडे उतारे। वह भी मुझे नंगी करने में व्यस्त हो गये ओर कुछ पलों बाद मैं अपने घुटनों के बल जमीन पे बेठी विजय और पियूष के लिंग चूस चूस के उनको निहाल कर रही थी। पर वह दोनों आज बदले बदले से लग रहे थे। उनकी हरकतों में प्यार नही घुस्सा था, ईर्षा थी, जलन थी। तभी विजय ने मेरे मुंह से लंड खींचा ओर पूछा, वो अंकल तेरी लेने आता हे न?
में बात को टालने के लिए उसके लंड के नीचे लटक रही गोटियों को मुंह में भर के चूसने चाटने लगी। यह देख के पियूष से रहा नही गया, उसने मुझे कमर से पकड़ा ओर पैरों पे खड़ी करते हुए अब घोड़ी बना दिया। मुंह में विजय का लंड था, और फिर अगले ही पल योनी में पियूष का समा गया एक ही झटके में। राजदीप के मरदाना लंड से लगातार चुदवाने का नतीजा सामने था, पियूष का लंड फुल स्पीड अंदर बाहर हो रहा था पर मुझे जरा भी तकलीफ नही हुई। में समझ गयी पियूष को पता चल जायगा की यह चूत बड़ा लंड ले ले के खुल गयी हे, इसलिए बड़े सेक्सी अंदाज से मेने पियूष से कहा, डार्लिंग आज मेरी गांड नही मारोगे? kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
यह कहने की देर थी कि विजय ने लंड चुस्वाना बंद किया ओर खुद पीछे आ के पियूष को मेरे मुंह की ओर जाने का इशारा किया। पियूष भी मन को मारता हुआ सामने आ गया, मेने झट से उसका लंड मुंह में लेते हुए चूसना शुरू कर दिया। पीछे विजय ने लंड को मेरी करारी गांड से सटा के थूक लगाई ओर फिर कमर थाम के गांड में लंड घुसाने लगा। मेरी हलकी चीख निकली, हाययय रब्बा ऊऊ ह ह ह ह ह ह ह, पर विजय ने बेदर्दी से पूरा लंड मेरी गोरी चिट्टी करारी गांड में ठेल दिया ।
अब पियूष भी जोश में आ गया था और उसने मेरे केश पकड़ के लंड को मेरे मुंह में पेलने लगा, मेरा मुँह चोदने लगा तेज तेज धक्कों से। उधर विजय ने भी टॉप स्पीड पकड़ ली थी, मेरी गांड को रगड़ते हुए उसके लंड ने चप चप चप चप ओर फरच फरच फरच फरच की आवाज़ें निकलवाना शुरू करदी मेरी मस्त गांड से।
ऐसे ही मेरी मस्त गांड को रौंदते रौंदते और मूँह चोदते चोदते विजय ओर पियूष दोनों का एकसाथ सखलन होने लगा। में पियूष का वीर्य मुँह में ले रही थी और विजय का अपनी गांड में। इस तरह दोनों ने अपनी टंकी खाली की और पीछे हट गये, मेने भी अपने कपडे उठाये और बाथरूम में चली गयी
उस दिन के बाद से विजय और पियूष को जब भी टाइम ओर मोका मिलता वह मेरा शोषण करने आ जाते। उधर राजदीप के लिए मेरे दिल में प्यार भरी भावनाएं जागने लगी थी। में मन ही मन सोच चुकी थी कि अब राजदीप अंकल से दिल की बात कर ही दूँगी। पर वह दिन कभी नही आया। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
राजदीप अंकल का कार एक्सीडेंट में देहांत हो गया। यह बात जब मम्मी ने मुझे सुनाई तो मेरी पेरों तले जमीन खिसक गयी। में कई दिनों तक उस सदमे से बाहर निकल नही पायी। पापा मम्मी भी अक्सर राजदीप अंकल की बातें किया करते, यह सुन के मुझे अपनी किस्मत पे रोना आता था।
धीरे धीरे वक़्त गुजरता रहा, राजदीप अंकल की याद अब धुंधली पड़ने लगी थी। में अब पढाई में ध्यान देने लगी और विजय पियूष दोनों से दूरी बना ली थी। वह भी जबरदस्ती करने की स्थिथि में थे नही, इसलिए बुरा भला कह के रह जाते। कुछ ही दिनों में मेरी बदनामी स्कूल और मोहल्ले में बढ़ गयी तो में समझ गयी यह किसकी कारस्तानी हो सकती थी।
मेने फैसला किया की पियूष विजय दोनों से मिल के यह किस्सा ख़त्म कर देती हूँ। इसी इरादे से एक दिन में विजय के घर गयी….
