बाबाजी की बूटी

आज में गरमा गरम चूत पिघलने और लंड हिलाने वाली गरमा गरम कहानी लेकर हाज़िर हूँ. मेरी चुदक्कड़ चारू बहुत ही रंगीन मिज़ाज़ की है और उतनी ही चुदवाने में माहिर. वो पुरे मोहल्ले में नंबर एक चुद्दकड़ होने के लिए फेमस हो चुकी है. ये किस्सा एक बाबा का है, आप इस babaji ki booti hawas ki kahani का मज़ा लीजिये..

वो दिन में ना जाने कितनी चुदाई की सेक्सी फिल्में देखती रहती है. में घर पर से अपने ऑफीस निकला नहीं कि वहह अपनी गांड मटकाती और चूची हिलाती हुई लेपटॉप के सामने जाकर बैठ जाती है और ना जाने इंटरनेट पर क्या क्या साईट्स खोलकर देखती रहती है. अज़ी साईट क्या वो तो अपनी चूत खोलकर बैठ जाती है और मोटे-मोटे, काले-काले, गोरे-गोरे, लंड देखकर अपनी मस्त रसीली चूत को रगड़ने बैठ जाती है और ऐसी मदहोश हो जाती है कि बस पूछो मत.

मैंने उसे कितनी बार समझाया है कि दरवाजा लॉक कर लिया करो और खिड़की पर परदा डाला करो.. लेकिन मेरी कौन सुने और वो कहती है कि क्या हुआ अगर कोई मेरी चूत देखकर जी लेगा तो? फिर में भी अपने लंड पर हाथ फैर कर रह जाता हूँ ठीक मुझे क्या है? चूत गांड मोटी चूची एक औरत के सबसे जरूरी हिस्से हैं और मेरी चुदक्कड़ बीवी के पास तो बड़े बड़े और मस्त मस्त बूब्स और चूत है.

दोस्तों यह पिछले दिनों की बात है. मुझे एक दिन के लिए किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ गया और मेरी मोटे चूतड़ वाली जान की जान पर आफ़त आ गई. फिर वो बोली कि मुझसे तो तुम्हारे बिना रहा नहीं जाएगा और इस तुम्हारे मोटे काले लंड बिना.. (इतना कहते ही चारू ने मेरा लंड पेंट में पकड़ लिया और बस फिर क्या था लगी चूसने. ) आअहह वो पूरे मोहल्ले की एक नंबर की लंड चूसने वाली है.. जब भी गली से निकलती है अच्छे अच्छे बड़े लंड वाले सूरमा अपने लंड पर हाथ फैरने लगते है और वो अपने मोटे मोटे बूब्स बड़ी शान से फुलाकर चलती है.

तो मैंने उसे समझाया कि जान एक दिन की ही तो बात है और में बस यूँ गया और यूँ आया. फिर चारू ने कहा कि प्लीज मेरी चूत पर तरस खाओ और मत जाओ.. लेकिन अब जाने वाले को कौन रोक सकता था.. लेकिन मेरी कुतिया ने अपने मोटे बूब्स मेरे मुहं में ठूसते हुए कहा कि हरामजादे यह कौन चूसेगा.. babaji ki booti hawas ki kahani

पहले इनको चूसकर जा.. वरना में तेरा लंड खींच दूँगी. तो मैंने भी झट से मेरी रंडी के मोटे बूब्स मुहं में अंदर दबाए और निचोड़ना शुरू कर दिए और अपना लंड बाहर निकाल लिया. फिर अपने ऑफीस ट्रिप पर जाने की बात जब पूरे मोहल्ले में जैसे ही यह बात पता चली तो सब अपने लंड उठाकर मेरे घर की तरफ निकल पड़े और कोई बाथरूम, कोई बाल्कनी, कोई खिड़की, कोई दरवाजे से मेरी चुदक्कड़ माल पर नज़र मारने लगा. फिर मेरी चुदक्कड़ माल भी जैसे ही अपनी छत पर अपनी जालीदार ब्रा पेंटी सुखाने ऊपर पहुंची..

तो मेरा पड़ोसी हरामखोर शर्मा ने अपना लंड निकाल कर हिलाना शुरू किया और मेरी लुगाई भी एक नंबर की चुदेल है उसने मुस्कुराकर अपने होंठो पर अपनी लाल लाल जीभ घुमा दी और हंसकर नीचे चल दी. फिर गली के सभी लड़के सीटी बजते और चिल्ला रहे थे.. एक बार मुहं में तो लेले हमे भी चूसा दे अपने मोटे मोटे बूब्स. तो मेरी पत्नी नीचे आई और उसने अपनी सलवार कुर्ता उतारा और लेकर बैठ गई लेपटॉप और शुरू हो गई चुदाई की फिल्में देखने..

