नई नवेली भाभी

Nayi Naveli Bhabhi ki Chudai

नई नवेली भाभी
नई नवेली भाभी

मैं freesexykahani.com का बहुत पुराना पाठक रहा हूँ। हमेशा नई-नई कहानियों का इंतजार करता रहता हूँ.. पर आज मैं पहली बार अपनी कहानी आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ। Nayi Naveli Bhabhi ki Chudai
मैं बचपन से ही बड़ा कामुक किस्म का लड़का रहा हूँ, औरतों के बड़े-बड़े मम्मे देखता रहता था, उनके नितम्बों पर हाथ लगाने की कोशिश करता रहता था।


इन में से कुछ तो मेरे परिवार की ही औरतें रहती थीं।

Sagi Bhabhi ki chudai Antarvasna


यह घटना आज से 5 साल पहले की है। यह कहानी है मेरी भाभी की..
मैंने भोपाल में किराए का कमरा लिया हुआ था और यहीं पर पढ़ता था। मुझे मेरे परिवार की भाभियों में विशेष ही रूचि थी। जब भी किसी भाभी के यहाँ जाना होता.. तो छुप-छुप कर उनके अंगों को देखने की कोशिश करता रहता था।
कुछ दिनों पहले मेरे बड़े ताऊजी के लड़के की शादी थी.. पर मेरे एग्जाम की वजह से मैं नहीं जा पाया था। शादी के कुछ दिनों बाद मेरे एग्जाम खत्म हो गए.. तो मैं छुट्टियों के लिए घर नहीं गया.. बल्कि ताऊजी के घर चला गया क्योंकि मुझे नई भाभी को देखना था।
जब मैं वहाँ पहुँचा.. तो घर पर ताऊजी और भैया नहीं थे।
दरवाजा भाभी ने ही खोला।
मैंने जैसे ही भाभी को देखा.. तो बस देखता ही रह गया, वो एकदम गोरी और भरे पूरे बदन की मालकिन थीं।
मैंने एक ही नजर में उनके सारे शरीर का नाप ले लिया।
उनकी आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ।
उन्होंने पूछा- किस से मिलना है?
तो मैंने बताया- मेरा नाम राजेश है.. मैं आपका देवर हूँ.. शादी में नहीं आ पाया था।
उन्होंने मुझे पहचान लिया और अन्दर आने को कहा।
घर पर मेरी चचेरी बहन भी थी। वो मुझे देखकर आई और बोली- भैया हम बहुत नाराज हैं आपसे.. आप शादी में क्यों नहीं आए।
मैंने एग्जाम की मजबूरी बताई.. तो वो बोली- ठीक है.. आपको माफ़ कर देंगे.. पर आपको कम से कम 5 दिन यहीं रुकना पड़ेगा।
मैंने एक नजर भाभी को देखा और बोल दिया- ठीक है.. मुझे मंजूर है।
मेरी कजिन सिस्टर का नाम साक्षी है, वो मुझसे एक साल ही छोटी है।
वो थोड़ी पतली थी.. इसलिए मेरी उसमें कभी कुछ खास रूचि नहीं रही, मुझे तो भरे बदन की लड़कियाँ ही अच्छी लगती हैं।

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शाम को ताऊजी और भैया भी आ गए और मुझे देखकर बहुत खुश हुए।
सबने साथ में खाना खाया और सब बैठकर टीवी देखने लग गए।
बीच-बीच में ताऊजी मुझसे घर के समाचार भी पूछ रहे थे।
पर मैं सबसे नजरें चुरा कर भाभी को घूर रहा था।
भाभी ने भी मुझे उनको देखते हुए देख लिया था।
जब भी वो मुझे देखतीं.. तो मैं उनको स्माइल दे देता, वो भी कभी-कभी हँस देती थीं।
ताऊजी की वजह से भाभी थोड़ा पीछे बैठी थीं और ज्यादा बात नहीं कर रही थीं।
थोड़ी देर बाद ताऊजी सोने चले गए और मैं भैया.. भाभी और आरती शादी का एलबम देखने लग गए।
मेरी नजरें तो बस भाभी की फोटो को ही देख रही थीं।
मैं कई बार भैया से कह देता- भैया आप दोनों बहुत अच्छे लग रहे हो.. पर भाभी ज्यादा सुन्दर लग रही हैं।
भैया कहते- चिंता मत कर, तेरे लिए भी सुन्दर ही लड़की लाएंगे।
मैं मन में सोचने लगा कि मुझे तो भाभी ही दे दो।
एलबम देखने के बाद सब सोने की तैयारी करने लगे.. तो मुझे लगा कि भाभी को कैसे देख पाऊँगा।

