मेरी बीवी लेस्बियन निकली

एक सुन्दर बीवी पाकर में ख़ुशी से फुला नहीं समां रहा था. लेकिन अपनी बीवी की एक सच्चाई जब मुझे पता चली तो मेरी दुनिया ही पलट गयी.. एक जबरदस्त meri biwi lesbian story पढ़िए..

“अब मेरा क्या होगा??”

आज से चार साल पहले मैंने यही बात कही थी अपने कुछ करीबी रिश्तेदारों को बताई थी जब मेरी शादी को दो महीने हुए थे. मेरी शादी वैशाली से हुई थी. मैं बहुत खुश था. वैशाली बहुत ही खुबसूरत थी. मेरे सारे दोस्त बहुत जले थे जब उन्होंने वैशाली को देखा था. वैशाली का रंग गुलाबी गोरा था. अच्छा कद और हुस्न की मल्लिका. हर अंग तराशा हुआ. कहीं कोई कमी नहीं निकल सके ऐसा हुस्न था उसका. मैं अहमदाबाद के नजदीक मणिनगर की एक फैक्ट्री में काम करता था. फैक्ट्री की अपनी कालोनी थी.

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मुझे वहीँ एक छोटा बंगला मिला हुआ था. बंगले में दो फ्लैट थे. एम् में मैं और दूसरे में एक पटेल परिवार रहता था. पटेल साहब हमारी फैक्ट्री में काम करते थे. उनके एक बेटा भी था जो दूसरी जगह काम करता था. वो भी मेरी ही उम्र का था. उसकी पत्नी का नाम था निशा. निशा भी वैशाली की ही तरह गज़ब की खुबसूरत थी. वो मुझे सुनील भाई कहकर बुलाती थी और हमेशा अच्छे से बात करती थी. पटेल साहब की पत्नी का देहांत कुछ समय पहले हो चुका था.

मैं शादी के बाद वैशाली को लेकर मणिनगर आ गया. अभी तक मैंने वैशाली के साथ सुहागरात नहीं मन पाया था. वैशाली शादी के समय से ही तेज बुखार के चलते बहुत कमजोर हो गई थी. मैं उसे पूरा आराम देना चाहता था. यहाँ आने के बाद दूसरे दिन ही निशा उससे मिलने आई और वो दोनों सहेलीयां बन गई. मैं बहुत खुश हो गया. एक दिन रात को मैंने वैशाली को अपनी बाहों में भर लिया. वो भी कुछ ना बोली और खुद-बी-खुद सिमट गई. हम दोनों के एक दूसरे को काफी देर तक किस किया. meri biwi lesbian story

जब मैंने वैशाली के कपडे उतारे तो वो थोडा कसमसाई. मैंने उसे अपने साथ पूरी तरह नग्न कर दिया. मैंने उसे आज पहली बार इस तरह देखा था. उसके हर जिस्म का एक एक हिस्सा बहुत ही कारीगरी से बना हुआ था. मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब समझने लगा. हम दोनों आपस में लिपट गए. लेकिन इसके आगे वैशाली एकदम से ठंडी हो गई और हमारा मिलन अधुरा रह गया. लेकिन मैंने इसे कोई गलत नहीं माना. लेकिन हर बार वो ऐसा ही करने लगी तो मुझे थोड़ी हैरानी हुई. मैंने उससे एक दो बार पूछा तो उसने कुछ ना कहा और बात को टाल गई.

एक दिन मैं दोपहर को घर आ गया क्यूंकि मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा था. मैंने देखा की वैशाली और निशा बहुत ही घुलमिलकर बातें कर रही है और हंस भी रही है. मुझे बहुत अच्छा लगा. वैशाली का चेहरा आज पहली बार इतना खिला हुआ लग रहा था. रात को मैंने फिर एक बार कोशिश की लेकिन बात वहीँ आकर रुक गई. लेकिन इतना जरुरु हुआ की वैशाली ने आज ज्यादा गर्मजोशी से मुझे भू चूमा था और खुद के भी चुम्बन दिए थे.

दो दिन बाद मुझे कुछ काम से किसी मीटिंग में जाना था. कपडे बदलने के लिए मैं घर पर गया. दरवाजा खुला था. मैं अपने कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ मैंने देखा की वैशाली और निशा दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा रखा है. दोनों पलंग पर बैठी हुई है. वैशाली निशा को चूम रही थी औए निशा वैशाली के बाल सहला रही थी. मैं हैरान हो गया. अब मैं समझा की वैशाली पूरी तरह से खुलकर मेरे साथ सेक्स क्यूँ नहीं कर रही थी. तो इसका मतलब यह हुआ की वो लेस्बियन है.

मैंने सुना था की लेस्बियन आपस में ही संतुष्ट होते हैं ऐसा नहीं की वे मर्दों के साथ संभोग नहीं करते लेकिन ज्यादातर वो आपस में ही सेक्स सम्बन्ध बनाते हैं. मैं परेशान हो गया. मैंने ये बात मेरे कुछ करीबी रिश्तेदारों को बताई लेकिन किसी ने भी कोई सुझाव नहीं दिया. मेरी परेशानी बढती जा रही थी. हमारा सम्बन्ध केवल चुम्बनों तक ही रह गया था, यहाँ तक कि वैशाली ने आज तक मुझे अपने होंठ चूमने नहीं दिए थे. meri biwi lesbian story

इन्ही दिनों मेरी मुलाकात मेरे एक बहुत पुराने मित्र से हुई. मैं उसे सारी समस्या बताई. उसने सारी बात सुनने के बाद मुझे कुछ सुझाव दिए. मुझे उसके सुझाव कुछ पसंद आये. मैंने उस दोस्त के बताये एक आदमी से मुलाकात कि. उस आदमी ने मुझे कहा कि काम हुआ समझो. उसी शाम को मैं उस आदमी से मिलने गया. उसने मुझे एक जवान लडकी से मिलवाते हुए कहा ” ये गरिमा है. ये आपके यहाँ काम करने के लिए तैयार है. मैंने इसे सब कुछ समझा दिया है. ये कल ही अपना सामान लेकर आपके घर पहुँच जाएगी.

आपकी हर समस्या हल हो जायेगी.” गरिमा एक लगभग पैंतीस साल कि उम्र कि औरत थी. उसका शरीर जबरदस्त गंठा हुआ था. उसके स्तन तो जैसे ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को बेताब थे. वो दिखने में ज्यादा खुबसूरत नहीं थी लेकिन उसके गठे हुए शरीर और साफ सुथरे कपडे से दिखने में काफी गरम लग रही थी.

गरिमा ने मुझसे कहा ” आप बिलकुल चिंता मत करना. मैं सब समझ गई हूँ. आपकी समस्या हल हुई समझो. मैं और आप मिलकर इस समस्या को सुलझा लेंगे. बस आप अपना सहयोग पूरा पूरा देना. समय समय पर मैं आपको इशारे से सब कुछ सम्जहती रहूंगी और कब मदद चाहिये बताती भी रहूंगी. आजकल इस तरह की समस्या बहुत कॉमन हो गई है. मैं ऐसी समस्याएँ सुलझा चुकी हूँ.” मैं खुश होता हुआ घर लौट आया.

मैंने वैशाली से कहा ” मैंने तुम्हारी मदद के लिए एक नौकरानी रख ली है. घर का सारा काम कर लेगी और तुम्हे भी आराम रहेगा. मुझे तुम्हारी बहुत चिंता रहती है.” वैशाली ने खुश होते हुए कहा ” ये तो बहुत ही अच्छी बात है. अब मैं फुर्सत में रहूंगी और घर की देखभाल ज्यादा आसानी से कर सकुंगी.”

अगले दिन सवेरे ही गरिमा अपने साथ एक सूटकेस लेकर आ गई. मैंने गरिमा को वैशाली से मिलवाया. गरिमा ने सारा काम संभाल लिया. गरिमा ज्यादातर ट्यूब टॉप के ऊपर फुल ज़िप्पर पहनती थी और नीचे घुटनों तक की लम्बाई की कैप्री. कुल मिलाकर वो नौकरानी नहीं बल्कि बाहर के देशो की तरह हाउस मेनेजर लगती थी.

जब मैं तैयार होकर नाश्ते के लिए टेबल पर आया तो नाश्ता लगा हुआ था. वैशाली बैठी थी और बहुत खुश नजर आ रही थी. तभी गरिमा आ गई. उसने वैशाली के सर में मालिस करनी शुरू कर दी. गरिमा ने मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा. मैंने देखा कि गरिमा ने वैशाली के सर की मालिश करते करते उसकी कंधे और बाहें भी दबानी शुरू कर दी थी. वैशाली को यह बहुत अच्छा लगने लगा. मैं मुस्कुराते हुए फैक्ट्री चला गया. meri biwi lesbian story

शाम को लौटने पर गरिमा ने कहा धीरे धीरे योजना शुरू कर दी जायेगी. रात को खाना खाने के बाद गरिमा ने वैशाली से अपनी मसाज करवाने के लिए कहा. वैशाली तैयार हो गई. गरिमा ने मेरे सामने ही उसकी पीठ पर मसाज शुरू कर दी. गरिमा के हाथ धीरे धीरे वैशाली की पीठ के निचले हिस्से तक पहुँच गए. वैशाली के उभरे हुए बटक्स ( चुतड ) गरिमा के मसाज से हिलने लगे. गरिमा के हाथ अब उसकी जाँघों तक पहुँच गए.

गरिमा के इशारे से मैं उठकर बाहर आ गया और खिड़की से अन्दर देखने लगा. वैशाली अपनी जंगों पर मसाज से अब उत्तेजित होने लगी थी. गरिमा अब और ज्यादा नीचे झुक गई. उसकी उभरी हुई छाती वैशाली की पीठ को छूने लगी. वैशाली थोडा कसमसाई. गरिमा ने उसे अब सीधा लिटा दिया और मसाज करने लगी.

पहले सर; फिर कंधे और फिर गरिमा ने उसके उभारों को धीरे धीरे मसलना शुरू किया. वैशाली ने गरिमा को अपनी तरफ खींचा. गरिमा ने अब अपने स्तन वैशाली के स्तनों पर टिका दिए और अपने स्तनों से वैशाली के स्तनों को हिलाने और दबाने लगी. वैशाली ने गरिमा को कसकर पकड़ लिया और अपने ऊपर लिटा लिया. वैशाली गरिमा के गालों को चूमने लगी. गरिमा ने मुझे अन्दर आने का इशारा किया., मैं तुरंत अन्दर गया.

गरिमा ने वैशाली की कुर्ती के बटन खोलकर उसे उतारना शुरू किया. वैशाली ने कोई प्रतिरोध नहीं किया और जवाब में गरिमा के ज़िप्पर को खोल दिया और उसे खींच कर उतार दिया. अब गरिमा केवल ट्यूब टॉप में ही रह गई. गरिमा का गदराया जिस्म मुझे उत्तेजित कर गया. उसकी उभरी हुई छातियाँ ट्यूब टॉप में से ऐसे झाँक रही थी जैसे कोई भारी चीज को बहुत पतले कपडे में बाँध कर लटकाया जाए. गरिमा ने अब अपनी आधी नंगी छाती को वैशाली की छाती से स्पर्श कराया. वैशाली अब केवल ब्रा में थी.

