लेडी हॉर्नी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं घर में अकेली रहती हूँ, मेरे पति की जॉब दूसरे शहर में लग गयी थी. कॉलोनी के मर्द मुझे लाइन मारते थे. मुझे भी सेक्स की जरूरत थी.
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मेरी पिछली कहानी थी: जेठ जी का लंड कर लिया अपनी चूत के नाम
आज की कहानी मुझे मेरी एक महिला मित्र ने भेजी है. लेडी हॉर्नी सेक्स कहानी का मजा लें उसी के शब्दों में!
मैं जीनी हूँ, मेरी उम्र इस समय बत्तीस साल है. मेरा फिगर 34-26-36 का है. मुझे साइज 34 सी की ब्रा लगती है.
भोपाल में रहती हूँ. मेरे पति इंदौर में जॉब करते हैं. मेरी शादी को पांच साल हो गए हैं.
मेरे बाल भी मेरी कमर तक आते हैं. मैं ज्यादातर लैगी कुर्ती ही पहनती हूँ, जिसमें मैं काफी सेक्सी भी लगती हूँ. मेरी गांड पीछे को निकली हुई है और मम्मे भी काफी टाइट हैं. किसी भी कुर्ते या ब्लाउज में मेरे उभरे हुए मम्मे साफ दिखते है. मेरा रंग भी गोरा है और मैं दिखने में भी काफी खूबसूरत हूं.
मेरे कॉलोनी के सब लड़के, मर्द मुझ पर लाइन मारते हैं. वो मेरे आते जाते समय मुझे घूरते रहते हैं लेकिन मुझे उनमें से कोई भी अच्छा नहीं लगता था.
मेरी नापसंदगी भरी नजरों के कारण किसी ने कभी मुझसे बात करने की हिम्मत ही नहीं की.
दूसरी ओर हमारे एरिया का एक मवाली लड़का मुकेश, मुझे दिखने में काफी अच्छा लगता था.
वो बिल्कुल जॉन इब्राहिम की तरह दिखता था.
मगर उस साले का नाम काफी खराब था. वो हमेशा लड़ाई झगड़ा करता रहता था.
वो मुझे जब भी आता जाता देखता, तो उसके साथ वाले लोग हमेशा गंदे कमेंट्स पास करते थे.
एक दो कमेंट्स आपको भी सुनाती हूँ.
‘मुकेश भाई, देखो भाभी जा रही है.’
‘मुकेश भाई भाभी की और आपकी जोड़ी तो बहुत अच्छी लगती है.’
उन शोहदों की फब्तियां सुनकर मुझे न जाने क्यों अन्दर से बड़ा अच्छा लगता था.
मुकेश भी हमेशा शांति से उनकी बात सुन लेता और मेरी ओर देख कर हंस देता था.
मैं भी उसकी नजरों से नजरें मिला लेती.
उसने अब तक कभी कोई ऐसी हरकत नहीं की थी जिससे मुझे पर्सनली कोई परेशानी होती.
धीरे धीरे उसकी हरकतें बढ़ने लगीं.
एक दो बार तो वो बिल्कुल मेरे पास होता हुआ गुजर गया.
मुझे काफी डर भी लगा कि कहीं वह मुझे पकड़ ना ले.
एक बार तो जब वह मेरे बगल से निकला और उसने मेरे पास आकर धीरे से बोल दिया- जीनी तुम बड़ी खूबसूरत लग रही हो.
मैं उसकी इस हरकत पर थोड़ा सहम भी गई लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया.
फिर मैं सोचने लगी कि जब तक वह मेरे साथ कोई गलत हरकत नहीं करता, तब तक मैं किसी से कुछ नहीं बताऊंगी.
वैसे मुझे वो अच्छा भी लगता था और उसकी हरकतें भी.
जिस प्रकार से वो मुझे छेड़ता और किसी को कुछ पता भी नहीं चलता, ये मुझे अन्दर तक खुश कर देता था.
ऐसे ही चलता रहा.
एक बार शनिवार के दिन शाम को अपनी कॉलोनी की लेडीज के साथ मेला घूमने गई.
मैंने उस दिन लाल रंग का कुर्ता पहना था जो काफी शॉर्ट था.
उसके साथ स्किन टाइट लैगी पहनी थी, वो स्किन कलर की थी.
जब हम लोग मेले में घूम रहे थे तो सब महिलाओं ने मौत का कुंआ देखने को कहा.
उधर भीड़ बहुत थी लेकिन मैंने टिकट ली और हम सब महिलाएं सीढ़ी से ऊपर चढ़ने लगे.
सब महिलाएं आगे थीं और मैं सबसे पीछे थी.
सीढ़ी चढ़ते वक्त मेरा कुर्ता बार-बार हवा से हल्का हल्का सा उठने लगा जिसे मैं बार बार नीचे कर रही थी.
अचानक से मुझे लगा कि मेरी गांड पर किसी ने हाथ रख दिया हो.
लेकिन मैंने पीछे नहीं देखा.
चूंकि भीड़ बहुत थी, इसलिए मैंने सोचा कि कोई ने जानबूझ कर नहीं किया होगा.
