दो कामुक सखियाँ

Do Kamuk Sakhiyan lesbian sexy story

यह कहानी दो सखियों की है। दोनों आपस में बहुत ही प्यार करती थी, यूं कहिये कि जान छिड़कती थी। उनका प्रेम की परिभाषा कुछ अलग थी जो हर समाज की मर्यादाओं को पार कर जाती थी। एक अनूठी Do Kamuk Sakhiyan lesbian sexy story आपकी सेवा में..

ये दो सखियां है तारा शर्मा और रचना सक्सेना। साथ साथ ही कॉलेज में पढ़ी, आपस में एक दूसरे की राजदार रही थी। तारा की शादी उसके ग्रेजुएट होते ही हो गई थी। दोनों ने पोस्ट ग्रेजुएट करने बाद एक प्राईवेट फ़र्म में नौकरी कर ली थी। पर तारा के पति राकेश को ये अच्छा नहीं लगा तो उसने नौकरी छोड़ दी थी।उसकी किस्मत ने जैसे पल्टी खाई, राकेश को कुवैत में अच्छा काम मिल गया, वो जल्दी ही वहाँ चला गया।

तारा ने रचना को अपने साथ रहने के लिये बुला लिया। हालांकि रचना अकेली रहना पसन्द करती थी, क्योंकि उसके कबीर और उसके दोस्त मयंक से शारीरिक सम्बन्ध थे। तारा को ये सब मालूम था पर उसने अपने प्यार का वास्ता दे कर रचना को अपने घर में रहने के लिये राजी कर लिया।तारा ने अपने घर में सामने वाला कमरा दे दिया। कबीर और मयंक ने रचना को कमरा बदलने में बहुत सहायता की। पर शायद रचना को नहीं पता था कि कबीर और मयंक की वासना भी नजरे तारा पर गड़ चुकी है।

रचना की ही तरह तारा भी दुबली पतली थी, तीखे मयन नक्शे वाली थी, बस शादी के बाद उसने साड़ी पहनना आरम्भ कर दिया था।चुदाई का अनुभव रचना को तारा से बहुत अधिक था, वो हर तरह से अपनी वासना शान्त करना जानती थी। इसके विपरीत तारा शादी के बाद कुंए के मेंढक की तरह हो गई थी। चुदाने के नाम पर पर बस वो अपना पेटीकोट ऊपर उठा कर राकेश का लण्ड ले लेती थी और दो चार धक्के खा कर, झड़ती या नहीं भी झड़ती, बस सो जाया करती थी।

झड़ने का सुख तारा के नसीब में जैसे बहुत कम था। आज राकेश को कुवैत गये हुये लगभग दो साल हो गये थे, हां बीच बीच में वो यहा आकर अपना वीसा वगैरह का काम करता था और जल्दी ही वापस चला जाता था।पर आज तारा को देख कर रचना को बहुत खराब लगा। बर्तन धोना, कपड़े धोना, खाना बनाना ही उसका काम रह गया था।आज वो नल पर कपड़े धो रही थी। उसने सिर्फ़ पेटीकोट और एक ढीला ढाला सा ब्लाऊज पहन रखा था।

उसके दोनों चूंचियाँ ब्लाऊज में से हिलती जा रही थी और बाहर से स्पष्ट नजर आ रही थी। उसके अस्त व्यस्त कपड़े, उलझे हुये बाल देख कर रचना को बहुत दुख हुआ। कबीर तो अक्सर कहता था कि इस भरी जवानी में इसका यह हाल है तो आगे क्या होगा … इसे सम्भालना होगा … ।फिर एक दिन रचना ने देखा कि तारा अपने बिस्तर पर लेटी करवटें बदल रही थी। उसका एक हाथ चूत पर था और एक अपनी चूंचियों पर … । शायद वो अपनी चूत घिस घिस कर पानी निकालना चाह रही थी। उसे देख कर रचना का दिल भर आया। वो चुपचाप अपने कमरे में आ गई।

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फिर आगे भी उसने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में से देखा, तारा ने अपना पेटीकोट ऊपर उठा रखा था और अंगुली अपनी चूत में डाल कर हस्त मैथुन कर रही थी।शाम को रचना ने हिम्मत करके तारा को बहुत ही अपनेपन से कह दिया,”मेरी प्यारी सखी … बोल री तुझे क्या दुख है?”

“मेरी रचना, कुछ दिनों से मेरा मन, भटक रहा है … और ये सब तेरे कबीर का किया हुआ है !” “नहीं रे, वो तो भोला भाला पंछी है … मेरे जाल में उलझ कर फ़ड़फ़ड़ा रहा है … वो कुछ नहीं कर सकता है …!”