नंगी पड़ी और फिर कभी शर्मा, कभी वर्मा और तो और उन साले पुलिस वाले पांडे पाटिल का नाम लेकर चूत में उंगली कर रही थी और बूब्स खींचती हुई कभी मेरा तो कभी मेरे पिताजी का नाम ले रही थी और सब कुछ भूलकर नशे में पड़ी पड़ी खुद को बुरी तरह मसल रही थी. babaji ki booti hawas ki kahani

तभी दरवाजे को किसी ने खोला और अंदर आते ही आवाज़ लगाई कि क्या कोई घर में है? दरवाजे पर बाबा आए हैं और बड़ी दूर से आए हैं. चारू ने होश सम्भाला और झटपट ब्रा, पेंटी में ही उठकर ड्रॉयिंग रूम के दरवाजे की तरफ बढ़ी और उसने देखा कि 6 फीट का लंबा मोटा तगड़ा बाबा लम्बी दाड़ी और सर पर साफा बांधे खड़ा मुस्कुरा रहा है और उसने कहा कि हम प्यासे हैं.. कुछ पिला हम भूखे हैं.. कुछ खिला..

तू अब बाबा की सेवा कर जो माँगेगी तुझे मिलेगा. फिर बाबा ने चारू को ऊपर से नीचे देखा और चारू की गीली चूत के निशान वाली पेंटी और बाहर निकलने को बैचेन बूब्स देखकर जैसे उनकी आँखो में चमक आ गई थी. चारू ज़रा सा डर गई और उसने कहा कि ठीक है बाबा में आपके लिए कुछ लाती हूँ आप थोड़ा रुकिए और चारू अंदर रसोई की तरफ चल पड़ी और ना जाने चारू की मस्त मटकती गांड जिसके बीच पेंटी को फंसा हुआ देख बाबाजी खुद को रोक ना पाए और अंदर पीछे पीछे चल दिए.

फिर चारू ने देखा कि बाबा जी भी अंदर आ गये है.. तो उसने कहा कि बाबा जी आप बैठीए में कुछ लाती हूँ.. लेकिन ना तो बाबा जी बैठने वाले थे और ना उनकी लंगोट में छिपा उनका काला मोटा लंड जो घोड़े के लंड जैसा हो गया. फिर चारू ने पानी का लोठा बाबा की और बढ़ाया और कहा कि लीजिए बाबा जी पी लीजिए और प्यास बुझाईये बाबा ने हाथ बढ़ाया.. लेकिन पानी के लोठे को पकड़ने को नहीं चारू के मोटे मोटे बूब्स को दबोचने को. तो चारू चिल्लाई यह आप क्या कर रहे हैं? babaji ki booti hawas ki kahani

बाबाजी : हम अपनी प्यास बुझा रहे हैं और हम तेरी चूत में लगा अमृत देखकर समझ गये थे कि तुझे बैचेनी है और में अब उसका इलाज करूंगा. फिर बाबा ने झट से चारू की चूची को दबाया और ब्रा को फाड़ कर आज़ाद कर दिया और अब चूची बाबा के सामने लटकने लगी.. बाबा ने झट से चारू के मस्त मस्त गोरे बूब्स अपने मुहं में भरे और चूसने लग गया. चारू छटपटा उठी बाबा बूब्स मुहं से निकालने को तैयार नहीं था बल्कि वो छोटे बच्चे जैसे उसके बूब्स चूस रहे थे और दाँतों के बीच काट रहे थे.. लेकिन अब कब तक चारू खुद पर काबू रखा पाती. वो भी अब मजे से सिसकियाँ भरने लगी और बाबा को वो सोफे पर अपने मोटे बूब्स चुसवाने लगी.

बाबा भी कभी चारू के होंठ चूसता तो कभी निप्पल. फिर चारू का हाथ बाबा के लंगोठ में जा घुसा और उसका काला लंबा नाग जैसा लंड पकड़ कर खींचने लगी. बाबा ने लंगोठ खोला और लंड चारू के मुहं की तरफ कर दिया. तो चारू की तो जैसे किस्मत खुल गई.. एक पूजनीय लंड उसके सामने तैयार खड़ा था और चारू ने उस लंड को भींचा और बाबा की अहह निकल गई. चारू अब उस लंड को चूसने जा रही थी.. लेकिन तभी बाबा ने कहा कि ऐसे नहीं.. पहले इसकी पूजा करो, जल चड़ाओ इस लंड पर.

