टीचर की यौन वासना की तृप्ति-8

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(Teacher Ki Yaun Vasna Ki Tripti- Part 8)

टीचर सेक्स स्टोरी में अब तक आपने पढ़ा कि हम दोनों बाजार से कुप्पी लाने के बाद एक दूसरे की गांड और चूत में मूत कर मजा लेने लगे. पर मजा नहीं आया तो बाहर के मौसम में बारिश होती देख कर हम दोनों छत पर आ गए और उधर ही चुदाई का मजा लिया. Teacher ki vasna tripti part 8 hindi sex story.

टीचर की यौन वासना की तृप्ति-7

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नम्रता मेरे ऊपर चढ़ गयी और मुझसे बोली- थैक्स शरद.
मैं- किस बात का थैंक्स नम्रता.
नम्रता- तुमने मुझे बहुत बड़ा सुख दिया है, मुझे जिस सेक्स की चाहत थी, वो तुमने पूरी कर दी.
मैं- अरे यार, अगर ऊपर वाला चाहेगा, तो तुम्हारा मर्द भी तुम्हें मजा देगा.

नम्रता मेरी नाक पकड़ते हुए बोली- शरद अगर तेरी बात सही निकली, तो तुझे मेरे मर्द ने मेरी किस तरह चुदाई की, पूरी कहानी बताउंगी.
मैं- चल ठीक है, पर तू गाली बहुत बकती है.
नम्रता- अरे यार क्या लड़कियों वाली बात करते हो, तुम्हारे जैसे पार्टनर के साथ गाली बककर अपनी चूत चुदवाने का मजा अलग है.
मैं- चल अब नीचे चलें. अंधेरा भी हो रहा है और मुझे भूख भी खूब लगी है.
नम्रता- चलो नहा धोकर कुछ खाना बनाती हूं, उसके बाद थोड़ा आराम भी करेंगे.
मैं- हां यार थक तो मैं भी गया हूं.

फिर हम दोनों नीचे आ गए. नम्रता के फोन की घंटी बज रही थी, फोन उसके पति का आ रहा था. फोन रिसीव करके नम्रता हैलो बोली.

इधर मैंने नम्रता को पीछे से जकड़कर उसकी फांकों को सहलाना शुरू किया, तो वो आह-आह करने लगी.

इस बीच नम्रता ने फोन स्पीकर मोड में कर दिया.
उधर से उसके पति महोदय बोले- नम्रता ये आह-आह क्या हो रहा है?
नम्रता भी बड़ी मादक आवाज में बोली- जान, मेरी चूत तुम्हारे लंड के इंतजार में बेसब्र हुई जा रही थी, सो मैं अपनी उंगली को तुम्हारा लंड समझकर अपनी चूत में डाल रही हूं. उसी अहसास के साथ आह-आह निकल रहा है.

पति- क्या बात है तुम्हें मेरी बहुत याद आ रही है?
नम्रता- मैं कहां तुम्हें याद कर रही हूं, अगर मेरे जिस्म में चूत नाम की चीज नहीं होती, जिसे तुम्हारे लंड की जरूरत महसूस होती रहती है, तो मैं तुम्हें हरगिज याद नहीं करती.
उधर से फिर आवाज आयी- नम्रता, तुम ऐसी बात करके मुझे उत्तेजित मत करो.
नम्रता- मैं तो चाहती हूं कि तुम उत्तेजित हो, जिससे मेरी चूत को तुम्हारा लंड मिले.
पति- देख नम्रता ऐसी बात मत कर, नहीं तो मैं सब छोड़-छाड़ कर आ जाऊँगा और तुझे पटक-पटक कर चोदूंगा.
नम्रता- अरे मेरे राजा, तुम उड़कर आ जाओ और अपना लंड मेरी चूत में पेल दो.
पति- यार तुमने आज सेक्सी आवाज के साथ मुझे उत्तेजित कर दिया, मुझे भी आज तुमने आज सड़का मारने के लिए मजबूर कर दिया.
नम्रता- चल मेरे राजा, बर्दाश्त कर लो, पर सड़का मत मारो, अपना यह पूरा गुस्सा मेरी चूत के लिए बचाकर रखो, परसों मेरी चूत चोद-चोदकर पूरा गुस्सा निकाल लेना.