में विजय के घर दोपहर बाद गयी। उसके मम्मी पापा हमेशा की तरह घर पे नही थे। एक नोकर था रमेश जो ज्यादा कुछ बोलता नही था, मेने उस से पुछा विजय कहाँ हे तो वह बोला बाबा बेडरूम में हैं। में सीधा बेडरूम की और चल दी, पर नजर के कोने से रमेश को मुस्कुराते देख में थोड़ी सचेत हो गयी। बेडरूम पुहंच के मेने दरवाजा खटखटाया तो अंदर से विजय ने आवाज़ दे के बुला लिया। मेने दरवाजा खोल के देखा तो विजय अपने मोसेरे भाई के साथ बेठ के ब्लू फिल्म देख रहा था।
मुझे देख उनको कोई हेरानी नही हुई, विजय ने कहा की हमने तुझे आते देख लिया था खिड़की से। में सोफे पे बेठ गयी ओर विजय से अकेले में बात करने की रिक्वेस्ट की। बॉबी चुप चाप कमरे से निकल गया ओर अब हम दो रह गये थे। मेने विजय से पुछा की मेरी बदनामी क्यों कर रहे हो तुम दोनों। इस्पे विजय आग बबूला हो गया और खड़ा हो के मेरे पास आया और मेरी गुत पकड़ के मुझे नीचे फर्श पे गिरा के बोला …
विजय : तू समझती क्या हे खुद को
में : विजय प्लीज़ मेरे बाल छोड़ो दर्द हो रहा हे
विजय : साली तू मुझ पे इलज़ाम केसे लगा रही हे, मेरा जो मन आये वो करूंगा। तू क्या उखाड़ लेगी
में : विजय प्लीज़ ऐसे ना बोलो। में तुमसे प्यार करती थी पर तुमने मुझे पियूष से चुदवा के खराब कर दिया।
विजय : मेने कहा था उसका लंड लेने को ??? तू खुद ऐसी हे, अब मुझ पे इल्जाम न दे साली
में : विजय देख में अभी भी तुझे चाहती हूँ ओर तेरे लिए कुछ भी कर सकती हूँ।
विजय : तभी अब तू मुझसे कन्नी काट रही हे, साली बकवास बंद कर वरना नंगी करके घर भेजूंगा।
में : प्लीज़ विजय मुझे माफ़ कर दे, में तुझे शिकायत का कोई मोका नही देने वाली आज के बाद। बस एक मोका दे विजय
इस पे विजय चुप हुआ, और कुछ पल सोच के उसने मुझे मेरी गुत से पकड़ के उठाया और पेंट उतार के लंड चूसने को कहा। में मजबूर थी और अपनी हालत पे तरस आ गया। पर अब मेरे सामने कोई चारा नही था, सो मेने विजय के लंड को मुह में ले लिया और चूसने लगी kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
विजय और पियूष से चुद चुद के मेने अपनी खूब बदनामी करवा ली थी मोहल्ले में। कहीं से उडती उडती बात मम्मी के कानो तक पोहंची तो वो मुझपे बोहोत ग़ुस्से हुए। पहली बार मम्मी का ऐसा रूप देख क में घबरा गयी। पापा को बता देने की धमकी दे के मम्मी ने मुझसे सब सच उगलवा लिया। मेरी करतूतें सुन के मम्मी के चेहरे का रंग उड़ गया। उस रात मम्मी ने पापा से किसी और नये घर में शिफ्ट होने की बात की, बहाना था बाज़ार और बच्चों के स्कूल दूर हैं। पापा ने नया घर किराये पे देखने का भरोसा दिलाया।
