भाड़े का पति – II

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Bhade ka pati sexi kahani 2

डील बस हो ही चुकी थी। मैं अपनी बॉस का भाड़े का पति भले ही बनने वाला था पर सुहागरात तो मैं ज़रूर मानूँगा। पढ़िए इस मस्त Bhade ka pati sexi kahani 2 sexi kahani का अगला भाग-

Sex story in hindi के अन्य भाग-

पार्ट 1

दो दिन के बाद संजना ने मुझे अपने ऑफ़िस में बुलाया और बैठने को कहा। जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठा उसने कुछ कागज़ात मेरे सामने रख दिये।

“राज ये एग्रीमेंट जैसे तुमने कहा था वैसे ही बनाया गया है। जहाँ तक हमारी सुहागरात का सवाल है तुम हर वो काम कर सकते हो जो तुम चाहो उसके लिये मैं तैयार हूँ। अब रहा सवाल तुम्हारे लिये किसी पर्मानेंट चूत के इंतज़ाम का तो मैं चाहुँगी कि घर में एक दिखावे की नौकरानी रख ली जाये जिसका असल काम घर की सफ़ाई नहीं बल्कि तुम्हारे लंड की सफ़ाई करना होगा। बाहर वालों को कुछ पता ना चले इसलिये मैं चाहुँगी कि ये सब हमारे घर की चार दिवारी में ही हो। अगर तुम्हें ये मंज़ूर हो तो बोलो।”

संजना ने फिर अपना ब्रीफ़केस खोला और उसमें से तीन फोटो एलबम निकाल कर मुझे पकड़ा दिये। “इनमें देखो शायद तुम्हें कोई पसंद आ जाये। जिनके चेहरे पर निशान लगा है वो उपलब्ध नहीं हैं” संजना ने कहा।

मैं एलबम में लगी सुंदर औरतों की तसवीरों को देखने लगा। फोटो के साथ-साथ उनके बारे में भी लिखा था। मैं पढ़ने लगा और संजना की ओर देख कर मुस्कुरा दिया।

“मेरी एक दोस्त है जो मॉडलिंग एजेंसी के साथ एसकोर्ट एजेंसी भी चलाती है। उसने मुझे आश्वासन दिया है कि जिस काम के लिये मैं पैसे खर्च कर रही हूँ उससे कहीं अच्छा काम इनमें से हर कोई करेगी। इनमें से एक को चुन लो राज, मैं सब इंतज़ाम कर लूँगी। अगर कुछ महीनों बाद तुम्हारा उससे दिल भर जाये तो फिर इनमें से किसी और को चुन सकते हो। तो अब हमारा सौदा पक्का?” संजना ने कहा।

जब संजना मुझसे ये कह रही थी तब मैं एलबम में लगी फोटो देख रहा था। अचानक मैं एक फोटो को देख कर रुक सा गया और उस फोटो को ध्यान देखने लगा। सादिया मेरे एक दोस्त की पत्नी थी जिसके साथ मैं फ़ुटबॉल खेला करता था, और हमेशा उसे चोदने के सपने देखा करता था।

“इस एलबम की हर औरत पैसे के लिये चुदवाने को तैयार है?” मैंने पूछा।

संजना ने अपनी गर्दन हाँ में हिला दी। मैंने उसे एलबम वापस लौटाया, “ये वाली।”

“तो मैं ये समझ लूँ की हमारा सौदा अब पक्का है?”

“हाँ संजना मुझे ये सौदा मंजूर है!”

उस दिन के बाद तो मेरी ज़िंदगी काफी व्यस्त हो गयी। अगले तीन महीने तक हम प्रेम का नाटक करते रहे। फिर उसके बाद हमारी सगाई की तारीख घोषित कर दी गयी। उसके बाद तो जैसे पार्टियों की लाईन लग गयी। कभी कोई दोस्त पार्टी दे रहा है तो कभी कोई बिजनेस से जुड़ा व्यक्ति। उसके बाद शादी की तैयारियाँ और साथ ही हमारे हनीमून की प्लानिंग। एक शाम या रात ऐसी नहीं थी कि मैं और संजना किसी पार्टी या होटल में साथ में ना हो। शादी के वक्त तक हमारे प्यार की सच्चाई पर सभी को विश्वास हो चुका था। प्रेस, मेडिया वाले और दोस्त यार सब हमारे प्यार की मिसाल देने लगे।