उधर से फिर पति महोदय की आवाज आयी- अच्छा मैं फोन काट रहा हूं. तुम्हारी ये सेक्सी आवाज और सेक्सी बात सुनकर मैं अपना लंड मसल रहा हूं, कहीं मेरा माल निकलकर मेरी पैंट न खराब कर दे.
नम्रता- ठीक है तुम फोन बंद करो, मैं भी अपनी चूत में उंगली डालकर माल नहीं निकालूंगी, बस मुझे परसों का इंतजार रहेगा. अब तुम्हारा लंड ही मेरा माल निकालेगा.

इतना कहकर नम्रता ने फोन काट दिया. उसके फोन काटते ही मैं बोल उठा- अब तो मेरी जरूरत खत्म.. मैं घर चलूं?
नम्रता- नहीं मेरे राजा, तुम्हारे साथ मुझे मेरे पति के आने तक पूरा समय नंगी रहकर ही बिताना है. तुम्हारे कारण ही तो मैं इतना सोच पायी कि कैसे अपने पति को रिझाना है. तुमने तो मेरे मर्म को समझते हुए मेरा साथ दिया. आओ चलो नहा लिया जाए.

ये कहकर मेरा हाथ पकड़कर वो मुझे बाथरूम में ले गयी. शॉवर ऑन करके मेरे साथ चिपककर नहाने लगी. फिर हम दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाकर अच्छे से मलने के बाद फिर शॉवर के नीचे नहाने लगे. मुझे पता नहीं कि मेरे जिस्म की गर्मी का अहसास उसको था कि नहीं, लेकिन शॉवर के नीचे नहाते हुए भी वो मुझसे जब-जब चिपकती, मुझे उसके जिस्म की गर्मी का अहसास हो जाता था. Teacher ki vasna tripti part 8 hindi sex stories.

नहाने के बाद नम्रता रसोई में गयी और खाना बनाने की तैयारी करने लगी. मैं उसके साथ ही रसोई में था, हालांकि हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हो रही थी. पर एक बात थी कि खाना बनाने की तैयारियों के बीच वो मुझसे चिपकती, फिर पलटी मार के अपनी पीठ को मेरे सीने से चिपकाती और फिर मुझे पीछे से पकड़ लेती.

यह क्रम तब तक चलता रहा, जब तक उसने पूरा खाना नहीं बना लिया. उसके बाद भी जब खाना खाने की बारी आयी, वो मेरी एक जांघ पर बैठ कर खाना खाने लगी. खाना खत्म होने के बाद दो घंटे हम लोग बैठकर टीवी देखते रहे. मेरा लंड तना हुआ था, पर चुदाई का मूड नहीं हो रहा था. लेकिन जो बात मुझे समझ में नहीं आ रही थी, वो ये कि वो बार-बार मुझसे चिपक क्यों रही थी. दिमाग खपाने से अच्छा नम्रता से पूछना ही था.

सो मैंने नम्रता से पूछ ही लिया- जान ये बताओ कि तुम खाना बनाते समय भी बार-बार मुझसे चिपक रही थी और फिर तुमने मेरी जांघ पर बैठकर खाना खाया, क्या बात थी?
नम्रता- कुछ नहीं, खाना बनाते समय बरसात के कारण मुझे बीच-बीच में ठंडक लग रही थी, सो अपने जिस्म को गर्म करने के लिए मैं तुम्हारे जिस्म से चिपक जाती और फिर अपना काम करने लगती. दो तीन बार ऐसा करने के बाद मुझे मजा आने लगा, तो मजे के लिए मैं तुम्हारे जिस्म से चिपक जाती.

Namrata की बात सुनकर मैंने मन में कहा कि बुर चुदाने जाए साला मूड. मैंने नम्रता को गोद में उठाया और पलंग पर पटककर उसके बगल में लेटते हुए उसके निप्पल को मुँह में भर लिया और चूची को मसलने लगा.

नम्रता भी मेरे सर को सहलाते हुए बोली- जान ऐसे ही मेरी चूची चूसो.

मैं बारी-बारी उसकी चूची पी रहा था और दबा रहा था. उसके दूध को पीते हुए मैं लगभग उसके ऊपर चढ़ चुका था. नम्रता ने अपनी टांग फैलायी और लंड पकड़ के चूत के मुहाने पर घिसने लगी.