“सच है री सखी … उसकी कामदेव सी निगाहों ने मुझे घायल कर दिया है … उसका शरीर मुझे किसी काम देवता से कम नहीं लगता है … मेरे तन में उसे देख कर अग्नि जल उठती है, तन मन राख हुआ जा रहा है !” तारा की आहों में वासना का पुट स्पष्ट उभर कर कर आ रहा था, स्वर में विनती थी। “सखी रे सखी … तुझे उसका काम देव जैसा लिंग चाहिये अथवा उसकी प्रीति की भी चाह है?” तारा की तड़प और आसक्ति देख उसका मन पिघल उठा। “ना रे सखी … तेरी दया नहीं … उसका प्यार चाहिये … दिल से प्यार … हाय रे …!”

उसका अहम जाग उठा।रचना ने अपना तरीका बदला,”सखी … तू उसे अपने जाल में चाहे जैसे फ़ंसा ले … और तन की जलन पर शीतल जल डाल ले … तब तक मुझे ही अपना कबीर समझ ले !” रचना के मन में तारा के लिये रचना भावनाएँ उमड़ने लगी … उसे समझ में आ गया कि ये बेचारी अपने छोटे से जहाँ में रहती है, पर कितनी देर तक तड़पती रहेगी।

तारा भी अपनापन और प्रीति पा कर भावना से अभिभूत हो गई और रचना के तन से लता की तरह लिपट पड़ी, और रचना के गुलाबी गालों पर मधुर चुम्बनो की वर्षा कर दी। रचना ने उसकी भावनाओं को समझते हुए तारा के होंठ चूम लिये और चूमती ही गई। तारा के मन में कुछ कुछ होने लगा … जैसे बाग की कलियाँ चटकने लग गई। उसकी चूंचियाँ रचना की चूंचियों से टकरा उठी … और मन में एक मीठी टीस उठने लगी।

उसे अपनी जीवन की बगिया में जैसे बहार आने का अहसास होने लगा।”रचना, मेरे मन में जैसे कलियाँ खिल रही हैं … मन में मधुर संगीत गूंज रहा है … मेरे अंगो में मीठी सी गुदगुदी हो रही है … ! ” तारा के होंठो से गीलापन छलक उठा। रचना के भी अधर भीग कर कंपकंपाने लगे। अधरों का रसपान होने लगा। जैसे अधरों का रसपान नहीं, शहद पी रहे हों। फिर जैसे दोनों होश में आने लगे। एक दूसरे से दोनों अलग हो गईं। lesbian sex stories

“हाय रचना, मैं यह क्या करने लगी थी … ” तारा संकुचा उठी … और शर्म से मुख छिपा लिया।”तारा, निकल जाने दे मन की भावनाएँ … मुझे पता है … अब समय आ गया है तेरी प्यास बुझाने का !””सुन रचना, मैंने तुझे और कबीर को आपस में क्रीड़ा-लीन देखा …तो मेरे मन विचलित हो गया था !” तारा ने अपनी मन की गांठें खोल दी।”इसीलिये तू अपने कमरे में हस्तमैथुन कर रही थी … अब सुन री सखी, शाम को नहा धो कर अपन दोनों आगे पीछे से अन्दर की पूरी सफ़ाई कर के कामदेव की पूजा करेंगे … और मन की पवित्र भावनाएँ पूरी करेंगे …! ”

रचना ने एक दूसरे के जिस्म से खेलने का निमंत्रण दिया।”मेरी रचना … मेरी प्यारी सखी … मेरे मन को तुझ से अच्छा कौन जान सकता है? मेरा प्यारा कबीर कब मुझे प्यार करेगा ? … हाय रे !” तारा ने निमंत्रण स्वीकार करते हुये उसे प्यार कर लिया। मैने मोबाईल पर कबीर को समझा दिया था … कि उसके प्यारे लण्ड को तारा की प्यारी चूत मिलने वाली है।

संध्या का समय हो चला था। सूर्य देवता अपने घर की ओर जा रहे थे। कहीं कोने में छुपा अंधकार सारे जहां को निगलने का इन्तज़ार कर रहा था। शैतानी ताकतें अंधेरे की राह ताक रही थी। जैसे ही सूर्य देवता का कदम अपने घर में पड़ा और रोशनी गायब होने लगी, शैतान ने अपने आप को आज़ाद किया और सारे जहाँ को अपने शिकंजे में कसने लगा। सभी के मन में पाप उभर आये।

एक वासना भरी पीड़ा उभरने लगी। कामदेव ने अपना जादू चलाया। इन्सान के अन्दर का पागलपन उमड़ने लगा। सभी औरतें, लड़कियाँ भोग्य वस्तु लगने लगी। मासूम से दिखने वाले युवक, जवान लड़कियों को कामुक लगने लगे … उनकी नजरें उनके बदन पर आकर ठहर गई। मर्दों का लिंग उन्हें कड़ा और खड़ा दिखने लगा। इधर ये दोनों सखियां भी इस सबसे अछूती नहीं रही।

