Manju Bua ki chudai मेरी बुआ का नाम मंजू (नाम बदला हुआ) है. उनके ऐज ४५ साल है पर लगती वो ३०- ३२ की है. वो एक गोरी, गोल-मटोल, चिकनी और फाडू फिगर की लेडी है. उनके पुरे शरीर पर बस झांटो के अलावा बाल नहीं आते. वो सच में बहुत ही सेक्सी है. उनकी फिगर ४०-३८-४२ की है. उनकी चुचिया ऐसे लगती है, जैसे फुटबॉल लगा रखी हो. उनकी गांड भी एकदम गोल-मटोल है देखने में. मन करता है, कि उनकी चुचियो को हमेशा ही चूसता रहू और उनकी गांड में अपना लंड डाल दू. दोस्तों, सच में उनकी गोरी और सॉफ्ट चुचिया जो भी देख ले.. वो देखता ही रह जाए. अहहाह .. सोचते ही लंड खड़ा होने लगता है. अब मैं स्टोरी पर आता हु. ये सिलसिला ४ साल पहले शुरू हुआ. जब मैं १८ साल का था. बचपन से ही हमेशा मेरे दिमाग में बस सेक्स की बातें घुमती रहती थी.
सुबह के टाइम में बुआ के यहाँ चले जाता था. जब उनकी बेटी, जो की १७ साल की थी, वो कॉलेज चली जाती थी और फूफा जी अपनी शॉप पर चले जाते थे. जो बहुत मोटे थे और मैंने सुन रखा था, कि मोटे लोगो का लंड बहुत छोटा होता है. वो ठीक से चुदाई भी नहीं कर पाते है. तो मैं हमेशा ही सोचता था, कि शायद बुआ की चुदाई की प्यास ठीक से नहीं बुझ पाती होगी. वो जैसे ही कपड़े धोने बैठती थी, तो मैं बाथरूम के सामने किसी भी बहाने से बैठ जाता और कपड़े धोते वक्त उनकी मोटी चुचिया देखता रहता. वो बड़े गले वाले ब्लाउज पहनती थी और उनकी चुचिया भी बहुत मोटी थी. उनकी चुचियो की लाइन इतनी सेक्सी लगती थी और धोते- धोते उनकी चुचिया पानी से भीग जाती थी और उनकी चुचिया और भी ज्यादा चमक मारती थी. मैं अन्दर कमरे में जाकर उनकी चुचियो के बारे में सोचकर मुठ मारता था. बुआ को पता था, कि मैं उनकी चुचियो को देखता रहता हु, पर वो कुछ कहती नहीं थी और उस वक्त मैं छोटा भी था. तो मेरे साथ कुछ करने का सिग्नल भी नहीं देती थी.
लेकिन, मैं उस वक्त उनको चोदने को पूरी तरह से तैयार था. उनकी बेटी, जो मुझसे सिर्फ १ साल बड़ी थी वो मुझे पूरी लाइन देती थी. लेकिन, मेरा ध्यान उस वक्त सिर्फ बुआ पर था. मैं रोज़ सुबह जाता और उनकी चुचियो को देखता और मुठ मारता. कभी- कभी मौका मिलता, तो उनके कपड़े धोने के बाद, जब वो कपड़े सुखाने छत पर जाती और कभी- कभी उनकी कच्छी या ब्रा बाथरूम में रह जाती. तो मैं बाथरूम में जाकर उनकी कच्छी या ब्रा को अपने लंड पर रखकर मुठ मारता और पेंटी या ब्रा में ही अपना माल छोड़ देता. फिर, मैं उसको पानी में निकालकर धो देता था और वहीँ फेंक देता था. फिर, जब बुआ वापस आती, तो अपनी ब्रा और पेंटी को गीला पड़ा देखती, तो मेरी तरफ देखती; पर कहती कुछ नहीं थी. समझ तो जाती होंगी, कि मैंने कुछ कारनामा किया है.