अभी तक एक शर्त पूरी नहीं हुई थी, वो थी पचास लाख रुपये की। मैंने संजना को कई बार याद भी दिलाया और हर बार उसने यही कहा कि तुम चिंता मत करो, हो जायेगा। मैं भी जानता था कि शादी से पहले तो होगा ही वर्ना मैं थोड़े शादी करने वाला था। दो दिन बाद उसने मुझे एक कन्फर्मेशन लेटर थमाया कि मेरे नाम से बैंक में रुपया जमा हो चुका है। अभी तक मेरी मुलाकात संजना के प्रेमी अमित कपूर से नहीं हुई थी। शायद शादी तक संजना ने उसे अपने आपसे दूर ही रखा हुआ था। शादी वाले दिन मैं भीड़ में उसे ढूँढने लगा। जितना मैंने उसके बारे में सुना था मैं जानता था कि वो इतना कमीना इंसान है कि आये बगैर मानेगा नहीं।

मेरा सोचना कितना सही था। जैसे ही मैं और संजना मंडप की ओर बढ़े वो ठीक ऐन सामने आकर बैठ गया। मेरी उसे नज़रें मिली और मैं मुस्कुरा दिया। मैं उसे देख कर अपने आप से कहने लगा, “साले, गधे के बच्चे, तेरी प्रेमिका आज की रात मेरी रंडी बनेगी। तू चाहे जितना खुश हो ले, पर जब भी तू इसे चोदेगा… ये दौड़ कर मेरे पास ही आयेगी कुत्ते के बच्चे।”

शादी की सारी विधी बिना व्यवधान के पूरी हो गयी। पर आखिरी रसम के लिये शायद संजना ने अपने आपको तैयार नहीं किया हुआ था जब पंडितजी ने कहा, “अब आप दुल्हन को मंगलसुत्र पहना दीजिये।”

एक बार तो मैंने सोचा कि शायद संजना इंकार कर देगी या कुछ बहाना बना देगी पर मुझे क्या पता था कि वो इसकी भी तैयारी करके आयी है। पैसों के लिये रिश्तों और रिवाजों की कहाँ अहमियत होती है। और आने वाले पाँच साल मुझे यही सब भुगतना और सहन करना है।

शादी का रिसैप्शन कोई खास नहीं था। हर रिसैप्शन की तरह लोगों ने हमें बधाई दी और तोहफ़े दिये। फिर वही पीना-पिलाना और खाना-खिलाना। संजना ने काफी ड्रिंक कर रखी थी पर ठीक पहले से तय वक्त पर मैं संजना को लेकर वहाँ से निकल गया।

रिसैप्शन से ठीक दो किलोमिटर दूर एक गाड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी।

“राज, ये सब क्या हो रहा है प्लीज़ मुझे बताओ,” संजना ने पूछा।

“तुम्हारे लिये एक सरप्राईज है जान, थोड़ा इंतज़ार करो,” मैंने कहा।

मैं अपना सामान कार की डिक्की में रखने लगा। कार का ड्राइवर मेरी मदद करता रहा। सामान रखे जाने के बाद मैंने ड्राइवर को ५०० रुपये दिये और वो कार की चाबी मुझे देकर चल गया।

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संजना मैडम को कुतिया बना के चोदा

“राज, ये क्या हो रहा है, किसकी गाड़ी है ये?” संजना ने फिर पूछा।

“थोड़ा और सब्र करो, थोड़ी देर में तुम्हें सब पता चल जायेगा,” मैंने कहा।

जैसे ही वो ड्राइवर गया मैंने संजना को गाड़ी में बैठने को कहा।

“जब तक तुम मुझे सब कुछ नहीं बताओगे, मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाऊँगी,” संजना ने कहा।

“संजना गाड़ी में बैठो, जिद्द मत करो। अगर तुम नहीं चली तो तुम्हें यहाँ अकेला सड़क पर छोड़कर मैं चला जाऊँगा। फिर तुम उस हनीमून होटल जाकर सफ़ाई दे देना कि तुम अपने पति के बिना वहाँ क्यों आयी हो,” मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।

संजना ने इतने गुस्से से मेरी ओर देखा जैसे कि वो मेरा खून ही कर देगी। फिर वो गाड़ी में बैठ गयी।

“पर मुझे बताओ ये सब क्या हो रहा है, और तुम क्या चाहते हो?”

