Shreya Ki sperm therapy Office sex story
ये Shreya Ki sperm therapy Office sex story मेरी हॉट रिसेप्शनिस्ट श्रेया और उसके परिवार की है। एक बरसात के दिन ऑफिस में कोई नहीं था। उस दिन कुछ हो गया। श्रेया भी अपनी दास्ताँ भी सुनाई।
आज सुबह से ही मौसम बहुत रोमान्टिक था। रिम झिम पानी बरस रहा था, मैं इस विचार में था कि आज कैसे अपने आफ़िस पहुँचूंगा। इतने में बारिश बन्द हो गई। हालांकि आफ़िस के लिये अभी बहुत समय था फिर भी मैं निकल पड़ा। आफिस में सफाई चल रही थी। मैं सीधे अपने केबिन में चला गया, और कम्प्यूटर खोल कर मेल चेक किया। मैंने सोचा कि अब क्या करें, आफिस में कोई था नहीं तो मैं नेट पर पोर्न साइट खोल कर वीडियो क्लिप्स का मजा लेने लगा। देखते देखते मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैं अपना लन्ड पैन्ट के बाहर निकाल कर सहलाने लगा।
मैं अपने में पूरी तरह से मस्त था और मुझे पता ही नही चला कि इसी बीच श्रेया (रिसेप्सिनिट) कब आ कर मेरी इस हरकत को निहार रही है। यह तो तब मुझे पता चला जब रिसेप्शन पर फोन की घन्टी अचानक बजी और उसको अटेन्ड करने के लिये मेरे केबिन की तरफ से भागी। मैंने तुरन्त नेट बन्द किया और अपने खड़े लन्ड को पैन्ट में किसी तरह डाल कर श्रेया को डरते हुए आवाज लगाई यह जानने के लिये कि उसने मुझे उस हालत में देखा है या नहीं, उसके व्यव्हार से पता चल जायेगा।
मेरे बुलाने पर वह थोड़ी देर के बाद आई और सर झुका कर बोली- यस सर… !
मैंने पूछा- तुम कब आई?
वह थोड़ी सी रुकी, मेरी पैन्ट की तरफ देखा और मुस्करा कर बोली- जब आप कम्प्यूटर पर बहुत व्यस्त थे… सर !
मैं सकपका कर हिम्मत कर के बोला- ओह ! तो तुमने कम्प्यूटर पर सब कुछ देख लिया?
जी… ! आप जो कर रहे थे वह भी मैंने देख लिया !
क्या देखा ? मैंने मुस्कराकर पूछा।
वह बोली- आप का ‘वो’ बहुत सेक्सी है !
वो’ क्या? मैंने पूछा।
वह बेशर्मी से बोली- आप का काले तिल वाला लन्ड !
तुम्हें मेरा लन्ड पसन्द है?
तो वह बोली- जी !
मैंने बगैर देरी किये तुरन्त पैन्ट की जिप खोल कर लन्ड को बाहर निकाला जोकि अभी भी खडा़ था, उसको दिखाया और बोला- इसको अपने हाथ से पकड़ो और फिर बताओ कि कैसा है? वह बोली- सर कोई आ जाएगा……..!!
मैंने कहा- ठीक है, आज मैं पूरे आफिस की छुट्टी कर देता हूँ ! office me sex
और मैंने फोन कर के सबको सूचित कर दिया कि आज अधिक बारिश के कारण ऑफ़िस बन्द रहेगा।
फिर मैंने श्रेया से कहा- मुख्य-द्वार को अन्दर से लॉक कर दो !
वह अपनी कंटीली मुस्कुराहट के साथ दरवाज़ा लॉक करने चली गई। इसके बाद मैंने अपनी पैन्ट को खोल कर थोड़ा नीचे सरकाया ताकि पूरा लन्ड दिखे, जिसको देख कर वह प्रभावित हो जाये और मेरी सालों की हसरत पूरी हो जाये।
खैर मैं अपना लन्ड सहलाने लगा। तभी श्रेया हौले से अपना कदम मेरे केबिन में रखते ही बोली- माई गॉड ! यह तो बहुत लम्बा और मोटा है… सर !