इधर मैं उसके मम्मों के साथ खेल रहा था और उसके होंठों पर अपनी जीभ चला रहा था, नम्रता भी मेरी जीभ को अपने अन्दर लेकर जोर से चूसती. मेरे लंड को नम्रता अभी भी चूत के मुहाने पर रगड़ रही थी. मैं थोड़ा ऊपर सरक गया, इससे लंड सीधा उसकी चूत के अन्दर चला गया.

बस अब क्या था, अब चूत चुद रही थी और मैं धक्के लगा रहा था. कभी मैं नम्रता के ऊपर चढ़कर बुर चोदता, तो कभी नम्रता मेरे ऊपर चढ़ाई करते हुए मेरे लंड के साथ खेलती. इसी खेला खेली दोनों के अन्दर का वीर्य रूपी ज्वार निकलने को मचलने लगा. हम दोनों इतनी तेज-तेज गुत्थम-गुत्था कर रहे थे कि दोनों एक दूसरे के अन्दर समा जाने के लिए बेकरार हुए जा रहे थे.

वीर्य की धारा छूटने को तैयार थी, लेकिन मैं लंड को चूत से निकालने को तैयार नहीं था और नम्रता भी नहीं चाह रही थी. इसलिए वो अपनी कमर उचका-उचका कर लंड को जितना अन्दर ले सके, लेने का प्रयास कर रही थी. तभी वो पल आ गया, जब दोनों का जिस्म शिथिल हो गया. मैं नम्रता के ऊपर लेट गया और नम्रता ने मुझे चिपका लिया, मेरा लावा बहते हुए नम्रता की चूत को गीला कर रहा था और उसका लावा मेरे लंड को गीला कर रहा था.

जैसे-जैसे दोनों का माल बाहर आ रहा था, दोनों की ही एक-दूसरे पर पकड़ ढीली पड़ती जा रही थी और जैसे ही नम्रता की बांहों का बन्धन खुला, मैं लुढ़कते हुए उसके बगल में लेट गया. हम दोनों के जिस्म को शांति मिल चुकी थी. दोनों ने करवट ली और एक दूसरे को अपने आगोश में ले लिया और पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गयी.

सुबह नींद नम्रता के पति देव के फोन आने के बाद खुली. घड़ी पर नजर पड़ी तो 9 बज रहे थे. हड़बड़ाते हुए उसने मोबाईल उठाया.

नम्रता जम्हाई लेते हुए हैलो बोली, तो दूसरी तरफ से आवाज आयी- नम्रता तुम आज स्कूल नहीं गयी क्या.. और क्या तुम नींद में हो? Teacher ki vasna tripti part 8 hindi sexy story.
नम्रता- हां, नहीं..
पति- ये हां, नहीं क्या है?

अब तक नम्रता संभल चुकी थी. उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराने लगी, मुझे समझ में आ गया कि नम्रता फिर अपने पति महोदय की अच्छे से बजाने जा रही है.

फिर वो बोली- नहीं ऐसी बात नहीं है, स्टॉफ रूम में सब लोग थे, सो मैं बाहर आने के लिए ऐसा कर रही थी. लेकिन क्या बताऊं.. रात में तुमसे बात करने के बाद तुम्हारी उंगलियों को अपने जिस्म पर महसूस कर रही थी और मेरी आंखों से नींद उड़ चुकी थी. बहुत बेचैनी हो रही थी.
पति- हां यार तुमसे बात करने के बाद मुझे भी बेचैनी बहुत होने लगी थी.
नम्रता- तो तुमने क्या किया? तो तुमने क्या किया?

नम्रता ने दो बार पूछा.

पति- कुछ नहीं.. यार
नम्रता- देखो तुम झूठ बोल रहे हो.

दो-तीन बार दोनों तरफ से हां.. हां और ना-ना हुआ. अन्त में नम्रता बोली- ठीक है मत बताओ, मैं फोन काटने जा रही हूं.
पति- अरे रूको यार बताता हूं. मेरा मन नहीं लग रहा था और तुमसे बात होने के बाद मेरा लंड ढीला होने के नाम नहीं ले रहा था और सबके सामने मैं इस तरह रह भी नहीं सकता था, बार-बार तुमसे हुई बात मेरे जहन में आ रही थी, इसलिए मैं तुरन्त होटल आया और नंगा होकर तुम्हारा नाम लेते हुए मुठ मारने लगा.
नम्रता बात काटते हुए बोली- देखो तुमने वादा तोड़ दिया. मेरी चूत तुम्हारे लंड के इंतजार में थी.
पति- सॉरी यार, अगर मुठ नहीं मारता, तो मैं शांत नहीं हो सकता और वादा करता हूं कि घर आने पर तुमको बहुत खुश कर दूंगा.