अब गरिमा ने वैशाली की लेग्गिंग्स उतार दी. वैशाली ने भी जवाब में गरिमा की कैप्री को खींच दिया. गरिमा और वैशाली दोनों अब केवल दो बेहद छोटे कपड़ों में थी जो उनके दोनों जरुरी हिस्सों को ढंके हुए थे. मैंने भी गरिमा के इशारे पर अपने कपडे उतार दिए. अब मैं केवल अपनी अंडर वेअर में था. गरिमा और वैशाली एक दूसरे से लिपटे जा रहे थे. गरिमा भी एकाएक नशे में आ गई. दोनों ने एक दूजे को चूमना शुरू किया. meri biwi lesbian story

मुझे अब अपने पर काबू नहीं रहा. मैं भी पलंग पर चढ़ गया और उन दोनों के एकदम करीब बैठ गया. वैशाली ने अचानक मुझे देखा और मुस्कुराई. मैंने भी मुस्कुराकर जवाब दिया. मैंने वैशाली का एक हाथ पकड़ लिया. वैशाली ने मुझे नीचे झुकने के लिए कहा. मैं नीचे झुका और वैशाली के गालों को चूमने लगा. वैशाली ने जवाब में मेरे गालों को चूम लिया.

मैं बहुत खुश हुआ क्यूंकि पहला राउंड गरिमा ने मुझे जितवा दिया था. अब मैं भी लेट गया और उन दोनों के साथ लिपट गया. मुझे गरिमा के उभरे हुए स्तन लगातार ललचा रहे थे. लेकिन गरिमा वैशाली से लिपटी हुई थी. मैंने वैशाली को गरिमा से अलग किया और वैशाली मुझसे लिपट गई. गरिमा ने मुझे देखकर आँख मारी। मैंने भी जवाब में आँख मारी. वैशाली अब मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी. गरिमा वैशाली के नंगे जिस्म पर हाथ से मसाज कर कर के उसे लगातार उत्तेजित रख रही थी.

तभी वैशाली ने मुझे कसकर पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. इससे पहले की मैं जोर लगता वैशाली ने तेजी से मेरे मुंह की सारी चाशनी अपने मुंह में खींच ली. फिर मैंने भी यही किया. वैशाली के मुंह में गज़ब की मिठास थी. काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह चूमते रहे और चूसते रहे. वैशाली ने गरिमा को एक बार फिर अपनी तरफ खींचा. गरिमा अब मेरे और वैशाली के बीच आ गई.

वैशाली मेरे दायीं तरफ और गरिमा मेरे बायीं तरफ आ गई. मैंने उन दोनों को पानी तरफ खींचा और छपता लिया. गरिमा की गरम गरम छाती ने मेरे जिस्म में एक बिजली दौड़ा दी. वैशाली ने मेरे मुंह को गरिमा की तरफ धकेलते हुए उसे चूमने का इशारा किया. गरिमा ने खुद अपने गाल आगे की तरफ बढ़ा दिए. मैंने उसके गाल चूम लिए. वैशाली ने फिर गरिमा से मेरे गाल चुमवाये. meri biwi lesbian story

अब हम तीनों आपस में इसी चूमा चाटी में मशगुल हो गए. लगातार दो घंटों से भी अधिक समय तक हम तीनो इसी तरह करते रहे. गरिमा भी इतना उत्तेजित रहते इतना थक गई थी कि वो हमारे साथ ही सो गई. हम तीनों केवल अपने अंतर्वस्त्रों में एक दूसरे से लिपटे हुए सो गए. बीच बीच में हम में से कोई जागता तो अन्य दोनों दूसरों को चूम लेता. लेकिन रहे हम तीनों ही आपस में सारी रात लिपटे और एकदम सटे हुए. एक परफेक्ट थ्रीसम इन बेड का उदहारण बन गए थे आज हम तीनों.

सवेरे हब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि अभी तक गरिमा और वैशाली दोनों ही मुझसे लिपटकर सो रही है. सेवर को रिशनी में दोनों के जिस्म दमक रहे थे. मैं उन दोनों के अर्धनग्न जिस्मों को देखता रहा और निहारता रहा. मान ही मान मैं गरिमा को धन्यवाद दे रहा था जिसके कारण वैशाली एक कदम आगे बढ़ चुकी थी और मुझे उसके होंठों का रसपान करने का मौका मिला गया था.

मैं तैय्या होकर फैक्ट्री के लिए चला गया. वैशाली मुस्कराते हुए मुझे बाहर तक छोड़ने आई. उसने मेरी तरफ एक फ्लाईंग किस भी उड़ाया. गरिमा भी खिड़की में खड़ी मुझे देख मुस्कुरा रही थी. पुर दिन मैं फैक्ट्री में बहुत खुश था. शाम होते होते मैं एक बार फिर कल्पनाओं में खोने लग गया.

शाम को जब मैं घर पहुंचा तो पहले से ही माहौल बना हुआ था. वैशाली और गरिमा घर के पिछवाड़े कि बालकनी में बैठे चाय पी रहे थे. घर के पिछवाड़े की बालकनी से दूर दूर तक केवल हरा भरा जंगल नज़र आता है.दोनों चाय पीते पीते एक दूसरे के गाल और होंठ भी चूम रहे थे. वैशाली ने भी आज गरिमा की ही तरह ट्यूब टॉप के ऊपर बिना बाहों का ज़िप्पर पहन रखा था. उस दोनों के ज़िप्पर बहुत नीचे तक हले हुए थे और उनके स्तनों के ऊपर का खुला हुआ पूरा हिस्सा साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था. meri biwi lesbian story

वैशाली आज बहुत ही गरम और सेक्सी लग रही थी. मैं उन दोनों को इस तरह देखकर थोडा उतेजित हो गया. वैशाली ने अचानक मुझे देख लिया और बोली ” अरे तुम आ गए. आओ ना. तुम भी हमारे साथ चाय पी लो.” मैं वहां जैसे ही बैठा गरिमा मेरे लिए चाय लेने चली गई. वैशाली ने मेरी तरफ देखा और बोली ” गरिमा बहुत अच्छी है. मेरा बहुत ख़याल रखती है. सारा दिन मेरे साथ ही रहती है. अब तुम इसे कभी मत जाने देना.” मैं सब समझ गया और बोला ” गरिमा अब हमेशा यहीं रहेगी. खुश अब तो.”

मैंने इतना कहकर वैशाली के होंठ चूम लिए. वैशाली ने भी जवाब में मेरे होंठ चूम लिए. तभी गरिमा चाय लेकर आ गई. गरिमा मेरी बायीं तरफ बैठ गई. मैं अब वैशाली और गरिमा के बीच में था. गरिमा ने मुझसे कहा ” आज सवेरे से ही वैशाली बहुत ही खुश है. मुझे उन्हें खुश देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. वैशाली ने कहा है कि अब वो मुझे यहाँ से कभी भी नहीं जाने देगी.” वैशाली ने गरिमा का हाथ पकड़ा और फिर दोनों हाथ मेरे हाथ में रखते हुए मुझसे बोली ” तुम्हे आज ये वडा करना होगा कि गरिमा को कभी भी नहीं जाने दोगे.” मैंने गरिमा कि तरफ देखा और कहा ” गरिमा तुम कभी मत जाना.” वैशाली ने एक बार फिर मेरे होंठों को चूम लिया.

रात को हम तीनों ने एक साथ ही खाना खाया. फिर हम टी वी देखने लगे. वैशाली ने कहा ” गरिमा ने आज बहुत ही अच्छी आइसक्रीम बनाई है.” गरिमा हम तीनों के लिए आइसक्रीम लेकर आ गई. गरिमा ने मुझे इशारा कर दिया. मैंने आइसक्रीम खाते खाते अपनी ते शर्ट और हाफ मिनट उतार दी. गरिमा ने अपने हाथ से वैशाली को आइसक्रीम खिलाना शुरू किया. वैशाली ने आइसक्रीम अपने मुंह में ली और फिर गरिमा के गालों को चूम लिया.

गरिमा के गाल आइसक्रीम लगने से सफ़ेद लगने लगे. वैशाली ने फिर अपनी जीभ से उस आइसक्रीम को खा लिया. अब वैशाली ने मुझे आइसक्रीम खिलाई. उसने मेरे साथ भी ऐसा ही किया. फिर गरिमा ने मेरे साथ और मैंने गरिमा के साथ इस तरह से आइसक्रीम खाई. अब वैशाली ने गरिमा के और गरिमा ने वैशाली के कपडे उतार दिए. एक बार फिर हम तीनों अपने अंतरवस्त्रों में ही थे.. आज गरिमा और वैशाली ने एक ही गहरे हरे रंग की ट्यूब टॉप और पैंटीज पहन रखी थी.

वैशाली गरिमा को लेकर सोफे पर ही लेट गई. हमारा सोफा तीन गद्दीयों वाला था. इसलिए बहुत ही गुदगुदा था. दोनों उस पर गिरी और तुरंत ही सोफे की स्प्रिंगदार गद्दीयों पर आपस में लिपटी हुई उछल कूद करने लगी. यह देखकर मैं पागल हो गया और उन दोनों के साथ सोफे पर कूद गया. अब हम तीनों एक दूसरे को सोफे पर दबा रहे थे और जो शरीर का हिसा सामने आ रहा था उसे चूम रहे थे. गरिमा ने वैशाली के स्तनों को मसलना शुरू किया. वैशाली अब धेरे धेरे तड़पने लगी. मैंने मौका देख उसे अपनी बाहों में ले लिया. meri biwi lesbian story

वैशाली का जोश ठंडा ना पड़ जाये इसलिए गरिमा ने भी उसे उसकी पीठ ले पीछे से अपनी बाहों में जकड रखा था. अब वैशाली के स्तनों को मेरी कड़क चाटी ने दबा रखा था तो वहीँ पेचे से गरिमा के मजबूत लेकिन गुदगुदे स्तनों ने वैशाली की पीठ को दबा रखा था. मैंने वैशाली को बेतहाशा चूमकर पूरे नशे में ला दिया. गरिमा ने तुरंत ही वैशाली के ट्यूब टॉप और पैंटी को उअतारा और मेरी भी ब्रीफ खींच कर उतार दी. वैशाली ने गरिमा की तरफ देखा और उसे भी अपने कपडे खोलने को कहा. गरिमा को मजबूरन करना पड़ा. अब हम दोनों ने वैशाली के नंगे जिस्म को आगे पीछे से पूरी तह से हमारे नग्न जिस्मों से दबा दिया था.

गरिमा ने अब सोफे की कुर्सी की तरफ चलने को कहा. गरिमा वैशाली को लेकर उस कुर्सी में धंस गई. वैशाली गरिमा की गोद में थी. वैशाली के बटक्स गरिमा के गुदगुदे गुप्तांग पर फिट हो गए थे. अब मैं वैशाली के ऊपर आ गया. इस तरह से मैंने वैशाली के साथ साथ गरिमा को भी दबा दिया था. वैशाली अब हर तरह से चार्ज हो गई थी. मैंने मौका देखकर अपना लिंग वैशाली के जननांग की तरफ बढ़ा दिया. मेरा गुप्तांग उसके जननांग को छु गया. वैशाली के मुंह से एक जोर की आह निकली. मैं अब पूरी तरह वैशाली पर झुक गया था.

वैशाली और मेरे गले लेन से मेरा मुंह गरिमा के मुंह के एक दम सामने आ गया था. मैं जब जब वैशाली के जननांग की तरफ अपना लिंग धकेलते हुए वैशाली को दबाता टब टब मेरा मुंह गरिमा के बहुत करीब आ जाता और मेरे गाल उसके गालों को छु जाते. यह स्पर्श हम दोनों को ही अच्छा लगा. अब गरिमा ने मुझे चूमना शुरू किया. मैं भी गरिमा को चूमने लगा. वैशाली मेरे गरदन के नीचे वाले हिस्से को अपने गीले गीले होंठों से चूम रही थी और पूरे आनंद में थी. अचानक से मेरा लिंग पहली बार वैशाली के जननांग में प्रवेश कर गया.