उसने बिना किसी डर के मेरी पैन्ट पूरी उतार दी, मेरा लौड़ा बाहर निकाला और चूसने लगी। मेरा लौड़ा और ज्यादा तन गया। वह ऐसे चूस रही थी जैसे काफी समय से प्यासी हो। मैं भी श्रेया की चूचियों को कुर्ते के ऊपर से ही धीरे-2 दबाने लगा। उसकी चूचियां काफी बड़ी लग रहीं थी। वह मेरे लंड को बहुत अच्छी तरह से चूस रही थी। मैंने भी उसके मुँह को धीरे-2 चोदना शुरु किया उसको और मजा आने लगा।
अब वह मेरा पूरा का पूरा लौड़ा अपने मुंह में ले रही थी और एक हाथ से मेरे अण्डकोषों और दूसरे हाथ से अपनी चूत को सलवार के ऊपर से सहला रही थी। शायद वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी। यह देख कर मैंने उससे कहा- अब तुम अपने सारे कपड़े उतार दो !
मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकालते हुए वह बोली- ठीक है सर…! मैं भी यही सोच रही थी ! और खड़ी हो कर वह अपने कपड़े उतारने लगी, मैंने अपने लंड की तरफ देखा, सुपाड़ा फूल कर लाल टमाटर की तरह हो गया था और मेरा लौड़ा श्रेया की चूत में घुसने के लिये पूरे साइज़ में तैयार था । इस बीच श्रेया पूरी तरह नंगी हो चुकी थी, क्या गजब की उसकी फीगर थी ! जैसे किसी मूर्तिकार ने बड़े इतमिनान से उसे तराशा हो !
उसकी शक्ल और फिगर बिल्कुल एक टीवी सीरियल वाली श्रेया जैसी थी, उसका नाम भी श्रेया था – गोरा रंग, सुन्दर बॉब कट घने बाल, तीखे नाक-नक्श, नशीली नीली आँखें, सुराही दार गर्दन, बड़ी-2 ठोस चूचियाँ, पतली कमर, सुडौल उभरे हुए चूतड़, चूत के माथे पर झाँटों की एक बारीक रेखा और उसके बगल में एक काला तिल, जो कि उसकी चूत को और सेक्सी बना रहा था, केले के तने जैसी उसकी जांघें !
कुल मिलाकर वह आकाश से उतरी कामासक्त अप्सरा लग रही थी, जिसका एहसास मुझे आज हुआ … sex stories in office इससे पहले श्रेया को हमने हमेशा ढीले-ढाले कपड़ों में ही देखा था। मैं कभी सोच नहीं सकता था कि उसका जिस्म इतना खूबसूरत होगा यदि मैंने आज उसे नंगी देखा न होता।
” कहाँ खो गए…सर ?” श्रेया ने धीरे से कहा और मेरा लंड फिर से पकड़ कर सहलाने लगी।
कुछ नहीं ! मैं तो तुम्हारी सुन्दर फीगर और चूत पर काला तिल, देख कर होश खो बैठा…!
वह धीरे से मुस्कराई और बोली- आप के लन्ड के सुपाड़े के ऊपर की खाल पर भी तो काला तिल है जिसको देखते ही मैं जान गई कि आप भी बहुत बड़े चोदू हैं दुनिया की किसी भी लड़की को संतुष्ट कर सकने की क्षमता आप में है सर…।
आप भी अपनी शर्ट उतारिए ना !