Pati देव की बात खत्म होते ही नम्रता ने मुझे आंख मारकर कहा- मेरे प्यारे पति देव तुम भी मुझे माफ कर दो, मैं भी कल तुमसे बात करने के बाद बहुत बेचैन हो गयी थी और नींद नहीं आ रही थी, सो मैंने भी तुम्हारा नाम लेकर अपनी उंगली से ही अपने बुर की चुदाई कर ली.
पति- मतलब तुमने भी वादा खिलाफी की.
नम्रता सॉरी कहते हुए बोली- तुम जो सजा दोगे, मैं स्वीकार करती हूं.
पति- ठीक है, सजा तो दूंगा मैं.. वापस आकर तुम्हारी गांड भी मारूंगा.
नम्रता- अरे नहीं, तुम मेरी गांड में अपना लंड डालोगे.
पति- हां मेरी रानी, तुमको मैं बहुत प्यार करूँगा.
नम्रता- मेरे राजा जल्दी आ जाओ, मेरी चूत तुम्हारे लंड के इंतजार में मरी जा रही है.
पति- मेरी रानी चिंता मत करो, तुम्हारी अब मैं सब ख्वाहिशें पूरी करूँगा. आई लव यू मेरी जान.
नम्रता बोली- आई लव यू टू जान.

फिर नम्रता ने फोन काट दिया. अब तक मैं टेक लगाकर दोनों की बात सुन रहा था. मेरे पैरों पर बैठ कर नम्रता मुझे भी ‘आई लव यू’ बोली और साथ ही उसने कहा- ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है.

ठीक इसी वक्त मेरा पेट गरड़ गरड़ करने लगा, जिससे मेरी पाद छूट गयी. मेरे पादते ही नम्रता भी पादने लगी. जब वो अच्छे से पाद चुकी, तो मुझसे बोली- मेरे पादने का तुम बुरा तो नहीं माने न?

मैं- नहीं मैं क्यों बुरा मानूंगा. यार पेट-वेट मेरे पास भी है, तो तुम्हारे पास भी तो है. Teacher ki vasna tripti part 8 hindi sexy stories.

उसके बाद हम दोनों बारी-बारी से फ्रेश हुए. फिर नम्रता चाय बनाकर लायी और मुझे देते हुए बोली- शरद मैं तुम्हारा अहसान जिंदगी भर तक नहीं भूलूंगी. अगर तुम मेरी जिंदगी में नहीं आए होते, तो जो मुझे अब मिलने जा रहा है, कभी नहीं मिलता.

मैं- अरे कोई बात नहीं मेरी जान, बीच-बीच में जब तुम्हें मौका मिले, तो अपना दूध मुझे पिला देना.
नम्रता- अरे नहीं मेरे राजा, तुम जब कहोगे, मैं तुम्हें अपना दूध और चूत सब पिलाने आ जाऊँगी.
मैं- नहीं जान, अगर मैंने बुलाया और तुम नहीं आईं, तो वो अच्छा नहीं लगेगा मुझे. इसलिए जब तुम्हारा मन करे तब ही.
नम्रता- ठीक है शरद.

चाय पीने के बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर बैठे रहे. थोड़ी देर बाद नम्रता ही कटोरी में तेल लेकर आयी.

वो नीचे बिछौना बिछाते हुए बोली- आओ शरद, आज मैं तुम्हारी मालिश भी कर दूं.
मैं- हां ये आईडिया सही है. तुम मेरी मालिश करो, मैं तुम्हारी मालिश करता हूँ.

इतना कहने के साथ ही मैं बिछौने पर लेट गया और नम्रता ने मेरे सीने पर थोड़ा तेल गिराते हुए मेरी मालिश शुरू कर दी. उसके कोमल हाथ जब मेरे सीने पर पड़े हुए तेल को लगाने के लिए चलने लगे, एक अलग ही आनन्द की अनुभूति होने लगी. विशेष रूप से जब जब वो मेरे निप्पल को अपनी चुटकियों से बीच-बीच में मसलती. उसके कोमल हाथ ऊपर से नीचे फिसल रहे थे, तो नीचे से ऊपर की तरफ भी बड़े आराम से बढ़ रहे थे.