मैंने सबसे कहा- क्यों न सब छत पर सो जाएं.. वैसे भी जब मैं भैया की शादी से पहले यहाँ आता था.. तो सब छत पर ही सोते थे।
आरती ने धीरे से मेरे पास आकर कहा- राज भैया 3-4 दिन में आए हैं.. तो इनको तो अपने कमरे में ही सो जाने दो।
भैया बोले- कोई बात नहीं.. सब छत पर ही सो जाएंगे।
उन्होंने आरती को बिस्तर लगाने के लिए बोल दिया, मैं भी साक्षी की मदद करने लग गया।
असल में मैं यह चाहता था कि भाभी का बिस्तर मुझसे ज्यादा दूर न हो।
आरती ने सबका बिस्तर एक साथ ही लगा दिया। पहले भैया का.. फिर भाभी का.. फिर आरती का और सबसे अंत में मेरा।
थोड़ी देर में भैया और भाभी भी ऊपर आ गए और सब अपने-अपने बिस्तरों पर लेट गए।
मैंने भाभी को देखा.. तो वे मुझे सही से नहीं दिख रही थीं।
मैंने कहा- चलो सब बातें करते हैं.. इतनी जल्दी कोई नहीं सोएगा।
भैया बोले- यार तुम लोग बातें कर लो.. मुझे तो नींद आ रही है।
ऐसा कहकर उन्होंने भाभी को बोला- तुम मेरी तरफ आ जाओ। मैं कोने में सो जाऊंगा।
मुझे थोड़ी ख़ुशी हुई कि चलो भाभी थोड़ा पास तो आईं।
मैं भाभी से उनके परिवार के बारे में पूछने लगा। आरती भी बीच-बीच में बोल रही थी.. पर मैं सिर्फ भाभी से ही बात कर रहा था।
थोड़ी देर में आरती बोली- मुझे भी नींद आ रही है.. भाभी आपको बातें करनी है.. तो मेरी जगह आ जाओ और मैं आपकी जगह सो जाती हूँ।

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मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि भाभी मेरे पास आ गईं।
आरती सो गई और मैं भाभी से बात करने लग गया।
मैंने कहा- भाभी आप बहुत सुन्दर हो.. मेरे लिए भी आपके जैसी लड़की ही लाना।
वो हँसने लगीं और बोलीं- मेरी बहन है.. उसे ही ले आती हूँ आपके लिए।
मैंने भी कह दिया- कब लाओगी।
वो बोलीं- शादी करके लानी पड़ेगी.. ऐसे नहीं आएगी वो।