तुम्हीं उतार दो ना… ! मैंने मुस्कराते हुए कहा।
वो बे-झिझक मेरी शर्ट उतार कर और मेरे खड़े लंड को पकड़े थ्री-सीटर सोफे की तरफ खींचते हुए ले गई और वहाँ मुझे आराम से बैठा दिया और खुद फर्श पर घुटनों के बल बैठ कर मेरा लंड फिर से चूसने लगी।
मैं भी आराम से बैठ कर उसके मुँह को चोदने लगा। कोई 15 मिनट चुसाने के बाद मेरा लण्ड जब झड़ने वाला था तो मैंने श्रेया से कहा कि वो अपना मुँह मेरे लंड से हटा ले ताकि मैं बाहर झड़ सकूँ।
वह बोली- मैं आप का सोमरस पियूँगी !
और लगी कस के चूसने ! और फ़िर मैं एक झटके से उसके मुँह में झड़ गया। उसने मेरा सारा वीर्य बड़े चाव से स्वाद ले कर गटक लिया। श्रेया का ब्लो-जोब इतना खास था कि मेरे जैसा चोदू और अनुभवी आदमी जिसको झड़ने के लिए कम से कम 45 मिनट चाहिए, उसको श्रेया ने मात्र 15 मिनट में ही खलास कर दिया।
मैं बगैर पूछे न रह सका- श्रेया डार्लिंग ! यह बताओ ! आम तौर पर भारतीय नारी वीर्य नहीं पीती है, फिर तुमने मेरा सारा वीर्य क्यों पिया?
उसने अपनी पूरी स्पर्म थैरेपी की बात बतानी शुरू की…
मैं बचपन में बहुत दुबली थी, 18 साल तक मेरा मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ और ना ही मेरी बड़ी चूचियाँ निकली, बहुत छोटी छोटी थी, हालांकि मेरी चूत की ग्रोथ सामान्य 18 साल वाली ही थी।
मेरी सभी सहेलियों की बड़ी-2 चूचियाँ थी और मासिक धर्म भी होते थे। office me choda वो सब अक्सर चिढ़ाया करती थी कि तुम्हारी शादी नहीं होगी, कोई लड़का तुमको चोदेगा नहीं।
मुझे बहुत आत्म-ग्लानि होती थी, तब मम्मी ने मेरा इलाज कराना शुरू किया। सभी बड़े डाक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
इन्हीं सब में पूरा एक साल निकल गया। फिर पड़ोस की आंटी ने मम्मी से कहा कि बम्बई में एक बहुत प्रसिद्ध डाक्टर है जिनका नाम डाक्टर जे के लाल जो सेक्सोलॉजिस्ट है, उनको दिखाओ।
मेरी मम्मी बहुत स्मार्ट हैं, वह कॉलेज में पढ़ाती हैं, वह समझ गई कि समस्या बहुत गम्भीर है। अगर बेटी की जिन्दगी बनानी है तो कुछ करना पड़ेगा, इसलिए मम्मी मुझे बम्बई ले कर गई।
डाक्टर लाल की क्लीनिक बहुत बड़ी थी उनकी 1000 रूपए फीस थी, काउन्टर पर 1000/- जमा कर के पर्चा बनवाया, भीड़ बहुत थी बाहर के मरीज ज्यादा थे।
कोई एक घंटे के बाद मेरा नम्बर आया और हम लोग डाक्टर के केबिन में घुसे, डाक्टर साहब की उमर तकरीबन 55 वर्ष की होगी, बहुत गम्भीर और सौम्य लग रहे थे। मम्मी ने डाक्टर साहब को मेरी समस्या एवं पूरी केस हिस्ट्री बताई।
डाक्टर ने बड़े धैर्य से सुना, फिर बोले- इससे पहले आप के खानदान में कोई इस प्रकार की बीमारी से ग्रसित तो नहीं है?
