Naukar naukrani maa village sex kahani
जब मैं शहर से वापिस अपने गाँव पंहुचा तो मुझे अपने घर का माहौल थोडा अजीब लगा। ऐसा लग रहा था की घर के नौकर मुझे लेकर कुछ मेरी माँ से माँगना चाह रहे थे। पर क्या? जानिए इस naukar naukrani maa village sex kahani में..
जब यह सब मादक घटनाएं घटना शुरू हुईं तब मैं काफी छोटा था। अभी अभी किशोर अवस्था में कदम रखा था। गाँव के बड़े पुश्तैनी मकान में मैं कुछ ही दिन पहले माँ के साथ रहने आया था। नौ साल की उम्र से मैं शहर में मामा के यहाँ रहता था और वहीँ स्कूल में पड़ता था। तब गाँव में सिर्फ प्राइमरी स्कूल था , इसलिए माँ ने मुझे पढने शहर भेज दिया था। अब गाँव में हाई स्कूल खुल जाने से माँ ने मुझे यहीं बुलवा लिया था कि दसवीं तक की पूरी पढाई मैं यहीं कर सकूँ।
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घर में माँ, मैं हमारा जवां 22 साल का नौकर राजू और उसकी माँ चमेली रहते थे। चमेली हमारे यहाँ घर में नौकरानी थी। चालीस के आस पास उम्र होगी। घर के पीछे खेत में एक छोटा मकान रहने को माँ ने उन्हें दे दिया था। जब मैं वापस आया तो माँ के साथ साथ चमेली और राजू को भी बहुत ख़ुशी हुई। मुझे याद है कि बचपन से चमेली और राजू मुझे बहुत प्यार करते थे। मेरे सारी देखभाल बचपन में राजू ही किया करता था।
वापिस आने के दो दिन में ही मैं समझ गया था कि माँ राजू और चमेली को कितना मानती थी। वे हमारे यहाँ बहुत सैलून से थे। मेरे जन्म के भी बहुत पहले से। असल में माँ उन्हें शादी के बाद मायके से ही ले आई थी। अब मैंने महसूस किया कि माँ की उनसे घनिष्टता और बढ़ गयी थी। वे उनसे नौकर जैसा नहीं बल्कि घर के सदस्य जैसा बर्ताव करती थी। राजू तो माँ जी मां जी कहता हमेशा उसके आगे पीछे घूमता रहता था।
घर का सारा काम माँ ने चमेली के सपुर्द कर रखा था। कभी कभी चमेली माँ से ऐसे पेश आती थी। जैसे चमेली नौकरानी नहीं बल्कि माँ की जेठानी हो। कई बार वो माँ पर अधिकार जताते हुए उनसे डांट डपट भी करती थी। पर माँ चुपचाप मुस्कराकर सब सहन कर लेती थी। इसका कारण मुझे जल्दी ही पता चल गया। जब से मैं आया था तब से चमेली और राजू मुझपे ख़ास ध्यान देने लगे थे। चमेली बार बार मुझे पकड़ कर सीने से लगा लेती थी और चूम लेती।
“मुन्ना, बड़ा प्यारा हो गया है तू , बड़ा होकर अब और खूबसूरत लगने लगा है , बिलकुल छोकरियों जैसे सुन्दर है, गोरा चिकना” चमेली कहती।
माँ यह सुनकर अक्सर कहती, “अरे अभी बहुत छोटा बच्चा है , बड़ा कहाँ हुआ है।”
तो चमेली कहती, “हमारे काम के लिए काफी बड़ा है , मालकिन” और आँखें नचाकर हंसने लगती। माँ फिर उसे डांट कर चुप करा देती। चमेली की बातों में छुपा अर्थ बाद में मुझे समझ में आया। राजू भी मेरी और देखता और अलग तरीके से हँसके बोलता naukar naukrani maa village sex kahani
