(Saali se Jaipur Me Maza)
हाय दोस्तो, मेरा नाम राज है, मैं जयपुर से हूँ. मेरी उम्र 28 साल है और मैं शादीशुदा हूँ. मैंने अन्तर्वासना की काफी सारी सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं. मुझे देसी सेक्स में चुदाई की कहानी पढ़ने में बहुत ही ज्यादा मज़ा आता है. अक्सर सुबह की चाय के बाद मैं सबसे पहले अन्तर्वासना खोल कर रोज प्रकाशित होने वाली नई सेक्स स्टोरी को पढ़ता हूँ.
तमाम सेक्स स्टोरी पढ़ने के बाद मैंने भी अपनी अन्तर्वासना लिखने का सोचा. मेरी भी एक स्टोरी है, लेकिन मैंने झिझक के चलते उसे कभी लिखा नहीं, पर आज आप सबके लिए मैं अपनी उस कहानी को लिख रहा हूँ.
जैसा कि मैंने लिखा कि मैं शादीशुदा हूँ और मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं. मेरी एक साली है. वो 18 साल की है. अभी एक साल पहले तक तो मैंने उससे इस तरह की नज़र से नहीं देखा था, लेकिन उसकी तरफ से हरी झंडी मिलने पर मैं उसके लिए कुछ उत्तेजित हो गया.
इधर समस्या ये थी कि पहल कौन करे. मैं जयपुर में था और वो जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे में थी. उससे फोन पर ही बातें होती थीं. मैं फोन पर उसे इस बात के लिए राजी कर भी लेता कि मैं क्या चाहता हूँ. तब भी मुझे कुछ शंका थी. क्योंकि लड़कियों की आदत होती है ना कि जल्दी से सब चाहते हुए भी हां नहीं करती हैं.
इसालिए एक दो बार जब उसकी खुली हंसी मजाक से आगे बढ़ कर, मैंने उसे एडल्ट जोक आदि सुना कर चुदाई के पूरे मूड में ला दिया और ये तय हो गया कि वो चुद सकती है. लेकिन वो सब बात हो जाने के बाद मना कर देती थी कि किसी को पता चल जाएगा … तो क्या होगा जीजाजी.
मैंने उससे कहा- किसी को पता नहीं चलेगा, मैं मौका देखकर ही काम करूंगा.
वो मुझ पर पूरा भरोसा करती थी और मुझे पसंद भी बहुत करती थी. उसे मेरी नाराज़गी पसंदगी सबका बड़ा ख्याल रहता है.
उससे यूं ही बात होती रही. हम दोनों अब बातों में पूरी तरह से खुल गए थे. Jubilee Hills Escorts
फिर उससे मिलने की चाहत ने जोर मारा तो एक दिन मैं अपनी ससुराल आ गया. मेरी ससुराल में सास ससुर दो साले … दो सालियां … और साले की बीवियां हैं.
मेरे पास उस वक्त 800 मारुति कार थी. मैं उसी से ही ससुराल गया था. मैं जब भी ससुराल जाता हूँ, तो दो दिन तक उधर रुकता हूँ. इस दौरान सब लोग आस पास कहीं भी मेरी कार में बैठकर घूमने भी जाते हैं. इस बार भी ऐसा ही हुआ. वो मेरे बगल की सीट पर आगे बैठ गई. पीछे दोनों सलहजें थीं.
वहां पर वो मौका लगते ही मेरे करीब आ जाती और सेक्सी बातें करने लगती थी.
सच बताऊं तो मैंने अभी तक उसे टच नहीं किया था क्योंकि मैंने उससे कह दिया था कि जब तक वो खुद से नहीं चाहेगी, मैं उसे टच नहीं करूंगा. इसलिए मैं उससे बस ये ही बात करता और उस पर जोर देता कि वो मान जाए.
लेकिन वो चाहती थी कि मैं सही मौके के इन्तजार में रहूँ. ये कहा तो नहीं उसने पर मुझे ऐसा लगा.