मम्मी ने कहा- नहीं ! कोई नहीं… डाक्टर साहब।
फिर डाक्टर साहब ने बड़े गम्भीरता से मम्मी से कहा- चेकअप रूम में अपनी बेटी को ले जाइये, मैं आ कर देखता हूँ।
हम लोग चेकअप रूम में चले गये। कोई 15 मिनट के अन्दर ही डाक्टर साहब आ गये। indian office sex stories डाक्टर ने मेरे सारे कपड़े उतरवा दिए, बड़ी सावधनी से मेरे चुचूकों और बुर को देखा। फिर डाक्टर मेरी बुर के अन्दर दो तीन मशीनें डाल कर काफी देर तक देखते रहे। फिर मुझसे बोले- अब आप अपने कपड़े पहन लीजिये और अपने केबिन में मम्मी को बुलाते हुए चले गये।
मैं कपड़े पहन कर मम्मी के साथ डाक्टर के केबिन में गई। डाक्टर ने मम्मी को बड़ी गम्भीरता से बाताया- रोग जटिल है, एक्यूट हार्मोनल डिसओर्डर है ! इसका इलाज बहुत महंगा है क्या आप इतना खर्च कर सकेंगी?
मम्मी ने पूछा- कितना खर्च आएगा?
तकरीबन 5 लाख… डाक्टर ने बताया।
मम्मी निराश होते हुए बोली- हम लोग मध्यम वर्ग से हैं, हम लोग इतना खर्च नहीं कर सकते। कुछ सस्ता इलाज बताइये…डाक्टर साहब !
डाक्टर कुछ सोच कर बोले- देखिये मैडम, जो इलाज मैं बताने जा रहा हूँ उसमें कोई खर्चा तो नहीं है, बस उस इलाज को भारतीय समाज में मान्यता नहीं मिली है ! क्या आप कर पाएंगी ?
मम्मी पहले तो कुछ पल तक चुप रही फिर बोली- मुझे अपनी बेटी की जिन्दगी संवारनी है, मैं करुंगी, डाक्टर साहब आप इलाज बताइये।
डाक्टर ने कहा- एक बार फिर से विचार कर लीजिए…
मम्मी ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया- डाक्टर साहब, मैं कर लूंगी।
ओके ! डाक्टर बोले- देखिये आप की बेटी को “सेक्सुअल एराउज़ल एण्ड स्पर्म थैरेपी” करानी पड़ेगी।
इसमें क्या होता है? मम्मी ने पूछा।
डाक्टर साहब बोले- फ्रेश ह्युमन स्पर्म एक प्रकार का ऐसा नैचुरल प्रोटीन होता है, जिसके पीने से इंसान के हर्मोनल डिसओर्डर दूर हो जाते हैं इसलिये श्रेया बोटिया को 50 एम एल बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म प्रति दिन एक साल तक पीना है और इतने ही समय तक प्रति दिन कम से कम दो बार सेक्स करना है। इस थैरेपी से आपकी बेटी के सभी अविकसित अंगों का विकास हो जायेगा और फ़ीगर दूसरी लड़कियों की तरह बिलकुल सामान्य हो जायेगी…।
मम्मी बोली- ठीक है, मैं तैयार हूँ ! लेकिन डाक्टर साहब… office mein sex बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म मैं कैसे अरेन्ज करूंगी?
डाक्टर बोला- वो तो आपकी प्रोबलम है कि कैसे अरेन्ज करना है… हाँ मैं श्रेया को ट्रेनिंग दे सकता हूँ कि कैसे फ्रेश ह्युमन स्पर्म पियेगी।
मम्मी बोली- ठीक है डाक्टर साहब… मेरी बेटी को ट्रेनिंग दे दीजिये।
ओके !
