पापा की परी हूँ मैं – III

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Papa ki pari hun main 3 dirty sex story

मैं अपने प्यारे पापा का पेशाब मुह में भरे लेती थी. आज मैं उनके गोल्डन पेशाब में लिपट के ही चुदवाउंगी. हम दोनों मदहोश थे. इस Papa ki pari hun main 3 dirty sex story का आखिरी भाग-

Hindi Sex Story के अन्य भाग-

पार्ट 1

पार्ट 2

पापा का गोलडेन पेशाब मेरी नोस और मेरे मुँह मैं जा रहा था. पापा ने झुक कर अपना लंड मेरी चूत मैं डालने की कोशिश की, लेकिन जगह तुंग होने की वजह से उन्हे मुश्किल हो रही थी. “जानू, बाथ टब से बाहर जा कर तुम्हे चोदना परे गा” पापा ने कहा. “नहीं पापा यहीं चोदो …आप के पेशाब मैं लिपट कर चुदवाउंगी”

पापा ने मुझे उठने को कहा, और खुद बाथ टब के फ़राश पर हेड रेस्ट के साथ अपनी कमर टीका कर और अपनी टांगायन लंबी कर के बैठ गये. पापा का लॉरा फुल तना हुआ खरा था और मेरी पी मैं भीगा हुआ था. मैं पापा की तरफ मुँह कर के पापा के लंड पर इस तरह बैठी के पापा के लंड की 3 इंच मोटी पर्पल टोपी मेरी चूत के छेद से लगी हुई थी. मैंने नीचे हाथ डाल कर पापा के लंड को अपनी मुथि मे जकर लिया और लौरे को अपनी खुली हुई चूत के बीच मैं ओपपर से नीचे की तरफ फेरने लगी.

जुब मैं पापा के लंड की टोपी को अपनी क्लिट पर फेरती तो मेरे पूरे जिस्म मैं गुदगुदी हों ने लगती. मैं फुल मस्त हो चुकी थी. मैं इन सूब बातों को भूल चुकी थी के मैं अपने सगे बाप के साथ ये कर रही हूँ. अब पापा से भी बर्दाश्त नही हो रहा था. “जानू जल्दी से मेरा लंड अपनी चूत के अंडर ले कर मुझे चोदो, वरना मेरी मनी बाहर ही निकल जाएगी”. मैंने पापा का लंड अपनी चूत के होल से लगाते हुआ पापा के लौरे पर बैठती चली गई. पापा का लंड मेरी टाइट चूत को चीरता हुआ अंडर पूरा चला गया.

इतना सख़्त पत्थर की तरह लंड था पापा का के मुझे ऐसे लगा के पापा का लंड मेरे पायट मैं से होता हुआ मेरे मुँह से बाहर आ जाए गा. मेरी छोटी सी चूत मैं पापा का लंड पूरा फँस गया था, यहाँ टुक के मैं अपनी गांड को ऊपर नीचे कर रही थी के पापा का लंड भी इसके साथ ही मेरी चूत मैं अंडर बाहर होता रहे, लेकिन लंड इतनी बुरी तरह मेरी नन्ही सी टाइट चूत मैं फँस चुका था के लंड अंडर बाहर भी नही हो रहा था. “पापा भोथ सख़्त और मोटा लंड हे आपका …

कैसे चोदु आप को” पापा को भी मुश्किल हो रही थी मुझे चोदने मैं, इस लिये के वो नीचे से कुछ नही कर सकते थे. आख़िर उन्होने मेरी गांड के नीचे हाथ डाल कर और मुझे अपनी गोद मैं भरते हुआी उठ कर खरी हो गाए. मैं पापा के जिस्म के साथ लिपट गईं. पापा इसी हालत मैं ले कर मुझे टब से बाहर आए, और फिर मुझे बाथरूम के फ्लोर पर लिटा कर मेरी टाँग उठा कर मुझे चोदने लगे. “उफ़ मेरी बेटी की चूत वाक़ई बहुत टाइट हे …. बहुत मूसखिल हो रही हे अपनी जानू को चोदने मे” पापा अपना लंड जुब मेरी चूत मैं अंडर बाहर करने लगते तो उसके साथ ही मेरी चूत की अंडर की स्किन भी बाहर निकल आती.