वैशाली के मुंह से एक जोर की आह और चीख निकल गई. मैंने वैशाली के होंठ अपने होठों से सी दिए. गरिमा ने भी वैशाली को अपने उभरे हुए स्तनों से दबाये रखा. वैशाली के चेहरे पर अब एक संतोष भरी मुस्कान थी. मैं और गरिमा भी बहुत खुश हो गए थे. यह सब गरिमा की वजह से हुआ था. हम तीनों कुछ देर तक इसी अवस्था में लेटे रहे और फिर बाद में अलग हो गए. वैशाली ने भी गरिमा को कहा ” अगर तुम ना होती तो शायद मेरी जिन्दगी में ये दिन बहुत ही मुश्किल से आ पाता. ”

गरिमा ने एक विजयी मुस्कान अपने चेहरे पर लाई . गरिमा ने मेरी तरफ देखा और बोली ” आपका कितना बड़ा काम मैंने किया है मेरा इनाम!!” मैंने गरिमा को अपनी तरफ लिया और उसके गालों पर एक किस कर दिया. वैशाली ने मेरी तरफ देखा और बनावती गुस्से से बोली ” इतने बड़े काम के लिए बस इतना सा इनाम.

शर्म आनी चाहिये! चलो गरिमा के होंठों पर पहले एक किस करो.” मैंने गरिमा के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी गरिमा ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन लिया. एक लंबा चुम्बन चला. वैशाली ने भी फिर मेरे साथ ऐसा ही लंबा चुम्बन किया. अब वैशाली ने मुझसे कहा ” अब तुम गरिमा को कभी भी इससे छोटा इनाम नहीं दोगो.” इसके बाद हम वैशाली के कहने पर हम तीनों नग्नावस्था में ही आपस में लिपटकर सो गए.

बीवी के लेस्बियन निकलने के बाद मैं तो घबरा ही गया था, पर गरिमा के आने के बाद ये सब मुझे एक वरदान सा लगने लगा.. अब किसको ऐसे threesome का मौका मिलता है? ये threesome lesbian story का अगला मजेदार भाग.

हम तीनों कुछ देर तक इसी अवस्था में लेटे रहे और फिर बाद में अलग हो गए. वैशाली ने भी गरिमा को कहा ” अगर तुम ना होती तो शायद मेरी जिन्दगी में ये दिन बहुत ही मुश्किल से आ पाता. ” गरिमा ने एक विजयी मुस्कान अपने चेहरे पर लाई . गरिमा ने मेरी तरफ देखा और बोली ” आपका कितना बड़ा काम मैंने किया है मेरा इनाम!!” मैंने गरिमा को अपनी तरफ लिया और उसके गालों पर एक किस कर दिया.

वैशाली ने मेरी तरफ देखा और बनावती गुस्से से बोली ” इतने बड़े काम के लिए बस इतना सा इनाम. शर्म आनी चाहिये! चलो गरिमा के होंठों पर पहले एक किस करो.” मैंने गरिमा के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी गरिमा ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन लिया. एक लंबा चुम्बन चला. वैशाली ने भी फिर मेरे साथ ऐसा ही लंबा चुम्बन किया. अब वैशाली ने मुझसे कहा ” अब तुम गरिमा को कभी भी इससे छोटा इनाम नहीं दोगो.” इसके बाद हम वैशाली के कहने पर हम तीनों नग्नावस्था में ही आपस में लिपटकर सो गए. meri biwi lesbian story

अगले दिन मैं बहुत ज्यादा खुश था और रात का फिर इंतज़ार कर रहा था. मेरे बदन में एक अलग तरह का रोमांच बार बार आ रहा था. मैंने वैशाली और गरिमा को सरप्राइज देने के हिसाब से उन्हें बिना बताये मैं बहुत जल्दी घर आ गया. उस समय केवल चार बजे थे. मैं चुपचाप घर में दाखिल हुआ. अपने कमरे में जाकर जल्दी नहाया और कपडे बदले. फिर मैं घर के पिछवाड़े आ गया. बादल हो रहे थे और बारिश होने की पूरी संभावना लग रही थी. थोड़ी थोड़ी बूंदा बंदी हो भी रही थी. मैं जैसे ही पिछवाड़े की बालकनी में आया.

मैंने देखा की बालकनी के आड़े के छोटे से खुले आँगन में ; जहाँ पर बहुत हरी हरी घास उगी हुई है , वैशाली और गरिमा एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े हैं और छोटी छोटी पानी की बूंदों में भीगने की कोशिश कर रहे हैं.अचानक बारिश तेज हो गई. दोनों बालकनी में लौट आई. मैंने अपने कपडे खोले और केवल अंडर वेअर में बारिश में नहाने चला गया. वैशाली और गरिमा ने मुझे भीगते हुए देखा तो उन्हों ने भी आपस में इशारा किया और केवल ट्यूब टॉप और पैंटी में मेरे साथ भीगने के लिए आ गई. हम तीनों आपस में लिप्त रहे थे ; एक दूसरे को चूम रहे थे.

एक दूजे के बदन पर गिरने वाले पानी को भी हम चूम चूमकर पी रहे थे. धीरे धीरे नशा बढ़ता गया और हम तीनों आपस में लिपट कर नहाने लगे. अब बारिश और भी ज्यादा तेज हो गई थी और तेज हवा के कारण धुंआ धुंआ सा हो रहा था. वैशाली ने गरिमा को नीचे लेटने को कहा. गरिमा के नीचे लेटते ही वैशाली उस पर लेट गई.

अब वे दोनों एक दूसरे को चूमने लगी थी. उन दोनों के जिस्म जब आपस में लिपटने से रगड़ खा रहे थे तो उन्हें देखकर मेरा सब्र जवाब दे रहा था. वैशाली गरिमा के ऊपर लेटकर अपने जसम को उससे एकदम सटकर उसे दबाते हुए उसे जगह जगह पर चूम रही थी. हरी हरी घास ; उस पर तेज बरसता हुआ पानी तथा इस बरसते पानी में घास पर आपस में लिपटे हुए दो बहुत ही खूबसरत हसीनाओं के भरे बदन . इन सबे ने मुझे ऐसा मदहोश किया की मैं भी उनके साथ शामिल हो गया.

वैशाली और गरिमा ने मेरे आते ही मुझे भी अपने साथ ले लिया. हम सभी एक दूजे को चूमने लगे. तेज पानी की बौछारें आग में घी का काम रही थी. बहुत ही काम समय में माहौल एक दम गरम हो गया. मैंने अब वैशाली और गरिमा के सभी कपडे उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया.

गरिमा ने एक बार फिर वैशाली को उत्तेजित करना शुरू किया. आज वैशाली बहुत जल्दी उत्तेजित हो गई. मैंने भी तुरंत उसके जननांग में अपना लिंग घुसेड दिया. एक छोटी लेकिन मीठी सिसकी के साथ वैशाली आनंदित हो गई. मैंने करीब पंद्रह मिनट तक वैशाली को इसी तरह से रखा. वैशाली ने अब मेरा लिंग बाहर निकालने को कहा. meri biwi lesbian story

मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित था. पता नहीं कैसे ; सुंन के जननांग में से लिंग को निकलते ही मैंने गरिमा को पकड़कर लिटा दिया और उस पर चढ़ गया. वैशाली ये देख बहुत खुश हुई और उसने गरिमा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. गरिमा ने भी अब मुझे कसकर पकड़ लिया. मैंने धीरे से अपना लिंग गरिमा के जननांग की तरफ बढाया. गरिमा ने पाने हाथ की मदद से उसे उंदर का रास्ता दिखा दिया, बस अब क्या था मर लिंग सीधे उस गीले और अनुभवी जननांग में पहुँच चुका था. वैशाली कभी मुझे तो कभी गरिमा को चूम रही थी. मैंने गरिमा को भी पंद्रह – बीस मिनट तक ऐसी ही रखा.

हमारा वो बगीचा बहुत छोटा था. उसके चारों ओर दो फुट जितनी ऊंची दीवार थी. घर कि चाट का सारा पानी नाली से उसी में गिर रहा था. अब हमारे उस छोटे से बगीचे में इस तेज गिरते पानी और मुसलाधार बारिश की वजह से वो बगीचा तेजी से भरने लगा. बहुत जल्द वि लबालब भर गया.

एक बहुत बड़ा बात टब जैसा लगने लगा. हम तीनो उसी में अब सेक्स करने लगे. पानी के अन्दर संभोग का यह अंदाज एक बहुत ही उत्तेजना पैदा करने वाला था. मैंने बारी बारी से वैशाली और गरिमा के साथ आधे आधे घंटे तक संभोग किया. फिर हम तीनों थक कर उस बरसात के पानी में ऐसी ही पड़े रहे जब तक कि हम में उठकर अपने अपने कपडे पहनने की ताकत नहीं लौट आई. हम तीनो पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे.

अब हम तीनों के दिन और रात बहुत रंगीन हो चुके थे. वैशाली अब गरिमा और मेरे साथ पूरे जोश के साथ संभोग करने लगी थी. लेकिन अब यह समस्या थी कि आखिर गरिमा कब तक रुक सकेगी. हालाँकि मजा मुझे भी वैशाली के साथ साथ गरिमा के संग संभोग करने पर भी आ रहा था लेकिन गम्भ्र्ता से सोचें तो यह लम्बे समय तक संभव नहीं था.

इसी बीच एक दिन ऐसा मौका आ भी गया. गरिमा को खबर मिली कि उसकी मां बहुत बीमार है और उसे देखने के लिए उसे जाना होगा. वैशाली तो बहुत ही उदास हो गई. लेकिन गरिमा भी मजबूर थी. वो कुछ दिनियो कि छुट्टी लेकर चली गई. पहली रात को तो मैंने कुछ नहीं किया लेकिन अगली रात को वैशाली से जब संभोग करना चाह तो वैशाली थोड़ी देर के बाद रुक गई.

इसी तरह से तीन दिन और गुज़र गए. एक दिन शाम को जब मैं पहुंचा तो निशा मुझे मेरे घर से निकलती हुई मिली. उसने मुझे देखा और एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ अपने घर में चली गई. वैशाली ने मुझे कहा कि उसने निशा को गरिमा के बारे में सब कुछ बता दिया है. meri biwi lesbian story

यहाँ तक कि हम तीनों के लगातार हमबिस्तर होने तक को भी बता दिया है. मैं सन्न रह गया. वैशाली ने कहा कि निशा भी हमारे साथ आने को तैयार है अब तो मुझे आगे तक दूर दूर अँधेरा नजर आने लगा. मैंने सोचा अब इस चीज का अंत बिलकुल नामुमकिन है क्यूंकि वैशाली एक बहुत ही हार्डकोंर लेस्बियन है. बिना किसी औरत के ये मेरे साथ संभोग कभी नहीं कर पाएगी. मैंने मजबूर होकर वैशाली की बात मान ली. वैशाली ने खुश होकर मेरे होंठ बहुत ही जोर से चूस लिए और मुझसे लिपट गई. मैंने भी उसके होंठ चूस लिए. और उसे लेकर बिस्तर पर गिर गया.

अगले दिन रविवार था. नाश्ते के बाद मैं अखबार पढ़ रहा था. मेंसे देखा की वैशाली निशा के घर के बाहर खड़ी थी. निशा बाहर आई. उसने दरवाजा बंद किया और वैशाली के साथ हमारे घर में घुस गई. मैं समझ गया कि वैशाली निशा को लेकर क्यूँ आई है. दोनों आ गई.

निशा को आज मैंने पहली बार बहुत करीब से देख रहा था. लेकिन करीब एक माह पहले मैंने मेरी ही फैक्ट्री के एक व्यक्ति से निशा के बारे में एक बात पाता चली को चिंताजनक भी थी और उसके लिए सहानुभूति भी पैदा करने वाली थी. उस व्यक्ति ने बताया कि निशा का पति यानि कि पटेल साहब का लड़का नामर्द है. ये बात निशा को शादी के बाद पता चली. निशा तभी से बहुत परेशान रहती है. मैं तुरंत समझ गया. तो वैशाली से उसने दोस्ती इसीलिए की है जिससे वो अपने शारीरिक सुख को वैशाली से प्राप्त कर सके.

