माल पड़ोसन की चुदाई

Maal Padosan ki chudai

हेल्लो दोस्तों ! मैं विनय, मैं एक मध्यवर्गीय परिवार से हूँ। मैं शर्मीले स्वभाव का सीधा सा दिखने वाला लड़का हूँ। इस Maal Padosan ki chudai neighbour sex story में मैं आपको अपनी पड़ोसन कविता के साथ हुए पहला अनुभव बताने जा रहा हूँ। वह 20 साल की एक ख़ूबसूरत और गोरी-चिट्टी लड़की है, उसकी भरी भरी चूचियाँ इतनी मदमस्त कर देने वाली हैं कि किसी का भी लण्ड खड़ा हो जाए। मेरा और उसका घर एक दम साथ-साथ था। मेरे को वो बहुत अच्छी लगती थी। पर मैं उससे कभी बात नहीं कर पाया, मेरा मन बहुत करता था उससे बात करने का और उसको पटाने का, पर यह कैसे होगा समझ नहीं आता था।

मेरे को एक आईडिया आया, उसका एक छोटा भाई था सोनू। मैंने उसको पटाने की सोची, अगर इसको पटा लिया तो कविता को पटाना आसान हो जायेगा। इसलिए मैं कविता के भाई को पटाने लगा और उसके साथ खेल खेलने लगा। उसको अपने घर पर बुला कर पी सी पर गेम भी खिलाता, इस तरह वो मेरे साथ रहने लग गया और कभी कभी मैं भी उसके घर भी चला जाता। कुछ समय बाद कविता से भी मेरी थोड़ी-थोड़ी बातें होने लग गई और हम एक साथ मिल कर खेलने लग गए।

मैं तो कविता को पटा कर चोदना चाहता था, पर कैसे हो सकता था ? मैं नए-नए आईडिया सोचने लग गया कि किस तरह कविता को चोदूँ, मेरे मन में फ़िर एक आईडिया आया। मैं एक ब्लू फिल्म की सीडी लेकर आया, उस दिन उसके घर वाले बाहर गए हुए थे। मैंने अपनी छत से उसकी छत पर पर उस सीडी को फेंक दिया और अपनी छत पर घूमने लग गया। उसने मुझे देखा और वो भी छत पर आ गई और आते ही उसको वो सीडी मिल गई।

वो मेरे पास उस सीडी को ले कर आई और बोली- यह सीडी छत पर मिली है।

मैंने पूछा- क्या है इसमें ?

कविता – मुझे नहीं पता, मुझे तो छत पर पड़ी मिली है।

मैं उससे कहा- चलो देखते हैं कि क्या है इसमें !
तो कविता राजी हो गई और मैं अपनी छत से उसकी छत पर आकर उसके घर पर चला गया।
कविता जाते ही सीडी प्लेयर में उस सीडी को लगाने लगी। मेरा दिल बहुत जोर जोर से धक-धक कर रहा था, पता नहीं क्या होगा। कहीं कविता अपने घर वालों को इसके बारे में बता दिया तो?

मैं बहुत डर गया था।

उसने सीडी लगा कर टीवी ऑन किया। मैं अभी भी डर रहा था और टीवी चालू होते ही एक लड़का और एक लड़की आपस बातें कर रहे थे।

कविता ने मुझ से कहा- यह कोई हॉलीवुड फिल्म लगती है ! थोड़ी देर में उस लड़के ने उस लड़की के सारे कपड़े उतार दिए। उसने एक दम अनजान की तरह कहा- ये क्या कर रहे हैं?
तो मैंने कविता से कहा- यह एक ब्लू फिल्म है। पहले नहीं देखी क्या कभी ?
कविता – नहीं तो।

फिर धीरे धीरे वो लड़का उस लड़की की चूचियाँ दबाने और चूसने लग गया। उस लड़की ने उस लड़के के भी सारे कपड़े उतार दिए और फिर उसका काला लम्बा और मोटा लण्ड प्यार से चूसने लग गई।

कविता – मुझे तो शर्म आ रही है, कितने गंदे है ये।

मैंने उससे कहा- ऐसे तो सब लोग ही करते हैं, इसको ही तो सेक्स बोलते हैं।

मैंने उससे पूछा- तूने कभी सेक्स किया है?