डाक्टर उठ कर चेकअप रूम की तरफ चलने लगे और मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लेकर अन्दर आइये।
मैं और मम्मी डाक्टर के पीछे चेकअप रूम में चले गये। वहाँ डाक्टर खुद चेकअप बेड पर लेट गये और बेड के बाईं साइड पर मम्मी से कहा कि आप यहाँ खड़ी होइये और मुझसे कहा- बेटा आप यहाँ हमारी दाहिने तरफ़ कमर के पास खड़ी होइये और मेरी पैंट खोल कर मेरा लिंग निकालिए…।
मैंने मम्मी की तरफ देखा…
मम्मी ने कहा- जैसे डाक्टर साहब कह्ते हैं, वैसे करो…
मैंने डाक्टर साहब की पैन्ट खोली, फिर अन्डरवियर से मुर्झाया हुआ लिंग बाहर निकाला। मैं पहली बार किसी मर्द के लिंग को देख रही थी। फिर डाक्टर साहब की तरफ देखने लगी।
डाक्टर साहब मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लिंग खड़ा करना बताइये।
मम्मी ने मुझे आदमी के लिंग को खड़ा करने का तरीका सिखाया।
अब डाक्टर साहब का लिंग बिलकुल टाइट हमारे हाथों में था।
अब डाक्टर साहब की बारी थी, वह बड़े सलीके से बोले- बेटी श्रेया , मेरे लिंग को अपने मुँह में लेकर कस कर चूसो और साथ ही साथ अपनी जबान से लिंग के सुपारे को चाटो और यह क्रिया तब तक करती रहो जब तक कि लिंग से वीर्य न निकलने लगे और फिर उस वीर्य को तुम्हें अन्दर ही अन्दर पी लेना है। इस क्रिया को आम भाषा में “ब्लो जोब” कहते हैं। ध्यान रहे कि जब वीर्य निकलने लगे उस समय लिंग तुम्हारे मुँह में ही होना चाहिए। बाहरी हवा वीर्य में लगने से वीर्य ऑक्सीडाइज हो जाता है, उसको पीने से कोई फायदा नहीं। अब जैसा मैंने कहा वैसे करो।
मम्मी ने बीच में कहा- हाँ बेटा, जैसे डाक्टर साहब ने कहा है, वैसे करो ! मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।
फिर मैं डाक्टर साहब के लिंग को वैसे ही चूसने लगी जैसे कि डाक्टर साहब ने बताया था। office sex stories hindi मुझे इस इलाज में बड़ा मजा आ रहा था, मैं डाक्टर साहब के लिंग को चूसे जा रही थी, डाक्टर सहब का लिंग और कड़ा होता जा रहा था डाक्टर साहब अपने लिंग को मेरे मुँह के और अन्दर तक घुसेड़ने में लगे थे।
कभी कभी मुझे उबकाई जैसे लग रही थी लेकिन मुझे तो पूरी लड़की बनना था इसलिये इसकी परवाह किये बगैर डाक्टर साहब का लिंग चूसे जा रही थी।
इतने में डाक्टर साहब ने अपनी कमर को मेरे मुँह की तरफ ठेला और उनके लिंग से कुछ नमकीन-2 गोंद सा मेरे मुँह में निकलने लगा। मैंने अपना मुँह लिंग से हटाना चाहा लेकिन डाक्टर साहब ने तुरन्त मेरे सर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे मुँह में गहराई तक घुसेड़ दिया। मेरा मुँह उस गोंद से भर गया। डाक्टर साहब ने धीरे से अपना लिंग मेरे मुँह से निकाला और बोले- इसे पी लो। यही वीर्य है जिसे तुम्हें रोज पीना है, चाहे तुम्हे अच्छा लगे या ना लगे ! और आपकी मम्मी आप को सेक्स करने का तरीका यानि कि चुदवाने का तरीका सिखा देंगी।
यह कहते हुए उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और केबिन में चले गये।
मम्मी ने मुझसे पूछा- कोई तकलीफ तो नहीं हुई?
मैंने नकारात्मक सर हिलाया, कहा- नहीं !