एक दफ़ा जो पापा ने ज़ोर लगा कर मेरी नाज़ुक चूत से अपने लंड को खींच कर बाहर निकाला तो झटके से पापा खुद भी पीछे चले गाए, और मेरी चूत मैं से बहुत ज़ोर की ऐसी आवाज़ आई जैसे के बॉटल का कॉर्क निकलने से या पेप्सी के बॉटल का ढक्कन खोलने से आती हे. पापा ने हाथ बढ़ा कर आख़िर कोकनट आयिल की बॉटल उठाई और मेरी चूत और अपने लंड पर खूब सारा आयिल माला. फिर जो उन्होने मेरी चूत से अपने लंड की टोपी को लगाया तो एक ही झटके मैं पापा का लंड फिसलता हुआ पूरा का पूरा मेरी चूत मैं चला गया.

अब पापा आराम से मज़े ले ले कर मुझे छोड़ने लगे. छोड़ते हुआी कभी मेरी एप्रिकॉट जैसी टिट्स को पाकर कर चूस्टे, काहबी मुँह मैं अपनी ज़बान डाल कर मुझे प्यार करते. “उफ़ जानू मज़ा आ रहा तुझे छोड़े मैं … चोद रहा हूँ तुझे जानू … चुद मेरे लंड से …. पूरा लंड गया मेरी बेटी की चूत मैं ….. चोद रहा हूँ अपनी बेटी को …..उफ़ तेरी टाइट चूत जानू …” “पापा चोदो मुझे …. छोड़ो … और ज़ोर से चोदो अपनी बेटी को ….. मज़ा आ रहा हे पापा …. उफ़ पापा कितना मोटा और लंबा लंड हे मेरे पापा का …. उफ़ मार गई … पापा मेरे पेट मैं चला गया लंड आप का.”

एक दम से पापा के धक्कों मैं तेज़ी आगाई. उन्होने मेरी गांड के नीचे हाथ डाल कर इतनी शिद्दत से धक्के मारनें शुरू किये की मस्ती से मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, और मैं चूत पानी छोरने लगी. उसके साथ ही पापा ने भी चीकथे हुआी मेरी चूत की गहराइयों मैं अपनी गरम गरम मनी की धार चोर दी. मेरी चूत पापा की मनी से लाबा लूब भर गई. पापा मेरे ऊपर गिर परे. हम दोनो बाप बेटी जैसे नशे मैं टन हो चुके थे. हम दोनो के सर बुरी तरह घूम रहे थे. हम दोनो गहरी गहरी साँसें ले रहे थे, जैसे 5 किलोमीटर की रेस लगा कर आ रहे हों.

पहली ही दफ़ा मैं हम दोनो बाप बेटी चुदाई का इतना मज़ा ले चुके थे के शाएेद सुहाग रात को हज़्बेंड और वाइफ भी नही लेते होंगे. हम दोनो इतना थक चुके थे के अब और हिम्मत नही थी. जितना मैं पहली दफ़ा मैं छुड़वा चुकी थी और मज़े ले चुकी थी, उसके नशे मैं सिर से पाओं तक डूबी रहना चाहती थी. कोई 15 मिनिट्स तक अपनी अपनी साँस ठीक करने के बाद हम दोनो उठे और पापा ने बाथ टब का शावर खोल दिया.

दुनिया मैं कितने बाप बेटी ऐसे होंगे जो एक साथ नंगे बाथ टब मैं नहाए हों? ठंडा ठंडा पानी जिस्म से लगते ही मज़ा आ गया. पापा ने मेरे सारे जिस्म पर लक्स सोप लगा कर और मेरे बालों मैं सुनसिल्क शॅमपू अछी तारा लगा कर और मेरे पूरे जिस्म हेड से ले कर फीट तक मल मल के मुझे नहलाया.