मुन्ना नहला दूं? बचपन में मैं ही नह्लाता था तुझे। मैं नराज होकर उसे डांट देता। वैसे बात सही थी। मुझे कुछ कुछ याद था कि बचपन में राजू मुझे नंगा करके नह्लाता था। तब वो 15 साल का होगा। मुझे वो कई बार चूम भी लेता था। मेरी लुल्ली और चूतडों को वो खूब साबुन लगाकर रगड़ता था और मुझे वो बड़ा अच्छा लगता था। एक दो बार खेल खेल में राजू मेरी लुल्ली और चुतड चूम भी लेता और फिर कहता कि मैं माँ से ना कहूँ। वो मुझे इतना प्यार करता और दिन भर मेरे साथ खेलकर मेरा मन बहलाता रहता इसलिए मैं चुप रहता था।
वैसे चमेली की यह बात सच थी कि अब मैं बड़ा हो गया था। माँ को भले ना मालूम हो पर चमेली ने शायद मेरे तने लंड का उभार पेंट में से देख लिया होगा। इस कमसिन उम्र में भी मेरा लंड खड़ा होने लगा था और पिछले ही साल से मेरा मुठ मारना भी शुरू हो गया था। शहर में मैं गंदी किताबें चोरी से पड़ता था और उनमें कई नंगी औरतों की तस्वीरें देख कर मूठ मारता। बहुत मजा आता था औरतों के प्रति मेरी रूचि बहुत बढ़ गयी थी। खास कर बड़ी खाए पिए बदन की औरतें मुझे बहुत अच्छी लगती थी।
गाँव आने के बाद गंदी किताबें मिलना बंद हो गया था। इसलिए अब मैं मन के लड्डू खाते हुए तरह तरह की औरतों के नंगे बदन की कल्पना करते हुए मूठ मारा करता था। आने के बाद माँ के प्रति मेरा आकर्षण बहुत बढ़ गया था। सहसा मैंने महसूस किया था कि मेरी माँ एक बड़ी मतवाली नारी थी। उसके इस रूप का मुझ पर जादू सा हो गया था। शुरू में एक दिन मुझे अपराधी जैसा लगा था। पर फिर लंड में होती मीठी टीस ने मेरे मन के सारे बंधन तोड़ दिए थे।
मेरी माँ दिखने में साधारण सुन्दर थी। भले ही बहुत रूपवती ना हो पर बड़ी सेक्सी लगती थी। 35 साल की उम्र होने से उसमें एक पके फल सी मिठास आ गयी थी। थोडा मोटा खाया पिया गोरा चिट्टा मांसल शरीर , गाँव के स्टाइल में जल्दी जल्दी पहनी ढीली ढीली साड़ी,चोली और चोली में से दिखते सफ़ेद ब्रा में कसे बड़े बड़े मुम्मे , इनसे वो बड़ी चुदैल सी लगती थी , बिलकुल मेरी ख़ास किताबों में दिखाई गईं चुदैल रंडियों जैसी। naukar naukrani maa village sex kahani
मैंने तो अब उसके नाम से मूठ मारना शुरू कर दिया था। अक्सर धोने को डाले हुए उसकी ब्रा या पैंटी मैं चुप चाप कमरे में ले आता और उसमें मूठ मारता। उन कपड़ों में से आती उसके शरीर की सुंगंध मुझे मतवाला कर देती थी।
एक दो बार मैं पकडे जाते हुए बचा। माँ को अपनी पैंटी और ब्रा नहीं मिले तो वो चमेली को डांटने लगी। चमेली बोली कि माँ ने धोने डाली ही नहीं। किसी तरह से मैं दुसरे दिन उन्हें फिर धोने के कपड़ों में छुपा आया। चमेली को शयद पता चल गया था क्योंकि माँ की डांट खाते हुए वो मेरी और देखकर मंद मंद हंस रही थी पर कुछ बोली नहीं बस माँ को बोली , “आजकल आपके कपडे ज्यादा मैले हो जाते हैं मालकिन , ठीक से धोने पड़ते हैं”।
मेरी जान में जान आई। मुझे ज्यादा दिन प्यासा नहीं रहना पड़ा। माँ वास्तब में कितनी चुदैल और छिनाल थी और घर में क्या गुल खिलते थे। यह मुझे जल्द ही मालूम हो गया। मैं एक दिन देर रात को अपने कमरे से पानी पीने को निकला। उस दिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। माँ के कमरे से कराहने की आवाजें आ रही थी। मैं दरवाजे से सट कर खड़ा हो गया और कान लगाकर सुनने लगा , सोचा माँ बीमार तो नहीं हैं।