फिर चारू ने टेबल पर रखा लोटा उठाया और बाबा जी के काले बदबूदार लंड को अपने हाथों से धोया, बहुत मसला. तो बाबा जी का लंड अब साफ होकर चमक उठा था.. लेकिन अब चारू को सब्र नहीं था और ना ही बाबा जी को. उन्होंने अपना लंड चारू के मुहं में घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगे और सिसकारी भरने लगे और कहने लगे कि चूस मेरी बेटी चूसे जा इस लंड को.. आज यह लंड धन्य हो गया तेरे जैसी चुड़क्कड़ के मुहं में जा कर.. आहह तुझे बहुत पुण्य मिलेगा बाबा का लंड चूसकर.. तुझे में अभी प्रसाद देता हूँ. तो बाबा ने अपना माल चारू के मुहं में दे मारा.. चारू भी उसे प्रसाद समझ कर सब चाट गई. अब बाबा से और नहीं रुका जा रहा था.

फिर बाबा ने चारू की पेंटी निकाली और उस पेंटी को सूंघने लगे.. फिर उनसे रुका ना गया और चारू की काली मस्त और गुलाबी चूत में जा घुसे. उसे उन्होंने बहुत जमकर चूसना शुरू किया और अपनी प्यासी जीभ को चूत की गहराई में घुसाने लगे और अपने हाथ की उगलियाँ चारू की चूत में घुसा कर मसलने लगे और पूरी तरह पागल हो गये.. babaji ki booti hawas ki kahani

सारे कमरे में चारू की सिसकियाँ सुनाई देने लगी. फिर वो भी बाबा के बाल पकड़ कर खींचने लगी और पूरी मस्त होकर उछल उछल कर चूत चूसवाने लग गई और कहा कि इस चूत की इच्छा पूरी करो ना बाबा जी.. आपने कहा था कि सेवा करूंगी तो में जो मांगूगी मुझे वो मिलेगा.. अब मेरी इच्छा पूरी कर दो.. आआआआः गई में तो घुस जा साले आअहह!

बाबा : लगता है कि तू मेरा लंड लेकर ही मानेगी.. तू बहुत ही बड़ी चुड़क्कड़ है चल मेरे आश्रम पर बहुत लंड घूमते हैं वहाँ पर काले-काले लम्बे-लम्बे और तो और हमारे भक्त भी प्रसन्न होकर तेरी चूत में बहुत लंड और बहुत पैसा दान करेंगे और तेरे मोटे बूब्स चूसने का प्रोग्राम भी रख दूँ तो तू रंडी देवी बन जाएगी सब पूजेगें तुझे आआअहह..

चारू : बहेनचोद तू मेरी अपनी माँ को भी वहाँ पर ले चलना और मेरी अपनी बहन को भी और जो आप कहोगे में वैसा ही करूंगी.. लेकिन अभी इस जलती हुई चूत को ठंडा कर दे. तो बाबा जी ने आव देखा ना ताव अपना मोटा लम्बा लंड चारू की चूत में धकेल दिया चारू की तो मानो जान निकल आई और वो मस्ती में पागल होने लगी. बाबा जी उसके ऊपर उछलने लगे तो चारू के मोटे बूब्स भी उछलने लगे और बाबा जी उन पर भी टूट पड़े और उनको चूसने और दबाने लगे. चारू की चूत को अब चैन आने लगा और वो पानी छोड़ने लगी. बाबा जी के लिए तो यह अमृत समान था.. उन्होंने झट से अपना मुहं चूत को लगाते हुए चूत के मुख्यद्वार पर जहाँ से रस निकल रहा था उसका स्वाद लेने में डूब गये.