मैं भाभी से बात भी कर रहा था और उनके मम्मों को भी देख रहा था।
भाभी समझ गईं और बोलीं- आपकी मम्मी से बात करनी पड़ेगी कि आपकी शादी जल्दी करें।
मैंने बोला- क्यों?
तो वो बोलीं- आपको लड़की की जरूरत है अब.. तो शादी कर लो।
मैंने पूछा- आपको कैसे मालूम कि मुझे लड़की की जरूरत है?
भाभी बोलीं- जब से आए हो मेरे मम्मों की तरफ ही देख रहे हो।
मैं एकदम से सकपका गया.. तो उन्होंने कहा- मुझे बुरा नहीं लगा.. क्योंकि आपकी उम्र ही ऐसी है.. जिसमें नारी शरीर का आकर्षण बन जाता है.. तो इससे पहले की बुरी आदतों में फंसो.. या तो शादी कर लो.. या कोई लड़की पटा लो।
मैंने कहा- भाभी.. शादी तो इतनी जल्दी करूँगा नहीं.. और लड़की मुझसे पटती नहीं.. तो बताओ मैं क्या करूँ?
तो भाभी हँसने लग गईं और बोलीं- चलो सोचते हैं आपके लिए कुछ.. अब सो जाओ.. रात बहुत हो गई है।
फिर भाभी वहीं सो गईं.. मैं भाभी के पास ही सो गया।
आधी रात को मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि भाभी अपनी जगह नहीं थी। फिर भैया को देखा तो भैया भी नहीं थे। मैं समझ गया कि शायद भैया.. भाभी को नीचे ले गए होंगे।
मैं धीरे से नीचे उतरा और भैया के कमरे की तरफ गया.. तो मुझे उन दोनों की आवाजें सुनाई देने लगीं।
भैया कह रहे थे कि 3 दिन बाद आया हूँ.. पर राज की वजह से अलग सोना पड़ गया.. पर अब तरसाओ मत मेरी जान, फटाफट
मेरी प्यास बुझाओ।
मैंने दरवाजे में से देखने की कोशिश की पर कुछ नहीं दिख रहा था। बस उनकी आवाजें आ रही थीं। ताऊजी बाहर आँगन में सो रहे थे.. तो उन तक आवाज जाने का कोई डर नहीं था। थोड़ी देर में जोर जोर से चुदाई की आवाजें आने लगीं।
मैंने अपना लिंग हाथ में ले लिया और हिलाने लग गया।
थोड़ी देर बाद आवाज आनी बंद हो गईं, मुझे लगा कि दोनों चुदाई खत्म करके सो गए।
मैं वापिस छत पर आ गया।
मैंने आरती को देखा तो उसकी भी स्कर्ट घुटनों तक चढ़ी हुई थी। वैसे तो मुझे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी.. पर नीचे से चुदाई की आवाजें सुन कर आ रहा था.. तो वो भी सेक्सी लगने लग गई।
मैं उसके पास जाकर बैठ गया और पैर सहलाने लग गया। धीरे-धीरे में उसकी स्कर्ट को ऊपर करने लग गया.. साथ ही साथ अपने लिंग भी सहला रहा था।
फिर ऊपर से ही उसके नितम्ब दबाने लग गया।
मुझे काफी अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी स्कर्ट के अन्दर हाथ डालकर उसकी योनि को मसल दिया। आरती थोड़ा हिली.. पर वापिस सीधी होकर सो गई।
उसका टॉप भी थोड़ा नीचे खिसक गया था.. तो उसके उभार दिखने लग गए।
मुझे तो उस वक्त आरती ही इतनी सेक्सी लग रही थी कि उसी को चोद देता.. पर उसके साथ ज्यादा कुछ करना नहीं चाहता था.. तो मैंने धीरे से उसके हाथ में अपना लिंग पकड़ा दिया और लिंग को आगे-पीछे करने लगा।
मैंने उसके हाथ में ही अपना वीर्य निकाल दिया और फिर मैं भी सो गया।
अगली सुबह में उठा तो छत पर केवल में ही था.. आरती भी नीचे चली गई थी। मुझे लगा कि आरती को सुबह अपना हाथ गीला तो लगा होगा।
नीचे गया.. तो भाभी नहाने जा रही थीं। मेरी तरफ देख कर मुस्कुराकर बोलीं- उठ गए देवर जी.. चलो चाय नाश्ता कर लो।
मैंने आरती से पूछा- भैया और ताऊजी कहाँ हैं?
तो उसने कहा- तुम्हारे भैया तो जल्दी उठकर शहर चले गए.. ताऊजी किसी पुराने मित्र से मिलने गए हैं।
मुझे लगा चलो भाभी के साथ ज्यादा टाइम मिलेगा।
थोड़ी देर बाद भाभी नहाकर निकलीं तो मैं उनकी तरफ देखता ही रह गया।
उन्होंने मैक्सी पहन रखी थी, शायद ताऊजी नहीं थे इसलिए।
उन्होंने मेरी तरफ एक प्यारी से स्माइल दी और अपने कमरे में चली गईं।
फिर आरती भी नहाने चली गई.. तो मैं भाभी के कमरे में चला गया।
भाभी अपने बाल बना रही थीं।
