प्रेषिका : मुक्ता
मुकेश का लौड़ा मुझे गांड में ऐसा लग रहा था जैसे कोई जहाज समुन्दर को फाड़ता हुआ जा रहा हो। आप यह न समझ लेना कि मेरी गांड समुन्दर थी, बल्कि मुकेश का लौड़ा जहाज था।
मैं फिर से चुदी-3 Hindi Sexy Kahani-sex story
15 मिनट तक मेरी गांड की मराई के बाद मुकेश के धक्के तेज हो गए, वो हांफने लगा और बुदबुदाने लगा- मेरी जान, तेरी गांड की खूबसूरती पर मैं कुर्बान !
मुकेश अब हर धक्के के साथ मेरी गांड को भी मसल रहा था, नोच रहा था, चुटकियाँ भर रहा था।
और फिर उसने अपने सारे लंड की मलाई यानि वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। मेरी गांड में जैसे गरम गरम लावे का सैलाब आ गया हो ! मैं जमीन पर गिर गई और मुकेश मेरे ऊपर !
काफी देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे।
अब मेरी चूत की बारी थी, मैंने सोचा कि मुकेश थक गया होगा, मैं उसके लिए दूध लाती हूँ।
मैं उठने लगी तो मुकेश ने कहा- कहाँ जा रही हो?
मैंने बहाना बनाया कि मुझे जोर से पेशाब लगी है।
मुकेश ने कहा- मुझे भी लगी है ! आज हम दोनों साथ साथ पेशाब करते हैं !
मैं मान गई।
हम टॉयलेट में गए, मुकेश ने कहा- मेरे सामने खड़े होकर पेशाब कर !
मैंने अपनी चूत से खड़े खड़े ही पेशाब की धार छोड़ी, मुकेश मेरे सामने खड़ा रह कर मेरी जांघों से बह कर मेरे पेशाब की धार को देख रहा था। उसने मेरी जांघ के साथ चुल्लु बना कर अपने हाथ में मेरा मूत्र लिया और उसे मेरे चेहरे और मेरी चूचियों पर मल दिया। इससे मैं उत्तेजित हो गई और मैंने मुकेश का लौड़ा पकड़ लिया और उसे हिला हिला कर पेशाब करवाने लगी।
मुकेश ने मुझे बांहों में उठा लिया और बेड पर लाकर पटक दिया। उसने मेरी दोनों जांघें चौड़ी कर दी और मेरे ऊपर चढ़ गया।
मैंने भी उसे अपनी बांहों में समेट लिया।
मुकेश ने मेरे एक बोबे को अपने मुँह में दबा लिया और उसे चूसने लगा, दूसरे बोबे को उसने हाथ से पकड़ लिया और उसे मसलने लगा। बीच में अपने दोनों होठो से उसने मेरे गालों पर कई चुम्बन जड़ दिए, कई बार उसने गालों को काट भी खाया। उसका मूसल जैसा लौड़ा मेरी दोनों जांघों के बीच फंसा हुआ था और चूत में घुसने को बेताब था।
मैंने भी अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रखे हुए थे। कभी-कभी मैं उसके चूतड़ों पर भी हाथ फिरा रही थी और उसकी गांड में अंगुली भी कर रही थी। मेरे होंठ भी उसके होंठों से मिले हुए थे, चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी।
मुकेश अब मेरी चूत में लौड़ा घुसाने लगा लेकिन लौड़ा अन्दर नहीं जा रहा था, वो बार बार चूत के मुँह पर लौड़ा टिकाता और जोर से धक्का मारने की कोशिश करता लेकिन मेरी चूत छोटी होने के कारण लौड़ा बार बार फिसल जाता।
मुकेश अब नीचे झुका और उसने मेरी चूत के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए, वो मेरी चूत को चाटने लगा, उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर घुसा दी।
मैं तो पागल सी हो गई, मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी, मैं उसे गालियाँ देने लगी- अरे मादरचोद ! धीरे धीरे चूस ! ओ भोसड़ी के ! ओ बहनचोद ! आ आ आ अरे मादरचोद, क्या सारा रस जीभ से ही निकलेगा? क्या …भाडू अब तो लौड़ा खिला ! अपना सारा रस मेरी चूत में डाल दे मादरचोद ! मुझे अपने बच्चो की माँ बना दे !
मुकेश भी अपना सर चूत से हटाकर मेरे बोबों को मसल देता और कहता- मादरचोदी, चिंता क्यों करती है? अपने वीर्य से तेरे इतने बच्चे पैदा करूँगा कि जिन्दगी भर वो तेरे चूचे चूसते रहेंगे।
मुकेश अब उठा, उसने कहा- मेरे लौड़े को चूसकर चिकना कर !
मैंने लपक कर उसका लौड़ा अपने मुँह में लिया और उसको चूसकर गीला कर दिया।
मुकेश ने अब लौड़ा चूत के मुँह पर टिकाया और जोर से थाप मारी, लौड़ा आधे के करीब मेरी तंग सी फ़ुद्दी में घुस गया पर दर्द के मारे मेरी जान निकाल गई, मैं चीख उठी- अरे मादरचोद, मुफ़्त में चूत मिल रही है तो उसको बेदर्दी से चोद रहा है भेण के लौड़े ? धीरे धीरे कर !
पर मुकेश पर तो जैसे जूनून सवार हो गया हो, उसने तो तीन धक्के और जोर से मारे और पूरा दस इंच का लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया।
मैं तड़पने लगी लेकिन उसको इससे क्या !