“आराम से संजना, ये भी कोई तरीका है अपने पति से बात करने का,” मैंने कहा।

“बकवास बंद करो राज, मैं सब कुछ जानना चाहती हो कि तुम क्या चाहते हो?”

“आसान सी बात है मेरी जान, मैं तुम पर विश्वास नहीं करता। तुमने बड़ी आसानी से मेरी सुहागरात वाली बात मान ली। तुम्हारे दिमाग ने तुमसे कहा कि जो माँग रहा है इस वक्त हाँ कर दो, एक बार शादी हो जायेगी तो तुम अपनी जुबान से मुकर सकती हो। तब तक शादी हो चुकी होगी और राज पैसे के लालच में कुछ नहीं बोलेगा। क्यों मैं सच कह रहा हूँ ना?” मैंने उसकी ओर देखते हुए कहा।

“नहीं राज ये सच नहीं है, मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था।”

“यही सच है संजना। जिस तरह से तुमने सब प्लैनिंग की थी मुझे उसी वक्त लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है। हो सकता था की होटल में पहुँचने के बाद तुम अमित के कमरे में चली जाती जो हमारे सामने के कमरे में तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होता, या फिर वो चल कर हमारे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दे देता और तुम उसे अंदर बुलाकर हमारा साथ देने की दावत दे देती। हो सकता था कि जो मैंने सोचा वो गलत होता पर ऐसा हुआ नहीं।

मैंने तुम्हें अमित से आँख मिलाते देख लिया था जो अपनी गाड़ी की ओर इशारा करके तुम्हें याद दिला रहा था। तुमने मुझसे चाल चलने की कोशिश की पर मैंने भी अपना प्लैन पहले से ही बना लिया था। इस वक्त हम दूसरे होटल में जा रहे हैं जहाँ मैंने सब व्यवस्था कर रखी है। और जो हम दोनो के बीच तय हुआ है वो आज हमारी सुहागरात को होकर रहेगा।”

“राज ये तो कोई तरीका नहीं हुआ अपनी शादी की शुरुआत करने का?” संजना ने कहा।

“संजना, तुम भी ये जानती हो कि ये शादी नहीं एक व्यापारिक समझौता है। मैं अपना वचन निभाऊँगा। मेरा वचन एक पत्थर की लकीर है पर तुम्हें भी अपना वचन निभाना होगा।”

इतना कहकर मैंने गाड़ी रोड के साइड में खडी कर दी। “अभी वक्त है अगर तुम्हारा इरादा नहीं है तो तुम अपने वचन से पीछे लौट सकती हो। मैं कल ही कोर्ट में अपने तलाक के कागज़ात दाखिल कर दूँगा फिर तुम आज़ाद हो।”

मैंने देखा कि संजना के चेहरे पर अजीब-अजीब से भाव आ रहे थे। उसने अपने पर्स में से सिगरेट निकाल कर सुलगा ली कश लेते हुए थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, “मैं अपना वादा जरूर निभाऊँगी राज। मुझे हैरानगी इस बात की हो रही है कि तुमने मुझ पर विश्वास नहीं किया।”

“संजना ये तुम भी जानती हो कि हमारी शादी एक समझौता है। फिर एक दूसरे से झूठ बोलना बंद करो। तुम मुझे जितना बेवकूफ़ समझती हो उतना मैं हूँ नहीं। मैंने कुछ फोन किये थे और मुझे पता चल गया था। हमारी बुकिंग रूम नंबर १२१६ में जिस होटल में हुई थी ठीक उसी कमरे के सामने वाला कमरा १२१७ मिस्टर अमित कपूर के नाम बुक था। मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि हमारी सुहागरात के दिन वो हमसे पाँच मील के अंदर नहीं होना चाहिये। मैं तुम्हारे जाल में नहीं फँसा संजना बस इतनी सी बात है,” मैंने कहा।

जब हम होटल सिल्वर-इन में घुसे जिसमें मैंने कमरा बुक कराया था, तो मुझे पता था कि संजना सक्सेना जैसी महान हस्ती को कोई इस छोटे से होटल में नहीं ढूँढेगा। संजना नशे में लड़खड़ाती जैसे ही मेरे साथ कमरे में घुसी तो संजना ने आपाधापी में अपने कपड़े उतारे और सैंडल उतारे बगैर ही बिस्तर पर लेट गयी जैसे कह रही हो, “जो करना है जल्दी करो और इस कहानी को यहीं खत्म करो।” उसके बदन पर सिर्फ ब्रा, पैंटी और सैंडल थे।