मेरे लिए अब ये एक नयी मुसीबत थी. आखिर में मैंने ये मान लिया कि शायद मेरी किस्मत में यही सब लिखा है. इसलिए अब मुझे अच्छा बुरा समझना छोड़कर हर तरह से मजे लूटने चाहिये.

निशा और वैशाली मेरे सामने थी. मैंने वैशाली की तरफ देखा और मुस्कुअराया. वैशाली खुश नजर आई. मैं निशा के पास गया और उसके पास बैठ गया. मैंने निशा के बालों में हाथ फिराया और बोला ” मैं जानता हूँ तुम्हारी तकलीफ. निशा; मैं और वैशाली तुम्हारी हर तकलीफ दूर कर देंगे. तुम्हे कोई कमी महसूस नहीं होने देंगे. तुम अब हमारे साथ हो तो हम सब मुरे मजे से रहेंगे.” मैंने निशा के गालों को चूम लिया.

निशा सिहर गई. वैशाली उसके पास आई और उसने भी निशा के स्तनों पर हाथ रखा और उन्हें दबाना शुरू किया. निशा को अब इतने से ही आनंद आने लगा. मैंने निशा द्वारा पहनी गई साडी खोलनी शुरू की. वो अब ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थी. गहरे भूरे रंग का ब्लाउज और उसी रंग का पेटीकोट में उसका गोरा अंग गज़ब ढा रहा था. वो दुबली पतली थी लेकिन बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

वैशाली ने उसका ब्लाउज उतारा और मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया. अब वो ब्रा और पैंटी में रह गई थी. वैशाली ने उसे अपनी बाहों में ले लिया और मैंने निशा को उसके पीछे से बाहों में लेकर उसके कमर के नीचे के हिस्से पर अपना दबाव बढ़ा दिया. निशा अब दोनों तरफ से दब गई थी लेकिन उसका चेहरा साफ बता रहा था की उसके अनादर कितनी ठंडक पहुँच चुकी है. हम दोनों उसे लेकर अपने बेडरूम में चले गए. मैंने और वैशाली ने भी अपने सारे कपडे उतार दिए. निशा को अब हमने पूरा निर्वस्त्र कर दिया था. meri biwi lesbian story

वैशाली ने निशा के पूरे जिस्म पर चुम्बनों की बरसात कर दी. इससे पहले कि निशा संभल पाती मैंने उसके पूरे जिस्म पर अपने चुम्बन बरसा दिए. निशा तड़पकर बिस्तर पर आ गई. मैंने वैशाली को उसके ऊपर सुला दिया. वैशाली ने अब अपने गुप्तांग वाले भाग को निशा के गुप्तांग के ठीक ऊपर से स्पर्श करवा दिया.

जैसे ही वैशाली ने अपने गुप्तांग को निशा के गुप्तांग के ऊपर थोडा दबाकर रगड़ना शुरू किया; दोनों एक साथ तड़पकर अपने मुंह से सिसकीयाँ निकालने लगी. मैंने अपने हाथ वैशाली कि पीठ पर रखे और वैशाली को निशा के ऊपर दबाते हुए हिलाना जारी रखा. दोनों के लिए यह स्थिति बहुत ही नरम और गरम थी. दोनों को बहुत ही जबरदस्त मजा आने लगा था. वैशाली के कारण अब मुझे भी ऐसे खेल मान को भाने लग गए थे.

कुछ देर के बाद वैशाली और निशा ने एक और नया तरीका अपनाया जो मेरी हालत बहुत ही खराब कर गया. मेरे सारे शरीर में एक साथ हजारों वाट कि बिजलीयाँ दौड़ गई. उन दोनों ने अपनी टांगें फैला दी. दोनों ने अपनी अपनी टाँगे कैंची कि तरह एक दूसरे कि टांगों के बीच में इस तरह डाली कि उन दोनों के जननांग एक दूसरे से बिलकुल सट गए. अब दोनों ही ने आगे पीछे होकर एक दूजे के जननांग को आपस में रगड़ना शुरू किया.

उन दोनों के मुंह से कभी आह निकलती तो कभी एक हलकी सी सिसकी. जब थोडा दबाव बढ़ जाता तो एक हल्की चीख भी निकल जाती. मैंने ये पहली बार देखा था. लेकिन इस दृश्य ने मेरी ऐसी हालत बिगाड़ी कि मैं लिख नहीं सकता. मैं सब कुछ भूलकर उन दोनों को देखने लगा. कुछ देर बाद दोनों अलग हुई. मैंने पहले वैशाली को सोफे कि कुर्सी पर अधलेटा किया और फिर निशा को वैशाली के ऊपर उसी तरह अधलेटा कर बैठा दिया.

दोनों के का आगे का हिस्सा मेरी तरफ था. अब मैं उन दोनों के ऊपर उलटा लेट गया. अब मेरा लिंग था और सामने पहले निशा का जननांग और फिर उसके नीचे वैशाली का जननांग. मैंने पहले वैशाली के जननांग में अपना लिंग घुसाया लेकिन दबाव निशा के बदन पर भी पडा. दोनों को यह बहुत अच्छा लगा. कुछ डेरा बाद मैंने गुप्तांग निशा के जननांग में घुसा दिया. निशा कि स्थति आज उसी तरह थी जैसी कुछ दिन पहले वैशाली की थी.

निशा भी आज पहली बार किसी के साथ अपने जीवन का संभोग कर रही थी. मैंने बारी बारी से उन दोनों के साथ कई बार संभोग किया. दोनों को एक साथ दबाकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी बहुत ही मखमली अहसास वाले गद्दे पर लेटा हुआ हूँ. दोपहर तक हम तीनों ने अपनी अपनी भूख मिटाई. निशा अब अपने घर चली गई क्यूंकि अब उसके घर में कोई भी लौट सकता था.

अगले चार पांच दिन में निशा समय निकालकर कई बार आई. जैसे जैसे समय मिलता तो वो कभी वैशाली के साथ तो कभी हम दोनों के साथ संभोग करके अपनी प्यास बुझा जाती. meri biwi lesbian story

शनिवार के दिन शाम को जब निशा के घर कोई नहीं था तो वो हमारे साथ थी. हम तीनो अपने बेडरूम पूर्णतया नग्नावस्था में बिस्तर में एक दूसरे से लिपटे हुए अपने काम में व्यस्त थे कि अचानक से मुख्य दरवाजे के खुलने कि आवाज आई. हम तीनों चौंके और डर गए. फिर मुझे ध्यान आया कि बाहर के दरवाजे के ताले कि तीसरी चाबी तो गरिमा के पास थी. मैं निश्चिंत हो गया कि गरिमा ही आई होगी. गरिमा ही आई थी. वो जैसे ही बेडरूम में आई उसने हमारे साथ साथ निशा को देखा तो हैरान हो गई. फिर वो वैशाली के पास आई.

उसने वैशाली के होंठों पर अपने होंठ रखे और बोली ” शैतान और भूखी औरत. मेरे बिना तुम इतने दिन भी नहीं रुक सकी. ओई बात नहीं अब मैं आ गई हूँ ना. मैं भी तुम्हारे साथ हो जाती हूँ.” गरिमा ने फटाफट अपने सारे कपडे उतार दिए और हमारे साथ पलंग पर आ गई. गरिमा बोली ” मैं आप दोनों के बिना एक सप्ताह पागल हो गई थी. पहले मैंने सोचा कि कभी ना कभी तो मुझे आप लोगों के बिना रहना ही होगा. लेकिन दो दिन बाद ही ऐसा लगने लगा कि जैसे मैं अब आप दोनों के बिना कभी रह नहीं पाऊँगी.

हालांकि मेरे पास आप जैसा ही एक और केस आया था और पैसे भी ढेर सारे ऑफर हुए थे. लेकिन आप लोगों का साथ मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने वो ऑफर ठुकरा दिया. मैं जानती हूँ वैशाली मेरे बिना एक दिन भी नहीं रह पाएगी. निशा का मुझे पता था. लेकिन जब हम यह जगह कभी भी छोड़ेंगे तो निशा तो साथ नहीं आ पाएगी. इसलिए मेरा साथ ही हमेशा रहे तो आप दोनों के लिए बहुत अच्छा होगा मेरे लिए तो इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता. इसलिए अब मैंने यह सोच लिया है कि मैं आपके साथ ही रहूंगी.”

वैशाली और मैं यह सुनकर बहुत खुश हुए. मुझे बहुत बड़ी तस्सली पहुंची कि अब वैशाली हमेशा सामान्य ही रहेगी. इसी ख़ुशी में मैंने गरिमा को अपनी तरफ खींचा और उसे चूमते हुए कहा ” अब तुम हम दोनों के लिए एक देवदूत से कम नहीं हो. दुनिया चाहे कुछ भी कह दे लेकिन मैं तुम्हे अब हम दोनों से अलग कभी नहीं होने दूंगा.” इतना सुनते ही गरिमा ने अपनी टांगें फैलाई और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए कहा ” आज मुझे मेरा इनाम चाहिये.” मैंने तुरंत अपना गुप्तांग उसके गुदगुदे गोल दरवाजे में घुसा दिया.

मैंने बारी बारी से वैशाली ; गरिमा और निशा के साथ दो दो बार संभोग किया. यह खेल काफी देर तक चला. फिर रात होते ही निशा चली गई. लेकिन हम तीनो देर रात तक आपस में संभोग करते रहे.

हम तीनों के अलावा निशा के भी आने के बाद जिंदगी थोड़ी और मजेदार तथा शामें-रातें और भी रंगीन हो गई थी. सप्ताह में काम स काम दो मौके ऐसे आ जाते जब हम चारों एक साथ हो जाते. हम चारों का साथ लगभग दो माह तक रहा. पटेल साहब रिटायर हो गए और उनका परिवार सूरत चला गया. हम तीनों काफी दिन निशा को याद करके उदास रहे. लेकिन रंगीनीयाँ जारी थी.

बीवी के लेस्बियन होने से मुझे नयी नयी औरतों के साथ threesome sex का मज़ा मिलने लगा. अब मेरी बीवी का लेस्बियन गैंग बढ़ता जा रहा है, इस group lesbian story का अगला भाग धमाकेदार भाग.. meri biwi lesbian story

मैंने बारी बारी से वैशाली ; गरिमा और निशा के साथ दो दो बार संभोग किया. यह खेल काफी देर तक चला. फिर रात होते ही निशा चली गई. लेकिन हम तीनो देर रात तक आपस में संभोग करते रहे.

हम तीनों के अलावा निशा के भी आने के बाद जिंदगी थोड़ी और मजेदार तथा शामें-रातें और भी रंगीन हो गई थी. सप्ताह में काम स काम दो मौके ऐसे आ जाते जब हम चारों एक साथ हो जाते. हम चारों का साथ लगभग दो माह तक रहा. पटेल साहब रिटायर हो गए और उनका परिवार सूरत चला गया. हम तीनों काफी दिन निशा को याद करके उदास रहे. लेकिन रंगीनीयाँ जारी थी. meri biwi lesbian story

मणिनगर में वैशाली के एक बहुत दूर के रिश्ते का भाई रहने आया. उसका घर हमारे घर से लगभग दस मिनट के पैदल रस्ते पर था. हम तीनो उससे पहली बार मिलने गए. वैशाली के भाई और भाभी ने गरिमा के बारे में पूछा तो मैंने उसे कह दिया कि वैशाली को घबराहट की बीमारी के चलते हमने डॉक्टरों के कहने पर एक चौबीसों घंटे की नर्स रखी हुई है. ये हमारे साथ ही रहती है और हमारे परिवार की एक अभिन्न सदस्या है. वैशाली के भाई रवि की पत्नी सविता देखने में थोड़ी अजीब लगी. दिखने में अच्छी थी. सांवला रंग.मान को सुहावना लगता चेहरा.

