दोस्त आज मै जो आपको बताने जा रहा हूँ ये एक सच्ची घटना है जो की मेरे साथ घटित हुयी जैसा की मेरे साथ हुवा ठीक वैसे ही आप लोगो के सामने रख रहा हूँ एक बार मैं अपनी ड्यूटी खत्म करके माधोपुर(बिहार) से रात को 11 बजे घर वापिस आ रहा था तो रायपुर से आगे (बाई पास की तरफ) मुझे एक गाड़ी खड़ी नजर आई। जैसे ही मैं गाड़ी के नजदीक आया तो मैंने आपनी बाइक धीरे की तो गाड़ी के साथ एक महिला खड़ी हुई नजर आई। मैंने बाइक रोककर पूछा- मैडम, क्या हुआ? तो उसने कहा- शायद गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया है। मैंने कहा- यहाँ पर तो आसपास कोई पेट्रोल पम्प नहीं है, क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ? तो वो कहने लगी- नहीं, आप जाओ, मैं किसी और से मदद ले लूँगी। मैंने कहा- मैडम, इतनी रात को कौन आपकी मदद करेगा। और फिर यहाँ तो आसपास कोई भी नजर नहीं आता है बस ट्रकों के अलावा। फिर यहाँ सुनसान इलाका है। तो वो बोली- कोई बात नहीं ! जो होगा सो देखा जायेगा। मैंने कहा- नहीं, ऐसे कैसे हो सकता है मैडम। तो वो कहने लगी- नहीं, कोई बात नहीं, आप जाओ, मैं कुछ ना कुछ कर लूंगी। तो मैंने कहा- नहीं मैडम। पैट्रोल तो आपको यहाँ नहीं मिल सकता ! हाँ अगर आपके पास कोई बोतल हो तो वो मुझे दो, मैं कुछ इन्तजाम कर देता हूँ। तो उसने कहा- हाँ, गाड़ी में पानी की बोतल है। तो मैंने कहा- वो मुझे दे दो। तो उसने गाड़ी से निकाल कर पानी की खाली बोतल मुझे दे दी और कहने लगी- आपको ज्यादा कष्ट करने की जरुरत नहीं, मैं अपने आप चली जाउँगी। मैंने कहा- मैडम, इसमें कष्ट की क्या बात है? आदमी ही आदमी के काम आता है। फिर मैंने उनसे पानी की खाली बोतल लेकर आपनी बाइक का नीचे से पेट्रोल का पाईप निकाल कर बोतल में पेट्रोल भरने लगा तो वो मेरे पास आकर कहने लगी- मैंने सोचा था कि आप पेट्रोल पम्प से पेट्रोल लेने के लिये जाओगे, इसलिये मैंने आपको मना कर दिया था। सॉरी ! मैंने कहा- कोई बात नहीं। और मैंने पेट्रोल को बोतल में भरकर उनको कहा- आप अपनी गाड़ी का ढक्कन खोलो ! तो उसने गाडी के पेट्रोल टैक का ढक्कन खोल दिया और मैंने बोतल से उसकी गाड़ी में पेट्रोल डाल दिया और फिर दोबारा से बोतल में बाईक से पेट्रोल भरने लगा तो वो भी मेरे पास आकर बात करने लगी। उसने कहा- मेरा नाम संजना है ! मैंने अपना नाम अनुराग बताया और बोतल में पेट्रोल भर कर गाड़ी में डाल दिया। उसके बाद हम दोनों उसकी गाड़ी के पास खड़े होकर बात करने लगे। मुझे उसके साथ बात करते-2 संजना के मुँह से शराब की बू आई क्योंकि हम अब काफी नजदीक खड़े होकर बात कर रहे थे। मैंने कहा- संजना जी, आप ड्रिन्क करती हैं क्या ? तो संजना झेंप कर कहने लगी- नहीं तो ! मैंने कहा- फिर आपके मुँह से बू क्यों आ रही है। संजना ने कहा- अनुराग मैं अलीपुर शादी में आई थी और वहाँ अपने दोस्तों के कहने पर थोड़ी सी ले ली और कुछ नहीं। मैंने देखा कि रात के 12 बज चुके हैं तो मैंने कहा- संजना जी, आप अब अपने घर जाइए, मैं भी अपने घर जाता हूँ। संजना कहने लगी- ठीक है ! और मुझे पेट्रोल के पैसे देने लगी तो मैंने मना कर दिया। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | तो संजना ने कहा- अनुराग, आपके घर पर कौन-2 हैं ? मैंने कहा- मैं अकेला ही रहता हूँ ! और आप संजना जी? संजना ने कहा- अनुराग, मैं रूचि में रहती हूँ और मेरे साथ मेरे पति रहते हैं वो ज्यादतर काम के कारण बाहर ही रह्ते हैं। मैंने कहा- संजना जी अब घर चलते हैं ! तो संजना ने कहा- अनुराग, अपना फोन नम्बर तो दे दो ! मैंने कहा- किसलिये ? तो संजना ने कहा- क्यों? नहीं देना चाहते? मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं ! और मैंने अपना फोन नम्बर संजना को दिया और हम दोनों चल दिये। बाई पास पहुँच कर हम दोनों ने एक दूसरे को बाय किया और अपने-2 घर चल दिये। अगले दिन दस बजे संजना का फोन आया- अनुराग कहाँ पर हो? मैंने कहा- अभी तो घर पर हूँ ! संजना कहने लगी- आज मुझसे मिल सकते हो ? तो मैंने कहा- नहीं, आज नहीं ! फिर कभी !तो संजना कहने लगी- नहीं, आज आप मेरे घर पर मिलो ! मैंने कहा- नहीं संजना जी ! आज मैं नहीं आ सकता ! तो संजना कहने लगी- नहीं अनुराग ! आज आपको आना ही पड़ेगा ! मैंने कहा- नहीं संजना ! आज नहीं फिर कभी सही ! ओके ? और मैंने फोन रख दिया। उसके बाद मैं नहाने के लिये चला गया और मैं 15 मिनट के बाद मैं जैसे ही देखता हूँ कि मेरे फोन पर 15 मिस काल हैं संजना जी की। मैंने जैसे ही काल किया तो संजना बोली- अनुराग आप बात नहीं करना चाहते तो बोल देते ! मैंने कहा- संजना जी, मैं तो नहाने के लिये गया था ! तो फोन कैसे उठाता ? मैं तो अपने काम पर जाने के लिये तैयार हो रहा था। मैंने तो आपको पहले ही मना कर दिया था तो आप क्यों बार-2 फोन कर रही हैं? यह कहकर मैंने फोन रख दिया। मैं जैसे ही घर से निकला तो संजना का फिर से फोन आ गया। मैंने झुंझलाहट में कहा- संजना जी, आपको मुझसे क्या चाहिये ? मैं तो आपसे परेशान हो गया ! बोलो, मैं आपके लिये क्या कर सकता हूँ ? बोलो ? कहने लगी- नहीं, आज ही मिलो ! तो मैंने कहा- ठीक है ! अपना पूरा पता दो ! मैं आपसे अभी एक घन्टे बाद आकर मिलता हूँ ! संजना ने अपना पता बताया। उसके बाद मैं थोड़ी देर के लिये अपने काए पर गया और उसके बाद रूचि, संजना के घर, पहुँचकर मैंने घण्टी बजाई तो संजना ने दरवाज़ा खोला और देखते ही बोली- अनुराग, आप आ गये ! आओ अन्दर। संजना ने दरवाज़ा बन्द किया और मैं भी संजना के साथ अन्दर आ गया। उसने मुझे बैठने के लिये कहा और मेरे लिये पानी लेकर आई। मैंने पानी पीने के बाद कहा- संजना जी, आपको मुझसे क्या काम है जो आप इतना परेशान हैं? संजना ने कहा- अनुराग मैं अपने पति से खुश नहीं हूँ ! मैंने कहा- मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिये? तो संजना ने कहा- मैं आपके साथ सेक्स करना चहाती हूँ ! मैंने कहा- मैं एक काल बोय हूँ और अपने काम की फीस लेता हूँ ! और अपने बारे में संजना को सब कुछ बताया तो संजना ने कहा- मुझे मन्जूर है, आप जो भी लोगे, मैं देने के लिये तैयार हूँ !