आहा… मर गयी रे…. चमेली… तू मुझे मार डालेगी आज …उइइइइ सीसीसी…. माँ की हल्की चीख सुनकर मुझे लगा कि ना जाने चमेली , माँ को क्या यातना दे रही है। इसलिए मैं अन्दर घुसने के लिए दरवाजा खटखटाने ही वाला था कि चमेली कि आवाज़ आई, “मालकिन , नखरे मत करो , अभी तो सिर्फ ऊँगली ही डाली है आपकी चूत में , रोज की तरह जीभ डालूँगी तो क्या करोगी” ? naukar naukrani maa village sex kahani
“अरे पर आज कितना मीठा मसल रही है , मेरे दाने को छिनाल जालिम , कहाँ से सीखा ऐसा दाना रगड़ना”?, माँ करहाते हुए बोली।
“राजू सीख कर आया है, शहर से शायद वो ब्लू फिल्म देख कर आया है , कल रात को मुझे चोदने के पहले बहुत देर तक मेरा दाना मसलता रहा हरामी , इतना झड़ाया मुझे कि मै पस्त हो गयी,” चमेली की आवाज़ आई।
तभी कल मुझे चोदने नहीं आया बदमाश , अपनी माँ को ही चोदता रहा,।तू तो दिन रात चुदती है अपने बेटे से तेरा मन नहीं भरता ? रोज रात को पहले मेरे ले आया कर उसे , तुझे तो मालूम है कि उसकी रात की ड्यूटी मेरे कमरे में है , तू भी रोज आ जाया कर , सब मिलकर चुदाई करेंगे, हफ्ते में एक बार चुद कर मेरा मन नहीं भरता चमेली बाई , चल अब चूस मेरी चूत ज्यादा ना तडपा।
“मैं तो रोज आ जाऊं मालकिन , पर अब मुन्ना आ गया है , जरा छुपा कर करना पड़ता है”, चमेली बोली।
“अरे वो बच्चा है , जल्दी सो जाता है , अब चूस ले मेरी चूत को, मत तडपा मेरी रानी, अपनी मालकिन को”, माँ करहाते हुए बोली। naukar naukrani maa village sex kahani
यह सब सुनकर मैं बहुत गर्म हो गया था। दरवाजे से अन्दर झाँकने की कोशिश की , पर कोई छेद या दरार नहीं थी। आखिर अपने कमरे में जाकर दो बार मुठ मारी। तब शान्ति मिली। एक दो बार मैंने लेस्बियन वाली कहानियां पढी थी। पर चित्र नहीं देखे थे। इसलिए मन ही मन में कल्पना कर रहा था कि माँ और चमेली की रति कैसी दिखती होगी।
अब मैं इस ताक में रहता था कि रात को कौन माँ के कमरे में आता है। यह देखूं राजू कभी ना कभी आएगा और माँ को चोदेगा। इस बात से मैं ऐसा गरमाता कि समझ में नहीं आ रहा था , कि क्या करूं? माँ के साथ साथ अब चमेली बाई के नंगे बदन की कल्पना भी करने लगा। चालीस साल उम्र होने के बावजूद चमेली बाई का शरीर काफी छरहरा और तंदरुस्त था। सांवली जरुर थी, पर दिखने में काफी ठीक लगती थी। दोपहर को उसके नाम की भी मैंने मूठ मार ली।
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दुसरे दिन भी रात में चमेली माँ के कमरे में आई पर अकेले। उस रात मैं चुपचाप माँ के कमरे तक गया और कान लगाकर अन्दर की बातें सुनने लगा। naukar naukrani maa village sex kahani
“कल ले आउंगी राजू को अपने साथ बहू रानी , वो जरा काम में था , खेतों को भी तो देखना पड़ता है , अब चुपचाप मेरी चूत चूसो, खुद तो चुसवा लेती हो , मैं क्या मूठ मारूं? कल राजू ने भी नहीं चोदा” , चमेली बोली।