मैं पापा की तरफ बॅक कर के उनके जिस्म के साथ जूरी हुई थी. पापा ने मेरी नेक के बाद जब मेरी एप्रिकॉट जैसे टिट्स को सोप लगा कर हाथों से मलना सुरु काइया तो मेरी टिट्स से ले कर मेरी चूत तक टिकलिंग शुरू हो गई. फिर पापा का हाथ जब अपनी छोटी सी बेटी की हेरलेस चूत पर पहुँचा तो मैं एक बार मस्त होने लगी. सोप की वजह से चूत मेरी और चिकनी हो गई थी, ऊपर से पापा की उंगलियाँ जब मेरे चूत के दाने को मसाल्तीं तो मैं बे इक्तियार गांड को आगे पीछे करने लगती.

पापा के दोनो हाथ मेरी चूत से होते हुआी पीछे मेरी गोरी और मोटी मोटी गांड पर सोप मलने लगे. पापा ने अपना हाथ मेरी गोरी और वॉटर मेलन जैसी गांड पर फेरना शुरू काइया, और फिर अपने हाथ से मेरी गांड के ग्लोब्स के बीच मैं सोप के सड्स मलने लगे. मैं तो अभी पूरी तरह जवान भी नहीं हुई थी, और ना मुझे अभी तक पीरियड्स सुरु हुआी थे. कच्ची जवानी मैं जब लर्की पहली दफ़ा चुड़वा लेती है तो उसका बस नहीं चलता के वो हर पल चुड़वाए.

और यहाँ तो परदह ही कोई नही था. छुड़वाने वाली बेटी थी तो छोड़ने वाला मेरे पापा थे. और पापा मैं पूरा ट्रस्ट कर सकती थी, क्यूँ क पापा से मुझे मम्मी के वक़्त से ही बहुत प्यार था. मगर वो पहले वाला प्यार रियल बाप बेटी वाला था.

अब मेरे प्यार ने एक नया टर्न ले लिया था और मैं अब सेक्सुअल्ली पापा को प्यार करने लगी थी. पापा पर मेरा ट्रस्ट और भी ज्यादा हो गया था. मैं शाएेद किसी अजनबी लरके से कभी इतना नही खुल सकती थी. अगर किसी लरके से प्यार हो भी जाता, तो भी मैं उसके साथ इतनी जल्दी सेक्स अफेर मैं नही जाती.

पापा के साथ पिछली रात से मेरा सेक्स अफेर शुरू हुआ. पापा ने जो भी मेरे साथ काइया, मेरे एग्री होने पर काइया. मेरी बॉडी को अब्यूस नही काइया. मेरे जिस्म के एक एक ऑर्गन को बहुत प्यार से हॅंडल काइया. यहाँ तक के मेरी चूत को भी आराम से और मुझ से पूछ पूछ कर छोड़ा, ताकि मुझे डर्द ना हो, तकलीफ़ ना हो. यह सब इस लिये हुआ के पापा भी मुझे बहुत प्यार करते थे (और करते हैं). मैं हमेशा पापा से बहुत क्लोज़ रही हूँ. और वो बाप बेटी के अनमोल प्यार का रीलेशन था. और एक ही रात मैं इतनी सी आगे मैं, मैं पापा की औरत बुन चुकी थी.

यह सूब सोचते सोचते हम दोनो बाप बेटी बाथ ले चुके थे के अचानक मुझे पापा का तना हुआ सख़्त लंड पीछे से अपनी गांड के बीच मैं घुसता हुआ लगा. पापा का 7 इंच के लंड का हेड मेरी गांड के ग्लोब्स के बीच मैं से होता हुआ मेरी चूत की तरफ से बाहर निकल आया. पापा ने ऐसा जान के नहीं काइया था.

असल मैं पापा शवर को बूँद करने के लिये जब आगे हुआी तो आप ही आप ऐसा होगआया. मैंने झट से पापा के लौरे की तोप को अपनी मुथि मैं पाकर लिया और अपनी मुथि को लंड पे आगे पीछे करने लगी. “जानू काइया फिर चुदना चाहती हो” पापा ने पूछा. “नही पापा … बहुत ज्यादा हम दोनो थक नही गये … हन बेड पे आप के साथ सोने से पहले आपके इस प्यारे से लंड को चूस कर इसकी गरम गरम मनी मुँह मैं निकल कर पीऊँगी .. ठीक हे ना पापा?”