लेकिन वो कभी कभी अजीब तरह से हंसती औए बोलते बोलते छुप हो जाती. जब हम रवाना हुए तो रवि से मैंने अकेले में सविता के बारे में पुच ही लिया. रवि ने कहा कि सविता का दिमाग थोडा काम विकसित है. वो सब समझती है. लेकिन कभी कभार उसका व्यवहार ऐसा हो जाता है. उसने गरिमा से कहा ” अच्छा हुआ आप मिल गई. अब आप इसका अपने तरीके से इलाज कर दीजिये.

मुझ पर बड़ा एहसान होगा आपका.कहिये कब से भेजूं इसे.?” गरिमा हक्का बक्का हो गई. ये कैसी उलझन आ गई? अब इसे क्या जवाब दें? अगर सच बतादें तो सारा खेल बिगड़ सकता है. मैंने रवि से कहा ” ये दोपहर में अकेली रहती है. आप ऐसा करो. सवेरे जाते वक्त इन्हें हमारे यहाँ छोड़ते जाओ और शाम को लौटते वक्त अपने साथ ले जाया करो. अकेलेपन से छुटकारा भी मिलेगा और गरिमा इनका इलाज भी कर देगी.” रवि बहुत खुश हो गया.

रात को गरिमा और वैशाली मुझ पर भड़क गए. उन्होंने कहा कि अब हम तीनों ज्यादा आजादी से नहीं रह पायेंगे. मैंने उन्हें समझाया कि एक बार उसे आने दो. हो सकता है दो दिन के बाद हम रवि से यह कहा देंगे कि गरिमा इसका इलाज नहीं कर सकती. बस. मामला वहीँ ख़त्म हो जाएगा. दोनों मेरे जवाब से खुश हो गई.

रवि अगले दिन ही सविता को छोड़ गया. मैं उस दिन थोडा जल्दी चला गया था. दोपहर को तीनो कोई फिल्म देख रहे थेतभी फिल्म में एक दृश्य में हीरो हिरोइन को चूमता है और दोनों आपस में लिपटकर पलंग पर इधर उधर लोटना शुरू कर देते हैं. वैशाली इसे देख अत्यंत ही उत्तेजित हो गई. उसने गरिमा को बाहों में लिया और उसे चूमते हुए पलंग पर ले गई. फिर दोनों उस फिल्म कि तरह इधर उधर लोटने लगी. meri biwi lesbian story

सविता ने यह देखा तो वो घबराकर खड़ी हो गई. वो पलंग के पास आकर उन दोनों को देखकर उन्हें अलग करने कि कोशिश करने लगी. वैशाली इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उसने सविता को ढका दे दिया. सविता सोफे से जाकर टकराई और उस पर गिर गई. वो फिर लौट कर ई. वैशाली ने उसे एक और धक्का दिया. अब सविता रोने लगी. गरिमा से रहा नहीं गया. वो सविता के पास आई. उसने सविता को अपने गले से लगाया. उसके गालों को थपथपाया और एक छोटा सा चुम्बन उसके गालों का ले लिया. सविता अपने गालों के गीलेपन को पौंछते हुए मुस्कुराने लगी. गरिमा ने उसे सोफे पर बिठा दिया. इसके बाद सविता कुछ ना बोली.

शाम को उस घटना से मैं परेशां हो गया. अगले दिन रवि उसे फिर छोड़ गया. सविता ने आते ही गरिमा से अपने गालों को चूमने और सहलाने को कहा. गरिमा ने ओस कर दिया. सविता खुश हो गई. इसके बाद नयी मुसीबत आ गई. उसने गरिमा को कल के फ़िल्मी सीन को दोहराने कि जिद की. वैशाली और गरिमा ने बात बाहर तक ना जाए इसके डर से दोनो ने उसके साथ थोडा सा वैसा ही कर दिया. अब सविता छुप हो गई.

धीरे धीरे सविता की यह रोज रोज की आदत वैशाली और गरिमा से सहन नहीं हुई. हमने अगले दिन रवि से यह बहाना किया की हम तीनों कल कहीं जानेवाले हैं. उस दिन मैंने भी छुट्टी ले ली. दोपहर को हम तीनों काफी दिनों के बाद मिली इस आजादी का पूरा मजा ले रहे थे. हमारा संभोग चल रहा था. तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया. गरिमा ने तुरंत कपडे पहने और जाकर दरवाजा खोला. सविता खड़ी थी., उसने गरिमा को भीतर धकेला और अन्दर आकर उससे लिप्त गई और बोली ” मुझसे झूठ क्यूँ बोला. चलो अब मुझे चूमो. मुझे चूमो.”

गरिमा ने उसे पीछे धकेलना चाह तो सविता दौड़ते हुए बेडरूम में आ गई. मैं और वैशाली आपस में लिपटे हुए थे और हम पूरी तरह से नग्न थे. वो हमें देख मुस्कुराई. उसने कहा ” आप लोग परेशान ना हो. मैं आपको ज्यादा परेशान नहीं करुँगी. मैं पागल नहीं हूँ. एकदम ठीक हूँ और सामान्य हूँ.

मैंने जानबूझकर ये नाटक कर रखा है. इसका कारण रवि खुद है. वो बहुत कमजोर और ठंडा है. महीने भर में बड़ी मुश्किल से एक बार गरम होता है और उस पर भी मुझे अभी तक पूरी तरह से नहीं भेद पाया है. मैं परेशान हूँ. मैं कई बार खुद को नंगा कर बिस्तर पर लोटती हूँ. नंगी होकर खुद की ऊंगलीयाँ अपने जननांग में लेजाने की कोशिश करती हूँ. meri biwi lesbian story

आप ही अब बताइये मैं क्या करूँ? मैं अगर ऐसे ही जीती रही तो सचमुच में पागल हो जाऊंगी. आपको देखकर मैंने सोचा कि आपसे शायद मुझे कोई मदद मिल जाये. ” हम तीनों हैरान हो गए. फिर हम तीनों को सविता पर दया आ गई. गरिमा ने सविता से कहा ” तुम रवि के सामने अपना नाटक जारी रखो. यहाँ लगातार आती रहो. हम तीनों तुम्हारी पूरी मदद करेंगे. तुम्हें प्यासी नहीं रहने देंगे. तुम्हारी प्यास बुझेगी. ”

गरिमा ने सविता के तुरत फुरत में सारे कपडे उतार दिए और हमारे साथ पलंग पर सुला लिया. वैशाली और गरिमा ने सविता के बदन को सहलाया. खूब मसाज किया. उसके स्तनों को खूब मसल मसलकर उसे मदहोश कर दिया. अब उसे एक दम चरम पर लाने के लिए वैशाली उसके ऊपर लेट गई. उसने सविता के गुप्तांग और जननांग पर अपने गुप्तांग और जननांग से दबाव पैदा कर उसमे जबरदस्त प्यास पैदा कर दी. गरिमा ने मुझे उस पर लेट जाने को कहा. मैं उस पर लेट गया. यह जानते हुए कि रवि अभी तक सविता के जननांग को पूरी तरह से नहीं भेद सका है.

मैंने अपने गुप्तांग को उसके जननांग में पूरे जोर से धकेला. लगभग चार पांच मिनट के बाद मुझे सफलता मिल गई. सविता कि प्यास आज पहली बार बुझी थी. मैंने सविता के जननांग को अपने लिंग से करीब एक घंटे तक बंद किये रखा. जब सविता का सारा जिस्म पसीने से भीग गया और उसके होंठ ठन्डे और गीले हो गए तो मैंने उसके होंठों का एक जोरदार खींच पैदा करनेवाला किस लिया और उसे छोड़ दिया. सविता के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गई.अब वैशाली और गरिमा को भी थोड़ी थोड़ी देर के लिए मैंने अपने साथ लिया और संभोग किया.

अगले एक सप्ताह में मैंने सविता को पांच बार संभोग से शांत और संतुष्ट किया. सविता कितनी भूखी थी इस बात का अंदाजा एक दिन के संभोग से लगाया जा सकता है जब सविता ने पूरे दो घंटों तक अपने जननांग में मेरे लिंग को फंसाए रखा और बिलकुल भी ना थकी. वैशाली और गरिमा उसकी इस शक्ति से हैरान हो गए. मैंने आज तक ऐसा नहीं सुना था. मुझे थकान तो हुई लेकिन बहुत ही ज्यादा मजा आया. meri biwi lesbian story

रवि को अपने ऑफिस के काम से तीन दिनों के लिए इंदौर जाना था. उसने सविता को हमारे यहाँ छोड़ दिया. शाम को रवि सविता को छोड़ते हुए स्टेशन चला गया. रात को मैं अपने फैक्ट्री में अधिक काम के कारण थकान महसूस कर रहा था. मुझे नींद आने लगी. मैं ड्राइंग रूम के सोफे पर ही झपकियाँ लेने लग गया. टी वी चल रहा था.

सविता मेरे करीब आकर उसी सोफे कि कुसरी में फंसकर बैठ गई और मुझे चूमने और बहलाने लगी. मारे थकन के मेरा बदन टूट रहा था इसलिए मैं उत्तेजित नहीं हो पा रहा था. गरिमा मेरी हालत देख समझ गई. उसने सविता को अपनी बाहों में लिया और लम्बे वाले सोफे पर लेट गई. उसने सविता के कपडे उतार दिए. मैं बैठे बैठे ये सब देखने लगा. अब गरिमा ने अपने सारे कपडे निकाले.

गरिमा और सविता एक दूसरे से लिपट गई. दोनों का जोर जोर से आवाजों के साथ चूमना शुरू हो गया. सविता अब गरिमा के ऊपर लेट गई और उसने गरिमा कि टांगों को फैलाकर अपने जननांग को उसके जननांग से भिड़ा दिया. फिर उन दोनों के जननांगों का आपस में रगड़ना शुरू हुआ जो करीब आधे घंटे तक जारी रहा. इसे देखते देखते मेरी नींद तो उडी ही मेरे लिंग से थोडा रस बाहर आगया.

वैशाली नहाकर आ गई. वो बाथरूम से बिना कोई कपड़ा अपने जिस्म पर डाले बाहर आई. गरिमा और सविता को उस हालत में देख वो भी उन दोनों के साथ मिल गई. इन तीनों का यह लेस्बियन सेक्स खेल करीब करीब दो घंटों तक चलता रहा. मैं अब अपनी नींद भूल गया और उन्हें देख देखकर मजे लेता रहा, जब लगातार वे तीनों इस तरह आपस में चूमते ; जिस्मों को मिलाते और अपने जननांगो को आपस में रगड़ते रगड़ते थक गई तो तीनों नीचे बिछे गद्दे पर बिना कपडे पहने सीधी लेट गई. इतनी देर तक बैठे रहने के बाद मेरी थकान काम हो गई लेकिन उत्तेजना बढ़ गई.

उन तीनों के बदन पसीने से तर हो चुके थे. उनकी साड़ी ताकत लगभग समाप्त हो चुकी थी. मैंने मौके को ताड़ा और नीचे झुककर उन तीनो के नंगे जिस्मों को निहारने लगा. उनके नन्गे बदन पर पसीने की बूंदें मोतीयों जैसी लग रही थी. वैशाली को मैंने सबसे पहले लिया और उसके साथ आधा घन्टा संभोग करते बिताया. मारे थकान के मुझे कोई प्रतिरोध नहीं मिला. जैसा मैंने चाह वैसा करता रहा और वैशाली वैसे ही करवाती रही. इसी तरह गरिमा और सविता को भी आधे आधे घंटे तक खूब मेरे लिंग के रस से उनके जननागों को तरबतर किया. फिर हम चारों वहीँ आपस में लिपटकर सो गए.