कुछ देर की खामोशी के बाद चमेली बोली , “हाँ ऐसे चूसो मालकिन , अब आया मजा , जरा जीभ अन्दर तक डालो, देखो आपकी नौकरानी की चूत में क्या माल है, तुम्हारे लिए और तुम्हें पसंद है, यह मुझे मालूम है , कई बार तो चख चुकी हो”।
मैं समझ गया। राजू के लंड का लालच देकर आज चमेली माँ से खूब चूत चुसवा रही थी। कुछ ही देर में चमेली के कराहने की आवाज आने लगी और फिर वो चुप हो गई। साली झड गयी थी शायद।
“अच्छा लगा मेरी चूत का पानी मालकिन? मैं तो पहले ही कहती थी कि रोज चखा करो , अब रोज चूसवाउंगी आप से” , बोलकर चमेली फिर सिस्कारियां भरने लगी। naukar naukrani maa village sex kahani
कुछ देर बाद चमेली बोली, “बहू रानी अब मुन्ना भी आ गया है , उससे भी चुदवा के देखो , घर का लड़का है , कब काम आएगा? अब मैं या राजू , किसी दिन ना हों आपकी सेवा के लिए , फिर भी प्यासा रहने की जरुरत नहीं है तुम्हें”।
मेरे कान खड़े हो गए। मेरी बातें हो रही थी। लंड भी उछलने लगा था। माँ कुछ देर चुप रही। फिर थोड़ी शर्मा कर बोली, “अरे अभी छोटा है प्रणव , बच्चा है और फिर मेरे बेटे से ही मैं कैसे चुद्वाऊं” ?
“वाह मालकिन , मेरे बेटे से चुदती हो, मेरे और मेरे बेटे की चुदाई में बड़ा रस लेती हो और खुद के बेटे की बात आयी तो शर्मा रही हो , मुझे देखो अपने बेटे से चुदाकर क्या सुख पाती हूँ , बड़ा प्यारा छोकरा है अपना मुन्ना और छोटा वो तो कुछ नहीं है, रोज सडका लगाता है बदमाश, मुझे पता है , मैं कपडे धोती हूँ उसके और तुम्हारे भी , तुम्हारी ब्रा कई बार कड़ी रहती है, उसमें दाग भी रहते हैं , कौन मूठ मारता होगा उसमें? राजू तो नहीं मारता , यह मैं जानती हूँ और उस दिन तुम मुझ पर चिला रही थी , तुम्हारी ब्रा और पैंटी नहीं मिले , इसलिए कौन बदमाश उन्हें ले गया था बताओ तो” ? चमेली हँसते हुई बोली।
कुछ देर कमरे से सिर्फ चूसने और चूमा चाटी की आवाजें आई। फिर माँ वासना भरी आवाज में बोली,”बदमाश है बड़ा , अपनी माँ की ब्रा में मूठ मारता है , अब तो उससे चुद्दा ही लूं चमेली , अभी लंड छोटा होगा मेरे बेटे का , पर होगा बड़ा रसीला री, मेरा मन हो रहा है चूसने का”। naukar naukrani maa village sex kahani
कुछ देर बाद चमेली बोली “और उससे चूत चुस्वाने का मन नहीं होता मालकिन? एक माँ के लिए इससे मस्त बात क्या हो सकती है , कि वो अपने बेटे को अपनी चूत का रस पिलाए, जिसमें से वो बाहर आया है , यह बेटे बड़े बदमाश होते हैं बहू रानी , अपनी माँ पर मरते हैं , इनसे तो कुछ भी करा लो, माँ के गुलाम होते हैं यह बच्चे और छोटा भले हो मुन्ना का लंड , एक दम लोहे जैसा कड़क होगा , आखिर अभी अभी जवान होने को है” ,।
“तुम्हें शर्म आती है, तो मुन्ना को मेरे हवाले कर दो , मैं और राजू मिलकर उसे सब सिखा देंगे , फिर जब पूरा चोदू बन जाये तुम्हारा बेटा , तो तुम उसे अपनी सेवा में रख लेना” चमेली बोली।
माँ बोली, “तेरी बात तो समझ में आती है , पर इसमें राजू क्या करेगा?