कविता – नहीं किया।

मैंने उससे कहा- इसमें बहुत मजा आता है।

तभी मैंने कविता के पास जाकर बैठ गया और अपना हाथ धीरे उसकी चूचियों पर रखा, तो उसने मेरा हाथ हटा दिया और बोली- रवी, यह क्या कर रहे हो तुम?

मैंने कुछ न बोलते हुए फिर से अपना हाथ उसकी भारी भारी चूचियों पर रखा और उसके टॉप के ऊपर से चूचियाँ दबाने लगा। उस समय उसकी शक्ल देख कर ऐसा लग रहा था कि उसको मजा आ रहा था। फिर मैं दोनों चूचियों को एक साथ मसल मसल कर दबाने से ऐसा लगा और फिर मैं उसके टॉप मैं हाथ डाल कर चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा और वो सिसकियाँ लेने गई।

अब मुझे पता चल गया कि उसको मजे आ रहे हैं।

मैंने उसको पूछा- मज़ा आ रहा है क्या?

कविता – हाँ, आ रहा है। क्या इसको ही सेक्स कहते हैं?

मैंने कहा- कविता अभी तो कुछ भी नहीं हुआ है, अभी तो और बहुत मजे आयेंगे।

कविता – कहा कैसे?

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मेरी माल पड़ोसन कविता

तो मैं कहा- कविता तुझे मेरा साथ देना होगा !

तो उसने हामी भर दी।

मैंने उसका टॉप और जींस उतार दी। उसने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। वो बहुत ही गोरी थी और गोरे रंग पर लाल रंग बहुत सुन्दर लग रहा था। फिर मैंने दोनों को उतार फेंका।

मैं पहली बार किसी लड़की की नंगी चूत के दर्शन कर रहा था, उसकी चूत में हल्के भूरे रंग के बाल थे।
कविता – मुझे शर्म आ रही है !

और उसने अपने दोनों हाथ अपनी चूत और मोमो पर लगा लिए।

कविता – इसमें शर्माने की क्या बात है? सेक्स तो नंगे होकर ही किया जाता है।
मैंने प्यार से उसके दोनों हाथ हटा दिए और उसकी दोनों चूचियों को चूमने लगा तो वह पागल होने लगी।

मैंने दूसरा हाथ कविता की चूत पर रखा, उसकी चूत एक दम गीली हो चुकी थी। अब मैं समझ गया कि कविता एक दम चुदने को तैयार है।

पर मैं उस को इतनी जल्दी नहीं चोदना चाहता था। इसलिए मैं कविताकी चूत में अपनी एक उंगली डालने लगा और थोड़ी सी उंगली अन्दर जाते ही वह चिहुँक उठी,”दर्द हो रहा है।”

मैंने कहा,”कविता मेरी जान पहली बार ज़रा दर्द होता है, आज तो इस दर्द सहन करना ही पड़ेगा।”

उसने कहा,” ठीक है।”

फिर मैं उसको ऊँगली से चोदने लगा और उसके मुँह से सी सी की आवाज आ रही थी। फिर मैंने उसको मेरी शर्ट-पैंट उतारने के लिए बोला।

उसने कहा- मुझे शर्म आ रही है।

मैंने कहा- अब काहे की शर्म !

मेरे कपड़े उतारने के लिए बोला तो उसने मेरी शर्ट-पैंट उतार दी और लगे हाथ अण्डविनययर भी उतारने को बोला। ना ना करते हुए उसने उसको भी उतार ही दिया। उसने मेरा लण्ड देखा और अपनी आँखें बंद कर ली।

मैंने उससे कहा- कविता यह प्यार करने की चीज है इससे मुँह नहीं मोड़ा करते।

फिर मैंने उसके दोनों हाथ आँखों से हटा दिए और उसको अपना लण्ड दिखाते हुए कहा- इसको लण्ड बोलते हैं और इसको ही चूत में डाल कर चुदाई करते हैं जिससे चूत और लण्ड का मिलन होता है। इस को अन्दर डालने से दोनों को बहुत मजा आता है !