रचना और तारा भी नहा धोकर, पूर्ण रूप से स्वच्छ हो कर आ गई। दोनों जवानियाँ कामदेव का शिकार बन चुकी थी। दोनों की योनि जैसे आग उगल रही थी। शरीर जैसे काम की आग में सभी कुछ समेटने को आतुर था। कमरे को भली भांति से बंद कर दिया। दोनों ने अपनी बाहें फ़ैला दी … कपड़े उतरने लगे … चूंचियाँ कड़क उठी, स्तनाग्र कठोर हो कर इतराने लगे। lesbian sex story hindi

रचना नंगी हो कर बिस्तर पर दीवार के सहारे पांव लम्बे करके बैठ गई और नंगी तारा को उसने अपनी जांघों पर उल्टा लेटा लिया।तारा के चूतड़ों को रचना ने बिल्कुल अपने पेट से सटा लिया और उसके चूतड़ो को सहलाने लगी और थपथपाने लगी। तारा ने आनन्द के मारे अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपने प्यारे गोल गोल चूतड़ों की फ़ांकें खोल दी। रचना तारा की गाण्ड को सहलाते हुये कभी उसके दरारों के बीच सुन्दर से भूरे रंग के फ़ूल को भी दबा देती थी।

हल्के तमाचों से चूतड़ लाल हो गये थे … थूक लगा लगा कर फ़ूल को मसलती भी जा रही थी।”रचना … हाय अति सुन्दर, अति मोहक … मेरे पति के साथ इतना सुख कभी नहीं मिला … ” तारा कसकती आवाज में बोली। “अभी तो कुछ नहीं मेरी सखी, देख ये दुनिया बड़ी रसीली है … मन को अभी तो जाने क्या क्या भायेगा … ” रचना ने चूतड़ो के मध्य छेद पर गुदगुदी करते हुये कहा। रचना की अंगुलियाँ उसके फ़ूल को दबाते हुये फ़क से भीतर घुस गई। तारा चिहुंक उठी। उसे एक नये अद्वितीय आनन्द की अनुभूति हुई।

दूसरा हाथ उसके सुन्दर और रस भरे स्तनो पर था। उसके कठोर चूचुकों को मसल रहे थे। रचना की अंगुलियां उसकी मुलायम गाण्ड में जादू का काम कर रही थी। उसकी चूत में एक आनन्द की लहर चलने लगी और वह जैसे मस्ती महसूस करने लगी। उसके चूतड़ों को दबाते हुये अंगुली छेद के अन्दर बाहर होने लगी। hindi lesbian sex story

तारा मस्ती के मारे सिसकने लगी। इस तरह उसके पति ने कभी नहीं किया था। उसके मुख से सिसकी निकल पड़ी।”क्या कर रही है रचना … बहुत मजा आ रहा है … हाय मैं तो गाण्ड से ही झड़ जाऊंगी देखना … ।” उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी।अब रचना अंगुली निकाल कर उसकी गुलाबी चूत में रगड़ने लगी, उसका दाना अंगुलियो के बीच दब गया। तारा वासना की मीठी कसक से भर गई थी।

रचना ने उसे चौपाया बन जाने को कहा। उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये, रचना का उसके प्यारे गाण्ड के भूरे छेद पर दिल आ गया और उसकी जीभ लपलपाने लगी … और कुछ देर में उसके छेद पर जीभ फ़िसल रही थी। सफ़ाई के कारण उसमें से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी … उसके मस्त छेद को हाथों से खींच कर खोल लिया और जीभ अन्दर ठेल दी। खुशी के मारे तारा का रोम रोम नाच उठा।तभी कबीर का मिस-कॉल आ गया। lesbian sex story in hindi

रचना समझ गई कि कबीर दरवाजे के बाहर खड़ा है। उसने जल्दी से अपना गाऊन लपेटा और बैठक की तरफ़ चल दी।”मेरी सखी, अपनी आखे बंद कर ले और सपने देखती रह, बाहर कौन है मैं देख कर आती हूँ” रचना ने तारा से प्यार भरा आग्रह किया और बाहर बैठक में आ कर मुख्य दरवाजा खोल दिया।

कबीर तुरन्त अन्दर आ गया … रचना ने उसे तिरछी निगाहों से देखा।”मेरी प्यारी सखी तारा चुदने के लिये तैयार है … उसे कामदेव का ही इन्तज़ार है … ” antarvasna lesbian रचना ने वासना भरे स्वर में कहा।

——–क्रमशः——–

अब लगता है इन सखियों का प्राकृतिक सहवास करने का समय आ गया था। इस lesbian sexy story का लास्ट पार्ट जल्द ही..

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