बाथ लेने के बाद पापा मुझे अपनी गौड़ मैं उठा कर बेड पर ले गाए. मैं नंगी पापा की गौड़ मैं अजीब सी लग रही थी. छोटी सी नन्नी बेबी की तरह मैं मैं पापा की बाहों मैं थी. बेड पर पापा की तरफ करवट ले कर लेट कर मैंने अपनी मुथि मैं पापा का खरा हुआ सख़्त लंड पाकर लिया और आहिस्ता आहिस्ता पापा के लंड को सहला ती रही. मुझे अपने पापा पर बे हुड प्यार आ रहा था, जिन्होने एक ही रात मैं अपनी बेटी को काली से फूल बना दिया था. मैं लर्की और लरके के सेक्स रिलेशन्स (जिन्सी रिश्ते) से ना आशना थी.

पापा के साथ एक ही रात मैं, मैं सूब कुछ सीख गई, समझ गई और वो भी भरपूर मज़े के साथ. पापा का लंड पाकरे पाकरे मैं पापा के सीने के ऊपर हो कर अपने पापा को किस करने लगी. पापा आँखें बूँद किए लेते थे. मैंने पापा के लिप्स अपनी लिप्स मिला कर खूब किस करने लगी. फिर पापा की आँखो, गालों और नेक पर किस करती रही. पापा ने अपने एक हाथ बघल के नीचे डाल कर मुझे अपने साथ ज़ोर से चिमटा लिया. किस्सिंग करते करते मैंने पापा से पूछा: “पापा मैं कैसी लगती हूँ आप को?”

“बहुत पियरी, बहुत खूबसूरत” पापा ने जवाब दिया. “आप कितना प्यार करते हैं मुझसे, पापा?” “मेरी बेटी बहुत ही प्यारी हे और मैं अपनी बेटी से बहुत ज्यादा प्यार कर्ता हूँ” “पापा आप अब मुझे बेटी वाला प्यार ज्यादा कराईं गे, या ये सेक्स वाला?” “यह सूब तुम क्यूँ पूच रही हो जानू” “बताएँ ना पापा…” “मेरे और तुम्हारे डर्मायाण असल रिश्ता तो बाप बेटी का ही हे, जिस के नाते मैं अपनी बेटी को जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ” पापा कहते जा रहे थे .. “तुम मेरी ज़िंदगी हो बेटी, बहुत ही प्यारी, और इतनो हसीन और मासूम के बता नही सकता.

बाप बेटी होने की वजह से हमारे बीच जो कुछ भी हुआ, वो घालत हुआ. गुनाह हुआ. लेकिन जो कुछ भी सेक्षुयली हमारे बीच हुआ, वो सेक्स की भूक की वजह से हुआ. इंसान कमज़ोर होता है. मैं एक साल से सेक्स नही कर सका था. सेक्स की शिद्दत और डिमॅंड मेरे जिस्म के अंडर आग लगा रही थी. मैं सेकेंड मॅरेज कर सकता था, मगर इस लिये नही काइया के उस की वजह से मेरी बेटी की लाइफ पर बुरा असर होता.”

पापा तोरा साँस लेने को रुके, फिर कहने लगे .. “बेटी जो कुछ भी हमारे बीच हुआ, वो बिल्कुल अचानक और आक्सिडेंट्ली हो गया. ना मैं नंगा हो के अपने लंड की मुथि लगा रहा होता, ना तुम डर कर अचानक पापा के बेडरूम मैं एंटर होतीं, ना मुझे इस हालत मैं देख कर तुम्हारी जज़्बात भरकते. खैर अब तो जो होना था वो हो गया …