मम्मी डाक्टर साहब के इलाज से काफी संतुष्ट लग रही थी फिर हम लोग डाक्टर साहब के केबिन की तरफ बढ़ गये। डाक्टर साहब अपनी कुर्सी पर बैठे थे, हम लोगों को देख कर मम्मी से बोले- देखिये, श्रेया को मैंने स्पर्म थैरेपी के बेसिक्स बता दिये हैं, शुरू में थोड़ी दिक्कत आ सकती है पर धीरे-2 सब ठीक हो जायेगा। यदि कोई दिक्कत हो तो आप मुझे फोन कर सकती हैं। विश यू आल द बैस्ट ! डाक्टर साहब बोले।
शाम को हम लोगों का रिजर्वेशन था हम लोग वापस लखनऊ आ गये। अब मम्मी के सामने यह समस्या थी कि वीर्य के लिए किससे कहे, जोकि रोज ताज़ा वीर्य मुझे पिला सके। ऐसे किसी से कह नहीं सकते, समाज का भय था। इसी चिंता में मम्मी थी कि तभी फ़ूफा जी कानपुर से आ गए। फ़ूफा जी अक्सर ही आया करते थे और एक दो हफ्ते रहते थे। हम लोगों की सभी जरूरतें पूरी किया करते थे।
मम्मी ने मेरे फूफा जी से इस सन्दर्भ में बात की। फ़ूफा जी अक्सर मेरी मम्मी को चोदा करते थे। मैंने छुप कर कई बार देखा था, उनका लंड बहुत मोटा और लम्बा था जो कि मेरी मम्मी को बहुत पसन्द था और मुझे भी !
मम्मी को चुदते देख कर अच्छा लगता था, मन में मैं सोचा करती थी कि काश ऐसे ही कोई मुझे चोदे, लेकिन मेरी तरफ तो कोई लड़का देखता ही नहीं था।
खैर मम्मी ने फ़ूफा जी को मेरे लिये तैयार कर लिया। office group sex stories रात को खाना खाने के बाद मम्मी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा- तुम्हारे फूफा तैयार हैं, फिलहाल तुम अपने फूफा का लन्ड चूस कर जितना वीर्य निकले उसे पी जाओ।
मैंने पूछा- यह लन्ड क्या है ?
मम्मी ने बताया- लिंग को ही आम भाषा में लन्ड कहते हैं। चलो, जल्दी से पी जाओ।
मैं फूफा के पास गई। फूफा अपने बिस्तर पर बिल्कुल नंगे लेटे थे। मम्मी ने पहले से ही उनके लन्ड को तैयार कर दिया था बस मुझे चूस कर वीर्य पीना था।
मैंने फूफा का लन्ड अपने कोमल हाथों से पकड़ा और ठीक वैसे ही चूसने लगी जैसे डाक्टर साहब ने बताया था।
फूफा को मजा आने लगा। फूफा ने मम्मी से कहा- यह तो बहुत मस्त तरीके से चूस रही है !
मम्मी ने मुस्कराकर कहा- ट्रेनिंग जो ली है, इसीलिये मस्त चूस रही है।
इतने में फूफा ने हाथ बढ़ा कर मम्मी को अपनी तरफ खींच लिया और लगे उनकी चूची दबाने…
मम्मी ने विरोध करते हुए कहा- क्या करते हो? बेटी है।
अब बेटी से क्या पर्दा…? फूफा बड़े प्यार से बोले- आओ हम सब आज मौज मस्ती करें ! बेटी का इलाज का इलाज हो जयेगा और मस्ती भी।
फूफा ने मम्मी का ब्लाउज खोल दिया। मम्मी की बड़ी-2 चूचियाँ बाहर आ गई।
फिर फूफा मुझसे बोले- बेटा, तुम भी अपने सारे कपड़े उतार दो।
मैंने फूफा की आज्ञा का पालन किया। उधर फूफा ने मम्मी को बिलकुल नंगा कर दिया। अब हम सब लोग एक ही बिस्तर पर नंगे थे। मैं फूफा का लन्ड फिर से चूसने लगी, फूफा मम्मी की चूचियाँ चूस रहे थे और एक हाथ से मम्मी कि बुर में उंगली कर रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी बुर सहला रहे थे। मुझे कुछ कुछ होने लगा और बुर से कुछ लसलसा पदर्थ निकल रहा था।
फूफा मम्मी से बोले- अरे, श्रेया की चूत से पानी निकल रहा है !