अगले दिन मैंने फैक्ट्री में बीमारी का बहाना कर तीन दिन की छुट्टी ले ली. फिर इसके बाद शुरू हुआ हम चारों का खेल जो तीनों दिन सवेरे ; दोपहर; शाम और रात भर रुक रूककर जारी रहा. हमने कोई भी तरीका नहीं छोड़ा. हर तरह से अलग अलग पोजीशनों से संभोग किया. meri biwi lesbian story

तय कार्यक्रम के अनुसार देर शाम को रवि लौटने वाला था. आखिर में मैंने एक बार पहले की तरह सेक्स करने का तय किया. सोफे की गद्देदार सीट पर सबसे पहले गरिमा को बिठाया. फिर उसके ऊपर वैशाली को और फिर आखिर में सविता को बिहा दिया. गरिमा के सेने पर वैशाली की पीठ वाला हिसा था. वैशाली के सामने वाले हिस्से पर सविता की पीथ्वाला हिस्सा था.

मुझे तीनों के जननांग एक के ऊपर एक ऐसे नजर आ रहे थे जैसे रस से भरे हुए तीन कुंवे मेरे सामने मुझे ललचा रहे हों. मैंने घडी देखी रवि के आने में करीब दो घंटे बाकी थे. मैंने अपने जिस्म की सारी ताकत इकठ्ठा की और उन तीनों पर पिल गया, लगातार मैं उन तीनों के जननांग को एक के बाद एक थोड़ी थोड़ी देर के लिए अपने जननांग से भेदता रहा. उन तीनो को जबरदस्त मजा आया. करीब डेढ़ घंटे के बाद मैंने उन्हें छोड़ दिया. ये तीन दिन ऐसे निकले मानो लगातार चौबीसों घन्टे हम चारों रस के समन्दर में रहे हों.

करीब सात बजे रवि आ गया. सविता उसके साथ चली गई. अब धीरे धीरे सविता का आना काम होता चला गया. हम तीनों इस बात से खुश थे. मंग्ला ने बताया भी कि अब वो रवि को थोडा अधिक उत्तेजित करने में सफल हो रही है. अब सविता सप्ताह में एक बार आती और उस दिन हम चारों एक साथ मजा लूटते.

वैशाली की इच्छा रहती कि सविता ज्यादा आये. इसका कारण उसका लेस्बियन होना था. सविता का हम तीनों से करीब चार महीनो का रहा. फिर एक दिन अचानक मेरे फैक्ट्री के मालिक ने वापी के पास एक छोटे कसबे अतुल में उनकी नै लगने वाली फैक्ट्री का काम काज देखने के लिए मुझे वहां जाने के लिए कह दिया. गरिमा हमारे साथ आने के लिए तैयार हो गई.

सविता को पता चलते ही वो बहुत उदास हो गई. एक सात उसने रवि के सामने जोर कि घबराहट का नाटक किया और हमारे घर आ गई. हम उसका आना समझ गये. सारे रात हम चारों ने आखिरी बार एक साथ सेक्स का खेल खेला. सविता ने पूरी रात गज़ब कि हिम्मत दिखलाई और उसने मुझे अपने साथ कुल मिलाकर पांच बार संभोग करने पर मजबूर किया. meri biwi lesbian story

वैशाली और गरिमा ने भी उसके जननांग पर अपने जननांग का सफ़ेद गाढ़ा रस इतनी ही बार बहाकर उसकी पूरी प्यास को भरपूर बुझाया. सवेरे सात बजे तक हम जागते रहे और सारा खले चलता रहा. अंत में मैंने सविता को आखिरी बार अपने साथ लिया. मैंने सविता को पाने ऊपर सुलाया और उसके जननांग में अपना लिंग घुसकर सविता को हिलाकर उसके उस हिस्से को गहरा लाल कर दिया. करीब आठ बजे वो एकदम निढाल हो गई तो वैशाली और गरिमा उसके घर जा उसे छोड़कर आ गए.

हम लोग भरे दिल से बहुत ही मीठी मीठी यादों के साथ अतुल के लिए रवाना हो गए. सविता वैशाली और गरिमा के गले लग बहुत रोई. उसकी जिन्दगी हम तीनो के चलते ही संवरी थी. मैं वैशाली और गरिमा के साथ पूरे रस्ते यही दुआ करते रहे कि वहां हमारा मान लग जाए क्यूंकि अतुल एक बहुत ही छोटा क़स्बा था और केवल केमिकल की फेक्टारीयाँ थी.

हम अतुल रहने आ गए. हमारा नया घर इंडस्टरीअल क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूर बनी एक कोलोनी में था. छोटे छोटे बंगले बने थे. बहुत सुन्दर घर थे. हर घर के आगे और पीछे बगीचा बना था. करीब पचास के आसपास घर थे. इन पचास घरों में से करीब तीस ही भरे थे. बाकी खाली थे.

हमारे पड़ोस वाले बंगले में एक बंगाली परिवार था. मियाँ बीवी थे. राकेश और शालिनी चटर्जी. राकेश बहुत ही शक्की स्वभाव का था. शालिनी बहुत ही चुलबुली और मिलनसार. राकेश कला और अजीब दिखता था वहीँ शालिनी किसी हिरोइन से काम नहीं लगती थी. हमारे स्समने वाले घर में रहने वाली एक महिला ने वैशाली को बताया की राकेश बहुत पैसे वाला है इसलिए शालिनी की शादी उसके साथ कर दी. शालिनी ने भी पैसा देखा था.

लेकिन अब उसके शक्की स्वभाव के कारण बहुत परेशान रहती थी और दोनों में अक्सर झगडा होता रहता था. राकेश एक बड़ी कम्पनी में डायरेक्टर था. वो चौबीस घंटे में से लगभग सोलह सत्रह घंटे फैक्ट्री में ही रहता था. कभी कभी आधी रात के बाद आता और सवेरे जल्दी चला जाता. meri biwi lesbian story

बहुत जल्दी वैशाली और शालिनी की दोस्ती हो गई. गरिमा ने भी शालिनी से दोस्ती गाँठ ली थी. वैशाली ने शालिनी को गरिमा के बारे में बताते हुए कहा कि वो उसकी बचपन कि दोस्त है और एक मनोवैज्ञानिक है. हर समस्या वो सुलझाती है. बहुत जल्दी वैशाली; गरिमा और शालिनी की आपस में गहरी दोस्ती हो गई.

वैशाली के सुझाव पर मैंने एक घर के काम-काज के लिए नौकर रखने की इजाजत दे दी. हम तीनों ज्यादा से ज्यादा वक्त साथ में गुजारना चाहते थे. इसलिए ये फैसला लिया गया. पता चला की उस पूरी कोलोनी में केवल दो कामवालीयां आती है. वैशाली ने दोनों से बात की लेकिन बहुत काम लिया होने की वजह से कोई तैयार नहीं हुई.

गरिमा ने इधर उधर घूमकर एक कोई और कामवाली का पता लगा लिया. उसे रख लिया. उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो कामवाली है. गरिमा ने बताया कि उस औरत की लेडिज ड्रेस की दूकान है. वो यह दूकान शाम के बाद खोलती है. गरिमा ने उसे ना जाने कैसे पटाया कि वो घर का काम करने के लिए तैयार हो गई. उस औरत का नाम प्रियंका था. वो एक मछुआरन थी. उसकी उम्र चालीस के पार थी लेकिन मछुआरन होने के कारण उसका शरीर जबरदस्त गठा हुआ था. गरिमा भी इतनी गठीली होने के बावजूद प्रियंका के सामने कमजोर लगती थी. वो मछुआरन तरीकेवाली साड़ी पहनकर आती थी. लौंग वाली. यानी कि धोती कि तरह टांगों में कासी हुई.

पहली बार मैंने जब उसे देखा तो उसके घुटने के नीचे का हिस्सा यानि की उसकी पिंडलीयां ऐसे लगी कि उसे तुरंत अपने दांतों से काट खाऊं. उसका ब्लाउज का गला बहुत नीचे तक कटा हुआ था. उसके दोनों उरोज या स्तन गरिमा से भी डेढ़ गुना बड़े थे. उन दोनों के बीच कि रेखा मुझे भीतर तक रोमांचित कर गई. प्रियंका दोनों वक्त काम करने आती. meri biwi lesbian story

रविवार के दिन के लिए उसने कहा कि वो शाम को नहीं आएगी क्यूंकि उस दिन दूकान जल्दी खोलनी पड़ती है. शाम को चाय के बाद हम तीनों मूड में आ गए. हम तीनों बिस्तर में थे. हमारे बेडरूम कि एक खिड़की सड़क पर खुलती थी. जब हम तीनों आपस में मस्त थे तो उस खिड़की पर लगा पर्दा कभी कभी हवा में उड़ जाता हमें उसका पता ही नहीं था. प्रियंका को शायद कुछ समय मिल गया था इसलिए वो काम के लिए करीब छह बजे आ गई.

उसने दरवाजा खटखटाया लेकिन हम ऐसे खोये थे कि आवाज सुनाई ही नहीं दी. उसने तीन चार बार दरवाजा खटखटाया. लेकिन हम आपस में ही मस्त थे. प्रियंका को ध्यान में आते ही वो बेडरूम वाली खिड़की की तरफ आ गई. परदा हवा से हिल गया. उसने हम तीनों को हमबिस्तर देख लिया. वो हमें टकटकी लगाकर काफी देर तक देखती रही और मजा लेती रही. फिर शायद उसकी दूकान खुलने का वक्त हो गया तो वो चली गई.

नयी कामवाली ने हम तीनो को एक साथ चुदाई करते देख लिया था. अब वो किसी बता देगी या फिर हमारी टोली में शामिल हो जाएगी? इन धमाकेदार group lesbian stories का आखिरी भाग..

प्रियंका को शायद कुछ समय मिल गया था इसलिए वो काम के लिए करीब छह बजे आ गई. उसने दरवाजा खटखटाया लेकिन हम ऐसे खोये थे कि आवाज सुनाई ही नहीं दी. उसने तीन चार बार दरवाजा खटखटाया. लेकिन हम आपस में ही मस्त थे. प्रियंका को ध्यान में आते ही वो बेडरूम वाली खिड़की की तरफ आ गई. परदा हवा से हिल गया. उसने हम तीनों को हमबिस्तर देख लिया. वो हमें टकटकी लगाकर काफी देर तक देखती रही और मजा लेती रही. फिर शायद उसकी दूकान खुलने का वक्त हो गया तो वो चली गई. meri biwi lesbian story

अगले दिन उसने गरिमा को सारी बात बता दी. गरिमा ने उसे डांट दिया. प्रियंका ने गरिमा से कह दिया कि वो यह बात कोलोनी में सबको बता देगी. वैशाली ने बीच बचाव किया. वैशाली ने प्रियंका को अगले दिन अपने कमरे में बुलाया. वैशाली ने प्रियंका को बहुत समझाया. प्रियंका ने वैशाली से कहा ” आप तीनों जो भी कुछ करते हो मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है. मुझे को आपत्ति भी नहीं है. मैं इस दुनिया में अकेली ही हूँ.

मेरी शादी नहीं हुई है. अपने काम में इतना व्यस्त रहती हूँ कि औरत के शरीर कुआ भूख होती है मुझे कभी याद ही नहीं आया. सारा दिन घर घर जाकर कपडे बेचना. शाम को दूकान पर बैठना. बस यही जीवन लगता था. मुझे कई मर्द गलत निगाहों से देखते भी थे लेकिन मैंने किसी को भी घास नहीं डाली. हाँ, मैंने इतना जरुर किया कि मैंने अपने कपडे पहनने का ढंग ऐसा कर लिया कि मर्द अधिक से अधिक देखें और केवल ललचाते रहें. लेकिन कल जब आप तीनों को आपस में बिस्तर में देखा तो मेरे लिए यह पहला मौका था जब मैंने किसी औरत और मर्द को ऐसी स्थति में देखा था.