पापा के दोस्त ने लंड पर केक लगा कर मुझे चोदा
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गतांग से आगे …
मैंने कहा- संजना जी, अब मैं चलता हूँ, ड्यूटी के लिये लेट हो जाउँगा ! तो संजना ने कहा- नहीं अनुराग ! आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | आज आप ड्यूटी मत जाओ ! मैं भी अकेली हूँ, दोनों मजा करते हैं ! मैंने कहा- नहीं ! तो संजना नाराज होने लगी, कहने लगी- अनुराग, आप मेरे लिये एक दिन की छुट्टी नहीं ले सकते ? मैंने कहा- नहीं संजना जी ! ऐसी कोई बात नहीं ! मैं आपको रात को 10-30 बजे मिलता हूँ ! ड्यूटी खत्म करके आता हूँ ! मेरे इतना कहते ही संजना के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने भी उनका साथ देते हुए अपने होंठ संजना के होंठों पर रख दिये और एक लम्बा सा चुम्बन लिया और बाय करके ड्यूटी के लिये निकल गया। उसके बाद मैं अपनी ड्यूटी जल्दी खत्म करके जल्दी से निकल गया क्योंकि मैंने अपने रिलीवर को जल्दी आने के लिये बोल दिया था। और मैं 9-00 बजे माधोपुरसे निकल गया। ठीक 9-25 पर मैंने संजना के घर पर घण्टी बजाईं तो संजना ने जल्दी से दरवाज़ा खोला और बहुत ही जल्दी से बन्द करके मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी। मैं भी संजना का साथ देने लगा। बस फिर क्या था, तूफान तो दोनों तरफ उठ रहा था और हम दोनों इक-दूजे को मसलते रहे और चूमते रहे। 8 से 10 मिनट तक हम दोनों लगे रहे, उसके बाद मैंने कहा- संजना जी, कुछ खाने पीने के लिये तो होगा ! संजना ने कहा- अनुराग आपने भी क्या बात कर दी? मैंने पहले से ही तैयारी करके रखी हुई है। बस फिर टेबल पर संजना ने सारा समान तुरन्त ही लगा दिया और दो बहुत ही बड़े-बड़े पैग बनाये, हम दोनों ने चियर किया और अपना अपना पैग खत्म किया। दोनों ने एक दूसरे को चूमा और थोड़ा सा खाया जो भी खाने के लिये संजना ने रखा था। और फिर हम दोनों आपस में लिपट गये और एक दूसरे के अंगों को मसलने लगे। 5 से 10 मिनट तक हम दोनों आपस में लिपटे रहे। फिर मैंने कहा- संजना, एक-एक पैग और हो जाये ! पर हल्का-हल्का ! संजना बोली- अनुराग यार, आप कम पीते हो क्या? मैंने कहा- संजना, मैं बहुत ही कम लेता हूँ ! तो कहने लगी- ठीक है ! फिर संजना ने दो पैग बनाये और फिर वही बड़े-बड़े और हम दोनों ने खत्म किये। मैं कहने लगा- संजना, मुझे बहुत भूख लगी है ! संजना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ। और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया। मैं कहने लगा- संजना, मुझे बहुत भूख लगी है ! संजना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ। और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया। खाने खाने के बाद मैंने कहा- संजना जी आप इस घर में अकेली ही रहती हैं या फिर साथ में और भी कोई रहता है? संजना ने कहा- अनुराग आप मुझे संजना ही कहो। चलो बेडरूम में चलते हैं ! हम दोनों संजना के बेडरूम चले गये, बेड पर बैठकर बातें करने लगे। संजना ने कहा- अनुराग मैं जिन्दगी मैं बिल्कुल अकेली हो गई हूँ, जब से शादी हुई है पहले तो पति साथ रहता था, हम दोनों बहुत ही खुश थे, पर धीरे-2 सब कुछ इतना बदल गया कि मैं आपको क्या बताऊँ ! यह कहकर संजना रोने लगी। मैंने संजना से कहा- जो भी कुछ हुआ, उसमें आपका क्या कसूर है ! जो भी होना था, वो हो गया, आपके पति घर आते तो होगें? तो कहने लगी- हाँ, 15-20 दिन में आता हैं और एक दो दिन रहकर चला जाता है। मेरे साथ जब तक रहता है, बहुत खुश रहता है और मुझे भी हर खुशी देता है। पर हमारे बच्चा ना होने की वजह से थोड़ा दुखी रहता है और कहता है कि शायद हमारे नसीब में भगवान ने सारी खुशी नहीं लिखी है। मैंने कहा- संजना