वो मुझे कुछ नहीं बोलती थी और पेंटी या ब्रा को धोके ऊपर सुखा आती थी. मैं उन्हें चोद नहीं पा रहा था, और ना ही वो कोई मुझे ग्रीन सिग्नल दे रही थी. मैं उनको अकेले में कुछ मौका पाने की कोशिश करता, लेकिन उनके घर के बराबर वाली आंटी बार- बार उनके घर आ जाती थी. मैं उसको मन ही मन गलिया दे रहा होता था. “बार- बार आ जाती है, पता नहीं साली के पास कोई काम- वाम है के नहीं.” और दोपहर में उनकी बेटी आ जाती थी. ऐसे ही दिन बीते जा रहे थे. फिर २ साल बीत गये और उन्होंने नया घर ले लिया और वहां शिफ्ट हो गयी. वहां पर कोई किसी से खास मतलब नहीं रखता था. वहां पर पड़ोस की भाभी को चोदने के बाद, मेरे अन्दर आगे बढ़ने की थोड़ी सी हिम्मत आ गयी थी. फिर, फाइनली एक दिन जब फूफा जी अपने फ्रेंड के साथ टूर पर गये थे और उनकी बेटी भी अब १९ साल की हो चुकी थी और मुझे हवस की नजरो से देखने लगी थी. वो अपने चाचा के यहाँ गयी हुई थी, जो गाजियाबाद में रहते थे. और २ दिन बाद वापस आने वाली थी. पर मुझे पहले बुआ को हर हालत में चोदना था. बुआ के अकेले होने की बात सुनते ही, मैं बुआ को पूछने गया, कि आज मैं बुआ के यहाँ ही रहूँगा. मेरे घरवालो ने परमिशन दे दी थी. जब सुबह मैं उनके घर पंहुचा. तो उन्होंने ही गेट खोला. वो सफाई कर रही थी और उन्होंने नाईटई पहनी हुई थी. वो आधी पानी में भीगी हुई थी और पीछे से नाईटई उनकी गांड से चिपकी हुई थी. जिससे उनके चुतड की लाइन दिख रही थी. मन तो कर रहा था, कि अभी लिपट जाऊ और जबरदस्ती गांड मार डालू उनकी. पर करने से काम बिगड़ने का खतरा था, तो मैंने कुछ नहीं कहा और सोफे पर जाकर बैठ गया. मैं उनको सफाई करते हुए उनकी चुचिया और गांड को ताड़ रहा था.
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सफाई करके बुआ ने कपड़े धोये. मैं पहले की तरह उनकी चूची देखने लगा, पर अब मैं बड़ा हो चूका था और २ सालो में कई बार, बुआ ने मुझे मुठ मारते हुए भी देख लिया था. इस बार मैंने ठान लिया था, कि बुआ को चोदके ही रहूँगा. बुआ कपड़े धोते- धोते मुझे बार – बार देखती, कि मेरी नज़र उनकी चुचियो पर है और मैं अपनी नज़र उनकी चुचियो पर टिकाये रखता. ये देखकर बुआ के चेहरे पर हलकी सी हंसी आ जाती थी. मैं समझ चूका था, कि आज बुआ चुद ही जायेगी. कपड़े धोके बुआ ने १ मिनट के लिए गेट बंद किया और फिर गेट खोलकर निकली और छत पर कपड़े सुखाने गयी. मैंने बाथरूम में जाकर देखा, तो उनकी कच्छी अन्दर टंगी हुई थी, जिसपर उनकी चूत का पानी लगा हुआ था. ऐसा लगा रहा था, कि कच्छी अभी उतारी हो. मुझे कुछ समझ नहीं आया, पर पहले मैंने सोचा, कि मुठ मार लू बाकि बाद में देखूंगा. लेकिन, मैंने पहले उनकी कच्छी को अपने मुह पर रखा और उसे सूंघने लगा और अपना लंड सहलाने लगा और फिर कच्छी लंड पर लपेट कर मुठ मारी और अपना माल हमेशा की तरह कच्छी में ही निकाल दिया. पर अबकी बार, मैंने कच्छी पानी से निकालकर नहीं डाली और ऐसे ही जमीन पर डाल दी और अन्दर जाकर टीवी देखने लगा. बुआ कपड़े सुखा के आ गयी और सीधी बाथरूम में गयी. मेरी धड़कने तेज हो गयी; कि कभी मैं जो सोच रहा हु उसका उल्टा ना हो जाए. पर बुआ ने अपनी कच्छी धोके बाथरूम में सुखा दी और रूम में आ गयी.