आप तीनों को एक साथ बिस्तर में देखकर अचानक मुझे अपने शरीर कि भूख याद आ गई. मैं सारी रात जागती रही और बिस्तर पर इधर उधर लेटती रही. तड़पती रही. बस एक काम कर दो आप. आप तीनों मुझे भी अपने साथ मिला लो. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी. ये मेरी धमकी नहीं है.मेरी आपसे प्रार्थना है. मुझे भी वो सुख दे दो जो एक औरत को मिलने से उसका जीवन सुखी हो जाता है,.” वैशाली प्रियंका कि बातें सुन भावुक हो गई. गरिमा ने भी उसकी बात सुनी थी. दोनों ने आपस में देखा और प्रियंका को हाँ कह दिया. meri biwi lesbian story

अगले दिन प्रियंका ने जब दोपहर का काम ख़त्म किया और जाने लगी तो गरिमा ने उसे रोका और बेडरूम में ले गई. गरिमा ने उसके सीने से साड़ी का पल्लू हटा दिया. प्रियंका का भरा हुआ सीना उसके ज्यादा खुले हुए गोलाकार गले से झाँकने लगा. दोनों स्तनों के बीच कि रेखा गरिमा को अन्दर तक भेद गई. गरिमा ने उसके दोनों स्तनों को अपने होंठों से चूम लिया. प्रियंका का शरीर हिल गया. उसके शरीर को पहली बार इस तरह से छुआ गया था.

प्रियंका थोडा कसमसाने लगी. गरिमा ने उसे पानी बाहों में लेते हुए कहा ” आज तुम मेरे और वैशाली के साथ आ जाओ. हम दोनों तुम्हें सब सिखा देंगे. कल तुम हम तीनों के साथ हो लेना.” प्रियंका तैयार हो गई. गरिमा ने वैशाली के साथ मिलकर प्रियंका के साथ कई लेस्बियन क्रियाएं की. प्रियंका को बहुत शान्ति और आराम पहुंचा. रात को वैशाली और गरिमा ने मुझे प्रियंका का पूरा किस्सा बयान कर दिया.

मेरे लिए अब ये सब कुछ सामान्य तो था ही साथ ही साथ मेरी आदतों में शुमार होता जा रहा था. मैं अब अगले दिन एक नए शिकार के आने कि बेसब्री से राह देखने लगा. कल शनिवार था. शनिवार के दिन मैं थोडा जल्दी आ जाता और हम तीनों थोडा साथ साथ घूम आते. मैं करीब तीन बजे घर पहुँच गया. वैशाली ने मुझे बताया कि प्रियंका आ चुकी है. इसलिए आज का बाहर जाने का कार्यक्रम रद्द . मैं भी हाँ कर गया. meri biwi lesbian story

मैंने जब बेडरूम में झाँका तो गरिमा प्रियंका के साथ बैठी थी. मैं भी वहीँ आ गया. प्रियंका बहुत खुश नजर आ रही थी. उसका सांवला लेकिन अछुता चेहरा बहुत चमक रहा था. हम सभी ने एक दूसरे के कपडे खोल दिए. केवल अंतर्वस्त्र ही रह गए थे. मैंने प्रियंका का सीना देखा. मैं अंदाज लगाने लगा कि डी साइज़ की ब्रा है या फिर ई साइज़ की. प्रियंका के स्तन सच में बहुत ही ज्यादा बड़े थे. वे उसकी ब्रा में फिट नहीं हो रहे थे.

मैं देखता ही रह गया. मैं उसके पास चला गया. अपने हाथों से जब उसके स्तनों को छुआ तो ऐसा लगा जैसे मैं कई इंच मोटे स्पंज के गद्दे पर अपना हाथ रखा हूँ. मैंने उसे अपनी तरफ लिया और अपने से लिपटा लिया. अब मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उसी गद्दे पर उलटा लेट गया हूँ. मैं उसके गालों को चूमने लगा. प्रियंका ने भी मेरे गालों को चूमा. फिर मैंने एकदम से ही उसके होंठ जोरों से चूस लिए. उसके होंठ आज तक अछूते थे. मैंने करीब तीन मिनट तक उन होंठों से भरपूर रस खींचा. अब मैंने प्रियंका की पैंटी उतार कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.

मैं भी अब अपने इन्दर वेअर उतारकर उसके ऊपर लेट गया. मैंने अपना लिंग उसे और उसके स्तनों को चूम चूमकर एकदम कड़ा कर लिया और उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. थोड़े से संघर्ष के बाद मेरा लिंग उस गीले और रस से भरे हुए कुंवे में था. प्रियंका मचल उठी. उसे बहुत ही सुख पहुंचा था. वैशाली और गरिमा उसके करीब आ गई. वे दोनों रह रहकर उसके होंठ चूमती और उसे और अधिक उत्तेजित करती. meri biwi lesbian story

जैसे जैसे वो उत्तेजित होती गई मैंने वैसे वैसे और अधिक जोर से अपने लिंग से उसके जननांग पर हमला जैसा बोल दिया. प्रियंका गज़ब की मजबूत और हौसले वाली निकली. ये उसका पहला संभोग था लेकिन उसने मेरा पहली बार में ही लगातार एक घंटे तक डटकर मुकाबला किया. प्रियंका के बाद मैंने वैशाली और गरिमा के साथ भी हमेशा की तरह संभोग किया. प्रियंका ने इसका भी पूरा मजा उठाया. हमने इसके बाद एक और दौर किया. इसमें मैंने तीनों को लिटाकर एक के बाद एक बारी बारी से अपने लिंग से भेदा.

इस दौर के बाद हम फ्रेश होने के लिए नहाने लगे. प्रियंका ने रात को रुकने की इच्छा जाहिर की. मैंने हामी भर दी. पहले हम खाना खाने बैठे. खाने के बाद गरिमा का मनपसंद इट एंड किस किया. सभी आइसक्रीम खाते खाते एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ डालकर उसकी आइसक्रीम खाते और खिलाते. इस दौरान प्रियंका एक बार बेकाबू हो गई.

रात को भी मैंने तीनों के साथ संभोग के लम्बे लम्बे दो दौर किये. रात को कोई डर नहीं था इसलिए मैं रुक रुक कर लिंग डालता , फिर निकालता और फिर डालता. इससे लम्बे समय तक आनंद मिलता रहा. प्रियंका की तो एक तरह से सुहागरात ही मन गई थी. देर रात तीन बजे तक हम संभोग करते रहे. इसके बाद हम एक ही बिस्तर में आपस में पूरी तरह से लिपटकर सो गए. सवेरे प्रियंका की आँख जल्दी खुल गई.

उसने एक बार फिर मुझसे संभोग की फरमाइश की. मैंने प्रियंका के साथ पिछले बारह घंटे के अन्दर चौथी बार संभोग किया था. वैशाली और गरिमा अभी भी सो रही थी. मैं उनसे लिपटकर सो गया. प्रियंका ने कहा कि वो अब जा रही है. प्रियंका दरवाजा खोलकर बाहर निकली. उस वक्त सवेरे के आठ बज रहे थे. राकेश ऑफिस जा रहा था. शालिनी उसे छोड़ने बाहर आई हुई थी. उसने प्रियंका को हमारे घर से निकलते देखा तो वो चौंक गई. उसने फिर प्रियंका के अस्तव्यस्त कपड़ों और बिखरे बालों तथा चेहरे के भावों से बहुत कुछ अंदाजा लगा लिया.

उसने हमारे बेडरूम की खिड़की के पास आकर थोडा जोर लगाकर दरवाजे को अन्दर धकेला तो दरवाजा खुल गया. सवेरे कि रौशनी में शालिनी ने हम तीनों को पूरी तरह से नग्नावस्था में एक दूसरे से लिपटे हुए देख लिया. उसका दिमाग तेजी से दौड़ने लगा. वो कुछ देर वहीँ पर खड़ी रही. इस बीच वैशाली और गरिमा भी जग गए थे. मैंने एक बार फिर उन दोनों को पास पास लिताकत उन पर लेटकर संभोग करने लगा. आज रविवार होने कि वजह से छुट्टी थी और मैं पूरी तरह से मजा ले रहा था. शालिनी ने जब मुझे इस तरह वैशाली और गरिमा के साथ संभोग करते देखा तो उसका दिल ना जाने क्यूँ बहुत तेज धडकने लग गया. वो काफी देर तक हमें देखती रही फिर चली गई. meri biwi lesbian story

सवेरे नाश्ते के बाद मैं बाहर अखबार पढ़ रहा था. शालिनी मेरे पास आई. हमने एक दूजे को नमस्ते किया. शालिनी ने बड़ी ही बेशर्मी के साथ मुझसे पूछा ” प्रियंका रात को आपके वैशाली और गरिमा के साथ एक ही बिस्तर में सोई थी क्या? मैंने उसे बाहर निकलते देखा तो उसकी हालत से मुझे सब पता चल गया. फिर आपके बेडरूम की खिड़की से मैंने आपको वैशाली और गरिमा के साथ सब कुछ करते देख लिया.

आप तो बहुत ही किस्मत वाले हो. कहाँ तो लोग एक अच्छी रात के लिए तरस जाते हैं और कहाँ एक मर्द तीन तीन औरतों के साथ लगातार बारबार संभोग करता है. मुझे आज ऐसा लग रहा है कि आपकी किस्मत में एक नहीं ; दो नहीं ; तीन नहीं बल्कि चार चार औरतों का एक साथ रात बिताने का सुख लिखा हुआ है. वो चौथी औरत मैं हूँ. मैं सबको बता दूंगी अगर आपने मुझे अपने साथ नहीं सुलाया तो. राकेश बहुत ही ठंडा आदमी है. शादी के तीन साल के बाद भी मैं एक भी रात ऐसी नहीं गुजारी जैसी आप हर रोज गुजारते हो. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. meri biwi lesbian story

हम सब खूब मौजमस्ती करेंगे. मेरे ख़याल से आपको कोई ऐतराज नहीं होगा.तो क्या हम आज दोपहर से ही यह खेल श्रुरू कर सकते हैं?” एक ही सांस में शालिनी कि इस बात ने मुझे कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं रखा. गरिमा और वैशाली ने भी शालिनी की सारी बात सुन ली थी. वैशाली ने बाहर आकर शालिनी से कहा ” हमें कोई ऐतराज नहीं है मोनू. हम तो ऐसे सभी की ज़िन्दगी और सेक्स लाइफ को रंगीन बनाने का काम करते हैं. तुम्हारा दोपहर को जबरदस्त स्वागत किया जाएगा.” शालिनी मुस्कुराते हुए चली गई. मैं सोचने लगा कि अब क्या चार चार को कैसे संभालूँगा.

दोपहर में शालिनी आ गई. उसने आते ही एक मुस्कान मेरी तरफ फेंकी. कुछ ही देर में मैं वैशाली और गरिमा को लेकर शालिनी के साथ बेडरूम में था. शालिनी की मैंने भरपूर प्यास बुझाई. लगातार दो घंटे तक मेरा लिंग शालिनी के जननांग के अन्दर बाहर होता रहा. जब शालिनी ने अपने थक जाने का संकते किया तब वैशाली और गरिमा की बारी आई. शालिनी दुबारा मेरे साथ हुई लेकिन तभी उसे अपने घर के बाहर कार के रुकने कि आवाज आई.