मैं अपनी जानू को बेटी और सेक्स लवर दोनो तरह प्यार करता हूँ. आस आ सेक्स लवर, तुम बे हुड मज़ेदार चीज़ हो. मेरी बेटी का जिस्म बिल्कुल बटर जैसा चिकना और सॉफ्ट हे. तुम से ज्यादा मज़ा मुझे छोड़ने का कभी नही आया – तुम्हारी मम्मी के साथ भी नही.” “पापा अब आप ऐसे ही करते रहें गे ना मेरे साथ? मैं आप से प्रॉमिस करती हूँ के कभी भी किसी को मेरे आप के इस रीलेशन के बारे मैं नही बताऊँगी. आप को एक अच्छी बेटी का प्यार भी दूँगी, और एक सेक्स-लविंग वाइफ का प्यार भी दूँगी.” मैं कहती गई — “पापा जब आप का दिल करे, मुझे चोदो. और जिस तरह भी आप का दिल करे, आप मुझे चोदो. मेरा पूरा जिस्म आप के लिये हे पापा.

मेरे मुँह मैं लंड डाल कर चोदे, या मेरी चूत को चोदे, या मेरे जिस्म से खेलें. मैं आपको पूरा एंजाय करावाऊंगी.” यह कहते हुआी मैंने पापा का लंड ज़ोर से अपनी मुथि मे भींच लिया. पापा की सिसकारी निकल गई. पापा का लॉरा काउ की नुल्ली की तरह सख़्त हो रहा था. “पापा, बहुत सख़्त और मोटा लंड हे आप का, तभी तो मेरी चूत मैं जा कर फँस गया था. मैं तो डर गई थी के अब कभी बाहर निकले गा ही नही, और हमे इसी हालत मैं डॉक्टर के पास जाना परे गा.” पापा मेरी बात सुन कर हंस परे. “पापा चूसूं आप का लंड?”

“जानू, पापा का लंड तुम्हारे हाथ मैं है, जो जी चाहे करो!” पापा बिल्कु सीधे लेते हुआी थे और उनका लंड बिल्कुल स्ट्रेट सीलिंग की तरफ मुँह किये तना हुआ खरा था. मेरा दिल चाहा के पापा के इतने हसीन लंड पे, के जिस की पर्पल टोपी से चिकना चिकना पानी निकल रहा था, मैं अपनी चूत रख के बैठ जौन. लेकिन टाइयर्डनेस की वजह से हिम्मत नही हो रही थी. मैंने लेते ही लेते पापा के ऊपर आ कर अपनी टांगायन पापा के मुँह की तरफ करते हुआी पापा के लंड की टोपी को अपने मुँह मैं ले कर चूसना शुरू कर दिया. पापा के लंड का चिकना चिकना ट्रॅन्स्परेंट पानी मेरे मुँह के अंडर टपकने लगा.

पापा ने भी मेरी गांड को पाकर कर मेरी चूत मैं उंगली करनी सुरु करदी, और साथ ही साथ मेरी गांड पर भी हाथ फेरते रहे. मुझे मस्ती छाने लगी थी. लेकिन इस से पहले के मैं कुछ चोदने के बारे मैं सोचती, पापा एक दूं अपनी हिप्स को ऊपर उठा कर लंड मेरे मुँह मैं देने लगे, और फ्यू सेकेंड्स मैं ही पापा के लंड से गरम गरम क्रीमिन जैसी टेस्टी मनी मेरे मुँह मैं जेट की तरह निकलने लगी.

मैं जल्दी जल्दी अपने पापा की सारी मनी पीटी गई. एक ड्रॉप भी मैंने बाहर नही निकलने दिया. पापा अपनी हिप्स को उठा उठा कर अपना लंड मेरे मुँह मैं डाल रहे थे. पापा की मनी (स्पर्म) पी कर मैं फिर पापा के चिकने लंड के ऊपर ही सिर रख कर सो गई. तो दोस्तो अब जान ही गये होगे आप सब की हम बाप बेटी का जब भी चुदाई का मन करता हमजी भरकर चुदाई करते हैं |

——-समाप्त——-

तो दोस्तों, कैसी लगी आपको ये dirty sex story? कमेंट्स करके बताओ की क्या आप भी कभी इतना गन्दा सोचते हो?

और भी मस्त sex kahani पढने के लिए आते रहिये पर..

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