मम्मी ने तुरन्त मेरी टांगें फैला कर देखा और चूत पर उंगलियों से टटोला, फिर एक उंगली चूत में घुसेड़ कर अन्दर-बाहर करने लगीं और फूफा से बोली- श्रेया अब चुदने लायक हो गई है क्योंकि इसके हल्की-2 झाटें भी आ गई हैं और चूत का छेद भी बड़ा लग रहा है। आप ही इसकी बुर का उदघाटन करिये, ठीक रहेगा।
फूफा ने मम्मी की आज्ञा का पालन किया और उठ कर मेरी चूत को बड़े गौर से देखा… यार इसकी चूत तो बहुत छोटी है मेरा लन्ड झेल पायेगी… मम्मी से बोले।
आप कोशिश तो करिये ! एक बार में न सही, दो तीन बार में तो हो ही जायेगा।
मैं यह सब सुन कर बहुत उत्साहित थी कि आज से मेरी चुदाई शुरू हो जायेगी।
फिर मम्मी ने मेरी दोनों टांगें फैलाते हुए ऊपर उठा लिया और फूफा से बोलीं- चलिये, अब आप इसे चोदिये !
फूफा ने मेरी गीली चूर पर अपना हलब्बी लन्ड रखा और हलके से चूत में घुसेड़ा, मेरे मुँह से अचानक चीख निकल गई।
क्या हुआ बेटा… मम्मी ने पूछा।
बहुत दर्द हो रहा है… मैंने कहा।
तब तक फूफा अपना लन्ड निकाल चुके थे और मम्मी से बोले- पहले श्रेया को किसी पतले लन्ड से चुदवाना पड़ेगा फिर ये मेरा लन्ड सह सकेगी।
ठीक है ! विशाल पाँच दिनों की छुट्टी में कल आ रहा है, उसका लन्ड अभी पतला ही होगा, पहले उसी से इसको चुदवाती हूँ, दो चार बार चुदेगी तो इसकी बुर रवां हो जायेगी, फिर आप चोदियेगा। फिल हाल बेटा तुम फूफा का रस पी लो। कम से कम आज की डोज तो मिल ही जाय… मम्मी मुझसे बोली।
(विशाल मेरा ममेरा भाई, जो गाजियाबाद से बीटेक कर रहा था)
मैंने फिर से फूफा का लन्ड चूसना चालू किया। फूफा का लन्ड फिर से टाईट हो गया और वो अपना लन्ड मेरे मुँह में बड़े जोरों से पेलने लगे, उन्हें बड़ा मजा आ रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा मुँह उनके वीर्य से भर गया, मम्मी ने हमसे मुँह खोल कर दिखाने के लिए कहा। मैंने मुँह में जितना वीर्य था उसको दिखाया।
मम्मी बोली- यह तो बहुत कम है ! ऐसे कैसे काम चलेगा? क्योंकि 50 एम एल वीर्य रोज चाहिए। खैर इसको तो तुम पी ही जाओ, कल देखेंगे।
फिर मैं कपड़े पहन कर अपने कमरे में सोने चली गई। बाद में फूफा ने मम्मी की भी चुदाई की, क्योंकि उनके कमरे से भचा भच की आवाजें आ रही थी। मैं बहुत थक गई थी थोड़ी ही देर में मुझे नींद आ गई।
———क्रमशः———
एक अलग ही अनुभव था श्रेया का। डॉक्टर और फूफा का वीर्य पीने के बाद अब उसकी सील भी टूटने वाली थी, वो भी अपने भाई के लंड से.. इस office sex story की दिशा बदल चुकी है..
और भी मस्त sexy stories पढ़िए पर..
Read More Stories Like This Office Sex Click here for similar stories and more content you might enjoy!