इसमें दुखी होने की क्या बात है, 5 साल आपकी शादी को हुए हैं, फिर इतनी जल्दी से आप लोग घबरा गये, मैं आज आपको अपनी तरफ से वादा करता हूँ कि आपके घर की खुशियों को दोबारा से वापस लाने में आपकी अपनी तरफ से पूरी-पूरी कोशिश करुँगा। और इतना कहकर मैंने संजना को बाहों में भर लिया और मैं अपना हाथ संजना की पीठ पर चलाने लगा। संजना भी मेरा साथ देने लगी। मैंने अपने होंठ संजना के होठों पर रख दिये तो संजना ने सहयोग करते हुए मुझे भी बाहों मे भर लिया और हम दोनों एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे। उसके बाद मैं संजना की चूचियों को ऊपर से ही दबाने लगा। संजना की गोल गोल चूचियों को मसलता रहा। फिर मैंने संजना की साड़ी उसके बदन से अलग की और संजना अब केवल काले पेटीकोट और ब्लाउज में मेरे सामने थी। मैंने संजना की फीगर के बारे में तो बताया ही नहीं। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | संजना की फीगर 23-28-34 रंग साफ और लम्बाई 5 फीट 4 इंच और वजन 45-48 किलो होगा और उम्र 29 साल, दिखने में काफी अच्छी लगती थी, किसी का भी दिल संजना पर पहली ही नजर में आ जाये। उसके बाद मैंने संजना का ब्लाउज भी उतार दिया और अब संजना केवल काली ब्रा और काले पेटीकोट में रह गई। मैंने उसके बाद संजना का पेटीकोट और ब्रा भी उतार दी। संजना अब केवल पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी। संजना ने कहा- अनुराग, आपने मेरे तो कपड़े एक एक करके उतार दिये, लाओ, मैं आपके कपड़े उतार देती हूँ। और संजना ने मेरे शरीर से सारे कपड़े उतार कर अलग कर दिये। मैं अब संजना के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था। मैंने संजना को बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठों को चूसने लगा। संजना ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे को काफी देर तक चूमते रहे। 8-10 मिनट के बाद मैं संजना की चूचियों को दोनों हाथों से दबाने और मसलने लगा। संजना की चूचियाँ थोड़ी सख्त होने लगी। 3-4 मिनट तक दबाने के बाद मैं संजना के एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से संजना की एक चूची को दबाने लगा। संजना के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं कभी एक चूची को मुँह से चूसता तो कभी दूसरी को ! 8-10 मिनट तक मैं ऐसे ही चूसता तो कभी मसलता और संजना परम आन्न्द में गोते लगा रही थी। फिर मैं संजना की चूचियों को छोड़कर संजना के पेट पर हाथ फिराने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा। फिर मैं संजना की पैन्टी उतराने लगा और संजना ने भी मेरा साथ देते हुए अपने चूतडों को ऊपर उठा दिया। मैंने पैन्टी को उतार कर एक तरफ फ़ेंक दिया और संजना की क्लीन शेव की हुई चूत पर हाथ फेरने लगा। संजना के शरीर में जैसे कोई करंट लगा हो और मेरे हाथ फेरने से संजना का शरीर अकड़ने लगा, आँखें भी बन्द होने लगी। संजना चूत में से सफेद सफेद पानी निकलने लगा और संजना झड़ गई। मैंने संजना की चूत को अपनी अँगुलियों से खोला और अपनी जीभ संजना की चूत पर चलाने लगा तो संजना के शरीर में उत्तेजना होने लगी। मैं अपनी जीभ को संजना की चूत में अन्दर तक डाल कर चोदने लगा तो संजना की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा बढ़ गई और संजना ने मेरा लन्ड अपने मुँह में डाल लिया और मुँह से मेरे लन्ड से खेलने लगी। मेरा लन्ड लोहे की छड़ की तरह से अकड़ गया। संजना भी मेरे लन्ड को अपने मुँह से चोदने लगी लेकिन कुछ ही देर के बाद संजना ने मेरे लन्ड को मुँह से निकालकर मुझे अपने से अलग किया, मेरे ऊपर सवार हो गई, मेरे लन्ड को अपनी चूत पर रखा और चूत तो संजना की गीली थी ही, संजना ने