कुछ देर बाद जैसे ही मेरा कुर्ता फिर से ऊपर को हुआ तो फिर किसी ने मेरी गांड पर हाथ रख कर दबा दिया.
मैंने तुरंत पीछे देखा तो वो मुकेश था.
उसे देख कर मैं कुछ बोल ना सकी; बस ऊपर चढ़ गई.
मेरी धड़कनें बढ़ने लगीं.
ऊपर जाकर मैं भी बाकी औरतों के साथ खड़ी हो गई लेकिन मैं सबसे पीछे ही थी.
मुकेश फिर से मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया. मौत के कुंए का खेल जैसे ही चालू हुआ, तो मुकेश ने फिर से अपना हाथ मेरी गांड पर रख दिया और मेरी गांड को दबाने लगा.
उधर मौत के कुंए में खेल चल रहा था, यहां मुकेश मेरी गांड पर अपना हाथ साफ कर रहा था.
मुकेश की हरकतों से मेरी चुत गीली सी होने लगी और मैं भी उसकी हरकतों का विरोध न कर पाई.
मुकेश ने आगे बढ़ते हुए कुर्ते के नीचे से अन्दर हाथ डाल दिया. उसने मेरी नंगी कमर पर अपना हाथ चलाना चालू कर दिया.
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उसका स्पर्श मुझे मदहोश कर रहा था.
मैं बस शांत खड़ी थी.
मेरे माथे पर हल्का हल्का पसीना भी आने लगा.
खेल खत्म होने तक मुकेश ने अपना काम जारी रखा.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं उसके साथ सारी हदें पार कर लूं.
फिर अचानक से मुकेश वहां से गायब सा हो गया.
मेरी नजरें भी मुकेश को यहां वहां देखने लगी लेकिन वो कहीं नहीं दिखा.
साला मुझे तड़पता हुआ छोड़ गया था.
मैं बिना उसे देखे बड़ी असहज होने लगी थी.
फिर हम सारे लोग घर आ गए.
घर आकर आईने के सामने जब मैं चेंज कर रही थी.
तब मैंने देखा कि मेरी लैगी के अन्दर से मेरी लाल पैंटी साफ दिख रही थी. जिससे मेरे उड़ते हुए कुर्ते से मुकेश ने देख लिया होगा और उसने यह हरकत की.
मैंने इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहा.
उस रात को मुकेश के बारे में सोचते हुए मैं सो गई.
दूसरे दिन रविवार को सुबह मेरे पति इंदौर से घर वापस आए.
उन्हें कुछ काम था.
वो दिन भर अपने काम में व्यस्त रहे और रात 10:00 बजे उनकी ट्रेन भोपाल से इंदौर के लिए थी.
मैं भी दिन में सोच रही थी कि मुझे मुकेश की हरकत का विरोध तो करना ही चाहिए था.
शाम को मेरे पति ने मुझसे कहा- आज बाहर चलकर डिनर करते हैं. फिर तुम मुझे स्टेशन छोड़कर वापस चली आना.
मैंने भी हां कर दी.
शाम को 6:00 बजे तैयार होते हुए मैंने लाल ब्लाउज और गोल्डन बॉर्डर वाली काली साड़ी पहनी.
मैंने अपने बालों का सुंदर सा जूड़ा बना लिया. कानों में बड़े झुमके और हाथों में लाल चूड़ियां पहन लीं. होंठों पर हल्की सी लाल लिपस्टिक लगाकर सज गई.
हम लोग मार्केट के लिए निकल पड़े.
पहले तो हमने थोड़ा शॉपिंग की, उसके बाद हम लोग स्टेशन के पास ही एक रेस्टोरेंट में खाने के लिए चले गए.
मेरे पति ने आर्डर किया.
ऑर्डर देने के 5 मिनट में ही आर्डर आ गया.
हम दोनों ने खाना खाया.
खाना खाते वक्त मेरे पति भी मेरी बहुत तारीफ कर रहे थे कि मैं आज बहुत खूबसूरत लग रही हूँ.
हमने खाना खत्म किया तो मेरे पति बोले- मैं पांच मिनट में फ्रेश होकर आता हूँ. तब तक तुम बिल पे कर दो.
मेरे पति फ्रेश होने के लिए चले गए.
मैंने वेटर को बुलाकर बिल के बारे में कहा.
वेटर ने बिल की कॉपी मुझे लाकर दी.
जब मैंने बुकलेट खोला तो उसमें एक बिल दिखा और उसके ऊपर एक गुलाब रखा था.
वेटर मुझसे बोला- ओह सॉरी मैडम, आपका बिल पेड है.
मैंने उससे पूछा- किसने पे किया?
इस बात का मुझे उसने कोई जवाब नहीं दिया. मैं यहां वहां देखने लगी कि किसने हमारा बिल चुका दिया है.
इतने में मेरे पति आते दिखे, तो मैंने झट से अपने बैग में बिल और फूल दोनों छुपा लिए.
पति ने पूछा- बिल पे कर दिया?
मैंने हां बोल दिया लेकिन मैं फिर भी इधर-उधर देखने लगी कि आखिर हमारा बिल किसने पे किया है.