चमेली बोली, “बहू रानी राजू महाहरामी है , शायद उसे मुन्ना अच्छा लगता है , बचपन में भी वही तो संभालता था मुन्ना को , नह्लाता भी था , तुम खुद राजू से क्यों नहीं बात कर लेती , कल तो आएगा ही वो तुम्हे चोदने , तब पूछ लेना , वैसे बड़ा रसिक है मेरा लाल , खट्टा मीठा दोनों खाना चाहता है और मुन्ना से ज्यादा मस्त मीठा स्वाद उसे कहाँ मिलेगा? अब यह बताओ , बहु रानी कि मेरी चूत का पानी पसंद आया कि नहीं , वैसे पानी नहीं , शहद है तुम्हे पक्का माल चखाने के चक्कर में आज मैं राजू से चुदाया भी नहीं और मूठ भी नहीं मारी , सीधा आपके मूंह में झड रही हूँ , कल रात के बाद”।
माँ चमेली की चूत चूसते हुई बोली, “अरे यह भी कोई पूछने वाली बात है? तेरी चूत का माल है या खोआ? गाढ़ा गाढ़ा सफ़ेद सफ़ेद मलाईदार कितना चिपचिपा है देख! तार तार छूट रहे हैं , राजू बड़ा नसीब वाला है , बचपन से चखता आया है यह मावा, अब मेरे लिए भी रखा कर और प्रणव बेटे को भी चखा देना कभी”। naukar naukrani maa village sex kahani
मैं वहां से खिसक लिया। माँ को चोदने की बात सोच कर ही मैं पागल सा हुआ जा रहा था। ऊपर से चमेली बाई और राजू की बात सोच कर मुझे कुछ डर सा भी लग रहा था। कहीं माँ मान गई और मुझे उन चुदैल माँ बेटे के हवाले कर दिया तो मेरा क्या हाल होगा? वैसे मन ही मन फूल कर कुप्पा भी हो रहा था। चमेली बाई के छरहरे दुबले पतले जैसे शरीर को याद करके उसी के नाम से मैंने उस रात मुठ मारी।
अब राजू के बारे में भी सोच रहा था। वो बड़े गठीले बदन का सुन्दर जवान था। चमेली सांवली थी। पर राजू एक दम गेहू रंग का था। मॉडल बनने लायक था। सोते समय चमेली की इसी बात को मैं सोच रहा था कि राजू मेरा क्या करेगा।
दुसरे दिन सुबह से मैं इस चक्क्कर में था कि किसी तरह माँ के कमरे में देखने को मिले। जब माँ बाहर गई थी और मैं अकेला था तब मैंने हाथ से घुमाने वाली ड्रिल से दरवाजे में एक छेद कर दिया। उसके ऊपर उसी रंग का एक लकड़ी का टुकड़ा फंसा दिया। आज राजू आने वाला था। कुछ भी हो जाए , मैं अपनी माँ को उस सजीले नौजवान से चुदते देखना चाहता था। naukar naukrani maa village sex kahani
रात को मैं जल्दी अपने कमरे में चला गया। अन्दर से सुनता रहा , राजू और चमेली बाई के आने का पता मुझे चल गया। जब माँ ने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला , कुछ देर रुकने के बाद , मैं चुपचाप बाहर निकला और माँ के कमरे के दरवाज़े के पास आया। अन्दर से सिस्काने और हंसने की आवाजें आ रही थी।
“चोद डल मुझे राजू बेटा और जोर से चोद अपनी मालकिन की चूत , चमेली अपने बेटे को कह कि मुझ पर दया ना करे , हचक हचक कर मुझे चोद डाले , हफ्ता होने को आया यह बदमाश गायब था , मैं तो तरस कर रह गई इसके लंड को”, माँ सिसकते हुए कह रही थी।
फिर चमेली की आवाज़ आई , “बेटा, देखता क्या है , लगा जोर का धक्का , चोद डाल साली को , देख कैसे रिरिया रही है? कमर तोड दे इस हरामन की , पर झड़ना नहीं , जब तक मैं ना कहूँ , मन भर कर चुदने दे , काफी प्यासी है , तेरी मालकिन तेरे लौड़े के लिए”। naukar naukrani maa village sex kahani
चमेली गंदे गंदे शब्दों और गालियों का प्रयोग, माँ और राजू को और उत्तेजित करने के लिए जान बूझकर कर रही थी, शायद!