ऊपर से एक ऐसा धक्का मारा कि एक ही बार लन्ड पूरा अन्दर पहुँच गया। संजना को कुछ भी नहीं हुआ। बस फिर क्या था संजना के धक्कों की रफ्तार बढ़ने लगी और मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं भी मजे में बड़बड़ाने लगा और संजना और जोर से जोर से आ आ आ ईईईईईईईइ आइऐइ आऐ ऐअ करने लगी! मुझे पूरा मजा देना संजना के बस की बात नहीं थी, थोड़ी ही देर 5-7 मिनट में वो झड़ गई और बोली- अब आप मेरे ऊपर आ जाओ ! तो मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने संजना को नीचे डाला और अपना लन्ड संजना की चूत पर रखा और एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर तक डाल दिया। संजना ने उफ तक नहीं की और मैं भी संजना की चूत में जबरदस्त धक्के पे धक्के लगाने लगा। संजना कहने लगी- अनुराग, और जोर से ! जोर आ आ म्म्म्म म एम अम मेमेमे मेए आ अ अ ! आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | पता नहीं क्या क्या कहने लगी। फिर मैंने कहा- संजना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ। संजना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड संजना की चूत में पीछे से डाल दिया। पहले धक्के धीरे-धीरे से मारने शुरु किये तो संजना को भी मजा आने लगा, फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी। संजना अपने मजे से मदहोश होने लगी और पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी। मुझे मजा तो आ रहा था पर पता ही नहीं मैं चरम सीमा तक नहीं पहुँच पा रहा था।
चाची के साथ मेरे लंड का कौमार्य टूट गया
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गतांग से आगे …
संजना अपने मजे में पूरी मदहोश होती जा रही थी और एक ही झटके मे संजना की आवाज तेज हुई और संजना की चूत और मेरे लन्ड ने एक साथ पानी छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। 3-4 मिनट के बाद संजना मेरे लन्ड पर फिर हाथ फेरने लगी और कुछ ही देर के बाद मुँह से चूसने लगी तो मेरा लन्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने कहा- संजना, अब क्या विचार है ? तो संजना बोली- अनुराग, आप चुदाई करने में तो माहिर हो ! मैं तो आज सन्तुष्ट हो गई ! काफी दिनों के बाद इतनी सन्तुष्टि मुझे मिली है। मैंने कहा- संजना, अब मैं चलता हूँ ! संजना कहने लगी- नहीं अनुराग ! एक बार और हो जाये, फिर चले जाना। मैंने कहा- हाँ ठीक है पर अबकी बार मैं आपकी पिछ्ली लूँगा ! तो संजना ने कहा- अनुराग, तुमको मेरी अगली में मजा नहीं आया क्या ? मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं संजना जी ! मुझे आपकी पिछ्ली बहुत ही अच्छी लग रही है ! वैसे आपकी मर्जी, आप जैसा कहेंगी, मुझे तो वही करना पड़ेगा। बोलो संजना जी! मैंने जैसे दबी सी जुबान में कहा- बोलो संजना, मुझे क्या करना है? तो संजना ने कहा- अनुराग, ऐसे अपना दिल छोटा नहीं करते ! आपको जो भी आपको चाहिए, वो कर लो ! मुझे कोई एतराज नहीं ! तो मैंने कहा- संजना जी कोई क्रीम है? संजना ने कहा- हाँ, मैं अभी लाकर देती हूँ ! संजना ने क्रीम लाकर मुझे दी, मैंने अच्छी तरह से अपने लन्ड और संजना की गान्ड पर क्रीम लगाई, उसके बाद मैंने संजना को कहा- संजना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ ! संजना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड संजना की गाण्ड पर रख कर जोर से धक्का मरा। मेरा आधा से ज्यादा लन्ड संजना की गान्ड में पहुँच गया। संजना थोड़ी कसमसाई पर ज्यादा कुछ नहीं बोली। फिर मैं अपने लन्ड को वहीं पर आगे पीछे करने लगा और थोड़ी सी देर के बाद में मैंने एक जोर से धक्का मारा और मेरा लन्ड पूरा का पूरा संजना की गान्ड में पहुँच गया