उन्होंने मुझे देखा, मैं टीवी देख रहा था. लेकिन कुछ बोल नहीं रहा था. वो मुझसे बोली – बड़ा हो गया है, तू… मैं समझ तो गया था, कि वो क्या कह रही है. पर मैंने बुआ को कहा – अभी तो मैं बहुत छोटा हु. तो वो बोली ..ह्म्म्मम्म दिख रहा है वो तो. तो चली गयी. उस दिन उन्होंने सफाई के बाद साड़ी नहीं पहनी थी दूसरी नाईटई पहनली थी और कमरे में आई. मैंने उन्हें देखा और देखता ही रह गया. उन्होंने ऊपर २ बटन खोले हुए थे. जिसमे से उनकी चुचिया झांक रही थी. मेरा लंड जो ज्यादातर खड़ा ही रहता था, मेरे लोअर को चीरकर बाहर आने को बेताब था और खड़ा हुआ साफ़ दिख रहा था. तभी बुआ की नज़र मेरे लंड पर पड़ गयी और वो मेरे पास आके बैठ गयी और बोली अभी तो तू कह रहा था, कि तू बड़ा नहीं हुआ है. तो ये क्या है? और उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोली मेरे कच्छी में मैंने कई बार तेरा माल चिपका हुआ देखा है और आज तो मेरी कच्छी पूरी अपने माल से भर दी. तेरे फूफा जी का लंड छोटा है और वो शुरू होते ही ख़तम हो जाते है. ये सुनकर मुझे शोक लगा, कि मैं सही सोच रहा था… बुआ सच में प्यासी है. बस फिर क्या था.. मुझसे रुका नहीं गया और मैं बुआ पर टूट पड़ा और मैंने उनकी नाईटइ के बटन खोलकर उनकी चुचिया बाहर निकाल ली. उन्होंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी. मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी. उनकी चुचिया बहुत गोरी और सॉफ्ट थी और जितनी बाहर से दिखती थी .. उससे ज्यादा मोटी थी.
उनकी चुचियो का दाना बिलकुल गुलाबी रंग का था. मैंने झट से दाना अपने होठो में दबा लिया और जोर- जोर से चूसने लगा म्मम्मम्म…. य्म्म्मम्यम्म्म …उम्म्मम्म और चूसते- चूसते उनकी चुचिया भी दबा रहा था. वो मेरे लंड पर हाथ फेर रही थी. कभी मैं उनकी चुचियो के बीच में अपना मुह डालकर अपनी जीभ से उनकी चुचियो को चाटता. कभी उनकी चुचियो को अपने मुह से रगड़ता और दाने को होठो से मसल-मसल के चूसता. अब बुआ मुह से अहहः अहहाह की आवाज़े निकाल रही थी. २० मिनट तक चुचिया चूसने के बाद, मैंने बुआ को खड़ा किया और उनकी नाईटई के सारे बटन खोलके उनके कंधो पर से नीचे गिरा दी. अब बुआ बिलकुल नंगी थी. उनकी चूत पर बहुत छोटे बाल भी थे. शायद ३-४ दिन पहले ही शेव किये होंगे. उनकी चूत ऐसी लग रही थी, जैसे सील पैक हो. मैंने उनकी चूत के होठो के बीच में ऊँगली रगड़ी और उन्होंने हलकी अहह्ह्ह्हह .अहहाह की आवाज़ निकाली और बोली तेरे कपड़े मैं उतरूंगी. मैंने बस टीशर्ट और लोअर ही पहना हुआ था.