दोस्तों जानबूझकर नम्रता ने अपनी चूतड़ ठीक मेरे सोये हुए लंड के ऊपर रखे हुए थी. जाहिर है कि उसके छेदों से निकलती हुई गर्म हवा मेरे लंड को कब तक सोने देती. धीरे-धीरे लंड भी फुंफकार के साथ तनने लगा और एक झटका लेते हुए उसकी गांड से लड़ जाता.

नम्रता अभी भी उसी तरह बैठे हुई थी और उसने मेरी मालिश करना चालू रखी थी. उसकी उंगलियों का मेरे निप्पलों को चुटकियों से मसलना जारी था. बीच-बीच में अंगूठे से वो मेरी नाभि को भी खुरच देती थी.

इधर लंड महराज भी टन्नाते हुए उसकी गांड से टकरा जाते. तभी नम्रता लंड को हाथ में पकड़ कर बोली- तुम्हारा लंड बहुत फड़फड़ा रहा है, जरा इसको फांक की सैर करा दूं.

ये कहकर अपनी चूत द्वार से लेकर फांकों के बीच रगड़ते हुए दो बार ऊपर नीचे किया.

फिर लंड छोड़ते हुए नम्रता बोली- अब बेचारे को राहत मिली होगी.

लेकिन यह क्या, लंड महाराज एक बार फिर से उसकी गांड से टकरा गए.

नम्रता- शरद, तुम्हारा लंड मान नहीं रहा है.
मैं- उस बेचारे की कोई गलती नहीं है, तुम्हारी गांड और चूत से जो गर्म हवा निकल रही है, वो ये बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. Teacher ki vasna tripti part 8 hindi sexy kahani.
नम्रता- हम्म.. फिर तो दूसरा इलाज करना पड़ेगा.

ये कहकर नम्रता ने लंड को अपनी चूत के अन्दर कैद कर लिया और पाल्थी मार कर मेरी जांघों के ऊपर बैठ गयी.

नम्रता बोली- अब तुम्हारे लंड को कैद की सजा मिल गयी है.. अब बेचारा अंधेरे में नहीं फड़फड़ायेगा.
मैं- नहीं, अब तो ज्यादा फड़फड़ायेगा, क्योंकि कैद इसको पसंद नहीं है.
नम्रता- हां यार तुम सही कह रहे हो, अन्दर तो और फड़फड़ा रहा है.

फिर नम्रता पालथी खोलते हुए आगे झुककर लंड की चुदाई करने लगी. चुदाई करते हुए अचानक नम्रता ने लंड को चूत से बाहर निकाला और बोली- पहले इसकी अच्छे से मालिश कर दूं, फिर इससे अपनी चूत की मालिश करवाऊंगी.

इतना कहकर उसने अपनी हथेली पर तेल लिया और लंड पर प्यार से मालिश करने लगी. बीच में ही वो सुपाड़े पर पप्पी ले लेती. काफी देर तक और अच्छे से मालिश करने के बाद उसने गप्प से लंड को अन्दर लिया और अपनी दोनों हथेलियों को मेरे सीने पर रखते हुए धक्के लगाने लगी.

आह-आह, ओह-ओह करते हुए नम्रता अपनी चुदाई की गति को तेज करने लगी.

काफी देर तक नम्रता की चूत के अन्दर मेरा बेचारा लंड अपने माल को न निकलने देने के लिए संघर्ष करता रहा, पर चूत के आगे अन्त में हार ही गया और माल छोड़ने लगा.

नम्रता भी धक्के लगाते हुए काफी थक चुकी थी, पर लंड पर विजय पाने के बाद वो मेरे ऊपर लेट गयी. मैं भी नम्रता की नंगी पीठ को सहलाता रहा. मैं दयनीय हालत में आए हुए अपने लंड के बारे में सोचता रहा, जो कुछ देर पहले तक इतना जोश में था कि चूत भी उसको कस कर जकड़े हुए थी. फिर जैसे ही लंड महाराज की अकड़न ढीली क्या हुई, चूत ने भी उसे बाहर निकलने का रास्ता दे दिया. Teacher ki vasna tripti part 8 sex story.

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