जड़ तक। संजना को थोड़ा दर्द हुआ पर ज्यादा नहीं ! मैंने संजना से कहा- दर्द तो नहीं हो रहा? संजना बोली- अनुराग, आप अपना काम करते रहो ! मुझे कोई परेशानी नहीं हैं ! और मैंने पहले धीरे धीरे से धक्के लगाने शुरू किये और फिर रफ्तार तेज कर दी। संजना भी आ ईईईईइ आआईइआई एएइएइएऐइदिदिदल्ल् ग्ग्ग्गएएए करके मेरा पूरा साथ देती रही। जैसे ही मेरा छुटने को हुआ तो मैंने कहा- संजना मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ? संजना ने कहा- अनुराग ! आप मेरी ही चूत में छोड़ना ! मैंने कहा- ठीक है संजना जी आप बिस्तर पर चलो। संजना बिस्तर पर लेट गई और मैंने संजना की दोनों टांगों को ऊपर उठा कर अपनी कमर के ऊपर रखा और जोर से धक्का मारा। पूरा लन्ड संजना की चूत में ऐसा गया कि पता ही नहीं चला। मैं भी जोर जोर से धक्के लगाने लगा और संजना भी मेरा पूरा उत्साह बढ़ाने लगी। उसने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर कस लिया और अपने मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी- अनुराग ओ अनुराग आ आ एए ए ए अ अएए ई इ ईईईईईई इआएएआअ एएएएए ! पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी। 3-4 मिनट में ही मैं भी संजना की चूत में झड़ गया और संजना के ही उपर लेट गया। 6-7 मिनट के बाद मैंने संजना से कहा- संजना जी, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हैं या नहीं? संजना ने कहा- अनुराग, आपने क्या बात कर दी ! आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी ! और मुझे क्या चाहिए था। संजना जी मेरी फीस दो और मैं निकलता हूँ ! संजना ने मेरी फीस दी और मैं अपने घर चला आया। उसके दो दिन बाद फिर संजना का फोन आया, कहने लगी- अनुराग, अब कब आ रहे हो ? मैंने कहा- संजना जी, जब आप बुलाओ, मैं हाजिर हो जाऊँगा। तो कहने लगी- आज शाम को ? मैंने कहा- नहीं कल ! आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | तो संजना कहने लगी- नहीं, आज ही ! तो मैंने कहा- ठीक हैं पर रात को 2 बजे ! तो संजना ने कहा- नहीं ! मैंने कहा- आज मेरी शिफ्ट बदल गई है, इससे पहले मैं नहीं आ सकता। तो कहने लगी- मैं आपक इन्तज़ार करूँगी, आप जरूर आना ! मैंने कहा- हाँ मैं समय से पहुँच जाऊँगा ! और मैंने ठीक दो बजे संजना की बैल बजाई। संजना ने दरवाज़ा खोला और मेरे गले लग कर कहने लगी- अनुराग, इतना इन्तज़ार मत करवाया करो ! मैंने कहा- क्यों संजना, मुझे भी तो काम होता है। तो संजना ने कहा- अनुराग, मेरे लिये भी टाईम नहीं? तो मैंने कहा- ! फिर भी ऐसी बात करेंगी तो मैं आगे फिर कभी नहीं आऊँगा। मेरे यह कहते ही संजना ने मुझे बाहों में भर लिया और हम दोनों ने आपस में चुम्बन लिया। फिर मैंने कहा- संजना जी, पहले कुछ खाने को ! तो संजना कहने लगी- अनुराग, मुझे मालूम था कि आप आते ही खाने को कहोगे ! इसलिये मैंने पहले ही आपके बताये समय के हिसाब से ही लगा के रखा है। हम दोनों ने खाना शुरू किया तो संजना कहने लगी- अनुराग यार कुछ पीने को हो जाये? मैंने कहा- जैसी आपकी मर्जी। संजना ने कहा- फिर ठीक है ! सिर्फ दो दो पैग ! मैंने कहा- चलो जल्दी करो, मुझे बहुत ही तेज भूख लगी है ! संजना ने दो पैग विस्की के बनाये, हम दोनों ने आपस में चियर्स किया, अपने अपने पैग खत्म किये, एक दूसरे के गले लगे और फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया। उसके बाद संजना ने दो और पैग बनाये और हम दोनों ने अपने अपने पैग खत्म किये और फिर हम दोनों ने अपना चुदाई का कार्यक्रम शुरु किया। उसके बाद हमारा यही सिलसिला हफ्ते में कभी दो दिन कभी 3-4 दिन चलता रहा जब तक कि संजना को बच्चा नहीं हो गया।
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