फिर बाबा जी भी पूजा पाठ किए बिना इस रोचक रसीली चुदाई को कहाँ खत्म करने वाले थे. उन्होंने चारू से कहा कि बेटी हम तेरी लंड भक्ति देख बहुत प्रसन्न हुए.. अब में तेरी गांड पूजा करना चाहता हूँ मोटे मोटे चूतडो को पूजना चाहता हूँ. तेरी गांड का भोग लगाना चाहता हूँ. अह्ह्ह और उन्होंने अपना अंगूठा चारू की काली मतवाली गांड के छेद में घुसाया तो चारू मानो हवा में उछल गई और उसने कहा कि बाबाजी आज मुझे अपनी परम भक्त बना लीजिए.. बाबाजी ने चारू को कुतिया बनने का आदेश दिया और चारू भी गली की पालतू चुदक्कड़ कुतिया जैसे तैयार हो गई. babaji ki booti hawas ki kahani

बाबाजी : बेटी पहले हमे इसको साफ करना होगा.. लेकिन इस सुंदर काली गांड को पानी से नहीं अपनी जीभ से चाटकर चूसकर साफ करूंगा और फिर उन्होंने अपनी मोटी पानी से भरी जीभ चारू के चूतड़ के बीच में घुसा दी और उसको चाटने लगे.. अयाया उम्म्म माआहह हाआहह आआहह.

चारू : बाबा जी क्या ऐसी गांड कभी तुमने पहले चूसी है.. अहह बताओ ना?

बाबा : नहीं बेटी इतनी रसीली और सुंदर गांड कभी नहीं.

फिर बाबा जी ने अपनी एक उंगली गांड में घुसा दी और एक चूत में.. चारू भी अब नशे में आँखे बंद किए इस रासलीला का आनन्द लेती रही और मुहं खोलकर सिसकियाँ लेती रही. तभी एकदम से उसके मुहं में एक लंड ने प्रवेश किया.. चारू चौंक गई और उसे इस लंड का स्वाद जाना पहचाना लगा.

अरे यह तो उसके प्यारे पति का मोटा लंड था.. लेकिन उसे यकीन ना हुआ उसने आंखे खोली और सामने पति को देखकर खुशी के मारे उछल पड़ी. अब तो चारू मानो जन्नत में हो.. एक लंड गांड में और एक अपने मुहं में दोनों तरफ से खुद को चुदता देख वो और धक्के मार मार कर चुदवाने लगी. बाबाजी अब चारू की गांड में अपना रस छोड़ने वाले थे और चारू भी अपनी टपकती चूत को रोक ना पा रही थी और हम तीनों एक दूसरे पर निढाल होकर गिर गये.

फिर चारू बीच में पड़ी थी और एक तरफ बाबाजी बूब्स चूस चूस कर मीठा मीठा दर्द कर रहे थे और एक में नोच रहा था. चारू के मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी और वो अपने कोमल हाथों में हम दोनों के लंड मसल रही थी और चारू अब हमारे लंड की मालिश कर रही थी.. बाबाजी अपना प्रसाद देने वाले थे और उन्होंने एक ज़ोर की सिसकी ली और अपना माल निकाल दिया.. babaji ki booti hawas ki kahani

बाबाजी बहुत संतुष्ट थे और उन्होंने जोर से चारू का बूब्स मसला और उसकी चूत की चुम्मि ली और में पड़ा पड़ा बूब्स चूसने में लगा हुआ था. फिर बाबा जी ने लंड को अपने लंगोठ में डाला और अपने कपड़े पहन कर बोले कि बेटी तुमने हमे बहुत खुश किया है कभी हमारे आश्रम ज़रूर आना और उन्होंने चारू को आशीर्वाद देते हुए कहा कि हमेशा लंडवती रहो..

तुझे कभी प्यार भरे लंड की कमी ना रहे और उन्होंने मेरा लंड पकड़ कर चारू की चूत में दे दिया और में चारू की चूत को मजे से चोदने लगा. तो मैंने देखा कि बाबा का लंड दोबारा खड़ा हो गया है और यह सब देखकर उन्होंने झट से चारू की पेंटी अपनी पोटली में रखी और वहाँ से निकल गए.

फिर में और चारू कमरे में नंगे पड़े एक दूसरे में घुसे हुए थे.. में चारू की चूत चाट रहा था और चारू मेरे लंड से खेलते खेलते ना जाने कब सो गई. उस रात मैंने तीन बार चारू की चूत मारी अगली सुबह तक भी हमें कुछ होश नही था. babaji ki booti hawas ki kahani

——–समाप्त——–

ऐसी बीवी पाके मैं तो धन्य हो गया, रोज़ एक नयी मस्ती. ज़िन्दगी में रंगीनियत भरी रहती है. उम्मीद है आपको ये hawas ki kahani पसंद आई होगी..

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