पर मैं भी पूरी तैयारी के साथ आया था। मैंने अपनी सुटकेस खोली और एक किताब निकालकर संजना को पकडा दी।

“ये क्या है?” उसने पूछा।

“जब तक मैं अपनी शाम का मज़ा लेता हूँ तुम किताब पढ़कर अपना दिल बहलाओ,” मैंने कहा।

मैं उसके पास बिस्तर पर पहुँचा और उसकी टाँगों को फ़ैला दिया। तभी वो बोली, “तुम कुछ भुल तो नहीं रहे हो?”

“नहीं तो,”

“तुम भुल तो रहे हो, कंडोम कहाँ है?” उसने पूछा।

“उसकी जरूरत ही नहीं है।”

“है, तुम्हें उसकी जरूरत है, मैं अभी से माँ बनने के लिये तैयार नहीं हूँ।” संजना ने कहा।

“जो मैं करूंगा उससे तुम प्रेगनेंट नहीं हो सकती। तुम किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो,” इतना कहकर मैंने अपना चेहरा उसकी टाँगों के बीच डाल दिया। मुझे चूत चूसने में काफी मज़ा आता है और कई औरतों ने तो इतना तक कहा कि मुझसे बेहतर चूत कोई नहीं चूसता।

संजना को उत्तेजित करने में मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगा। थोड़ी ही देर में वो सिसकने लगी और अपने कुल्हों को उपर को उठाकर अपनी चूत को मेरे मुँह पर और दबाने लगी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी और साथ ही अपना अँगुठा उसकी गाँड के छेद में डाल दिया। अब मेरी जीभ के साथ मेरी एक अँगुली उसकी चूत में और अँगुठा उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहे थे।

“ये तुम क्या कर रहे हो?” उसने गहरी साँसें लेते हुए पूछा तो मैंने अपना चेहरा उसकी चूत पर से हटाते हुए कहा, “संजना, तुम अपनी किताब पढ़ो और मुझे अपना काम करने दो।”

मैं अपना अँगुठा उसकी गाँड में से निकाल कर अपनी एक अँगुली उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। फिर दूसरी अँगुली भी अंदर डाल दी। अब मैं उसकी चूत को चूस रहा था और अपनी अँगुलियाँ उसकी गाँड के अंदर बाहर कर रहा था।

संजना ने अपनी किताब बिस्तर पर फ़ेंक दी और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पे दबा दिया, साथ ही अपने कुल्हे भी उपर को उठा दिये। मेरा मुँह पुरा उसकी चूत पे था। “ओहहहह राऽऽऽऽऽऽज, ओहहह अब और बरदाश्त नहीं होताऽऽऽऽऽऽ, चोदोऽऽऽऽ मुझे जल्दी सेऽऽऽऽऽऽ” संजना सिसक रही थी।

मैंने मुस्कुरा कर बिस्तर पर पड़ी क्रीम की ट्यूब उठा ली जिसे मैंने बिस्तर पर आने से पहले रखी थी। मैंने थोड़ी क्रीम अपने लंड पर लगायी और साथ ही उसकी चूत में अँगुली करता रहा। संजना सिसक रही थी। जब मेरे लंड पर अच्छी तरह क्रीम लग गयी तो मैंने उसकी टाँगों को पकड़ कर अपने कंधों पर रख लिया। जब उसकी गाँड पूरी तरह बिस्तर के उपर हो गयी तो मैंने एक ही धक्के में अपना लंड उसकी गाँड में घुसेड़ दिया।

“ओहहहऽऽऽऽऽऽ मर गयी रेऽऽऽऽ……” संजना ने अपने आप को मुझसे छुड़ाने की कोशिश की पर मेरा लंड पूरी तरह उसकी गाँड में घुसा हुआ था। मैं अपना लंड उसकी गाँड के अंदर बाहर करने लगा। मेरे पिछले अनुभव से मुझे पता था कि कुछ औरतों को गाँड मराने में बड़ा मज़ा आता है। कुछ शौक के लिये मरवाती थीं, तो कुछ अनुभव के लिये। संजना किस किस्म में आती है मुझे इस वक्त इसकी नहीं पड़ी थी। मुझे मतलब था तो सिर्फ़ आज की रात से, जिसमें संजना के साथ मैं कुछ भी कर सकता था।