तो कविता ने कहा- इतना बड़ा और मोटा लंड मेरी चूत में कैसे जायेगा? यहाँ तो उंगली भी ठीक से अन्दर नहीं जा रही है।

मैंने कहा- मेरी जान तुम चिंता मत करो, सब कुछ हो जायेगा। पर इसको चूत में डालने से पहले चूसना पड़ता है।

मैंने अपना लण्ड पकड़ कर उसके मुँह में डाल दिया। पहले तो उसने मुँह में लेते ही निकाल दिया। मैंने उसके मुँह में फिर से अपना लण्ड डाल दिया तो इस बार वो धीरे धीरे मेरे लण्ड का लाल लाल सुपारा चूसने लग गई और धीरे धीरे अपना सारा लण्ड उसके मुँह में अंदर-बाहर करने लग गया।
फिर मैंने उस को बेड पर लिटाया और 69 की अवस्था में आकर उसकी चूत को उंगली और जीभ से चोदने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और बोली- विनय ! थोड़ा धीरे करो, मुझे दर्द हो रहा है।

मैंने कहा- कविता दर्द तो हो रहा है पर मज़ा आ रहा है या नहीं?

वो बोली- हाँ ! विनय मज़ा तो आ रहा है पर दर्द भी हो रहा है।
मैंने कहा- थोड़ी देर में यह दर्द खत्म हो जाएगा।

उसके मुँह से कामुक सिसकियाँ निकल रही थी। उसके मुँह से आवाजें आने लगी- सी……सी…स्…आ…आ..आ अच्छा लग रहा … और चूसो और !

कविता की चूत एक दम गीली हो चुकी थी और उसकी चूत ने अंदर से सफ़ेद सफ़ेद सा पानी छोड़ दिया। जिसे मैंने अपने मुँह पर महसूस किया और मेरा भी वीर्य निकलने वाला था और मैं उसके मुँह में झड़ गया।

उसने कहा- यह क्या है?

मैंने कहा- प्यार की निशानी है। उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया।

इसके बाद मैंने उसे सोफे पर बैठा दिया और अंदर से तेल की शीशी ले आया और उसकी चूत और अपने लण्ड पर तेल लगा लिया फिर उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख लिया। इससे उसकी चूत मेरे लण्ड के करीब आ गई और मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। कविता सिसकारियाँ भरने लगी।

फ़िर मैंने अपना लण्ड कविता की चूत के मुहाने पर रखा और अंदर करने लगा। कविता की चूत कुंवारी होने के कारण काफी कसी थी। मैंने जोर लगा कर अपना लण्ड उसकी चूत में ठेल दिया। लण्ड का सुपारा ही अंदर गया था कि कविता जोर जोर से चीखने लगी।

अपने हाथ-पाँव मारने लगी और बोलने लगी- मुझे छोड़ दो ! मुझे कुछ नहीं करना।

मैंने अपने हाथों से उसका मुँह बंद कर दिया और जोर-जोर से धक्के लगा कर अपना लण्ड उसकी चूत में घुसाने लगा। अभी आधा ही अंदर गया था कि उसकी आँखों से आंसू आने लगे और उसका मुँह बंद था।

मैंने धक्के लगाने चालू रखे। मेरे हाथ से बंद होने के कारण उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाजें आने लगी। मैं समझ गया कि उसको मजे आ रहे हैं, मैंने अपना हाथ उसके मुँह से हटा लिया, उसके मुँह से सी सी की आवाज आ रही थी।

मुझे उसकी चूत से कुछ बहने का अहसास हुआ, नीचे देखा तो उसकी चूत पूरी खून से भरी हुई थी। मैंने इस पर ध्यान ना देते हुए एक और जोर का झटका दिया जिससे मेरा तीन चौथाई लण्ड उसकी चूत में समा गया। इस झटके के लिए वो तैयार नहीं थी। और इस झटके के साथ ही कविता अपना सर जोर जोर से इधर उधर पटकने लगी। अब मैं थोड़ी देर के लिए रुका और उसके बड़े बड़े मम्मे मसलने लगा।

उसके होठों को चूमने लगा, अपने लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। अब उसका सर पटकना कुछ कम हुआ और वो भी धीरे धीरे अपने चूतड़ उछालने लगी।

कविता बोली- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी, एक बार लगा कि मैं जिन्दा बच पाउंगी।

मैं बोला- मेरी जान ! दर्द तो एक बार हुआ होगा, लेकिन अब मज़ा आ रहा है या नहीं?