मैंने पूछा- भाभी मैं रात में उठा था.. तो आप और भैया छत पर नहीं थे। कहाँ चले गए थे आप दोनों?
भाभी बोलीं- तुम्हारे भैया को प्यास लगी थी.. तो उनकी प्यास बुझाने चली गई थी।
मैंने कहा- पानी तो आप ऊपर लाकर भी पिला सकती थीं।
तो उन्होंने हँसकर कहा- प्यास सिर्फ पानी की ही नहीं होती देवर जी.. कुछ प्यास अकेले कमरे में भी बुझानी पड़ती है।
मैं उनका इशारा समझ गया और बोला- भाभी प्यास तो मुझे भी बहुत लगती है.. उसका भी कुछ करो न।
भाभी बोलीं- बोला था न आपसे.. कुछ सोचते हैं.. अब इंतजार तो करो थोड़ा।
थोड़ी देर में आरती आ गई.. तो हम दोनों चुप हो गए। फिर मैं भी नहा लिया और सबने नाश्ता भी कर लिया।
थोड़ी देर बाद आरती अपनी सहेली से मिलने चली गई।
मैं वापिस भाभी के पास बैठ गया और पूछने लगा- कब सोचोगे आप.. कुछ दिन में वापिस चला जाऊंगा.. तब सोचने का क्या फायदा।
वो हँसने लगीं और बोलीं- ये बताओ कि आरती तुम्हें कैसी लगती है?
मैंने कहा- ठीक है।
तो बोली- इसी से प्यास बुझा लो।
मैं एकदम से चौंक गया.. मैंने पूछा- भाभी आप एक भाई को उसकी बहन से प्यास बुझाने को कह रही हो?
तो वो बोलीं- रात को जब उसके हाथ में अपना लिंग दिया था.. तब बहन नहीं थी वो?
मेरा सर घूम गया.. मैंने पूछा- आपको कैसे पता?
तो वो बोलीं- रात को तुम्हारे भैया की प्यास बुझाने के बाद मैं अपनी पानी की प्यास बुझाने रसोई में गई.. तो मैं वैसे ही छत पर भी आ गई.. क्योंकि मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो मैंने देखा कि तुमने आरती के हाथ में अपना लिंग दे रखा था.. तो मैं चुपचाप वापिस आ गई।
मैंने कहा- भाभी सॉरी.. माफ़ कर दो.. अब ऐसा नहीं होगा।
भाभी ने कहा- अगर आपको आरती अच्छी लगती है तो इसमें कुछ गलत नहीं है.. मैं उसे आपके लिए पटा लूँगी और फिर आप उससे अपनी प्यास बुझा लेना।
मैंने कहा- भाभी मुझे तो आप अच्छी लगती हो.. आप ही मेरी प्यास बुझा दो ना।
भाभी हँसने लगीं और मैंने भाभी को पीछे से जाकर पकड़ लिया।
वो बोलीं- रुको पहले दरवाजा बंद करो वर्ना आरती आ जाएगी।
मैंने दरवाजा बंद किया और भाभी को चूमना चालू कर दिया, उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. और रसपान करने लग गया।
धीरे-धीरे उनकी गोलाइयों को मसलना शुरू कर दिया, भाभी ने भी पजामे के ऊपर से ही मेरा लिंग पकड़ लिया।
मैंने भाभी को उठाया और कमरे में ले गया और भाभी के सारे कपड़े उतार दिए।
भाभी ने खड़े होकर मेरे भी सारे कपड़े उतार दिए, फिर मैं और भाभी एक-दूसरे में समाने की कोशिश करने लग गए, कमरे में सांसों का तूफान सा आ गया था।
भाभी ने कहा- देवर जी इतना प्यार करते हो.. तो पहले ही क्यों नहीं कह दिया.. अब तक तो आपकी प्यास बुझ चुकी होती।
मैंने भाभी की योनि में अपनी जीभ घुसा दी और जीभ से ही उन्हें चोदने लग गया.. वो आहें भर रही थीं।
फिर भाभी ने कहा- अभी तो फटाफट काम खत्म कर लो.. वर्ना आरती आ जाएगी.. तो तुम लन्ड महाराज को हाथ में लेकर बैठे रहोगे।
मैंने फटाफट भाभी की योनि में अपना लिंग घुसा दिया। भाभी ने अपना मुँह बंद कर लिया.. ताकि उनकी आवाज बाहर ना निकले।
मैंने जबरदस्त धक्के लगाने शुरू कर दिए.. हर धक्के के साथ मुझे स्वर्ग की अनुभूति हो रही थी। मेरा जी कर रहा था कि बस मैं ये धक्के लगाता ही रहूँ.. और ये दुनिया थम सी जाए।
थोड़ी देर में मेरा वीर्य भाभी की योनि में दौड़ रहा था!
भाभी भी निढाल सी होकर लेट गईं।
फिर भाभी ने कहा- बुझी आपकी प्यास?
मैंने कहा- अभी तो बुझ गई.. पर ये प्यास तो थोड़ी-थोड़ी देर में फिर लग जाती है।
भाभी ने कहा- जब तक यहाँ हो.. जब भी प्यास लगे तो प्यास बुझाने मेरे कुंए के पास आ जा।
मैंने वापिस भाभी को चूम लिया।

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