कुछ ही दिनों में हम नये घर में शिफ्ट हो गये। यह शेहेर के दूसरे कोने में था, यहाँ रोनक ज्यादा थी और भीड़ भाड़ भी थी। फ्लैट टाइप के अपार्टमेंट थे यह, 3 मंजिलें थी और हर अपार्टमेंट में 24 फ्लैट थे। यह इलाका मुस्लिम बहुल था, पहले वाले मोहल्ले में मिली जुली आबादी थी। मुझे जल्दी ही महसूस हो गया की मैं ज्यादा देर बच के नही रह सकती यहाँ, आते जाते हवस से भरी नज़रें मेरे जिस्म को नंगा कर देती।
में कपडों में भी नंगी महसूस किया करती, और हर समय मर्दों की नज़रे हमारे फ्लैट की खिड़की पे टिक्की रहती। मम्मी ने भी आस पास का माहोल देख के मुझे स्कर्ट्स जीन्स शॉर्ट्स इत्यादी पेहेन के घर से निकलने से मना कर दिया था। अब हर वक़्त सलवार कमीज और सर पे चुन्नी रखनी पढ़ रही थी। पर मेरे मन को आज़ादी और खुलेपन की आदत थी, यह घुट घुट के जीना मुझे पसंद नही आ रहा था। अब में भी कुछ exciting करने को तड़पने लगी, और जल्दी ही कुछ खिलाडी टाइप के मर्दों ने मेरी नज़रे भांप ली ओर मुझपे दिन रात डोरे डालने लगे।
एक दिन मैं अपने टॉप फ्लोर वाले फ्लैट से निकल के सीढियों से उतर रही थी। 2nd फ्लोर पे पोहंची थी की सामने एक ऊँचा लम्बा मर्द मेरा रास्ता रोके खड़ा था। मैं घबरा गयी ओर उस से बच के साइड से निकलने लगी। वह वहीँ खड़ा रहा, बिलकुल नही हिला। उसकी दाईं बाज़ू मेरे दायें उरोज से रगड़ खाते हुए निकली। मैं जेसे ही उस से दूर हुई तो तेजी से सीढियां उतर के स्कूल को भागी। kaise main ek kali se phool bani Hindi sex story
मेरा दिल जोर से धधक रहा था, सांसें तेज ओर पैर कांप रहे थे। मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट से स्कूल जाया करती थी। अब मैं बस स्टॉप पे खड़ी थी की 3-4 मजनू रोमियो टाइप लड़के मुझे लाइन देने लगे। मैं अंदर से खुश हो रही थी पर बाहर से नाक चढ़ा दिया उनको दिखाने के लिए। इतने में बस आई और वो सब भी मेरे पीछे चढ़ गये। बस में भीड़ थी इसलिए खड़े खड़े जाना पड़ता था अक्सर स्कूल। उन लडकों में से एक मेरे मोहल्ले का था, वह मेरे पीछे से पास आया ओर मेरे पिछवाड़े से चिपक के खड़ा हो गया। मेने मुड़ के देखा तो वह मुस्कुराया ओर बोला,”हई डिअर,आप मोहल्ले में नई आये हो ना?” मेने सर हिला के हाँ कहा, तो उसने झट से हाथ आगे बढ़ा दिया और बोला,”मेरे साथ फ्रंड बनोगी, आप मुझे पसंद हो”।
और बस.. ज़िन्दगी यूँही चलती रही..
———समाप्त———-
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