इस बार भी मैं खाली हाथ लौट आया. साली मेरे लंड के नीचे नहीं आ सकी. इस तरह मैंने दो तीन बार ससुराल के चक्कर लगाए, पर वो मुझसे चुद न सकी.
आखिरी बार अभी तीन महीने पहले जब मैं अपनी ससुराल गया, तब तक मैं उससे अन्दर टच नहीं कर सका था. पर मैं उसे और वो मुझे, सेक्सी बातों से उत्तेजित कर देते थे.
इस बार मैं ससुराल गया, तो हम लोग वहां से हरियाणा के एक धार्मिक जगह पर घूमने गए. जो वहां से डेढ़ घंटे की दूरी पर थी. मारुति में कितनी सी जगह होती है, तब भी तीन आगे और 4 पीछे बैठ गए. मेरे ससुर और बड़े साले सलहज को छोड़कर बाकी सब गए थे. वो हमेशा की तरह मेरे बाजू में आगे बैठ गई थी. मतलब आगे मैं ड्राईवर सीट पर और मेरे बगल में मेरी साली और उसके बगल में मेरा छोटा साला था. यानि वो बीच में थी. बीच में जहां पर गाड़ी के गियर होते हैं, उसके दोनों तरफ उसकी टांगें थीं. एक टांग तो मेरी टांग से सटी हुई थी और एक टांग मेरे साले से. उसकी दोनों टांगों के बीच में गाड़ी का गियर था.
मैं तो पहले से ही गरम था. उधर वो भी मुझे बड़ी ही नशीली आंखों से देख रही थी. मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था … तो गियर लगाते हुए मैंने पहल कर दी. जब भी मैं गियर बदलता, उसकी जांघों को टच करता था.
वो सलवार सूट में थी. लड़कियों का पजामा ढीला ढाला होता ही है, उसमें से मैं उसकी जांघ को रगड़ कर टच करता … फिर अपना हाथ गियर पर ही रखे रहता. मौका पाते ही मैं अपना अंगूठा उसकी चूत के पास रगड़ देता था.
जब हम जा रहे थे, तो दिन का उजाला था, सो मैंने ज्यादा रिस्क लेना ठीक नहीं समझा. मैं उसको सिर्फ टच ही करता रहा. जब भी मैं गियर लगाता, तो उसकी जांघों को सहला देता था. वो कसमसा जाती थी और मेरी तरफ झुकी नज़रों से देखती थी.
गियर लगाते टाइम मेरी कोहनी उसके मम्मों पर आती थी, तो वो भी अपने मम्मों को मेरी कोहनी पर रगड़ देती थी. ये सिलसिला करीब करीब पूरे रास्ते चला. फिर हम वहां पहुंच गए.
वो मुझसे वहां पर नजरें मिलाती और मुस्कुरा देती थी. मैं भी चुदास से भर कर मुस्कुरा कर जबाब दे देता. बस ये ही चलता रहा … हम दोनों एक दूसरे से कहते कुछ भी नहीं.
अब वापस आते टाइम शाम हो चुकी थी और अंधेरा हो चुका था.
उस अंधेरे में मैं अपने आपको उसकी तरफ से आमंत्रित समझ कर अपने बाएं हाथ को गियर लगाने के बाद उसकी जांघों को कस कर दबाता रहा. उसने भी अपनी टांगें खोल रखी थीं. मैं अपने हाथ को उसकी चुत पर भी ले जाने लगा, तो वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी. मेरी कोहनी उसके मम्मों को रगड़ रही थी. इससे मेरा लंड काफी कड़क हो चुका था.
फिर मैं थोड़ी देर बाद उसकी चुत में पजामे के ऊपर से ही अपनी उंगली से रब करने लगा और उंगली से धक्का लगाने लगा.