मैंने देखा कि संजना को भी मज़ा आने लगा और वो अपने कुल्हे उछाल उछालकर मेरा साथ दे रही है।

“हाँ, फाड़ दो मेरी गाँड कोऽऽऽऽऽ, ओह, हाँ और जोरसेऽऽऽऽ” संजना सिसक रही थी।

आज की रात के लिये मैंने पिछले २४ घंटे में कम से कम से दस बार मुठ मारी थी। सिर्फ़ इसलिये की मेरा लंड जल्दी पानी नहीं छोड़े। मैं पंद्रह मिनट तक संजना की गाँड मारता रहा। संजना की चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी और आखिर में मेरे लंड ने भी उसकी गाँड में पानी छोड़ दिया। जब मेरा लंड मुर्झा गया तो मैंने उसे संजना की गाँड से बाहर निकाला और बाथरूम में सफ़ाई के लिये चला गया। संजना बिस्तर पर लेटी हुई मुझे देखती रही।

मैं अपना लंड साफ़ करके फ़िर एक बार बिस्तर पर आ गया। अपने घुटनों से उसकी टाँगों को फ़ैलाया और एक बार फ़िर उसकी चूत को चूसने लगा। मैं अपनी तीन अँगुलियाँ इस बार उसकी गाँड के बजाय उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था। एक बार फिर संजना ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया और जोरों से सिसक पड़ी, “ओहह राजऽऽऽऽ, अब और मत तरसाओऽऽऽ, अब नहीं रह सकतीऽऽऽ चोदो ना मुझे, डाल दो अपना लंड मेरी चूत में।”

“नहीं मैं अभी नहीं चोद सकता। मेरा लंड खड़ा नहीं हुआ है,” कहकर मैं उसकी चूत को जोरों से चाटने और चूसने लगा।

“प्लीज़, राज चोदो ना, देखो मेरी चूत में आग लगी है” संजना फिर गिड़गिड़ा पड़ी।

“थोड़ी देर रुको ना जान, जैसे ही मेरा लंड खड़ा होगा मैं चोदुँगा तुम्हें,” कहकर मैं उसकी चूत चूसता रहा।

तभी मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर महसूस किया। वो थोड़ी देर तो मेरे लंड को मसलती रही। फिर वो इस तरह घूम गयी कि उसका मुँह मेरे लंड के पास आ गया। वो मेरे नीचे ही मेरे लंड को अपने गरम मुँह में लेकर चूसने लगी। यही तो मैंने सोचा था। मैं चाहता था कि वो हर चीज़ के लिये मुझसे भीख माँगे, मेरे सामने गिड़गिड़ाये। पहले वो चोदने के लिये गिड़गिड़ाती रही और अब मेरे लंड को अपने मुँह में ले बड़े प्यार से चूस रही थी।

मैंने संजना को थोड़ी देर तक अपना लंड चूसने दिया, फ़िर घूम कर उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके चेहरे को देखने लगा कि कहीं वो नाटक तो नहीं कर रही।

“अब क्या देख रहे हो?” संजना ने कहा, “किस बात का इंतज़ार कर रहे हो, जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में घुसा कर मुझे चोदो।”

उस रात मेरी एक तमन्ना पूरी नहीं हुई। उसने मुझसे अपनी गाँड मारने को नहीं कहा। उस रात मैंने संजना को तीन बार चोदा और हर बार चुदाई के बाद उसकी चूत चाटी और चुसी। जब भी मैं उसकी चूत चूसता तो वो उत्तेजना से पागल हो जाती। सुबह के पाँच बजे ही हम सो पाये।

मेरी सुबह साढ़े-नौ बजे जब आँख खुली तो देखा कि संजना कुहनी के बल लेटी हुई मुझे देख रही थी।

“क्या बात है,” मैंने अपनी आँखों को मसलते हुए पूछा।

“कुछ नहीं”

“फिर मुझे इस तरह क्यों देख रही हो?” मैंने पूछा।

“क्यों ना देखूँ? ये मेरी शादी की ज़िंदगी का पहला दिन है और पहली बार मैंने रात अपने पति के साथ गुज़ारी है” संजना ने कहा।