मैंने दरवाज़े के छेद से अन्दर देखा। ऊपर की बत्ती जल रही थी। इसलिए सब साफ़ दिख रहा था। माँ मदर्जात नंगी बिस्तर पर लेटी थी और राजू उस पर चढ़ा हुआ था। उसे घचाघच चोद रहा था। मैं बाजू से देख रहा था , इसलिए माँ की चूत तो मुझे नहीं दिखी। पर राजू का मोटा लम्बा लंड सपष्ट माँ की गोरी गोरी जांघों के अन्दर बाहर होता हुआ मुझे दिख रहा था।
चमेली बाई पूरी नंगी होकर माँ के सिरहाने बैठ कर उसके मुम्मे दबा रही थी। क्या चूचियां थी माँ की और बड़े काले चुचक , बीच बीच में झुक कर चमेली बाई माँ के होंठ चूम लेती थी। चमेली बाई भी कम नहीं थी। एक दम छरहरा सांवला बदन और छोटी तनी हुई चूचियां। राजू ऐसा कस कर मेरी माँ को चोद रहा था कि जैसे खाट तोड़ देगा। खाट भी चरमर चरमर चरमरा रही थी। naukar naukrani maa village sex kahani
मेरी माँ को चोदते चोदते राजू बोला, “माँजी, कभी गांड भी मरवाइये , बहुत मजा आएगा”।
माँ सिसकते हुए बोली, “हाँ रे चोदू , तुझे तो मजा आएगा , पर मेरी तो फट जाएगी , आज तक किसी से नहीं मरवाई मैंने , अब तुझसे मरवाऊँ? मैं नहीं मरवाती गांड , इतने मोटे लंड से”।
चमेली बोली, “नहीं फटेगी मालकिन , घर का माखन लगा कर प्यार से मारेगा मेरा बेटा , आसानी से फिसलेगा , मेरी भी गांड मारता है यह हरामी , बहुत मजा आता है , अब मेरी गांड चुद चुद कर चौड़ी हो गई है , मेरे बेटे को भी किसी नई तंग गांड का मजा लेने दो”।
माँ अब हाथ पैर फेंक रही थी।
“चोद राजू, चोद डाल मुझे राजा , चमेली बाई मेरी चूची दबा और जोर से मुझे चुम्मा दे दे मेरी जान”, माँ सिसकते हुए बोली।
“बहुत चिचिया रही है यह रंडी, इसका मुंह बंद करना पड़ेगा”, कहकर चमेली माँ के मुंह पर चढ़ कर बैठ गई। अपनी चूत माँ के मुंह पर रख कर उसने माँ की बोलती बंद कर दी और जांघें आपस में कस कर माँ का सर अपनी जाँघों में दबा लिया। फिर उचक उचक कर माँ के मुंह को चोदने लगी।
यह नजारा देख कर मुझसे नहीं रहा गया। मुंह से अवाज़ ना निकले ऐसी कोशिश करते हुए अपने लंड को मैं रगड़ कर अन्दर चल रही धुंअधर चुदाई देखने लगा। चमेली माँ का सर कस कर अपनी चूत पर दबा कर ऊपर निचे उछल रही थी। दोनों माँ बेटे मिलकर बहुत देर माँ को गूंदते रहे। जब माँ झड़ने को आ जाती। तब चमेली बाई राजू को इशारा कर देती। naukar naukrani maa village sex kahani
“रुक बेटे, लंड पेलना बंद कर, नही तो झड जाएगी यह साली चुदैल औरत, बहुत दिन से मुझे कह रही थी कि राजू नहीं आया चोदने , तो आज ऐसा चोद कि दो दिन उठ ना सके”, चमेली बाई बोली।
दस मिनट मिनट में माँ की हालत बुरी हो गई। वो रो पड़ी। चमेली की चूत में दबे उसके मुंह से हलकी दबी चीखें निकल रही थी। उससे यह चुदासी सहन नहीं हो रही थी। बिना झडे उस मीठी सूली पर लटके लटके वो अब बुरी तरह तड़प रही थी। चमेली खुद शायद एक दो बार माँ के मुंह में झड चुकी थी। माँ के सर पर से उतर कर वो लेट गई और माँ के चुम्बन लेने लगी।