गरिमा ने देखा और बताया कि राकेश आ गया है. उस वक्त मेरा लिंग शालिनी के जननांग के काफी अन्दर तक गया हुआ था और शालिनी बहुत आनंद में थी. उसने मुझसे कहा ” कुछ देर तक जारी रखो. उसके पास दूसरी चाबी है. मैं थोड़ी देर के बाद चली जाऊंगी.” राकेश दरवाजा खोल भीतर चला गया. शालिनी इसके बाद करीव आधा घंटा और मेरे संग आनंद में रही. उसके बाद कपडे पहनकर अपने घर चली गई. meri biwi lesbian story

शालिनी के बाद हम तीनो ( मैं ; वैशाली और गरिमा ) संभोग में जुट गए. शाम को जब हम काफी मजा ले चुके तो अलग हो गए. करीब सात बजे प्रियंका आई. उसने कहा कि आज कोई फैक्ट्री से उस इलाके में गैस लीक हुई इसलिए बाजार आठ बजे से ही खुलेगा. उसे अपनी इच्छा पूरी करवानी थी. दोपहर से शाम तक करीब चार घंटे मैं शालिनी; वैशाली और गरिमा के साथ संभोग से पूरी तरह थक गया था. लेकिन प्रियंका का गठीला जिस्म भी छोड़ना नहीं चाहता था. वैशाली और गरिमा रात के खाने की तैय्यारी में थी. मैं प्रियंका के साथ सोफे पर ही शुरू हो गया. आधे घंटे तक मैंने प्रियंका की प्यास बुझाई. प्रियंका लौट गई.

खाने के बाद हम तीनों थोडा टहलने के लिए घर के बाहर निकल गए. जब हम टहलने के बाद घर लौट रहे थे तो मैंने देखा कि राकेश एक बार फिर शायद फैक्ट्री जाने के लिए गाडी में बैठ रहा है. जैसे ही राकेश की कार रवाना हुई शालिनी हमारे साथ ही हमारे घर में आ गई. शालिनी मेरे साथ हो गई. हम एक दूजे को केवल चूम रहे थे. इसका कारण दिन भर का संभोग का खेल था. वैशाली और गरिमा भी आपस में लिपटे इसी तरह चूम रहे थे. हम फिर चारों एक साथ हो गए और चूमने लगे. यह काफी देर तक धीरे धेरे चलता रहा. शालिनी ने कहा कि राकेश अब सवेरे ही लौटेगा.

जैसे जैसे रात जवान होने लगी वैसे वैसे एक बार फिर हम पर नशा चढ़ने लगा था. हवा बहुत ठंडी चल रही थी मैंने बेडरूम में अँधेरा कर सारी खिड़कियाँ खोल दी. करीब ग्यारह बजे हम बिस्तर में घुस गए. हम सभी ने सारे कपडे उतार दिए. ठंडी हवाओं ने माहौल बहुत सुहावना और मदमस्त कर दिया. वैशाली; गरिमा और शालिनी आपस में लिपट लिपट कर इधर उधर एक दूसरे को गिराकर खेलने लगी.

बरामदे की नाईट लेम्प की रौशनी में उनके इस खेल से मेरे जिस्म में भी सुरसुरी पैदा कर दी. मैं भी अब उनके साथ शामिल हो गया. मैं उनमें से किसी एक को अपने करीब लेकर नीचे बिस्तर पर धक्का देता. फिर कोई भी दूसरी उस पट गिरकर उसे चूमने लग जाती. जो गिरती वो उस दूसरी से अपने को बचाने का प्रयास करती. यह खेल हमारी दोपहर से शाम तक में हुई थकान को मिटाकर एक नै भूख और उर्जा भर रहा था. meri biwi lesbian story

करीब साढे बारह बजे थे. बेडरूम कि सदक्वाली खिड़की में से प्रियंका की आवाज आई ” वैशालीजी; दरवाजा खोलिए मैं हूँ प्रियंका.” हम सभी और भी खुश हो गए प्रियंका के भी आने से. गरिमा ने दरवाजा खोल प्रियंका को भीतर ले लिया. प्रियंका को जब शालिनी के आने का पता चला तो वो बहुत खुश हुई. उसे राकेश के बारे में सब पहले से ही पता था. प्रियंका भी अब अपने सभी कपडे उतार हमारे इस खेल में शामिल हो गई. एक बजे के करीब वैशाली ने मुझे कसकर पकड़ा और अपने ऊपर लेटने को कहा. मैंने वैशाली के साथ संभोग करना शुरू किया.

गरिमा ने शालिनी को लिटाकर उसकी टांगें फैलाकर उसके जननांग पर अपना जननांग ले जाकर दोनों को आपस में रगड़ना शुरू किया. शालिनी के लिए यह पहला अनुभव था. उसे बहुत ही मजा आया. प्रियंका ने अब गरिमा को लेकर अपने जननांग को उसके जननांग से रगडा. शालिनी को बहुत मजा आ रहा था. उसे उत्तेजना को काबू में नहीं लाना आया. उसने एक तकिये को अपनी टांगों के बीच में दबाया और इधर उधर लोटने लगी. मैंने वैशाली को छोड़ा और शालिनी को ले लिया और जल्दी ही उसके गुदगुदे गीले कुंवे में मेरा लिंग फंस गया.

वैशाली आराम कर रही थी जबकि गरिमा और प्रियंका का खेल जारी था. शालिनी के बाद अब गरिमा मेरी गिरफ्त में थी. गरिमा ने अपने जननांग को तीनों के जननांग के साथ बहुत रगडा था इसलिए आज उसका गुदगुदा जननांग आज बहुत ही गीला और रस से लबालब भरा हुआ था. मैंने बहुत तेजी से अपना कड़क हुआ लिंग बहुत ही भीतर तक धकेल दिया. गरिमा इस जोर के एक ही झटके में जैसे पस्त हो गई. उसे एक असीम संतोष मिला. प्रियंका अब शालिनी के साथ लिपट गई और दोनों के जननांग आपस में एकदम करीब से सट गए. दोनों के होंठ भी एक दूसरे से सट गए.

हर तरफ रंगीन और रस से भरा हुआ माहौल था. मैंने एक एक कर चारों के गाढे रस से लबालब भरे कुओं को अंतिम गहराई तक दो दो बार भेद चुका था. वे चारों पूरी तरह से पस्त पड़ी थी और मैं भी. देर रात के करीब दो बज गए थे. हम सब को नींद भी आ गई. हम सभी एक ही डबल बेड पर आपस में लिपट कर सोये हुए थे. meri biwi lesbian story

सवेरे करीब साढे छह बजे थे कि अचानक रात भर चलती ठंडी हवाएं तेज बारिश में बदल गई. हमारे घर के पिछले वाले बगीचे और कमरे के बीच एक खुला चौक था. मैंने सभी जगा दिया. हम सभी उसी नग्नावस्था में उस चौक में आ गए. बहुत जोरों से बारिश हो रही थी. इस वक्त तक अच्छी खासी रौशनी हो जाती है लेकिन गहरे काले बादलों कि वजह से रौशनी बहुत काम थी. हम उस बारिश में नहाने लगे. meri biwi lesbian story

एक दूसरे के ऊपर गिरकर बहनेवाले पानी को सभी आपस में चाटने लगे. बहुत मजा आ रहा था. वैशाली को ना जाने क्या सुझा कि उसने उस चौक में नाली को एक कपडे बंद कर दिया. घर के ऊपर कि छत का सारा पानी भी उसी चौक में गिर रहा था. बारिश मुसलाधार थी. चौक थोडा नीचा था इसलिए उसके चारों तरफ करीब डेढ़ फुट की दीवार थी. उस चौक में अब पानी भरने लग गया. थोड़ी ही देर में पूरा चौक लबालब भर गया.

गरिमा और प्रियंका उसमे पानी उछालकर नहाने लगे. मैंने वैशाली को पाने से लिपटाया और पानी के अन्दर ही सम्भोग करने लगा. अब थोड़ी रौशनी भी हो गई थी. हम सब के नंगे जिस्म साफ़ साफ़ दिख रहे थे. मुझे और वैशाली को पानी से भरे तालाब में संभोग करता देख सभी को करने कि इच्छा हो गई. मैंने एक बार फिर सभी के साथ संभोग किया. पानी के अंदर हम सभी को बही गुदगुदी हो रही थी लेकिन मजा उससे कहीं ज्यादा आ रहा था. meri biwi lesbian story

सभी के संभोग के बाद हम पानी में घुटनों के बल एक दूसरे से सट कट बैठ गए और बारी बारी से फ्रेंच किस करने लगे. बरसता पानी और उस पर फ्रेंच किस. उत्तेजना हद से ज्यादा बढ़ गई. प्रियंका ने गरिमा के साथ जो फ्रेंच किस किया वो सबसे ज्यादा हॉट और सेक्सी था.

गरिमा ने प्रियंका के मुंह को पूरा खुलवाया और उसमे अपनी पूरी जीभ अन्दर ले गई और उसे अन्दर फिरा फिरा कर प्रियंका की जीभ के गीलेपन को चूसने लगी. प्रियंका ने भी यही दोहराया. अब तो सभी ने आपस में यह किस किया. आखिर में हम पाँचों ने एक दूसरे को कास कर पकड़ा. फिर एक साथ हम सभी अपनी अपनी जीभें निकाली और सभी ने आपस में टाच करा दी.

मैंने अब सभी को अलग होकर अपने अपने घर जाने को कहा. एक यादगार रात और दिन बीत गया था. meri biwi lesbian story

हम पाँचों का यह खेल लगभग दो महीने तक और चला. एक दिन राकेश ने शालिनी को मेरे बेडरूम में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. उन दोनों का आपस में बहुत झगडा हुआ. राकेश का मुझसे भी झगड़ा हुआ. धीरे धीरे यह बात उस पूरी कोलोनी में सब को पता चल गई. सभी हम तीनों को घृणा की नजर से देखने लगे. मैंने आनन् फानन में वो नौकरी छोड़ दी. मुझे दो दिन के अन्दर ही दमन में नौकरी मिल गई. मैं वैशाली और गरिमा के साथ वहां के लिए रवाना होने लगा. प्रियंका भरी आँखों से हमसे मिलने आई. उसने कहा ”

मैं भी जानती हूँ कि जो भी हम करते रहे हैं वो गलत है और अवैध है. लेकिन हम अपनी ख़ुशी के लिए कर रहे हैं. हम आपस में मिलकर आपनी समस्या सुलझा लेते हैं तो इसमें लोगों को कोई आपत्ति क्यूँ. मैं भी आपके साथ ही रहूंगी. मेरी जरूरतें आप तीनों से ही पूरी होनी है. जिस तरह से आप रहोगे मैं भी वैसे ही आपके साथ रह लुंगी. ” वैशाली ने मुझसे कहा ” गरिमा जिस तरह मेरे लिए एक मनोवैज्ञानिक बन कर साथ रह रही है उसी तरह प्रियंका मेरी आया बनाकर मेरे साथ रह लेगी. नयी जगह किसी को कोई शक नहीं होगा.” हमने प्रियंका को भी अपने साथ ले लिया.

हम आज दमन में आज पिछले चार महीनो से रह रहे हैं. वैशाली ; गरिमा और प्रियंका आपस में मिलजुलकर रहती हैं. कभी कोई झगडा नहीं होता. मैं तीनों को पूरी तरह से संतुष्ट रखता हूँ. उनकी सारी सेक्स कि इच्छाएं पूरी करता हूँ. meri biwi lesbian story

————समाप्त————

हमारे घर के सामने समुन्द्र का किनारा है. वहां बड़ा बाज़ार है. उस बाज़ार और हमारे घर के बीच के मसाज पार्लर है. उस मसाज पार्लर के और भी बहुत से किस्से है लेकिन वो सब फिर कभी.. ये group lesbian stories यहीं समाप्त करता हूँ… कैसी लगी, बताइयेगा..

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