“पति? वो भी नाम का!” मैंने हँसते हुए कहा और उठ कर अपने कपड़े पहनने लगा।

“ये क्या कर रहे हो?” संजना ने पूछा।

“कपड़े पहन रहा हूँ और क्या” मैंने जवाब दिया।

“मैं यहाँ नंगी बिस्तर पर लेटी हुई हूँ और तुम कपड़े पहन रहे हो” संजना ने कहा।

“देखो, हमारे बीच एक समझौता हुआ था कि एक रात तुम मेरे साथ गुज़ारोगी। अब सुबह हो चुकी है और सूरज आसमान में चढ़ चुका है” मैंने जवाब दिया, “रात गुज़र चुकी है और अब मैं अपना वचन निभाऊँगा।”

“रात तब तक पूरी नहीं होती जब तक की हम बिस्तर से निकल कर अपने कपड़े ना पहन लें” संजना ने कहा।

मैंने अपनी पैंट छोड़ दी और वापस बिस्तर में आ गया। “तुम्हारा इरादा कैसे बदल गया,” मैंने पूछा।

“सुहागरात किसी औरत के जीवन में एक बार ही आती है। मैंने तुम्हें पहले भी बताया है कि मुझे चूत चुसवाने में बड़ा मज़ा आता है जो कि तुम आने वाले दिनो में भी चूसोगे। पर रात को जैसे तुमने मेरी चूत चूसी मैं एक बार फिर चूत चुसवाना चाहती हूँ” संजना ने कहा।

हम दोपहर को ढाई बजे ही होटल से चेक-आऊट कर सके। हमारे लेट होने से संजना के सारे प्लैन लेट हो गये। हमें हनीमून के लिये शिमला जाना था और अगली फ़्लाईट दूसरे दिन ही थी। संजना ने कुछ फोन किये और फिर से सब तैयारी की। हम दोनों संजना के बंगले पर आ गये और वो दिन मैंने संजना के कमरे में ही गुज़ारा जो आने वाले पाँच सालो के लिये अब मेरा था। हनीमून उतना ही बकवास था जितनी की मेरी शादी। शादी से पहले ही मुझे बता दिया गया था कि मुझे क्या-क्या करना है। मुझे अपना पार्ट इस तरह अदा करना है कि दुनिया और कानून यही समझे कि हम दोनो शादी-शुदा जोड़े हैं और शादी से खुश हैं।

“मैं जो कह रही हूँ राज, तुम उस पर विश्वास तो नहीं करोगे, पर ये सच है कि ट्रस्ट के जो इन-चार्ज हैं वो अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करेंगे ये साबित करने की कि मैंने वसियत की हर शर्त पूरी नहीं की है। तुम्हें अपना रोल बाखूबी निभाना होगा जिससे किसी को कोई भी शक ना होने पाये” संजना ने कहा।

“अगर तुम जो कह रही हो वो सच है तो वो लोग तुम्हारे पीछे जासूस भी छोड़ सकते हैं और तुम्हारा अमित के साथ इश्क भी उनकी नज़रों में आ जायेगा,” मैंने कहा।

“अगर ट्रस्टीज़ को पता चल भी गया तो इस बात से कोई फ़रक नहीं पड़ता। पिताजी की वसियत में ऐसा कुछ नहीं लिखा कि मैं किसी दूसरे मर्द के साथ नहीं सो सकती। फिर भी अगर किसी ने इसको विषय बनाया तो मैं साफ़ कह दूँगी कि ये सब झूठी अफ़वाह है और मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ। फिर भी अगर बात नहीं बनी राज, तो तुम्हें मेरा साथ देना होगा कि ये कहकर तुम मेरी हर गलती को माफ़ करते हो और मुझसे बहुत प्यार करते हो।”

मेरी शादी की कहानी तो पहले ही लिखी जा चुकी थी और कहानी के अनुसार ही मैं अपने चंद सालों की पत्नी संजना के साथ हनीमून सूईट में था और उसका प्रेमी अमित हमारे कमरे से थोड़ी ही दूर दूसरे कमरे में था।

——क्रमशः——

मैंने संजना मैडम की अच्छे से ले ली। अब देखते है ये sexi kahani कहाँ तक जाती है।

और भी मस्त Sex Story in Hindi पढने के लिए आते रहिये..

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