उसने तो धक्के मारने शुरू किये तो रुका ही नहीं ! दे दनादन ! दे दनादन !
मेरी नाजुक कमसिन चूत की धज्जियाँ उड़ गई- फच फच फच फच से पूरा कमरा गूंज उठा।
कुछ ही समय में चूत ने भी अपने तेवर ढीले कर दिए और वो पूरे लौड़े को गपागप लेने लगी। मैं भी अब लौड़े की अभ्यस्त हो गई तो मैंने भी अपनी गांड को नीचे से हिलाना शुरू किया ताकि चूत और लौड़े का संगम अच्छी तरह से हो सके।
मुकेश मेरे ऊपर पूरी तरह छा गया था, मेरी चूत से तो जैसे पानी की गंगा बह रही थी, जो बह बहकर मेरी जांघों पर आ रही थी। मुकेश के धक्को से दो बार तो मैं झड गई लेकिन उसका धक्का मारना नहीं रुका।
मैं मुकेश से बार बार विनती करती रही- चोद चोद मादरचोद ! एक बार तो चूत को पानी पिला एक बार तो इसकी अग्नि ठंडी कर !
लेकिन वो तो जैसे मेरी पूरी परीक्षा लेना चाहता था, उसने अपने लौड़े का पानी चूत में छोड़े बगैर ही बाहर निकाल लिया।
मैंने कहा- क्या कर रहे हो?
उसने कहा- आज मैं तुझको हर तरीके से चोदूंगा !
यह कह कर उसने मुझे बैठा लिया और खुद भी बैठ गया, अपनी जांघें मेरी जांघों के बीच फंसा ली और लौड़े को फिर चूत में घुसा दिया।
अब हम दोनों आमने-सामने थे, उसका लौड़ा तो वापस चूत में घुसा हुआ था, मेरे दोनों बोबे उसकी बलिष्ट छाती से टकरा रहे थे, चूमा-चाटी का सिलसिला अनवरत जारी था, उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड के नीचे टिका रखे थे जिससे वो गांड को सहला रहा था तो कभी कभी उस पर चिकोटी भी काट रहा था, कभी गांड में अंगुली भी कर देता तो मैं उछल जाती।
बीच बीच में वो बोबों को भी मसल देता, चुचूक तो इतनी घायल हो चुकी थी कि अगर मेरा बच्चा भी होता तो छः महीने में उसको दूध नहीं पिला पाती।
मेरी समझ नहीं आ रहा था कि मैं कैसे चुदक्कड़ औरतों की तरह लौड़ा खा रही थी। लेकिन एक बात तो मेरे समझ आ गई थी कि भगवान किसी लोंडिया की शादी चाहे उस पैसे वाले से नहीं करे जिसका लौड़ा चार इंच का ही हो, शादी उससे करे जिसका लौड़ा नौ इंच का हो और जो चूत का रोज बाजा बजाये।
मुकेश के लौड़े ने मेरी चूत को सुजा दिया था फिर भी उसका लौड़ा वीर्य रूपी प्रसाद छोड़ने को तैयार नहीं था।
मैंने सोचा कि मुकेश ऐसे नहीं मानेगा, मैंने उसको जोर से धक्का दिया और नीचे गिरा दिया, अब मैं उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत को उसके लौड़े पर टिका अन्दर घुसा लिया। अब मैं मुकेश पर सवार थी और धक्के लगाने लगी।
मुकेश ने मेरे दोनों बोबों को पकड़ लिया और उनकी मसला-मसली शुरू कर दी। मेरी गांड में उसकी झांटों के बल चुभ रहे थे जो मेरी गांड को अनूठा मजा दे रहे थे। मेरी चूत अब वीर्य को तरस रही थी ,मैंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और उत्तेजनावश जोर-जोर से चिल्लाने लगी- छोड़, मादरचोद छोड़ ! अब अपना पानी छोड ! अब मत तरसा ! मत तरसा मादरचोद ! जो तू कहेगा वो ही मैं करूँगी ! अपनी सब सहेलियों की चूत में तेरा लौड़ा डलवाऊँगी, तेरे लौड़े की हमेशा पूजा करूँगी ! तू जब कहेगा तेरा लौड़ा खाने आ जाऊँगी !
मुकेश भी अब पूरे जोश में आ गया था, उसने भी धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और थोड़ी देर में ही मेरी चूत में वीर्य की ऐसी धार छोड़ी कि मैं निढाल होकर उस पर गिर गई। काफी देर तक मैं उसकी बांहों में पड़ी रही।
अचानक मुझे ख्याल आया कि काफी देर हो चुकी है और पापा मम्मी आने वाले होंगे।
मैंने मुकेश से कहा- अब तू चला जा !
मुकेश ने मेरे आठ-दस कस कर चुम्बन लिए और उठ खड़ा हुआ।
हम दोनों ने एक दूसरे को कपड़े पहनाये और फिर लिपट गए। दोनों ने वादा किया कि जल्दी ही हम फिर मिलेंगे, चुदाई करेंगे। मैं अपनी और सहेलियों को उसका लौड़ा खिलाने की व्यवस्था करूँगी और वो भी मेरे लिए उस जैसे नए लौड़े का इंतजाम करेगा।
इस तरह हम दोनों विदा हुए और मैंने आपको बताई अपनी कहानी एक बार फिर चुदी मैं।
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