दो कामुक सखियाँ – II

Do Kamuk Sakhiyan 2 lesbian sex story

पार्ट 1

दोनों सखियों ने lesbian sex का खूब मज़ा लिया पर अब लगता है इन सखियों का प्राकृतिक सहवास करने का समय आ गया था। अब उनकी चूतें लंड को पुकार रही थी। इस मस्त Do Kamuk Sakhiyan 2 lesbian sex story का आखिरी भाग-

रचना ने उसे चौपाया बन जाने को कहा। उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये, रचना का उसके प्यारे गाण्ड के भूरे छेद पर दिल आ गया और उसकी जीभ लपलपाने लगी … और कुछ देर में उसके छेद पर जीभ फ़िसल रही थी। सफ़ाई के कारण उसमें से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी … उसके मस्त छेद को हाथों से खींच कर खोल लिया और जीभ अन्दर ठेल दी। खुशी के मारे तारा का रोम रोम नाच उठा।तभी कबीर का मिस-कॉल आ गया।

रचना समझ गई कि कबीर दरवाजे के बाहर खड़ा है। उसने जल्दी से अपना गाऊन लपेटा और बैठक की तरफ़ चल दी।”मेरी सखी, अपनी आखे बंद कर ले और सपने देखती रह, बाहर कौन है मैं देख कर आती हूँ” रचना ने तारा से प्यार भरा आग्रह किया और बाहर बैठक में आ कर मुख्य दरवाजा खोल दिया।

कबीर तुरन्त अन्दर आ गया … रचना ने उसे तिरछी निगाहों से देखा।”मेरी प्यारी सखी तारा चुदने के लिये तैयार है … उसे कामदेव का ही इन्तज़ार है … ” रचना ने वासना भरे स्वर में कहा।

“अरे ये कामदेव कौन है … उसकी तो मै मां … ।” कबीर ने तैश में आ कर आंखे दिखाई। “आप हैं … जो कामदेव का रूप ले कर आये हो … वो देखो … उस बाला की प्यारी सी चूत और उभरे हुये चूतड़ो के गोल गोल प्याले … तुम्हारे मोटे और लम्बे, प्यारे से लिंग राह देखते हुये अधीर हुए जा रहे हैं … “”ओये … अधीर दी माँ दी फ़ुद्दी … मैंने जी बहुत मुठ मारी है तारा जी के नाम की … ” कबीर ने दूर से ही तारा ही हालत देख कर मचल उठा।”अपने लण्ड को जरा और भड़कने दे … चोदने में मजा आयेगा … ” रचना ने हंसते हुये कबीर को आंख मारी।

रचना ने कबीर को अपनी बाहो में लिया और और उसके लण्ड को दबाने लगी।”चल रे कबीर तू उसे बाद में चोदना, पहले मेरी जवानी का मजा तो ले ले … चल यही खड़े खड़े लौड़ा लगा कर चोद दे !” रचना से उत्तेजना और नहीं सही जा रही थी। कबीर को भी अपना लण्ड कहीं तो घुसेड़ना ही था।”चल यार, पहले तेरी फ़ुद्दी मार लूँ, ओह्ह मेरा लण्ड भी तो देख कैसा पैन्ट को फ़ाड़ने पर तुला है !” रचना ने उसका पैन्ट खोल दिया।

उसने भी अपना गाऊन निकाल फ़ेंका। रचना ने उसका गोरा लण्ड थाम लिया और मुठ मारते हुये कबीर को चूमने लगी।रचना ने अपनी एक टांग उठा कर पास की कुर्सी पर रख दी और अपनी चूत खोल दी। कबीर को समीप खींच कर उसका लौड़ा चूत से भिड़ा दिया। कबीर ने अपने चूतड़ो का दबाव उसकी खुली चूत पर डाल दिया और उसका प्यारा लण्ड रचना ने अपनी चूत में घुसा लिया।

अब दोनों ही लिपट पड़े और अपने कमर को एक विशेष अन्दाज में हिलाने लगे, लण्ड ने चूत में घुस कर सुरसुरी करने लगा और उसका मजा दोनों उठाने लगे।उनके चूतड़ों का हिलना तेज हो गया और रचना की चूत पनियाने लगी। वैसे ही वो तारा के साथ पहले ही उत्तेजना से भरी हुई थी। रचना की आंखें मस्ती से बन्द होने लगी और अनन्त सुखमई चुदाई का आनन्द उठाने लगी।