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उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोले और उतार दी. फिर मेरे लंड पर हाथ फेरते हुए, मेरा लोअर भी को भी उतार दिया. अब मेरा खड़ा लंड उनकी चूत के सामने हिल रहा था. अब हम दोनों बिलकुल नंगे थे और हम खड़े-खड़े ही एक दुसरे के होठो को चूस रहे थे. म्मम्मम म्मम्म उम्म्मम्म ह्म्म्मम्म… और फिर मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ना शुरू किया. मैंने उनको कहा, मेरी जीभ को अपनी जीभ से चाटो और हम दोनों अब एक दुसरे के मुह में जीभ डालकर एकदूसरे को पागलो की तरह चूसने लगे थे. फिर मैं उनकी चूत में ऊँगली करने लगा और एक हाथ से कभी उनकी गांड को दबाता और कभी उनकी चुचियो को बुरी तरह से मसलता. ऐसे करते-करते १५ मिनट से भी ज्यादा हो चुके थे और उनके होठ पुरे लंड हो चुके थे.
अब मैंने उन्हें सोफे पर बैठाया और उनकी टाँगे खोलकर उनकी गुदगुदी जांघो पर हाथ फेरने लगा और उनकी चूत पर अपने होठ रख दिए. मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और उनकी चूत के दरवाजे को अपने हाथ से खोला और अपनी जीभ को उनकी चूत के अन्दर डाल दिया और उनकी मेरी जीभ उनकी चूत के अन्दर की दीवारों को रगड़ रही थी. उनकी चूत के नीचे के हिस्से में कुछ दाने थे, जैसे की डॉटेड कंडोम पर होते है. मैं उन दोनों को भी अपनी जीभ से रगड़ रहा था. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. बुआ मेरे सिर पर हाथ फेर कर मेरे सिर को सहला रही थी और मोअन कर रही थी अहहः अहहाह उफ्फ्फफ्फ्फ़ चाट लीईईईईई … ऐसे ही चाटत्त्त्तत्तत्त्त…. मेरी प्यास बुझा दे आज … खाजा मेरी चूत को आज…. अहहः अहहः जोर से चाट और जोर से … यम्म्म्म म्मम्मम .. उनके हाथो से मेरे बदन में करंट सा दौड़ रहा था और मैं भट्टी की तरह भड़क रहा था. मेरा लंड पूरा लाल हो चूका था. मैंने अपने हाथ उनकी गांड पर रखे और अपना मुह उनकी चूत में घुसा दिया. मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत के दाने पर घिस रहा था. जिससे वो कुछ ही मिनटों में झड़ गयी और उनकी चूत का रस मेरे मुह से बाहर बह रहा था. मैंने अपना मुह उनके गुदगुदे पेट पर रगड़ा और पौछ लिया. वो बिलकुल मदहोश एंड गरम हो चुकी थी और मेरे लंड से चुदाने के लिए तड़प रही थी. वो बोली अहहहः अहहहा… बस करो अब. चूत में अपना लंड डालदो जल्दी से … रुका नहीं जा रहा है. मैं बोला – अभी पहले मेरा लंड चुसो तो. वो बोली – जल्दी से दे मेरे मुह में. मैं सीधा खड़ा हुआ और वो घुटनों पर बैठ गयी और मेरा लंड जोर- जोर से चूसने लगी. लग रहा था, कि जैसे पहले उन्हें मोटा और टाइट लंड चूसने को नहीं मिला है. वो लंड ऐसे चूस रही थी, जैसे सारा रस आज ही पी जायेंगी और मेरे लंड को अपने हलक तक गुसा रही थी.
जिससे मैं बहुत ज्यादा गरम हो चूका था. फिर मैंने उनकी चुचियो के बीच में थूक के चिकना किया और लंड चूची में दबाके चुचिया चोदने लगा. कुछ देर बाद, मैंने उन्हें सोफे पर बैठाया और सोफे पर उनके मुह की तरफ अपना लंड करके खड़ा हो गया और उनके मुह में लंड देके जोर- जोरसे उनके मुह को चोदने लगा. थोड़ी देर बाद, मैं बिना कुछ कहे उनके मुह में ही झड़ गया और उन्होंने एकदम सारा माल पी लिया और मैंने अपने लंड को उनके होठो पर रगड़ के साफ़ किया. फिर मैंने कहा – बुआ अपनी जीभ को मेरे लंड की टोपी पर फिराऊ ना. उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और पहले मेरे अंडो को मुह में लेके चूसा और फिर मेरे लंड के मुह में अपनी जीभ को फेरने लगी. मेरा लंड एक मिनट में ही फिर से पहले जैसा खड़ा हो गया और अब बुआ बोली – बस अब चोद दे मुझे. तड़प रही हु मैं. मैंने उन्हें खड़ा करके उनके दोनों हाथो को सोफे पर रखके उन्हें घोड़ी बनाया और उनकी गाद के छेद पर थूक के एक मिनट उनकी गांड में ऊँगली की और देर ना करते हुए, फिर अपना लंड उनकी चूत के होठो के बीच में रखके उनके छेद में फिट करके एक जोर का झटका मारा और बुआ ने जोर से आआईईइ की आवाज़ निकाली. बुआ को दर्द हो रहा था, लेकिन बुआ ऐसे हो घोड़ी बनी रही और मेरा आधा लंड उनकी चूत में जा चूका था.