“पसंद आया अपनी नौकरानी की चूत का रस मालकिन” ? राजू से चुदते चुदते तो यह और मसालेदार लगा होगा आपको”।
माँ कुछ कहने की स्थिति में नहीं थी। बस सिसकती जा रही थी। माँ के चर्म सुख की इस स्थिति में मौका देखकर चमेली ने मेरी बात आगे छेड़ी।
“मालकिन , मैं कह रही थी कि कल से राजू मुन्ना को स्कूल छोड़ आया करेगा और ले भी आयेगा , आते आते मेरे पास छोड़ दिया करेगा”।
माँ सर इधर उधर फेंकते हुए हाथ पैर पटकते हुए बोली,”तुम दोनों क्या करोगे मेरे बच्चे के साथ , मुझे मालूम है, हाए मैं मरी! , राजू दया कर चोद डाल रे बेटे मत तडपा अब”।
राजू माँ की चूत में लंड पेलता हुआ बोला, “बहुत प्यार करेंगे मुन्ना को माँ जी , उसे भी सब काम करीदा सिखा कर आपके कदमों में ला कर पटक देंगे, फिर आप दिन भर उस बच्चे के साथ मस्ती करना”। naukar naukrani maa village sex kahani
माँ को बात शायद जंच रही थी क्योंकि उसने कुछ नहीं कहा।
चमेली ने माँ के चुचक मसलते हुए कहा, “अरे अभी से उसे चुदाई के खेल में लगा दिया तो दो साल में लंड भी बड़ा हो जायेगा उसका , राजू को देखो , बारह साल का था , तब से चोद रहा है मुझे बदमाश , अब देखो कैसा घोड़े जैसा लौडा हो गया है उसका”।
माँ आखिर तैयार हो गयी, “ठीक है राजू , कल से तेरे और चमेली के सपुर्द किया मैंने मुन्ने को , हाए मैं मरती क्यों नहीं, चोद चोद कर मार डाल मुझे मेरे राजा” मस्ती में पागल हो कर माँ बोली।
चमेली खुश हो गई , राजू को बोली, “राजू बेटे, कल से ही शुरू हो जा , मैं कहती थी न कि मालकिन मान जाएँगी, आखिर अपने बेटे को भी तो पक्का चोदू बनाना है इन्हें , तू अब चोद डाल बेटे , ऐसे चोद अपनी मालकिन को कि वह सीधे इन्द्रलोक पहुँच जाए”।
माँ के होंठों पर अपना मुंह जमाकर चमेली माँ के मुंह को चूसने लगी और राजू अब माँ को ऐसे बेरहमी से चोदने लगा। जैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है। मुझसे अब न रहा गया। मैं वहां से भागा और कमरे में आकर सटास्ट मूठ मारी। लौड़ा झड़ा तो इतनी जोर से कि वीर्य सीधा छः फुट दूर सामने की दीवार पर लगा। आज का वो कामुक नजारा मेरे लिए स्वर्ग का नजारा था।
मैं फिर जाकर आगे की चुदाई देखना चाहता था। पर इतने मीठे सख्लन के बाद कब मेरी आँख लग गई। मुझे पता ही नहीं चला। naukar naukrani maa village sex kahani
————क्रमशः————
अब कल से क्या होगा, वो दोनों नौकर मेरे साथ क्या करने वाले थे? एक अजीब सा उत्साह था मन में.. जानिए क्या होगा इस village sex kahani के अगले भाग में..
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