अब रचना के मुख से रुक रुक कर सिसकारियाँ निकलने लगी थी और चूत को जोर जोर से कबीर के लण्ड पर मारने लगी थी। फिर एक लम्बी आह भरते हुए उसने कबीर के चूतड़ों को नोच डाला और रचना का रज निकल पड़ा। अब उसकी टांगे कुर्सी पर से नीचे जमीन पर आ गई थी। रचना कबीर का लण्ड चूत में लिये झड़ रही थी। दोनों लिपटे हुए थे। पर कबीर का लण्ड अभी तक उफ़न रहा था, उसे अब तारा चाहिये थी जिसके लिये रचना ने उसे बुलाया था। रचना अपनी चुदाई समाप्त करके अन्दर कमरे की ओर बढ़ गई।

रचना और कबीर तारा के पास जाकर खड़े हो गये। तारा वासना की दुनिया में खोई अभी तक ना जाने क्या सोच कर आंखे बंद किये सिसकारियाँ भरे जा रही थी। कबीर ने ललचाई निगाहों से तारा के एक एक अंग का रस लिया और अपने हाथ रचनाता से उसके अंगों पर रख दिये। मर्द के हाथों का स्पर्श स्त्री को दुगना मजा देता है … तारा को भी मर्द के स्पर्श का अनुभव हुआ और सिसकते हुये बोली,”रचना, तेरे हाथो में मर्द जैसी खुशबू है … मेरे अंगों को बस ऐसा ही मस्त मजा दे … काश तेरे लिंग होता … सखी रे सखी … हाय !”कबीर ने उसकी चूत, गाण्ड और चूंचियां मस्ती से दबाई। उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। उसे अब बस चूत चाहिए थी … ।

“तुझे सच्चा लण्ड चाहिए ना … कामदेव को याद कर और महसूस कर कि तेरी चूत में कामदेव का लण्ड है … ” रचना ने तारा को चूमते हुये कबीर का रास्ता खोला।”मुझे ! हाय रे सखी, कामदेव का नहीं उस प्यारे से कबीर का मदमस्त लौड़ा चाहिये, मेरी इस कमीनी चूत की प्यास बुझाने के लिये !” उसकी कसकती आवाज उसके दिल का हाल कह रही थी। अपना नाम तारा के मुख से सुनते ही कबीर के मुख पर रचनाता जाग उठी, चेहरे पर प्यार का भाव उभर आया। उसने भावना में बह कर अपनी आंखें बंद कर ली, जैसे तारा को सशरीर अपनी नयनों में कैद कर लिया हो। कबीर ने एक आह भरते हुये तारा के उभरे हुये गोल गोल चूतड़ो पर प्यार से हाथ फ़ेरा और फिर नीचे झांक कर चूत को देखा और और अपने तन्नाये हुये लण्ड को प्यार से उसके चूत के द्वार पर रख दिया।

लण्ड का मोहक स्पर्श पाते ही जैसे उसकी चूत ने अपना बड़ा सा मुँह खोल दिया और गीली चूत से दो बूंदे प्यार की टपक पड़ी। लण्ड ने चूत पर एक लम्बी रगड़ मारी और द्वार को खोल कर भीतर प्रवेश कर गया। तारा को जैसे एक झटका सा लगा उसने तुरंत आँखें खोल दी और अविश्विसनीय निगाहों से पीछे मुड़ कर देखा …अपनी चूत में कबीर का लण्ड पा कर जैसे वो पागल सी हो गई।

एक झटके से उसने उसका लण्ड बाहर निकाला और लपक कर उससे लिपट गई। दो प्यार के प्यासे दिल मिल गये … जैसे उनकी दुनिया महक उठी … जैसे मन मांगी मुराद मिल गई हो … दोनों ही नंगे थे … दोनों के शरीर आपस में रगड़ खा रहे थे, दोनों ही जैसे एक दूसरे में समा जाना चाहते थे। तारा को लगा जैसे वो कोई सपना देख रही हो।”मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ ना … हाय रे कबीर … आप मुझे मिल गये … अब छोड़ कर नहीं जाना … ” तारा भावना में बहती हुई कहने लगी।

“तारा जी, आप मुझे इताना प्यार करती हैं … ” कबीर का मन भी उसके लिये तड़पता सा लगा।”मेरे कबीर, मेरे प्राण … मेरे दिल के राजा … बहुत तड़पाया है मुझे … देख ये प्यासा मन … ये मनभाता तन … और ये अंग अंग … राजा तेरे लिये ही है … तेरा मन और तन, ये अंग मुझे दे दे … हाय राम जी … रचना … मेरी प्यारी सखी, तू तो मेरी जान बन गई है रे … ” तारा की तरसती हुई आवाज में जाने कैसी कसक थी, शायद एक प्यासे मन और तन की कसक थी। तारा को कबीर ने प्यार से ने नीचे झुका कर अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया।”तारा, मेरा लण्ड चूसो … तुम्हारे प्यारे प्यारे अधरों का प्यार मांग रहा है !””मैने कभी नहीं चूसा है … प्लीज नहीं … “”मीठी गोली की तरह चूस डालो … मजा आयेगा !”

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