फिर, मैंने धक्के मारते हुए, अपना पूरा लंड उनकी चूत में घुसा दिया. फिर मैंने उनकी एक टांग को सोफे पर रखा और उनकी गांड को कमर से पकड़ा और जोर- जोर से धक्के मारने लगा. वो और मैं, हम दोनों इतने गरम हो चुके थे, कि हम दोनों की अहहहः अहहहः की आवाज़े निकल रही थी. मैं उनके अलग- अलग स्टाइल में चोद रहा था. कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद, मैं सोफे पर लेट गया और उनकी टाँगे खोलकर अपने ऊपर बैठा लिया. एक्सपीरियंस होने के कारण, बुआ वो सब आराम से कर रही थी. मैंने बुआ की गांड हलकी सी ऊपर उठाई और उनकी चूची दबाने लगा, उन्होंने एकदम मेरा लंड पकडके उनकी चूत में डाल लिया और मैं ताबड़तोड़ धक्के बजाने लगा. उनकी चूत बहुत गीली थी और इस बीच वो २ बार झड़ चुकी थी. पुरे कमरे में पछ्ह्ह्ह पछ्ह्ह्ह की आवाज़ गूंज रही थी. फिर मैंने अपना लंड निकाला और उन्हें अपने नीचे लिटाके उनकी टांग खोलीऔर उनपर चढ़ गया. मैंने उनकी चूत में लंड दे दिया और मैं एक हाथ से उनकी चूची दबा रहा था और उनके होठो को अपने होठो में भरके चूस रहा था. मैं तेज धक्के मार रहा था.
बुआ बार- बार ऊपर खिसक रही थी और लंड निकल रहा था. फिर मैंने अपने दोनों हाथो से उनकी कमर को पकड़ लिया और जोर से धक्के मार रहा था. वो धक्के मारकर मेरे लंड को अन्दर ले रही थी. लगभग ४०-५० मिनट के बाद, बुआ तीसरी बार झड़ने वाली थी और मैं दूसरी बार झड़ने वाला था. मैं बुआ के कान को चूस रहा था और १ मिनट बाद ही वो झड़ गयी. अब मैं भी झड़ने वाला था. अबकी बार मैंने बुआ को बताया, की मैं झड़ने वाला हु. कहाँ झाड़ू? वो बोली – जहाँ तुझे अच्छा लगे. मैंने सोचा, कि ब्लूफिल्म की तरह बुआ के मुह और चुचियो पर झड़ता हु, मैंने उन्हें घुटनों पर बैठ्या.
और उनसे कहा, अपना मुह खोल ले और चुचियो को दबाये उन्होंने लडकियो की तरह ही किया और मेरी पिचकारी निकल गयी और मैंने उनके मुह और चुचिओ पर झड़ के उनके मुह ओअर चुचियो पर लगा माल को अपने लंड से फैलाने लगा. फिर, मैंने अपने लंड को उनके मुह में दे दिया और चुसवाने लगा. उन्हें मेरे लंड को चूसकर साफ़ कर दिया. उनके चेहरे में एक मीठी सी मुस्कान थी. वो बोली – तूने आज मुझे हर तरीके से चोद दिया. मैंने कहा – अभी कहाँ? अभी तो गांड मारनी बाकी है. वो बोली – अब मैं थक गयी हु. थोड़ी देर आराम कर लेते है. फिर हम दोनों नंगे ही एक दुसरे से लिपट कर सो गये.
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