कुछ देर बाद मैंने उस अंधेरे में महसूस किया कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वो मस्त हो गई थी. इस दौरान ना मैं उससे कुछ बोल रहा था … और न ही वो मुझसे कुछ कह रही थी. बाकी सब लोग गाड़ी में बातें कर रहे थे और किसी को हमारी इस रासलीला का कुछ पता नहीं था. क्योंकि वो लोग सब मुझे बहुत ही शरीफ़ मानते हैं.
जब हम सब घर पर पहुंचे, तो वो मुझसे कुछ नहीं बोली, पर मैंने उससे मुस्कुरा कर एक आंख से इशारा किया. वो मुस्कुरा कर बाथरूम में चली गई.
फिर वो मेरे पास जिस कमरे में मुझे सोना था, उधर आ गई थी. ये कोई नया नहीं हुआ था, पहले भी जब भी मैं कमरे में जाता था, तो वो मेरे पास आ कर बैठ जाती थी और मुझसे बातें करने लगती थी, इसलिए उस दिन भी वो मेरे पास आ गई. मैं बेड पर लेटा हुआ था और उससे कोई बात नहीं कर रहा था.
पर मैं उसकी बेचैनी को समझ सकता था. उसने आंखों ही आंखों में मुझसे बहुत कुछ बोल दिया था.
मैंने मौका देखकर उसका हाथ पकड़ लिया और दबाने लगा. वो कुछ भी नहीं बोली. तो मैंने उसके हाथ को सहलाते हुए मेरे हाथ को उसके कंधों पर ले गया और सहलाने लगा. उसने सर झुका लिया, तो मैंने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए उसके मम्मों को दबा दिया और सहलाने लगा.
तभी वो बोली कि जीजू कोई देख लेगा.
मैंने कहा कि सब सो गए हैं, कोई नहीं देखेगा.
वो नहीं मानी, तो मैंने उससे कहा कि मैं ऊपर छत वाले बाथरूम में जा रहा हूँ, तुम भी आ जाना.
उन दिनों गर्मी के दिन थे, मैं चला गया. वो कुछ देर बाद आ गई.
मैंने उसे वहां पर पकड़ लिया और चूमने और सहलाने लगा. मैं उसके शरीर के हर हिस्से को सहलाने लगा. वो नाइटी में थी और अन्दर उसके मम्मों पर ब्रा भी नहीं थी. मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई थी.
पर मैं उसे वहां पर चोदूं कैसे, ये समझ नहीं आ रहा था. क्योंकि कोई भी वहां आ गया, तो मेरी तो वाट लग जाती. वो भी डरी हुई थी. लेकिन मैं मौका भी जाने नहीं दे सकता था.
मैंने अपना हाथ उसकी नाइटी में डालकर उसके मम्मों को दबाने लगा और नाइटी को ऊपर करके एक दूध चूसने लगा. इस दौरान मैंने उसकी पेंटी में एक हाथ डाल कर उसकी चूत को रगड़ने लगा. उसकी चूत पहले से ही गीली हुई पड़ी थी. वो और मस्त हो गई.
तभी उसने कहा कि जीजू अब रहा नहीं जा रहा है.
मैंने फर्श पर बैठ कर उसे मेरी गोद में दोनों तरफ टांगें करके बैठा लिया. फिर अपना लंड बाहर निकाल कर उसकी चूत पर लगा दिया … और धीरे धीरे अन्दर करने लगा. लेकिन मेरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में घुस ही नहीं रहा था. उसे दर्द भी हो रहा था.
चुदाई तो न हो सकी, पर उस रात वो दो घंटे तक मुझसे मज़े लेती रही और मैं भी उसके साथ मज़े लेता रहा.
हालांकि उस रात मैं उसके साथ पूरा मज़ा नहीं ले पाया था और बेकरारी और भी ज्यादा बढ़ गई थी.
दूसरे दिन हम दोनों ने फिर कभी मिलने के लिए बाय की.
अब मैं जल्दी ही वहां पर जाने की तैयारी में हूँ. तब मैं आगे की दास्तान लिखूँगा.