तभी मुझे किनारे की एक टेबल पर मुकेश बैठा दिखाई दिया.
वो मेरी तरफ देख रहा था.
मैं समझ गई कि हमारा बिल उसने ही पे किया है.
उससे नजरें चुराते हुए मैं उसे देखते हुए अपने पति के साथ बाहर आ गई.
हम लोग स्टेशन की ओर चल दिए.
स्टेशन पहुंचकर पति ने मुझे जाने को कहा क्योंकि उनकी ट्रेन का टाइम हो रहा था.
उनसे बाय करके मैं निकली और ऑटो स्टैंड की तरफ निकल पड़ी.
मैं जा ही रही थी कि अचानक मुकेश सामने से मेरी ओर आता दिखाई दिया.
वो मेरे एकदम करीब आकर बोला- हैलो जीनी भाभी.
मैं एकदम से हैरान हो गई.
मैंने अनजान बनते हुए कहा- माफ कीजिए मैंने आपको पहचाना नहीं.
उसने मेरी तरफ देखा और बोला- क्या सच में आप मुझे नहीं जानती?
मैं शांत रही.
फिर मुकेश बोला- क्या हम लोग आइसक्रीम, ठंडा ले सकते हैं. वहीं कुछ बात भी हो जाएगी.
मैंने कहा- नहीं रात हो गई है और मुझे घर जाना है. मुझे तुमसे कोई बात भी नहीं करनी है.
उसने कहा- आप चिंता मत करो, मैं आपको घर छोड़ दूंगा.
मैंने कहा- देखो, अगर तुम्हारे साथ किसी ने बातचीत करते देख लिया, तो मुझे बहुत परेशानी हो जाएगी.
इस पर मुकेश बोला- तो फिर जीनी तुम मुझसे कहां मिलने आओगी?
मैंने कहा- कहीं नहीं.
इस पर वो बोला- ठीक है, फिर मैं एक घंटे से तुमसे मिलने तुम्हारे घर आता हूँ. वहां हमें कोई नहीं देखेगा.
मैं अभी उससे कुछ कहती कि उसने फिर से कहा- वैसे आज तुम साड़ी में बहुत अच्छी लग रही हो.
मैं उससे पीछा छुड़ाने के लिए जल्दी वहां से निकल पड़ी.
मैंने ऑटो किया और घर आ गई.
घर पहुंचकर मैं सोफे पर बैठकर सोचने लगी कि मुझे मुकेश से बात ही नहीं करनी चाहिए थी.
फिर मेरे मन में ख्याल आया कि अगर वो सही में घर आ गया तो क्या होगा.
घर आकर उसने मेरे साथ जबरदस्ती की तो मैं उसका विरोध तो करूंगी लेकिन फिर भी उससे चुद जाऊंगी.
वो कैसे कैसे और क्या क्या मेरे साथ करेगा.
मैं अभी ये सब सोच ही रही थी कि मेरी चूत गीली हो गई.
यही सोचते हुए मेरी आंख लग गई.
मेरी जैसे ही आंख लगी कि डोर बेल बज उठी.
मैंने जागते हुए सोचा कि इस समय कौन होगा.
रात बारह बज रहे थे.
फिर मैंने जाकर दरवाजा खोला.
दरवाजा खोला तो देखा सामने मुकेश था.
तो मैंने कहा- देखो तुम चले जाओ, कोई तुम्हें यहां देख लेगा, तो मैं बदनाम हो जाऊंगी.
मैंने दरवाजा बंद करना चाहा लेकिन मुकेश अन्दर आ गया.
उसने दरवाजा बंद कर लिया.
मैंने कहा- मुकेश, तुम यह क्या कर रहे हो, किसी ने अगर तुम्हें यहां आते देख लिया होगा, तो मैं बदनाम हो जाऊंगी.
मुकेश बोला- जीनी, इतनी रात को किसी ने मुझे आते नहीं देखा. दूसरी बात मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ.
मैंने मन में सोचा कि मुकेश और मैं अकेले घर पर हैं, यह जरूर मेरे साथ कुछ करेगा.
वैसे भी मैं मुकेश को पसंद भी करती थी. उसकी पर्सनेलिटी ने पहले ही मुझे इंप्रेस किया था.
फिर भी मैंने मुकेश से कहा- देखो तुम अभी चले जाओ.
मुझे मुकेश के मुँह से शराब की महक भी आ रही थी.
मुकेश मेरी ओर बढ़ा और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने मुकेश से फिर कहा- तुम चले जाओ, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी.
मुकेश बोला- अगर तुम्हें शोर मचाना होता, तो अब तक तुम शांत न रहती.
मैंने अपनी आंखें नीचे झुका लीं. उसकी बात सही थी. मैं मन ही मन उसके नीचे आने को तरस रही थी.
दोस्तो, मैं मुकेश से चुदना चाहती थी.
कैसे मैं उससे चुद सकी, ये मैं आपको लेडी हॉर्नी सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगी.
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लेडी हॉर्नी सेक्स कहानी का अगला भाग: वासनावश सेक्सी भाभी ने मवाली से चुत चुदवा ली- 2
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