कविता ने कहा- हाँ, मज़ा तो बहुत आ रहा है, बस ऐसे ही अपने लण्ड को मेरी चूत में डालते रहो। सच में आज स्वर्ग जैसा अहसास हो रहा है।
मैंने कहा- मेरी जानू ! अभी तुमने ज़न्नत देखी ही नहीं है, आगे आगे देखो, मैं तुम्हें क्या क्या और दिखाता हूँ।

इतना कहते ही मैंने एक जोरदार धक्का लगा कर अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। कविता इस अचानक हुए हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी, इस कारण उसकी जोर की चीख निकल गई और बोली- प्लीज़ ! तुम अपना गधे जैसा लण्ड मेरी चूत से निकाल लो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊंगी, प्लीज़ निकाल लो अपना लण्ड ! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ।

मैं उसकी बातों पर ध्यान ना देकर उसके मम्मे चूसने लगा और अपने लण्ड को उसकी चूत धीरे धीरे आगे पीछे पेलने लगा। थोड़ी देर में उसको पूरा मज़ा आने लगा। उसकी सील टूट चुकी थी और वो अब मेरा घोड़े जैसा लण्ड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी।

वो अपनी गाण्ड ऊपर नीचे उछालने लगी और बोलने लगी- यस यस्स्स और जोर से चोदो वीरू , मेरी चूत फ़ाड़ दोओअओ, चोदो और जोर से चोदते जाओ, मेरी चूत को फ़ाड़ दो और मेरी चूत की प्यास को मिटा दो।

इस पर मैं कविताको और जोर-जोर से चोदना शुरु कर दिया।

मैंने अपनी गति बढ़ाई, फिर भी कविता … ज़ोर से करो ! की रट लगा रही थी।

मैंने कहा- हाँ जान और ज़ोर से करूँगा।

फिर मैंने कविता के दोनों पाँव उठाए और काफी तेज़ी से लण्ड को उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। अब मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर बहार फचा फच की अव्वाज़ के साथ अंदर बहार हो रहा था और थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया। वो भी मेरे साथ ही झड़ गई, फिर हम दोनों एक साथ ले लेट गए।

फिर तो मैंने और कविता ने एक बार और सेक्स किया! उसको घोड़ी स्टाईल में खड़ा कर उसकी गांड में लण्ड घुसाने लगा। उसकी गांड भी बहुत कसी थी। मैंने पूरा दम लगा कर पूरा का पूरा लण्ड उसकी गांड में पेल दिया और धक्के मारने लगा। एक बार तो उसको दर्द हुआ फिर उसको और मज़ा आने लगा।

उसके चूतड़ मुझे बहुत ही आनंद दे रहे थे। दो-तीन मिनट में ही वो अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और लण्ड को गांड से निकाल कर फिर से उसकी चूत में डाल दिया। कुछ ही देर में उसकी चूत से पानी निकलने लगा।

उसने कहा- खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ, विनय मेरी जान।

मैं समझ गया कि कविता झड़ने वाली है। मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी।

कविता बोली- आआआ!!! मैंऽऽऽ आआआऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ

उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लण्ड भीग गया। मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा। लगभग बीस मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। लण्ड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया।

अब मुझे दर लगने लगा कि वो कहीं गर्भवती न हो जाये इसलिए मैंने उसको ई-पिल लाकर खिला दी।

अब जब कभी वो अकेली होती तो हम सेक्स करते और आज तक मैं उसके साथ सेक्स कर रहा हूँ।

——-समाप्त——-

क्या मज़ा आया था उन दिनों यारो.. कैसी लगी आपको ये neighbour sex story? कमेंट्स करके बताइए।

और भी मस्त Indian Sex Stories के लिए आते रहिये।

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